समझौता नहीं:आत्महत्या को उकसाने में भी शीजान मौहम्मद को हो सकती है 10 साल की कैद
शीजान मोहम्मद को 10 साल की हो सकती है जेल:एक्ट्रेस तुनिषा को आत्महत्या के लिए उकसाने के केस में समझौते की गुंजाइश नही
मुम्बई 27 दिसंबर। टीवी एक्ट्रेस तुनिषा शर्मा के सुसाइड मामले में जांच जारी है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया है कि उसकी मौत दम घुटने की वजह से हुई। सोमवार को तुनिषा की मां वंदना शर्मा ने कुछ और खुलासे किए। मां ने बताया कि तुनिषा ने आत्महत्या से एक दिन पहले मुझसे कहा था- मेरे दिल में एक बात है जो आप को बतानी है, मुझे शीजान चाहिए। इससे पहले तुनिषा की मां ने FIR में बताया था कि तुनिषा और शीजान मोहम्मद खान रिलेशनशिप में थे और 15 दिन पहले ही ब्रेकअप हुआ था।
शीजान खान फिलहाल 4 दिन की पुलिस रिमांड पर है। पुलिस उससे आत्महत्या के लिए उकसाने वाले एंगल से पूछताछ कर रही है। हमने सुप्रीम कोर्ट के वकील और ‘रेप लॉ एंड डेथ पेनल्टी’ के लेखक विराग गुप्ता से जानेंगे कि किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप कैसे साबित होता है और इसमें सजा कितनी है?
सवाल-1 : शीजान मोहम्मद खान को जिस उकसाने के कानून में गिरफ्तार किया गया है, वो आखिर है क्या?
जवाब : इंडियन पीनल कोड यानी IPC के सेक्शन 306 के मुताबिक, कोई व्यक्ति आत्महत्या करता है और उसे यदि किसी ने इसके लिए उकसाया है तो उसे कानून के जरिए दंड दिया जा सकता है।
आरोप सिद्ध होने पर दोषी को अधिकतम 10 साल जेल और जुर्माना हो सकता है। आम तौर पर दोषी से वसूला गया जुर्माना मृतक के परिजनों को आर्थिक सहायता के तौर पर दिया जाता है।
IPC में आत्महत्या के लिए उकसाने वालों को लेकर सेक्शन 108 में विस्तार से बताया गया है। सुसाइड के लिए उकसाना हो या उकसाने के षड्यंत्र में शामिल होना ये सबकुछ भारतीय कानून में अपराध है।
अंग्रेजों के समय में सती प्रथा को रोकने के लिए IPC में इस कानून को शामिल किया गया था। विवाह और दहेज उत्पीड़न से जुड़े क्रूरता के मामलों में इस कानून में अधिकांश मामले दर्ज होते हैं।
सवाल-2 : शीजान मोहम्मद कौन है और उसने इन आरोपों पर क्या कहा है?
जवाब : ‘अली बाबा: दास्तान-ए-काबुल’ टीवी शो में शीजान खान और तुनिशा शर्मा ने एक साथ एक्टिंग की है। सोनी लिव पर प्रसारित होने वाले इस शो में शीजान ने मेन रोल निभाया था। इसके अलावा टेलीविजन शो जोधा अकबर में युवा अकबर की भूमिका निभाने के बाद शीजान सबसे ज्यादा पॉपुलर हुए थे।
शीजान खान की तरफ से उनके वकील ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप पर कहा है कि ये सिर्फ आरोप है, जिसका कोई मजबूत आधार नहीं है। आगे पुलिस इस मामले में जांच कर रही है।
तुनिषा और शीजान टीवी शो अलीबाबा दास्तान-ए-काबुल में साथ काम कर रहे थे। दोनों सेट पर साथ रहते थे।
सवाल-3 : तुनिषा को आत्महत्या के लिए उकसाना कितना गंभीर अपराध?
जवाब : आत्महत्या को उकसाने के आरोप में किसी को गिरफ्तार किए जाने पर उसकी जमानत सेशंस कोर्ट से होती है। यह एक संज्ञेय यानी कॉग्निजेबल, गैर-जमानती और नॉन-कम्पाउंडेबल यानी समझौता नहीं हो सकने वाला अपराध है।
दरअसल, कॉग्निजेबल अपराध में पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी के लिए कोर्ट से अरेस्ट वारंट की आवश्यकता नहीं होती। गैर-जमानती अपराध में आरोपित को जमानत सिर्फ कोर्ट से ही मिल सकती है। नॉन-कम्पाउंडेबल अपराध में कोई शिकायतकर्ता अपनी शिकायत वापस नहीं ले सकता। इसमें आरोपित और शिकायत करने वालों में कोई समझौता नहीं हो सकता।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इन्दिरा बनर्जी और वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने जुलाई 2022 में फैसले में कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाना जघन्य और गंभीर अपराध है। ऐसे मामले समाज पर गंभीर प्रभाव डालते हैं। इनमें अपराधी और शिकायकर्ता या पीड़ित परिवार के बीच समझौते से मामले को रद्द नहीं किया जा सकता।
सवाल-4 : क्या शीजान का तुनिषा को आत्महत्या के लिए उकसाना हत्या के समान है?
जवाब : नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 1997 में एक फैसले में कहा था कि भले ही आरोपी की मंशा किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए उकसाने की हो, इसे हत्या नहीं माना जा सकता।
दोनों मामलों में मंशा एक ही है कि उस व्यक्ति की मौत होनी चाहिए, इसके बावजूद इसे हत्या नहीं माना जाएगा। दोनों अलग-अलग अपराध माने जाएंगे। इसे हत्या नहीं माना जाएगा।
इसे एक उदाहरण से समझें कि ‘ए’ ने ‘बी’ को उकसाया और ‘बी’ ने आत्महत्या कर ली तो ‘ए’ पर उकसाने के आरोप में ही केस चलेगा।
अब इसी बात को एक अन्य उदाहरण से ऐसे समझिए कि ‘ए’ ने ‘बी’ को उकसाया कि वह ‘सी’ को डी की हत्या करने के लिए उकसाए। अब इस केस में हत्या का मामला सिर्फ ‘सी’ पर चलेगा। ‘बी’ और ‘ए’ पर सिर्फ उकसाने का ही आरोप लगेगा।सवाल-5 : तुनिषा के मामले में कोर्ट कैसे तय करेगा कि शीजान ने उसे उकसाया?
जवाब : आत्महत्या के लिए उकसाने के किसी भी मामले में दो फैक्टर जरूरी है। पहला- ये कि किसी ने आत्महत्या की हो। दूसरा- ये कि किसी ने मंशा से उसे आत्महत्या के लिए उकसाया हो।
यहां तुनिषा ने आत्महत्या की है। लिहाजा पहला फैक्टर सही है, लेकिन दूसरे फैक्टर में यह साबित करना जरूरी है कि शीजान ने ही तुनिषा को ऐसा करने के लिए उकसाया है।कोर्ट तथ्यों की जांच करेगा और देखेगा कि शीजान मोहम्मद की मंशा क्या थी? क्या वह चाहता था कि तुनिषा आत्महत्या कर ले। यदि ऐसा नहीं हुआ तो उसे दोषी नहीं माना जाएगा।
सवाल-6 : लेकिन कोर्ट किसी की मंशा कैसे तय कर सकता है?
जवाब : सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में कहा था कि किसी ने कह दिया कि ‘जाओ और मर जाओ’ और वह व्यक्ति मर गया तो इसे आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं माना जा सकता। इससे साफ है कि किसी को गुस्से में या झल्लाहट में कुछ कह देना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं है। इस तरह के मामले में किसी आरोपित को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
ऐसे मामले में आरोपित की मंशा देखी जाएगी। उसका सामान्य बर्ताव देखा जाएगा। यदि हमेशा वह इसी तरह के शब्द बोलता रहा हो तो उसे दोषी नहीं माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने रमेश कुमार बनाम छत्तीसगढ़ मामले में 2001 में उकसाने या उत्तेजित करने की व्याख्या की थी। सुप्रीम कोर्ट ने एम. मोहन मामले में 2011 में कहा कि उकसाने में उकसावे की मनोवैज्ञानिक बातचीत या जानबूझकर किसी व्यक्ति को आत्महत्या के लिए प्रेरित करना शामिल होता है। अमलेन्दु पाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषसिद्धी के लिए उकसाने और आत्महत्या के बीच सीधा संबंध होना चाहिए।सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एम. आर. शाह और कृष्ण मुरारी ने मैरियानो मामले में अक्टूबर 2022 में महत्वपूर्ण फैसला दिया है। दहेज प्रताड़ना से महिला की आत्महत्या के मामले में ससुराल वालों को अदालत ने IPC की धारा-306 के अभियोग से बरी कर दिया। फैसले में कहा गया है कि दोषी करार देने को आत्महत्या और उकसाने के बीच सीधा संबंध होना जरूरी है। ऐसे मामलों में आरोप को सिद्ध करने की पूरी जिम्मेदारी अभियोजन पक्ष की है। हर मामले में तथ्य और गुणदोष के आधार पर आरोपित लोगों की मंशा के साथ भूमिका का आकलन जरूरी है, जिसकी वजह से किसी व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली है।
डिस्क्लेमर : आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है। अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं। आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए।