इस्लामी जगत में वर्चस्व की जंग: इरान ने खाई ISIS से बदले की कसम
ईरान ने खाई ट्विन ब्लास्ट के लिए IS से बदले की कसम… जानें इस्लामी देशों में आतंकी संगठनों के गुटों में वर्चस्व की क्यों छिड़ी है जंग
ईरान और सऊदी अरब के बीच चली आ रही प्रॉक्सी वार को लेकर एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है. यह चर्चा ईरान में हाल ही में हुई ट्विन ब्लास्ट के बाद शुरू हुई है. कहा जा रहा है कि ईरान में ब्लास्ट को अंजाम देने के बाद IS ने अपना वर्चस्व दिखा दिया है.
नई दिल्ली,05 जनवरी 2024,। ईरान में पूर्व जनरल कासिम सुलेमानी की कब्र के पास 3 जनवरी को सिलसिलेवार तरीके से हुए दो ब्लास्ट की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (IS) ने ले ली है. इस हमले में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. इस्लामिक स्टेट के इस ऐलान के बाद अब मुस्लिम वर्ल्ड में चली आ रही वर्चस्व की लड़ाई पर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है. कहा जा रहा है कि ईरान पर हमला करके इस्लामिक स्टेट ने एक बार फिर ईरान और उसे समर्थन देने वाले हिजबुल्ला और हूती विद्रोही जैसे संगठनों को खुली चुनौती दे दी है. आइए आपको बताते हैं कि आखिर इस्लामिक वर्ल्ड में चली आ रही इस प्रॉक्सी वॉर का क्या कारण है और इस लड़ाई में कौन किसकी तरफ है.
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि हमास, हिजबुल्ला और हूती विद्रोहियों के संगठन को ईरान का खुला समर्थन है. दरअसल, गाजा पट्टी को नियंत्रित करने वाले हमास का हिजबुल्ला और ईरान समर्थित आतंकी संगठन इस्लामिक जिहाद के साथ गहरा नाता रहा है. इजरायल पर 7 अक्टूबर को जो आतंकी हमला किया गया था, उसके बाद हिजबुल्ला ने बकायदा बयान जारी कर कहा था कि हमास ने हमले को अंजाम देने से पहले हिजबुल्ला से संपर्क किया था. ईरान समय-समय पर इन संगठनों को पैसे और हथियार देकर इनकी मदद भी करता रहता है. ये आतंकी संगठन ईरान मेड कई हथियारों का इस्तेमाल करते हैं।
ISIS को इन देशों का समर्थन
ईरान की स्थिति से ठीक उलट इराक और सीरिया में आतंक फैलाने वाले इस्लामिक स्टेट यानी आईएसआईएस को सऊदी की तरफ से सपोर्ट मिलता है. सिर्फ सऊदी ही नहीं बल्कि कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों की सरकारें भी अंदरूनी तौर पर ISIS का समर्थन करती हैं. कई मीडियो रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र किया जाता रहा है कि इस्लामिक स्टेट के फलने-फूटने में इन देशों का महत्वपूर्ण योगदान है.
IS को खुलकर किया सपोर्ट
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ISIS को विदेश से तगड़ी फंडिंग होती है. 2015 तक ही आतंकी संगठन को $40 मिलियन अमेरिकी डॉलर का की फंडिंग मिल चुकी थी. ये पैसे उसे सऊदी अरब, कुवैत, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे देशों में सरकारों और निजी दानदाताओं दोनों से मिली. ये तब तक चलता रहा, जब तक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने आईएसआईएस की सार्वजनिक फंडिंग की आलोचना नहीं की और उसे रोकने की मांग नहीं की. तब तक सऊदी अरब, कुवैत और कतर खुलेआम आतंकवादी संगठन को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे थे.
ईरान में क्यों हमले करता है IS
ऐसा नहीं है कि सिर्फ सऊदी अरब समर्थित ISIS ही ईरान में हमलों को अंजाम देता है. बल्कि, ईरान समर्थित हिजबुल्ला और दूसरे संगठन भी सऊदी अरब को निशाना बनाते रहते हैं. कई बार ऐसे केस देखने को मिले हैं, जब हिजबुल्ला सऊदी अरब पर मिसाइल से हमला कर देता है. कुछ समय पहले सऊदी अरब के एयरपोर्ट पर ड्रोन से हमला किया गया था. इस हमले का शक हूती विद्रोहियों पर जताया गया था. इसी तरह के कई हमले सऊदी अरब पर पहले भी किए जा चुके हैं. इसी तरह के हमलों को आए दिन ISIS ईरान में अंजाम देता रहता है, जिसे सऊदी अरब फंडिंग करता है. दरअसल, ईरान और सऊदी अरब में वर्चस्व की लड़ाई है. ईरान लंबे समय से परमाणु बम बनाने की तैयारी कर रहा है. माना जा रहा है कि वह बम बनाने के काफी करीब है. सऊदी अरब इस बात को लेकर भी काफी चिंतित है.