सुप्रीम कोर्ट बना बनफूलपुरा के अतिक्रमणकारियों की बना डाला,सरकार को बताया उत्तरदायी

हल्द्वानी बनभूलपुरा रेलवे जमीन अतिक्रमण केस, अवैध कब्जाधारियों को SC से राहत, पुनर्वास के दिए निर्देश – HALDWANI RAILWAY LAND ENCROACHMENT

नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी के बनभूलपुरा रेलवे जमीन अतिक्रमण मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अवैध कब्जाधारियों को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास की नीति बनाने के निर्देश दिए है. साथ ही टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालतें निर्दयी नहीं हो सकतीं है.
नई दिल्ली: उत्तराखंड के नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी में रेलवे की जमीन पर हुए अतिक्रमण मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. बुधवार 24 जुलाई को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को वहां रहे लोगों के पुनर्वास का इंतजाम करने को कहा. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को केंद्र और रेलवे के साथ बैठक करने के निर्देश दिए है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले तीन चार दशकों के लोग वहां रह रहे हैं, इसीलिए अदालतें निर्दयी नहीं हो सकती है.

कोर्ट को संतुलन बनाए रखने की जरूरत है: न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को यह योजना बनानी होगी कि इन लोगों का पुनर्वास कैसे और कहां किया जाएगा? क्योंकि ये लोग अपने परिवार के साथ दशकों से इस जमीन पर रह रहे हैं. कोर्ट लोगों को सार्वजनिक संपत्तियों पर अतिक्रमण करने की अनुमति नहीं दे सकतीं. इसीलिए कोर्ट को संतुलन बनाए रखने की जरूरत है और राज्य को भी कुछ करने की जरूरत है.

रेलवे के पास पुनर्वास के संबंध में कोई नीति नहीं: रेलवे का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि रेलवे के पास पुनर्वास के संबंध में कोई नीति नहीं है और दुर्भाग्य से रेलवे की जमीन के बड़े हिस्से पर अतिक्रमण किया गया है. यहां तक ​​कि सुरक्षा संचालन तक पर भी.

365 परिवारों का अतिक्रमण: वहीं, उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि विवादित क्षेत्र में केवल 13 लोगों के पास फ्री-होल्ड अधिकार हैं और वहां पर करीब चार हजार 365 परिवारों ने अतिक्रमण किया है, जहां 50,000 से अधिक लोग रह रहे हैं.

बीते चार दशकों से जमीन पर लोगों का कब्जा: जिस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार उन लोगों को उखाड़ फेंकना चाहती है, जो बीते तीन चार दशक से वहां रहे है. साथ ही कोर्ट ने रेलवे और सरकार से पूछा कि उन्होंने इतने सालों ने ऐसा क्यों नहीं किया. यह एक या दो झोपड़ियों का सवाल नहीं है, ये सभी पक्के घर हैं.

हल्द्वानी स्टेशन के विस्तार के लिए जमीन की जरूरत: जिस पर रेलवे के वकील ने कहा कि न्यायालय को रेलवे को सुरक्षित संचालन की अनुमति देनी चाहिए, ताकि पूरे क्षेत्र के व्यापक जनहित की रक्षा की जा सके. रेलवे ने साल 2017 की विस्तार योजना को छोड़ दिया था. यह पहाड़ियों से पहले आखिरी रेलवे स्टेशन है. पूरे कुमाऊं क्षेत्र के लिए यह एकमात्र कनेक्टिविटी है, जो वहां है. अब योजना में वंदे भारत जैसी ट्रेनों के वहां जाने की परिकल्पना की गई है, लेकिन उन्हें 24 कोच के प्लेटफॉर्म की आवश्यकता है. अतिक्रमण हटाए बिना रेलवे के पास जगह ही नहीं है. स्टेशन के विस्तार और अतिरिक्त रेलवे लाइन आदि जैसी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए अतिक्रमित भूमि की आवश्यकता है और इन सुविधाओं के बिना हल्द्वानी रेलवे स्टेशन को कार्यात्मक नहीं बनाया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश:

सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि पहले चरण में भूमि की उस पट्टी की पहचान करें, जो रेलवे लाइन या आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए आवश्यक हो सकती है.
दूसरा उन परिवारों की पहचान करना जो उस भूमि की पट्टी से निकाले जाने की स्थिति में प्रभावित होने की संभावना है.
तीसरा प्रस्तावित स्थल जहां ऐसे प्रभावित परिवारों का पुनर्वास किया जा सकता है.
उत्तराखंड के मुख्य सचिव को दिए निर्देश: इसीलिए कोर्ट ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को निर्देश देते हुए कहा कि वे रेलवे के अधिकारियों और भारत संघ के मंत्रालय (जो पुनर्वास योजना की जांच करता है) के साथ ऐसी शर्तों के अधीन बैठक बुलाएं, जो निष्पक्ष, न्यायसंगत और न्यायसंगत हों, साथ ही सभी पक्षों को स्वीकार्य हों.

11 सितंबर को होगी अगली सुनवाई: शीर्ष अदालत को बताया गया कि आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय पुनर्वास योजनाओं की जांच करता है. पीठ ने कहा कि उपरोक्त अभ्यास चार सप्ताह में पूरा किया जा सकता है और अनुपालन रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत की जानी चाहिए और मामले की अगली सुनवाई 11 सितंबर को निर्धारित की जानी चाहिए.

क्या है मामला: नैनीताल जिला मुख्यालय हल्द्वानी के वनभूलपुरा क्षेत्र में लोगों ने रेलवे की करीब 29 एकड़ भूमि पर कब्जा कर रखा है. इस इलाके में करीब चार हजार परिवार बसे हुए है, जिन्होंने पक्के घर बना रखे है. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यहां बसे लोगों को हटाने के आदेश दिए थे. रेलवे ने भी अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी कर जमीन खाली करने के निर्देश दिए थे. साथ ही पक्के मकानों को तोड़ने के आदेश भी दिए गए थे. लेकिन कोर्ट के आदेश के खिलाफ कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिस पर तभी से सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई चल रही है. आज 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अहम टिप्पणी की है और अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास की व्यवस्था करने के निर्देश दिए है.

TAGGED:

SUPREME COURT COMMENT
HALDWANI BANBHOOLPURA ENCROACHMENT
हल्द्वानी रेलवे जमीन अतिक्रमण केस
अतिक्रमणकारी पुनर्वास हल्द्वानी
HALDWANI RAILWAY LAND ENCROACHMENT

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *