स्वामीनाथन आयोग की वे सिफारिशें जिनका होता है बार-बार जिक्र

क्या हैं स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें, जिनकी मांग NDA के सहयोगी भी कर चुके?
देश में हरित क्रांति (green revolution in India) के जनक प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन (M. S. Swaminathan) ने किसानों के लिए कई सिफारिशें दीं. इनमें से एक महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड भी है.

क्या हैं स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें, जिनकी मांग NDA के सहयोगी भी कर चुके?

पंजाब व हरियाणा के किसानों पर पुलिसिया कार्रवाई का विरोध हो रहा है. इस बीच बार-बार स्वामीनाथन आयोग का नाम आ रहा है. कई पार्टियों और संगठनों ने आयोग की सिफारिशों को लागू करने की गुहार लगाई. यहां तक कि खुद एनडीए के घटक दल राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) ने भी ये मांग रखी. इसके अलावा भी जब कभी किसानों की बात होती है, आयोग का जिक्र आता है.

प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को देश में हरित क्रांत (Green Revolution) का जनक कहा जाता है. तमिलनाडु के ये वनस्पति वैज्ञानिक जेनेटिक इंजीनियरिंग में कमाल थे. उन्होंने देसी किस्मों को विदेशी नस्ल के अनाजों के साथ संकर कर नई किस्में बनाईं, जो कम समय में बेहतर उत्पादकता देते थे.

उन्हीं की कोशिशों से भारत भुखमरी से ऊपर उठते कई तरह के खाद्यान्नों का निर्यातक देश हो सका. स्वामीनाथन ने खेती के पुराने तरीकों को छोड़कर आधुनिक तकनीक अपनाने की बात की, जिससे साठ के दशक में देश में खेती-किसानी बढ़ूी. वैज्ञानिक की ख्याति इतनी बढ़ी कि उन्हें खेती-किसानी के मामले में ग्लोबल नेता माना जाने लगा.

हरित क्रांति के साथ ही स्वामीनाथन ने किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए भी कई बातें कही थीं. असल में साल 2004 के दौरान किसानों की आर्थिक दशा को सुधारने और अनाज की पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्र ने स्वामीनाथन से संपर्क किया. उनकी अध्यक्षता में नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स समिति का गठन हुआ. इसी कमेटी को स्वामीनाथन आयोग के नाम से जाना जाता है.

कमेटी ने साल 2006 में सौंपी अपनी फाइनल रिपोर्ट में कई सिफारिशें की थीं. बीच-बीच में इन्हें लागू करने की बात होती है लेकिन अब तक कोई भी सरकार ये नहीं कर सकी. आयोग की सिफारिशों में से एक है जमीन का सही बंटवारा. इसमें सरप्लस जमीन को भूमिहीन किसान परिवारों को बांटना मुख्य है.

हरित क्रांति के जनक प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन ने किसानों के लिए कई सिफारिशें दीं

किसान आत्महत्या की समस्या के समाधान, राज्य स्तरीय किसान कमीशन बनाने, सेहत सुविधाएं बढ़ाने और वित्त-बीमा की स्थिति मजबूत करने की भी बात है. सिफारिश में साफ कहा गया कि इसे लागू करने पर किसानों में आत्महत्या की रफ्तार कम होगी और समस्या होने पर हल खोजा जाएगा.

सिफारिश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश भी की गई है ताकि छोटे किसान भी मुकाबले में आएं. इसका उद्देश्य है कि किसानों की फसल के न्यूनतम सर्मथन मूल्य कुछ ही फसलों तक सीमित न रहें. इसके लिए एक सिफारिश ये भी रही कि गुणवत्ता वाले बीज किसानों को कम दामों पर मिलें.
स्वामीनाथन आयोग की एक काफी बड़ी सिफारिश महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाना था. बता दें कि अब तक किसानी के कामों में आगे होने के बाद भी किसानों की बात करते हुए किसान भाई ही कहे और सुने जाते हैं. महिला किसान केवल खेती के काम तक ही सीमित हैं. ऐसे में क्रेडिट कार्ड होना उन्हें आगे ला सकता है.

आयोग की एक काफी बड़ी सिफारिश महिला किसानों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड बनवाना था

किसानों के लिए कृषि जोखिम फंड बनाया जाए, ताकि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर उन्हें मदद मिल सके. ये भी काफी अहम बात मानी जा रही है. फिलहाल तक होता ये आया है कि सूखा और बाढ़ में फसल पूरी तरह बर्बाद होने के बाद किसानों के पास कोई खास आर्थिक मदद नहीं पहुंचती है और बीज आदि में पैसे लगा चुका किसान कर्जों में दबकर आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर हो जाता है.

गांवों में किसानों की मदद के लिए विलेज नॉलेज सेंटर या ज्ञान चौपाल बनाने की बात भी कही गई. इससे होगा ये कि किसान ट्रेडिशनल और तकनीकी दोनों ही तरह का ज्ञान बांट सकेंगे और एक-दूसरे की मदद भी कर सकेंगे. इससे पारंपरिक ढंग से खेती कर रहे किसानों को भी आधुनिकीकरण के लिए प्रेरित किया जा सकेगा.

मिट्टी की जांच व संरक्षण भी सिफारिशों में है।

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