एक्स मुस्लिम की शरिया लॉ से छूट की मांग सुनेगा सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court Will Decide Will Ex-Muslims Be Exempted From Sharia Law Or Not
पूर्व-मुस्लिमों को शरिया कानून से छूट मिलेगी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला
केरल की महिला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग कि वो चाहती है कि उसकी संपत्ति का फैसला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की जगह भारती उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत होना चाहिए। पहले तो कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई के लिए राजी नहीं था लेकिन बाद में कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार के लिए नोटिस जारी कर दिया है।
मुख्य बिंदु
केरल की महिला ने शरिया कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट मे डाली रिट याचिका
याचिकाकर्ता महिला की याचिका पर सुनवाई को राजी हुआ सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कानूनी अधिकारी की नियुक्ति का दिया आदेश
नई दिल्ली 29 अप्रैल 2024: पूर्व मुस्लिमों पर शरिया कानून लागू होगा या नहीं… इस मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट में फैसला लेगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस DY चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले 3 सदस्यीय पीठ ने एक महिला द्वारा डाली गई रिट याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक अहम मुद्दा बताया है। इसके साथ ही अटॉर्नी जनरल को कहा कि वो एक कानूनी अधिकारी को नियुक्त करे जो कोर्ट की इस मामले में मदद कर सके। बता दें कि अब इस मामले में जुलाई के दूसरे सप्ताह में सुनवाई होगी।
याचिका में क्या की गई मांग
याचिका को साफिया नाम की महिला ने दायर किया था। इस याचिका में साफिया ने सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया है कि वो एक आदेश पारित करे कि जो इस्लाम मजहब छोड़ चुके हैं वो लोग शरीयत की जगह भारत के सेक्युलर कानून के अंतर्गत आना चाहें तो उन लोगों को इसकी अनुमति दी जाए।दरअसल याचिकाकर्ता के पिता ने आधिकारिक तौर पर मजहब नहीं छोड़ा है। जिसकी वजह से वो अपनी बेटी के अधिकारों को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं। इसलिए वो चाहती है कि उस पर शरिया कानून लागू न किया जाए लेकिन अभी तक भारतीय कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। पहले सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करने को राजी नहीं था लेकिन बाद में कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी कर दिया है। बता दें कि याचिकाकर्ता साफिया एक्स मुस्लिम्स ऑफ केरल संगठन की जनरल सेक्रेटरी है।
वकील ने कोर्ट में रखा साफिया का पक्ष
वकील ने याचिकाकर्ता का पक्ष अदालत में रखते हुए कहा कि उसके पिता चाहकर भी साफिया को एक तिहाई से अधिक संपत्ति नहीं दे सकते हैं। बता दें कि याचिकाकर्ता की एक बेटी भी है। वकील ने आगे कहा कि संपत्ति का दो तिहाई उसके भाई को मिलेगा। बता दें कि याचिकाकर्ता का भाई डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है। याचिकाकर्ता अपने भाई की देखभाल कर रही है और ताउम्र करती रहेगी लेकिन अगर उसके भाई की मृत्यु हो जाए तो उसके हिस्से पर अन्य रिश्तेदार दावा कर सकते हैं।
What Is The Ex Muslim Movement Why They Leaving Islam
क्या है एक्स-मुस्लिम आंदोलन, जिसकी केरल चैप्टर की नेता हैं सफिया पीएम
इन दिनों इस्लाम छोड़ने का ट्रेंड काफी तेजी से बढ़ रहा है। जो लोग इस्लाम छोड़ रहे हैं उनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। उनका कहना है कि इस्लाम में कुछ चीजें ठीक नहीं हैं ऐसे में हम उस मजहब का पालन नहीं कर सकते हैं। इस्लाम छोड़ चुकी नूरजहां ने तो इस धर्म को छोड़ने की वजह भी गिनाई हैं। आइए जानते हैं कौन सी हैं वो वजह…
मुख्य बिंदु
भारत ही नहीं कई देशों तेजी से फैल रहा एक्स मुस्लिम मूवमेंट
इस्लाम छोड़ रहे लोगों का कहना कि उनका इस धर्म से हुआ मोहभंग
उनका मानना है कि इस्लाम धर्म में महिलाओं के साथ होता है भेदभाव
इस्लाम क्यों छोड़ रहे हैं मुस्लिम
#जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसका शरीर एक धर्म के साथ पैदा होता है। बच्चे को ये धर्म के नाम का ठप्पा अपना माता पिता से मिलता है। ऐसे में ये कह सकते हैं कि धर्म या मजहब को हम नहीं चुनते हैं वो जन्म के बाद ही हमारे साथ परछाई की तरह साथ रहता है। हालांकि जब बच्चा बड़ा होता है तो उसे पता चलता है कि उसके अलावा और भी धर्म हैं और वो उनके रीति रिवाज कानूनों को देखता है। ऐसे में कई बार लोगों को अपने धर्म से ज्यादा दूसरों का धर्म पसंद आता है और वो अपने धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म को अपनाने की सोचते हैं लेकिन अपनी धार्मिक पहचान छोड़ना इतना भी आसान नहीं है। हालांकि दुनियाभर इस वक्त इस्लाम को मानने वाले लोग ऐसा कर गुजर रहे हैं। दरअसल इन दिनों भारत, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों के अलावा कई मुस्लिम बहुल देशों में भी एक आंदोलन जोर पकड़ रहा है जिसमें वहां के मुस्किम लोग अपना धर्म छोड़ रहे हैं।
मुस्लिम क्यों छोड़ रहे हैं अपना धर्म
भारत हो या अन्य देशों में इस वक्त एक मुहिम चल रही है। जिसे एक्स मुस्लिम मूवमेंट का नाम दिया गया है। इस मूवमेंट में मुस्लिम लोग इस्लाम धर्म छोड़ रहे हैं। उन लोगों का कहना है कि इस्लाम में कुछ चीजें ठीक नहीं हैं ऐसे में हम उस मजहब का पालन नहीं कर सकते हैं। हाल ही में केरल की एक महिला सफिया पीएम ने सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका डाली है। जिसमें उन्होंने कहा कि वो अपनी पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी शरिया कानून से नहीं बल्कि भारतीय उत्तराधिकारी कानून के तहत चाहती हैं। सफिया एक्स मुस्लिम ऑफ केरल संगठन की जनरल सेक्रेटरी हैं सफिया ने कहा कि उन्होंने आधिकारिक तौर पर इस्लाम तो नहीं छोड़ा है लेकिन वो इस्लाम को नहीं मानती है।
‘महिलाओं के साथ होता है भेदभाव’
बता दें कि केरल की सफिया पीएम ही नहीं कई अन्य लोग भी हैं जिनका इस्लाम से मोहभंग हो गया है। इस्लाम धर्म को छोड़ने वाली केरल की नूरजहां ने टाइम्स ऑफ इंडिया से इस मामले में बात करते हुए बताया कि उन्होंने इस्लाम क्यों छोड़ा? नूरजहां ने कहा कि उनके इस्लाम छोड़ने की एक नहीं कई वजहें हैं जैसे हिजाब पहनने की मजबूरी, महिलाओं से भेदभाव और मजहब के नाम पर कट्टरता। इन सभी चीजों ने उनके अंदर से इस्लाम को खत्म कर दिया जिसके बाद वो नास्तिकता की तरफ बढ़ गईं। नूरजहां का कहना है कि इस्लाम धर्म में महिलाओं के साथ भेदभाव होता है। उन्हें दोयम दर्जे का माना जाता है।
2018 में प्रकाशित प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका में रहने वाले 23 प्रतिशत वयस्क जो मुस्लिम परिवार में बड़े हुए, अब अपनी पहचान मुसलमान के रूप में नहीं बताते हैं। इस्लाम छोड़ने वालों में 7 फीसदी लोगों ने बताया कि वे इसकी शिक्षाओं से सहमत नहीं थे। एंग्लिकन इंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में एक सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 55 प्रतिशत पूर्व-मुसलमान नास्तिक बन जाते हैं, लगभग 25 प्रतिशत ईसाई बन जाते हैं जबकि अन्य 10 प्रतिशत के बारे में पता नहीं चलता है।बीबीसी ने 2015 में अपनी पड़ताल में पाया था कि ब्रिटेन में इस्लाम छोड़ने वालों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। इसमें सिर्फ समाज ही नहीं बल्कि अपने ही परिवार के लोग भी शामिल होते हैं। ऐसे में इन पूर्व मुस्लिमों का खुलकर सामने आना ऐसे लोगों को हिम्मत देता है। यूरोप के सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश फ्रांस में 15000, जबकि अमेरिका में एक लाख मुसलमान हर साल धर्म छोड़ देते हैं।