सर्वोच्च न्यायालय से भी सिसौदिया को जमानत नहीं,8 माह में पूरी हो सुनवाई
Supreme Court denied bail to Manish Sisodia. Hearing On Aap Mp Raghav Chadha
सुप्रीम कोर्ट से भी मनीष सिसोदिया को झटका, दिल्ली आबकारी नीति मामले में बेल नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाएं अस्वीकार कर दीं। राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की याचिका पर भी सुनवाई होनी है।
नई दिल्ली 30 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका निरस्त कर दी। सिसोदिया ने दिल्ली आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े मामलों में जमानत मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर सुनवाई धीमी गति से आगे बढ़ती है तो मनीष सिसोदिया बाद में फिर से जमानत को आवेदन कर सकते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई के बाद 17 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को SC में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता राघव चड्ढा की याचिका पर भी सुनवाई है। राघव ने राज्यसभा से अनिश्चितकाल के लिए निलंबित किए जाने के खिलाफ याचिका दाखिल की है। प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने 16 अक्टूबर को चड्ढा की याचिका पर राज्यसभा सचिवालय से जवाब देने को कहा था। अदालत ने इस मुद्दे पर फैसला करने के लिए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी से सहायता भी मांगी है।
मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई और ईडी ने केस कर रखा है। वह फरवरी से जेल में बंद हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने उनका जमानत प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर दिया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के दौरान सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी थी कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई मामला नहीं बनता है। सीबीआई के आरोप में अपराध का कोई संकेत नहीं है और भ्रष्टाचार का कोई विश्वसनीय आरोप नहीं है। इस तरह देखा जाए तो ईडी का मामला भी नहीं बनता है।
इस दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया था कि अगर रिश्वतखोरी केस में अपराध के संकेत नहीं है तो फिर पीएमएलए का केस साबित करना मुश्किल है। ईडी और सीबीआई के वकील से सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि पूर्वानुमान के आधार पर आप चल नहीं सकते हैं।
सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि किसी को केवल इसलिए अनंत काल को जेल में नहीं रखा जा सकता है कि ट्रायल कोर्ट में चार्ज पर सुनवाई नहीं शुरू हुई है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खन्ना ने कहा था कि एक बार जब आरोपपत्र हो जाए तो फिर आप इस तरह से किसी को जेल में नहीं रख सकते हैं। किसी को अनिश्चित समय के लिए जेल में सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता है।
अगले 3 महीने को जमानत के रास्ते भी हुए बंद
दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आरोपित और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने माना कि जांच एजेंसी 338 करोड़ के लेनदेन की बात अस्थायी रूप से ही सही लेकिन साबित कर पाई है.
सिसोदिया के तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को सुनवाई पूरी कर सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. आठ महीने पहले 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार किया था. सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपनी दलील में अदालत में कहा था कि सीधे तौर पर सिसोदिया से जुड़ा कोई साक्ष्य है ही नहीं और सभी साक्ष्य दस्तावेजी प्रकृति के हैं इसलिए सिसोदिया को सलाखों के पीछे रखने की कोई जरूरत नहीं है.
तो इस साल नहीं मिल सकेगी जमानत?
सिसोदिया के वकील ने दलील दी थी कि उनके भागने का भी कोई खतरा नहीं है.वहीं ED का आरोप यह है कि नई शराब नीति ही धोखा देने को बनाई गई.जबकि नई नीति समितियों के विचार-विमर्श के बाद पारदर्शी तरीके से बनाई गई और तत्कालीन एलजी ने इसकी मंजूरी दी थी.पीठ ने कहा कि अगर 6 से 8 महीने में ट्रायल पूरा नहीं होता या अगले तीन महीने में ट्रायल की रफ्तार धीमी रहती है तो सिसोदिया जमानत की याचिका फिर से दाखिल कर सकते हैं.
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजेंसी ने हमारे ज्यादातर सवालों के उचित जवाब नहीं दिए.सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि रुपए और धन के लेनदेन की कड़ियां साफ हैं। तीन महीनों में ट्रायल की रफ्तार धीमी रही तो सिसोदिया फिर जमानत की अर्जी लगा सकते हैं.इसका सीधा मतलब तो यही कि अगले तीन महीने जमानत के रास्ते बन्द रहेंगे.
हाईकोर्ट ने की थी ये टिप्पणी
आपको बता दें कि शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में सीबीआई ने 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया था.उसके बाद ईडी ने बंदी किया.मई में दिल्ली हाई कोर्ट ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका निरस्त करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ आरोप काफी गंभीर हैं.कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि’मनीष का इस मामले में व्यवहार भी सही नहीं रहा है और वो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.इनके पास 18 विभाग रहे हैं.पूर्व उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं.इसलिए उनको अभी जमानत नहीं दी जा सकती है.’
राघव चड्ढा के राज्यसभा निलंबन को चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ‘आप’ नेता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी और शादान फ़रासत के इस तर्क पर ध्यान दिया कि निलंबन उस सत्र से आगे की अवधि को नहीं हो सकता, जिसमें सदस्य को निलंबित किए जाने का फैसला किया गया था। राज्यसभा में 11 अगस्त को उच्च सदन के नेता पीयूष गोयल ने चड्ढा को निलंबित किए जाने का प्रस्ताव पेश किया था,जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया था। चड्ढा पर दिल्ली राजधानी क्षेत्र (संशोधन) विधेयक, 2023 को राज्यसभा की प्रवर समिति के पास भेजने का प्रस्ताव करने के लिए सदन के कुछ सदस्यों से सहमति लिए बिना ही उनका नाम प्रस्तावित समिति को सुझाने का आरोप है।