लव जिहाद पर ट्रायल कोर्ट की टिप्पणी हटाने से सुप्रीम कोर्ट की ‘न’

Supreme Court: लव जिहाद पर टिप्पणियां हटाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार; पढ़ें अन्य अहम खबरें
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा लव जिहाद पर की गई कुछ टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाने की मांग की गई थी। जस्टिस हृषिकेश राय एवं जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या सुप्रीम कोर्ट रिट कार्यवाही में साक्ष्य के आधार पर ट्रायल कोर्ट द्वारा की गईं टिप्पणियों को हटा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने लव जिहाद को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया

नई दिल्ली16 फरवरी 2025। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा लव जिहाद पर की गई कुछ टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाने की मांग की गई थी। ट्रायल कोर्ट ने कहा था, ‘लव जिहाद मतांतरण के मुद्दे को हल्के में नहीं लिया जा सकता और अवैध मतांतरण देश की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा है।

‘जस्टिस हृषिकेश राय एवं जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि क्या सुप्रीम कोर्ट रिट कार्यवाही में साक्ष्य के आधार पर ट्रायल कोर्ट द्वारा की गईं टिप्पणियों को हटा सकता है।
पीठ ने याचिकाकर्ता से सवाल किया
पीठ ने कहा, ‘आप इस मामले से कैसे संबंधित हैं। क्या हम अनुच्छेद-32 की याचिका पर इस तरह सुनवाई कर सकते हैं? हम खारिज करें या आप वापस लेंगे?’ पीठ का रुख देखते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने जनहित याचिका वापस ले ली। उत्तर प्रदेश में बरेली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के फास्ट ट्रैक कोर्ट-1 ने 30 सितंबर, 2024 के फैसले में उक्त टिप्पणी की थी।

सुप्रीमकोर्ट जज बोले- बरेली अदालत का कथन साक्ष्य आधारित
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, लव जिहाद का मुख्य मकसद जनसांख्यिकी को बदलना और धार्मिक समूह के भीतर कट्टरपंथी गुटों की ओर से अंतरराष्ट्रीय तनाव को भड़काना है। यह सीधे तौर पर गैर-मुस्लिम महिलाओं को धोखे से विवाह कर इस्लाम में लाने से जुड़ा है.
Supreme Court refuses to remove Love Jihad from Bareilly court decision

सुप्रीम कोर्ट ने लव जिहाद से जुड़े मामले में बरेली कोर्ट की ओर से मुस्लिम समुदाय के लिए की गई टिप्पणियों को साक्ष्य आधारित मानते हुए हटाने से इनकार कर दिया। शीर्ष कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाई कि आखिर आप कौन हैं और इस मामले से कैसे जुड़े हैं? आप इसे सनसनीखेज बनाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?

जस्टिस ऋषिकेश रॉय व जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 32 में दायर याचिका में साक्ष्य के आधार पर की गई टिप्पणियां हटाई नहीं जा सकती। पीठ ने याचिकाकर्ता अनस से कहा, आप सिर्फ एक व्यक्ति हैं, आपका कोई अधिकार नहीं है। साक्ष्य के आधार पर कुछ टिप्पणियां की गई हैं, तो क्या हम इसे हटा सकते हैं? पीठ ने यह भी पूछा, क्या संविधान के अनुच्छेद 32 में दायर इस याचिका पर वास्तव में विचार किया जाना चाहिए? पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, वह याचिका वापस ले लें, नहीं तो खारिज कर देंगे। पीठ ने आश्चर्य जताया, मान लिया जाए कि कोर्ट के समक्ष पेश साक्ष्यों से कोई विशेष निष्कर्ष निकलता है। उसे दर्ज किया जाता है, तो क्या ऐसे स्वतंत्र मामले में उसे हटाया जाना चाहिए।

बरेली कोर्ट ने कहा था… लव जिहाद का मुख्य काम जनसांख्यिकी बदलना, अंतरराष्ट्रीय तनाव भड़काना
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, लव जिहाद का मुख्य मकसद जनसांख्यिकी को बदलना और धार्मिक समूह के भीतर कट्टरपंथी गुटों की ओर से अंतरराष्ट्रीय तनाव को भड़काना है। यह सीधे तौर पर गैर-मुस्लिम महिलाओं को धोखे से विवाह कर इस्लाम में लाने से जुड़ा है। यह अवैध धर्मांतरण कुछ चरमपंथी व्यक्तियों की ओर से किए जाते हैं, जो या तो ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं या उनका समर्थन करते हैं। लव जिहाद की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण वित्तीय संसाधन शामिल होते हैं और अधिकतर विदेशी फंडिंग होती है।

दोषी को सुनाई गई थी उम्रकैद की सजा

बरेली फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म और अन्य अपराधों में दोषी ठहराते हुए एक मुस्लिम व्यक्ति को पूरी जिंदगी जेल में रहने की सजा सुनाई थी। हालांकि महिला बाद में अपने बयान से मुकर गई थी।

दरअसल, रेप मामले में सुनवाई करते बरेली की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने कहा था कि ये प्रायोजित ‘लव जिहाद’ का मामला है, जिसमें विदेशी फंडिंग से इनकार नहीं किया जा सकता. बरेली की फास्ट ट्रैक्ट कोर्ट ने यह टिप्पणी मुस्लिम युवक को लेकर की थी. अदालत ने लव जिहाद शब्द पारिभाषित किया था और दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. महिला ने बयान दिया था कि वह कोचिंग सेंटर में एक लड़के से मिली. लड़के ने खुद को आनंद कुमार बताया था. दोनों में प्यार हुआ और दोनों ने शादी कर ली. लेकिन, शादी के बाद पता चला कि लड़का मुस्लिम समुदाय से था. उसकी असली नाम आलिम था. इसके बाद लड़के पर रेप और अन्य मामले दर्ज करवाए .

लव जिहाद-अवैध धर्मांतरण के जरिए देश में पाकिस्तान जैसे हालात बनाने का षडयंत्र

फास्ट ट्रैक न्यायालय ने लव जिहाद के चर्चित प्रकरण में अपराधी मोहम्मद आलिम को सुनाई आजीवन कारावास की सजा, पिता को भी दो साल जेल, एक लाख का जुर्माना भी लगाया

लव जिहाद के चर्चित मामले में बरेली के फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के जज रवि कुमार दिवाकर ने मोहम्मद आलिम को उम्रकैद की सजा ,पिता साबिर को दो साल कैद के साथ आलिम पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। कोर्ट ने फैसले में लव जिहाद को परिभाषित करते हुए कहा कि धर्मांतरण से पाकिस्तान-बांग्लादेश की तरह भारत को अस्थिर करने का षड्यंत्र चल रहा है और यह सब देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरा है।

न्यायालय ने लव जिहाद व अवैध धर्मांतरण के पीछे विदेशी फंडिंग की आशंका भी जताई । अभियोजन के अनुसार, बरेली निवासी मोहम्मद आलिम ने अपना नाम हिंदू बताकर हिन्दू युवती जिहादी जंजाल में फंसा उसका लंबे समय तक यौन शोषण किया। जबरन गर्भपात कराया । न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक प्रथम) रवि कुमार दिवाकर ने फैसले में लिखा कि लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य हिन्दुस्तान के खिलाफ धर्म विशेष के कुछ अराजक तत्त्वों का जनसांख्यिकीय युद्ध और अंतरराष्ट्रीय साजिश में वर्चस्व स्थापित करना है।

लव जिहाद-अवैध धर्मांतरण से देश में पाकिस्तान जैसे हालात बनाने का षडयंत्र
कोर्ट फैसले ने लव जिहाद को परिभाषित किया कि धर्मांतरण से पाकिस्तान-बांग्लादेश की तरह भारत को अस्थिर करने का षड्यंत्र चल रहा है और यह सब देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खतरा है। आसान शब्दों में लव जिहाद समुदाय विशेष के पुरुषों का गैर समुदायों से जुड़ी महिलाओं को उनके धर्म में परिवर्तित करने को प्रेम का ढोंग करके शादी करना है। लव जिहाद  से अवैध धर्मांतरण, उस धर्म विशेष के कुछ अराजक तत्व करते-करवाते हैं, उसमें सहयोग करते हैं या फिर इस षड्यंत्र में शामिल होते हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि यह कृत्य कुछ ही अराजक तत्व कराते हैं लेकिन पूरा धर्म विशेष बदनाम होता है। फैसले में उन्होंने इसके पीछे विदेशी फंडिंग की भी आशंका जताई है क्योंकि इस कृत्य को बड़ी रकम की जरूरत होती है।

न्यायालय ने परिभाषित किया लव जिहाद, अवैध धर्मांतरण से जोड़ा
फैसले में लव जिहाद को परिभाषित करते हुए कोर्ट ने कहा कि प्रकरण लव जिहाद से अवैध धर्मांतरण का है। ऐसे में सबसे पहले यह जानना भी जरूरी है कि लव जिहाद क्या है? लव जिहाद में समुदाय विशेष के पुरुष शादी के माध्यम से अपने धर्म में परिवर्तन कराने को व्यवस्थित रूप से दूसरे समुदाय की महिलाओं को निशाना बनाते हैं। समुदाय विशेष के ये लोग महिलाओं का धर्मांतरण कराने को प्यार का दिखावा करके धोखे से शादी कर लेते हैं। इस केस में भी अभियुक्त मोहम्मद आलिम ने अपना नाम आनंद बताकर पीड़िता को धोखे में रख हिंदू रीति रिवाज से शादी कर उससे बलात्कार किया। फिर उसकी फोटो व वीडियो बनाकर बदनाम करने की धमकी देकर कई बार बलात्कार किया।

कोर्ट ने अपने फैसले में लव जिहाद को परिभाषित करते हुए कहा है कि धर्मांतरण के जरिए पाकिस्तान-बांग्लादेश की तरह भारत को अस्थिर करने का षड्यंत्र चल रहा है और यह सब देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा है।
छात्रा की शिकायत पर बरेली पुलिस ने आलिम के खिलाफ दुष्कर्म, मारपीट, गालीगलौज, हत्या की धमकी और उसके पिता साबिर के खिलाफ गालीगलौज के मामले में रिपोर्ट दर्ज की थी, कोर्ट ने चर्चित मामले में फैसला सुना दिया है।
मो. आलिम ने आनंद बनकर फंसाया, लंबे समय किया यौन शोषण
एडीजीसी क्राइम दिगम्बर पटेल ने बताया कि बरेली के थाना देवरनिया क्षेत्र की कम्प्यूटर छात्रा ने आलिम के खिलाफ रिपोर्ट कराई थी। छात्रा का कहना था कि कंप्यूटर कोचिंग में भोजीपुरा के जादोपुर निवासी आलिम से उसकी मुलाकात हुई। वह अपना नाम आनंद बता हाथ में कलावा भी बांधता था। शादी का झांसा देकर आलिम ने मंदिर ले जाकर मांग में सिंदूर भर दिया। फिर रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के पास दोस्त के कमरे पर उसका रेप कर अश्लील वीडियो और फोटो बनाए। फोटो-वीडियो वायरल करने की धमकी देकर कई बार होटल में उसे दुष्कर्म किया। आलिम के घर जाने पर उसके मुसलमान होने का पता लगा। आलिम के पिता साबिर, भाई वाजिद व नाजिम, बहन शिफा और उसकी मां ने गर्भपात कराकर उस पर कन्वर्जन को दबाव बनाया। विरोध पर पीड़िता को छात्रा पीटकर भगा दिया। हाफिजगंज के नर्सिंग होम में 11 मई 2023 को गर्भपात करा दिया। पुलिस ने आलिम के खिलाफ दुष्कर्म, मारपीट, गालीगलौज, हत्या की धमकी और उसके पिता साबिर के खिलाफ गालीगलौज के आरोप में चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी।

समय रहते लव जिहाद नहीं रोका तो भुगतने होंगे गंभीर परिणाम: कोर्ट
कोर्ट ने फैसले में कहा कि लव जिहाद से अवैध धर्मांतरण होता है। अवैध धर्मांतरण रोकने को उत्तर प्रदेश सरकार ने उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 पारित किया। लव जिहाद से अवैध धर्मांतरण किसी अन्य बड़े उद्देश्य की पूर्ति को कराया जाता है।

बरेली कोर्ट ने फैसले में कहा है कि यदि समय रहते भारत सरकार ने लव जिहाद से अवैध धर्मांतरण पर रोक नहीं लगाई तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम देश को भुगतने पड़ सकते हैं।
फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के जज रवि कुमार दिवाकर ने इसे लव जिहाद का केस मानकर सात मार्च 2024 को आरोप तय कर सुनवाई की थी। आरोप साबित करने को एडीजीसी क्राइम दिगम्बर पटेल ने पीड़िता छात्रा समेत छह गवाह पेश किए थे। कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलें सुन धर्मांतरण के उद्देश्य से लव जिहाद करने के दोषी आलिम को आजीवन कैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने आलिम की पीड़िता से धर्मस्थल में शादी भी अवैध करार दी। फैसले में कहा गया है कि हिन्दू विवाह अधिनियम में दोनों का हिन्दू होना जरूरी है जबकि आलिम ने धर्म परिवर्तन नहीं किया। सिर्फ लव जिहाद और धर्मांतरण के इरादे से उसने युवती फंसाने को मांग में सिंदूर भर दिया, जिसे शादी नहीं माना जा सकता। कंप्यूटर छात्रा से लव जिहाद के मामले में थाना पुलिस ने विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम में कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने इस केस में फैसले की प्रति मुख्य सचिव, डीजीपी पुलिस और एसएसपी बरेली को भेजकर लव जिहाद के मामलों में इस अधिनियम में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य में विधि व्यवस्था बनी रहे.

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जज रवि कुमार दिवाकर लव जिहाद कन्वर्जन भारत सरकार विदेशी फंडिंग भारत विरोधी षडयंत्र धर्म संपरिवर्तन

 

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