सुको ने बंगाल में ‘द केरला स्टोरी’ फिल्म से हटाया प्रतिबंध

सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल में केरला स्टोरी से बैन हटाया:कहा- 32 हजार महिलाओं के धर्मपरिवर्तन पर डिस्क्लेमर लगे, फिल्म हम भी देखेंगे

द केरला स्टोरी 5 मई को रिलीज हुई थी। 8 मई को पश्चिम बंगाल सरकार ने इस पर बैन लगा दिया था।

नई दिल्ली 18 मई। सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल में फिल्म द केरला स्टोरी पर बैन के फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने बंगाल सरकार से कहा कि फिल्म देखने वालों की सुरक्षा भी तय की जाए। कोर्ट ने कहा कि फिल्म को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेशन देने के खिलाफ भी याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इन पर सुनवाई से पहले हम भी यह फिल्म देखना चाहेंगे।

अदालत ने कहा, ‘इस फिल्म में 32 हजार महिलाओं के इस्लाम कुबूल करने वाले आरोपों पर डिस्क्लेमर लगाया जाए और प्रोड्यूसर ये काम 20 मई को शाम 5 बजे से पहले करे। आप जनता की असहिष्णुता को महत्व देकर अगर कानून का ऐसे इस्तेमाल करेंगे तो हर फिल्म का यही हाल होगा। राज्य का कर्तव्य है कि वह कानून-व्यवस्था को कायम रखे।’

फिल्म प्रोड्यूसर की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने भी माना कि 32 हजार महिलाओं के इस्लाम कबूल करने को सही ठहराने का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे डिस्क्लेमर में दिया जाएगा।

फिल्म पर पश्चिम बंगाल में सरकार ने जबकि तमिलनाडु में थियेटर ओनर्स ने बैन लगाया था। कोलकाता और मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट अब इन दोनों हाईकोर्ट के फैसले पर गर्मियों की छुट्टी के बाद 18 जुलाई को सुनवाई करेगा।

सरकार ने शैडो बैन के आरोपों को झूठा बताया था

तमिलनाडु सरकार ने फिल्म मेकर्स के शैडो बैन करने के आरोपों का भी खंडन किया था। सरकार ने कहा कि फिल्म को 19 मल्टीप्लेक्स में रिलीज किया गया था और फिल्म मेकर्स के पास ऐसा कोई लिखित में सबूत नहीं है जिसमें सरकार की तरफ से फिल्म स्क्रीनिंग बंद करने की बात कही गई हो।

 

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‘द केरल स्‍टोरी’ से बैन हटाCannes 2023तारक मेहता का उल्‍टा चश्‍माFast X

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The Kerala Story Ban: सुप्रीम कोर्ट ने ‘द केरल स्‍टोरी’ से बैन हटाया, ममता बनर्जी की सरकार को बड़ा झटका​
Curated by स्‍वपनल सोनल | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 18 May 2023, 4:59 pm

The Kerala Story Ban: सुप्रीम कोर्ट ने ‘द केरल स्‍टोरी’ से बैन हटाया, ममता बनर्जी की सरकार को बड़ा झटका​
देश की सर्वोच्‍च अदालत ने पश्‍च‍िम बंगाल सरकार को बड़ा झटका देते हुए ‘द केरल स्‍टोरी’ फिल्‍म पर राज्‍य में लगे बैन को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बैन लगाने का कोई पुख्‍ता आधार नहीं है। इसके साथ ही तमिलनाडु सरकार को निर्देश द‍िया गया है कि वह थ‍िएटर्स में सुरक्षा मुहैया करवाए और फिल्‍म की स्‍क्रीनिंग सुनिश्‍च‍ित करें।

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हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पश्‍च‍िम बंगाल सरकार का फिल्‍म पर बैन का आदेश ‘अतिव्यापकता’ से ग्रस्त
मेकर्स बोले- फिल्‍म में हम एक और डिस्‍क्‍लेमर लगाने को तैयार, हमारे आंकड़े प्रमाण‍िक नहीं हैं
कोर्ट ने कहा- कानून व्‍यवस्‍था बनाए रखना राज्‍य की जिम्‍मेदारी है, तमिलनाडु में सुरक्षा सुनिश्‍च‍ित करें
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सबसे कम कीमत पर बेहतरीन स्क्रीन और उत्कृष्ट प्रदर्शन के साथ उच्च गुणवत्ता वाले टैबलेट लें।
सुप्रीम कोर्ट से ममता बनर्जी की पश्‍च‍िम बंगाल सरकार को बड़ा झटका लगा है। गुरुवार को सर्वोच्‍च अदालत ने ‘द केरल स्‍टोरी’ फिल्‍म पर राज्‍य में लगे बैन को रद्द कर दिया है। चीफ जस्‍ट‍िस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अदालत ने इसके साथ ही तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह राज्‍य में फिल्‍म की स्‍क्रीनिंग के लिए सुरक्षा मुहैया करवाए। कोर्ट का यह फैसला फिल्‍म मेकर्स की ओर से बैन के ख‍िलाफ दाख‍िल अर्जी पर आया है। कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि पश्‍च‍िम बंगाल सरकार के पास फिल्‍म को बैन करने के लिए कोई पुख्‍ता कारण नहीं हैं।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अदालत ने यह भी साफ किया है कि वह खुद भी ‘The Kerala Story’ फिल्‍म देखेंगे। दरअसल, कोर्ट में ‘द केरल स्‍टोरी’ को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिलने को चुनौती देने वाले मद्रास हाई कोर्ट के फैसले के ख‍िलाफ भी एक याचिका आई। इस पर CJI ने कहा कि वह इसे सुनवाई के लिए छुट्ट‍ियों के बाद लिस्‍ट करेंगे। जस्‍ट‍िस चंद्रचूड़ ने कहा कि वह इसके लिए पहले फिल्म देखेंगे। फिल्म पर बैन लगाने की मांग वाली इन याचिकाओं पर अब जुलाई महीने में सुनवाई होगी। कोर्ट ने कहा कि फिल्‍म उन्‍हें भी देखने की जरूरत है, क्योंकि मद्रास हाई कोर्ट पहले ही केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) सर्टिफिकेट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर चुका है।
पश्‍च‍िम बंगाल सरकार का आदेश ‘अतिव्‍यापकता’ से ग्रस्‍त
कोर्ट ने पश्‍च‍िम बंगाल सरकार के 8 मई के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि यह ‘अतिव्यापकता’ से ग्रस्त है। मेकर्स ने पश्‍च‍िम बंगाल में बैन के साथ ही तमिलनाडु में सुरक्षा के मद्देनजर फिल्‍मों की स्‍क्रीनिंग बंद किए जाने के ख‍िलाफ भी अर्जी लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने तमिलनाडु सरकार को फिल्म की स्क्रीनिंग और फिल्म देखने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश द‍िए हैं।

‘हम जल्‍द 32000 पीड़‍ितों का भी खुलासा करेंगे’, विपुल शाह ने ‘The Kerala Story’ के दावे पर फिर ठोका सीना
मेकर्स बोले- हम एक और ड‍िस्‍क्‍लेमर लगाने को तैयार, आंकड़े पुख्‍ता नहीं
अदालत में निर्माताओं की ओर से वकील हरीश साल्‍वे ने कहा कि वह फिल्‍म में एक और डिस्‍क्‍लेमर जोड़ने को तैयार हैं, जिसमें यह साफ तौर पर लिखा होगा कि उनके पास 32000 या ऐसे किसी आंकड़े को लेकर कोई पुख्‍ता सबूत या कोई प्रामाणिक डेटा नहीं है। यह पूरी तरह से विषय पर आधारित एक काल्‍पनिक फिल्‍म है।
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द केरल स्‍टोरी

कोर्ट ने कहा- कानून व्‍यवस्‍था बनाए रखना राज्‍य की जिम्‍मेदारी
कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार का कर्तव्य है, क्योंकि फिल्म को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट दे दिया है। ऐसे में इस पर रोक का कोई पुख्‍ता तर्क नहीं है। इस पर जब पश्‍च‍िम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्‍ठ वकील कपिल सिब्‍बल ने जब अदालत को टोका तो चीफ जस्‍ट‍िस ने कहा, ‘खराब फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धमाका करती हैं?’

‘द केरल स्‍टोरी’ के प्रोड्यूसर की नेक पहल, धर्मांतरण का श‍िकार हुई लड़कियों के आश्रम को दान में देंगे 51 लाख
साल्‍वे बोले- सेंसर बोर्ड सर्टिफ‍िकेट के ख‍िलाफ अपील संभव नहीं
फिल्म के निर्माता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि फिल्म को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट देने के खिलाफ राज्‍य अपील नहीं कर सकते। इस पर चीफ जस्‍ट‍िस की अदालत ने संकेत दिया कि वह फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के पश्चिम बंगाल सरकार के आदेश पर रोक लगा सकती है। साल्वे ने तत्‍काल दलील दी कि किसी ने भी फिल्म को सर्टिफिकेट दिए जाने के खिलाफ कोई वैधानिक अपील दायर नहीं की है। उन्‍होंने अपनी दलीलों को पुष्‍ट करने के लिए कई पुराने आदेशों का हवाला दिया, जिसमें यह माना गया कि सुप्रीम कोर्ट सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेट के ख‍िलाफ अपील पर सुनवाई नहीं कर सकता।

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द केरल स्‍टोरी

13 दिनों में 155 करोड़ रुपये कमा चुकी है ‘द केरल स्‍टोरी’
अदा शर्मा स्‍टारर ‘द केरल स्टोरी’ बीते 5 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। सुदीप्तो सेन के डायरेक्‍शन में बनी यह फिल्‍म बॉक्‍स ऑफिस पर 155 करोड़ रुपये से अध‍िक की कमाई कर चुकी है। फिल्‍म में दिखाया गया है कि केरल की महिलाओं को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर किया गया और आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट में भर्ती किया गया था।
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Hindi NewsBusinessBusiness NewsSbi Card Completed 25 Years Started Many Offers For Customers
Credit Card: एसबीआई कार्ड ने पूरे किए 25 वर्ष, इन बड़े ब्रांड्स पर मिल रहे हैं आकर्षक ऑफर्स
Produced by शिशिर चौरसिया | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 17 May 2023, 6:18 pm
SBI
SBI Card: एसबीआई कार्ड ने 25 साल पूरे कर लिए हैं। इस खुशी में अपने ग्राहकों को भी शामिल कर रहा है। इस अवसर पर कई ऑफर्स निकाले गए हैं। इसका फायदा आप ले सकते हैं।

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हाइलाइट्स
एसबीआई कार्ड ने एक नई उपलब्धि हासिल की है
कंपनी ने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं
साल 1998 में क्रेडिट कार्ड उद्योग में कदम रखने वाली एसबीआई कार्ड का उद्देश्य था भारतीय भुगतान परिदृश्य का स्वरूप बदलना
साल 2002 तक कंपनी ने 10 लाख एक्टिव कार्ड्स का आंकड़ा पार कर लिया था
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नई दिल्ली: एसबीआई कार्ड ने एक नई उपलब्धि हासिल की है। कंपनी ने अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर लिए हैं। साल 1998 में क्रेडिट कार्ड उद्योग में कदम रखने वाली एसबीआई कार्ड का उद्देश्य था भारतीय भुगतान परिदृश्य का स्वरूप बदलना। साल 2002 तक कंपनी ने 10 लाख एक्टिव कार्ड्स का आंकड़ा पार कर लिया था। ईएमवी चिप आधारित कार्ड और ‘एसबीआई कार्ड पे’ से लेकर कार्ड जारी करने की पूर्णतः डिजिटल प्रणाली तक, कंपनी के ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण ने यह सुनिश्चित किया है कि इसके उत्पादों को लेकर कार्डधारकों का अनुभव समय के साथ और भी अच्छा हो।
अपने ग्राहकों की विभिन्न प्रकार की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए एसबीआई कार्ड 60 से भी अधिक क्रेडिट कार्ड्स उपलब्ध कराता है। उभरता हुआ बाजार, उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव, क्रय शक्ति में बढ़ोतरी, और अच्छी ब्रांड इमेज के कारण मार्च 2023 तक एसबीआई कार्ड का 1.6 करोड़ से अधिक का एक्टिव क्रेडिट कार्ड बेस है। इस शानदार सफर के लिए एसबीआई कार्ड अपने ग्राहकों का तहे दिल से शुक्रिया करता है और इस जश्न में उनको शामिल करने के लिए ट्रैवेल, एंटरटेनमेंट, ज्वेलरी, फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि कई श्रेणियों में अनेकों ऑफर्स लेकर आया है।
ढेरों ऑफर्स
यदि आप नए गैजेट्स के शौक़ीन हैं तो एसबीआई कार्ड आपके लिए ‘एलजी’ और ‘सैमसंग’ के उत्पादों पर लाया है आकर्षक ऑफर्स, जैसे क्रमशः 26% तक का इंस्टेंट डिस्काउंट व 27.5% तक का कैशबैक। यह ऑफर्स 1 मई से 30 जून तक वैध हैं।
यदि आप फैशन की दुनिया में रुचि रखते हैं और नए कपड़े खरीदने के बारे में सोच रहे हैं तो एसबीआई कार्ड आपको ‘अजिओ’ और ‘मिंत्रा’ जैसे प्लेटफॉर्म्स पर 10% का इंस्टेंट डिस्काउंट दे रहा है। यह ऑफर 15 मई से 21 मई 2023 तक वैध है। यदि आप सैर-सपाटे के शौक़ीन हैं और कहीं घूमने जाने के बारे में सोच रहे हैं तो एसबीआई कार्ड के पास आपके लिए भी कई खास ऑफर्स हैं। 16 मई से 27 जून तक, हर मंगलवार को ‘इक्सिगो’ प्लेटफॉर्म से डोमेस्टिक फ्लाईट बुकिंग पर आप 15% की बड़ी छूट पा सकते हैं। इतना ही नहीं, 20 मई से 25 जून तक, हर शनिवार और रविवार को ‘क्लियरट्रिप’ प्लेटफॉर्म से डोमेस्टिक फ्लाईट बुकिंग पर आप 12% डिस्काउंट का लाभ उठा सकते हैं। तो आज ही प्लान बनाएं और पूरा करें अपने पसंदीदा डेस्टिनेशन पर छुट्टी मनाने का सपना।
SBI
डिस्काउंट भी
यदि आप दोस्तों को घर पर पार्टी के लिए बुलाने का सोच रहे हैं या आपको खाना बनाने का शौक नहीं है तो घबराने की कोई बात नहीं। एसबीआई कार्ड ‘स्विग्गी’ से खाना आर्डर करने पर 15% डिस्काउंट और ‘डोमिनोज़’ ऐप पर 200 रुपये का डिस्काउंट उपलब्ध करा रहा है। यह ऑफर 15 मई से 21 मई 2023 तक वैध है।
विभिन्न श्रेणियों में अनेकों प्रकार के ऑफर्स प्रदान कर एसबीआई कार्ड ने अपने कार्डधारकों को खरीदारी का एक बेहतर अनुभव प्रदान किया है। ज़ाहिर है कि अगर आप अपनी पसंद का कुछ खरीद रहे हैं तो उस पर ऑफर मिलने से आपको दोगुनी खुशी होती है। तो अपनी शॉपिंग लिस्ट तैयार कर लीजिये और एसबीआई कार्ड के 25 वर्ष पूरे होने के जश्न में शामिल हो जाइए।
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Disclaimer: This article has been produced on behalf of SBI Card by Times Internet’s Spotlight team.
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Bihar Caste Census: जातीय जनगणना के लिए निर्णायक मोड़ लेकर आएगी ‘जुलाई’, जानिए सुप्रीम आदेश और राज्य सरकार की सफाई
Edited by आशुतोष कुमार पांडेय | भाषा | Updated: 18 May 2023, 6:02 pm

Bihar Caste Census: जातीय जनगणना के लिए निर्णायक मोड़ लेकर आएगी ‘जुलाई’, जानिए सुप्रीम आदेश और राज्य सरकार की सफाई
बिहार में जातीय जनगणना राज्य सरकार के लिए अब सिरदर्द साबित होने लगी है। सरकार ने पांच सौ करोड़ रुपये की लागत से इस कवायद को पूरा करने का संकल्प लिया था। मामला हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। अब सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।

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सुप्रीम कोर्ट में बिहार जाति जनगणना का मामला
नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट को ‘सुप्रीम’ पलीता
जातीय जनगणना को लेकर चौतरफा घिरी सरकार
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पटना: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगाने संबंधी पटना उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को पलटने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया। बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण का पहला दौर सात से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था। दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ था और यह 15 मई तक चलने वाला था।न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि इस बात की जांच करनी होगी कि क्या यह कवायद सर्वेक्षण की आड़ में जनगणना तो नहीं है। न्यायमूर्ति बिंदल ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से टिप्पणी की कि बहुत सारे दस्तावेजों से पता चलता है कि यह कवायद केवल जनगणना है।
जुलाई में निर्णय फाइनल होगा
पीठ ने कहा कि हम यह स्पष्ट कर रहे हैं, यह ऐसा मामला नहीं है जहां हम आपको अंतरिम राहत दे सकते हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मुख्य याचिका की सुनवाई तीन जुलाई के लिए स्थगित कर दी है। पीठ ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि इस याचिका को 14 जुलाई को सूचीबद्ध किया जाये। यदि किसी भी कारण से, रिट याचिका की सुनवाई अगली तारीख से पहले शुरू नहीं होती है, तो हम याचिकाकर्ता (बिहार) के वरिष्ठ वकील की दलील सुनेंगे। बिहार सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने दलील दी कि उच्च न्यायालय का फैसला त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मौजूदा कवायद जनगणना नहीं है, बल्कि केवल एक स्वैच्छिक सर्वेक्षण है।

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राज्य सरकार ने रखा अपना पक्ष
दीवान ने दोनों के बीच के अंतर को समझाने की कोशिश करते हुए कहा कि सर्वेक्षण एक निश्चित गुणवत्ता का होता है जो एक निश्चित अवधि के लिए होता है।उन्होंने कहा कि जनगणना के लिए आपको जवाब देना होगा। सर्वेक्षण के लिए ऐसा नहीं है। राज्य की नीतियों के लिए मात्रात्मक आंकड़ों की जरूरत होती है। उच्चतम न्यायालय के फैसलों में ऐसा कहा गया है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि उच्च न्यायालय की चिंताओं में गोपनीयता का एक मुद्दा शामिल था। उन्होंने कहा कि डेटा केवल बिहार सरकार के सर्वर पर संग्रहित किया जाएगा और किसी अन्य ‘क्लाउड’ पर नहीं। हम अदालत के सुझावों को मानने के लिए तैयार हैं। उच्चतम न्यायालय ने हालांकि, दीवान से कहा कि उच्च न्यायालय पहले ही उन पहलुओं पर विचार कर चुका है। दीवान ने कहा कि संसाधन पहले ही जुटाए जा चुके हैं और सर्वेक्षण का 80 प्रतिशत काम पहले ही पूरा हो चुका है।

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तीन जुलाई को होगी सुनवाई
उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार से तीन जुलाई को उच्च न्यायालय के समक्ष मामले पर दलीलों को रखने के लिए कहा, जहां मामला अभी भी लंबित है। पटना उच्च न्यायालय के चार मई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर याचिका में बिहार सरकार ने कहा है कि जातीय सर्वेक्षण पर रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि जाति आधारित आंकड़ों का संग्रह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक मामला है। संविधान के अनुच्छेद 15 के तहत राज्य धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के भी आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं करेगा। वहीं, अनुच्छेद 16 के अनुसार राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय में नियोजन या नियुक्ति के संबंध में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे।

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बिहार सरकार ने दी दलील
याचिका में बिहार सरकार ने दलील दी है कि राज्य ने कुछ जिलों में जातिगत जनगणना का 80 फीसदी से अधिक सर्वे कार्य पूरा कर लिया है और 10 फीसदी से भी कम काम बचा है। पूरा तंत्र जमीनी स्तर पर काम कर रहा है। विवाद में अंतिम निर्णय आने तक इस कवायद को पूरा करने से कोई नुकसान नहीं होगा। पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी। अदालत ने साथ ही इस सर्वेक्षण अभियान के तहत अब तक एकत्र किए गए आंकड़ों को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने सुनवाई की अगली तारीख तीन जुलाई तय की है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि प्रथम दृष्टया हमारी राय है कि राज्य के पास जाति आधारित सर्वेक्षण करने की कोई शक्ति नहीं है और जिस तरह से यह किया जा रहा है वह एक जनगणना के समान है और इस प्रकार यह संघ की विधायी शक्ति पर अतिक्रमण होगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
अदालत ने कहा था कि राज्य एक सर्वेक्षण की आड़ में एक जातिगत जनगणना करने का प्रयास नहीं कर सकता, खासकर जब राज्य के पास बिल्कुल विधायी क्षमता नहीं है। और उस स्थिति में भारत के संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत एक कार्यकारी आदेश को बनाए नहीं रखा जा सकता। उच्च न्यायालय ने कहा था कि जनगणना और सर्वेक्षण के बीच आवश्यक अंतर यह है कि जनगणना में सटीक तथ्यों और सत्यापन योग्य विवरणों के संग्रह पर विचार किया जाता है। सर्वेक्षण का उद्देश्य आम जनता की राय और धारणाओं का संग्रह और उनका विश्लेषण करना है । उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाएं सामाजिक संगठन और कुछ व्यक्तियों द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने पिछले महीने उच्चतम न्यायालय से संपर्क किया था।
इनपुट-एजेंसी
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Hindi NewsLifestyleHealth5 Ayurvedic Home Remedies To Treat Symptoms Of Cough And Cold
खांसी और जुकाम के लक्षणों के लिए 5 आयुर्वेदिक घरेलू उपाय
Authored by Usman Khan | SPOTLIGHT | Updated: 16 May 2023, 6:21 pm
cold and cough ayurvedic home remedy
Cough & Cold Ayurvedic Remedy: सर्दी-खांसी की समस्या काफी आम है, जो कभी ना कभी हर किसी को परेशान करती है। इस से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक घरेलू उपाय काफी मददगार साबित होते हैं।

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दुनियाभर में जिस तेजी से विकास हो रहा है, उसका गंभीर प्रभाव मौसम पर पड़ रहा है। लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और हमारी खराब जीवनशैली मिलकर हमारी सेहत को बर्बाद करने में लगे हैं। इससे हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो रहा है और हम आसानी से सामान्य सर्दी, खांसी और वायरल बुखार की चपेट में आ रहे हैं।
आयुर्वेदिक दवाओं और उपायों का कई सालों से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं और बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जा रहा है और वो असरदार भी साबित हुए हैं। आयुर्वेद को सर्दी और फ्लू जैसे लक्षणों को कम करने के लिए भी शक्तिशाली माना जाता है। रोजाना की जीवनशैली में आयुर्वेदिक उपाय जैसे खाने में इम्मयूनिटी बढ़ाने वाली जड़ी-बूटियां और मसाले शामिल करना, प्राणायाम करना और प्राकृतिक उपचारों के इस्तेमाल आदि से खांसी और जकड़न को कम करने में मदद मिल सकती है।
ayurvedic remedy
यदि आप अस्वस्थ हैं और आपको सामान्य सर्दी, खांसी या वायरल बुखार के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से जांच कराने की सलाह दी जाती है। लेकिन अगर आप किसी वजह से डॉक्टर के पास नहीं जा पा रहे हैं, तो आप ठीक होने के लिए कुछ घरेलू उपचार आजमा सकते हैं। चलिए जानते हैं सर्दी-खांसी के लिए कुछ असरदार आयुर्वेदिक उपचार क्या-क्या हैं-
1. तुलसी का काढ़ा: जब गले की खराश से बचाने की बात आती है, तो तुलसी काढ़ा किसी चमत्कारिक अमृत से कम नहीं है। इस कमाल के काढ़े को उबलते पानी में कुछ तुलसी के पत्ते, लेमनग्रास, अदरक और गुड़ डालकर घर पर ही बनाया जा सकता है। इन जड़ी-बूटियों को तब तक उबालें, जब तक ये अपना रस न छोड़ दें और तुरंत राहत पाने के लिए इसे पिएं। यह सर्दी-खांसी से राहत दिलाने के लिए अद्भुत काम करता है। क्या आप जानते हैं कि तुलसी एक ऐसी शक्तिशाली जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल कफकल्प (Coughkalp®) जैसे कई फायदेमंद कफ सिरप में किया जाता है!
2. अदरक का काढ़ा: अदरक में सूजनरोधी गुण होते हैं जिस वजह से केवल अदरक का काढ़ा भी लाभदायक होता है। यह गले में सूजन को कम करने और सर्दी-खांसी के लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। इसे तैयार करने के लिए उबलते पानी में ताजा अदरक के कुछ टुकड़े डालें और इसे कुछ मिनट के लिए डूबा रहने दें। अधिक लाभ के लिए आप इसमें शहद और नींबू भी मिला सकते हैं। खांसी और जुकाम से जल्दी ठीक होने के लिए इसे रोज पिएं।
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3. मुलेठी का पानी: मुलेठी की प्राकृतिक मिठास कि वजह से इसे ‘स्वीट वुड’ या ‘मीठी लकड़ी’ के रूप में भी जाना जाता है। इसमें खांसी के इलाज के लिए सभी प्रभावी आयुर्वेदिक गुण हैं। मुलेठी पाउडर आपके वायुमार्ग के अंदर जमे जिद्दी बलगम को पतला और ढीला करने का काम करता है। यह कमाल की जड़ी-बूटी गले में खराश, खांसी और सांस की नाली (वायुमार्ग) में ज्यादा बलगम को बनने से रोकने में सहायक है। इसका उपयोग कफकल्प (Coughkalp®) जैसे खांसी के सिरप में भी किया जाता है, जो खांसी को दूर करने में सहायक होते हैं। खांसी जैसे लक्षणों को कम करने के लिए बस एक गिलास गर्म पानी में, 1 चम्मच मुलेठी पाउडर मिलाएं और इस काढ़े का दिन में दो बार सेवन करें।
4. हल्दी वाला दूध: जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हल्दी में सूजनरोधी गुण होते हैं, जो इम्मयूनिटी को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पीने से शरीर में दर्द के साथ-साथ सर्दी के लक्षणों से राहत मिलती है।

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तमिलनाडु में मुस्लिम संगठनों ने किया था प्रदर्शन

केरला स्टोरी के खिलाफ 5 मई को मुस्लिम संगठनों ने करीब 20 जगहों पर प्रदर्शन किया था। इसके बाद 6 मई को चेन्नई और फिर अगले दिन कोयम्बटूर में विरोध हुआ। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कुल 9 मामले दर्ज किए गए जिसमें चेन्नई में पांच और कोयम्बटूर में चार मामले दर्ज किए गए।

द केरला स्टोरी को बैन करने की मांग क्यों?

फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ अलग-अलग समुदाय की लड़कियों के इस्लाम में कन्वर्जन और उन्हें ISIS में शामिल करने पर बेस्ड है। वहीं, मुस्लिम संगठन, मानवाधिकार कार्यकर्ता और कुछ राजनीतिक पार्टियां इस फिल्म को इस्लाम और केरल को बदनाम करने वाली बता रहे हैं।

कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने 30 अप्रैल को फिल्म को लेकर ट्वीट किया था। उन्होंने फिल्म का पोस्टर शेयर करते हुए लिखा था, ‘यह आपकी केरला स्टोरी हो सकती है, यह हमारी केरला स्टोरी नहीं है।’

फिल्म पर कांग्रेस का तंज

कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने कहा कि मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार ने द केरला स्टोरी को टैक्स फ्री किया है। वे भारत के क्रांतिकारियों की फिल्में नहीं दिखाएंगे। वे सिर्फ ‘द केरला स्टोरी’ और ‘द कश्मीर फाइल्स’ को मुफ्त में दिखाएंगे।

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