सरकार का ‘तांडव’: हटवाये दो विवादास्पद सीन
सरकार ने पहली बार किसी वेब सीरीज के सीन हटवाए, OTT पर कंट्रोल के लिए क्या हैं कानून?
वेब सीरीज तांडव के दोनों विवादित सीन हटा लिए गए हैं। ऐसा पहली बार है, जब सरकार ने सीधे तौर पर किसी OTT प्लेटफॉर्म के कंटेंट में हस्तक्षेप करते हुए विवादित सीन हटाने को कहा। विवादित सीन को लेकर महाराष्ट्र, यूपी के लखनऊ समेत कई जगह FIR हुई हैं।
सोमवार और मंगलवार को I&B मिनिस्ट्री ने सीरीज के निर्माताओं के साथ बैठक की। इसमें विवादित सीन को हटाने का फैसला किया गया। इसके साथ ही तांडव पहली ऐसी वेब सीरीज बन गई, जिसके कंटेंट को हटाया गया। वहीं, फिल्म निर्देशक ने इन सीन के लिए माफी भी मांगी है।
ऐसे में सवाल है कि तांडव के किन दृश्यों को लेकर विवाद है? क्या वेब सीरीज पर सरकार का कोई कंट्रोल नहीं है? सरकार ने किस हैसियत से तांडव के दृश्यों को हटाने को कहा? क्या इससे पहले भी वेब सीरीज से दृश्य हटवाए गए हैं? तो आइए इन्हीं सवालों से जुड़े जवाब जानते हैं…
तांडव के किन दृश्यों पर विवाद है?
पहला विवाद- पहले एपिसोड का पहला सीन
तांडव के दो सीन पर विवाद है। पहला सीरीज के पहले एपिसोड के एक सीन को लेकर है। इसमें एक्टर जीशान आयूब अपने कॉलेज में भगवान शिव का रोल निभाते हैं। इसमें वे कहते हैं कि भगवान राम की तुलना में उनके सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स कम हैं। वो नारद से फॉलोअर्स बढ़ाने का तरीका पूछते हैं।
इस पर नारद कहते हैं कि वो कुछ विवादित ट्वीट करें। इसके बाद दोनों यूनिवर्सिटी में आजादी-आजादी के नारे लगाने को लेकर बात करते है। पूरे सीन में बताया गया है कि छात्र गरीबी,बेरोजगारी और जातिगत भेदभाव से आजादी की मांग कर रहे हैं। अंत में शिव कहते हैं कि देश से नहीं,देश में रहते हुए आजादी चाहिए। इस पूरे सीन में एक जगह शिव की भूमिका में जीशान आपत्तिजनक शब्द बोलते हुए दिखाई देते हैं।
दूसरा विवाद – 8वें एपिसोड का सीन
दूसरा विवाद सीरीज के 8वें एपिसोड के दूसरे सीन को लेकर है। इसमें संध्या (संध्या मृदुल) अपने बॉयफ़्रेंड और दलित राजनेता कैलाश (अनूप सोनी) से एक्स हसबैंड की बात शेयर करती हैं। इसमें वे कहती हैं कि एक बार उनके एक्स पति ने कहा था कि जब एक छोटी जाति का आदमी ऊंची जाति की औरत को डेट करता है, तो सिर्फ बदला लेने को… इसमें कैलाश के साथ रिलेशनशिप में आने के बाद संध्या प्रेग्नेंट हो जाती हैं। कैलाश संध्या से झूठ बोलते हैंं कि रिलेशनशिप में आने के बाद उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था। ये एक तरह की जातिगत टिप्पणी है।
सरकार ने किस कानून के तहत तांडव के दृश्यों को हटाने को कहा?
OTT प्लेटफॉर्म की किसी सीरीज के सीन को लेकर पहली बार सरकार ने सीधा हस्तक्षेप किया है। अब ऐसे में सवाल है कि सरकार ने किस कानून के जरिए इस तरह का हस्तक्षेप किया है। दरअसल, भारत में OTT प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने के लिए न कोई कानून है और न कोई नियम है। प्रिंट और रेडियो तो अलग-अलग कानूनों में आते हैं। OTT एक सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है।
द इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) के पास OTT प्लेटफॉर्म को लेकर सेल्फ-रेगुलेटरी मॉडल है। इससे पहले नवंबर में सरकार ने सभी OTT और डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म के कटेंट पर I&B मिनिस्ट्री को नजर रखने को कहा था। हालांकि,टीवी या फिल्म की तरह OTT प्लेटफॉर्म में कॉन्ट्रैक्ट नहीं होता है। इस समय इस कानून का अभाव है।
सरकार चाहती थी कि ये दो सीन हटें। जाहिर है कि मिनिस्ट्री ने भी इन सीन पर आपत्ति जताई होगी। इससे पहले सरकार OTT प्लेटफॉर्म को सेल्फ रेगुलेशन कोड बनाने को कह चुकी है। अगर OTT प्लेटफॉर्म ऐसा नहीं करते हैं,तो सरकार कोड बनाने पर विचार कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ,मिनिस्ट्री मानती है कि किएटिव फ्रीडम के नाम पर कानून व्यवस्था को बिगड़ने नहीं दे सकते। थियेटर और OTT के लिए अलग स्टैंडर्ड नहीं हो सकते हैं।
तांडव से दो सीन हटा दिए गए, तब उसके खिलाफ दाखिल FIR का क्या होगा?
हैदराबाद की NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा बताते हैं कि अगर दो सीन को लेकर FIR की गई है और उन सीन को हटा लिया गया है तो फिर FIR का मतलब नहीं रह जाता है। हमें ये देखना होगा कि जहां FIR की गई है,वो सीन को लेकर है या पूरी वेब सीरीज को लेकर है। महाराष्ट्र में घाटकोपर से भाजपा विधायक राम कदम ने मेकर्स के खिलाफ जो FIR की थी उसमें इन्हीं दो सीन का जिक्र था। मुस्तफा के मुताबिक अब उनकी FIR का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
क्या इससे पहले भी वेब सीरीज से दृश्य हटवाए गए हैं?
नहीं। लेकिन ये पहला मौका नहीं है,जब OTT की कोई सीरीज को लेकर विवाद हुआ है। इससे पहले नेटफ्लिक्स की सूटेबल बॉय को लेकर विवाद हुआ था। तब मध्यप्रदेश में बीजेपी के नेता ने आपत्तिजनक कंटेंट दिखाने को लेकर FIR दर्ज की थी। रक्षा मंत्रालय ने गुंजन सक्सेना फिल्म पर भी आपत्ति जताई थी। इसके पहले सेक्रेड गेम्स को लेकर भी FIR दर्ज हुई थी। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आलोचना की वजह से अमेरिकन शो Last Week Tonight with John Oliver को हॉटस्टार ने ब्लॉक कर दिया था। लेकिन ऐसा पहली बार है,जब सरकार ने हस्तक्षेप कर किसी सीरीज के सीन को हटवाया है।
वेब सीरीज का कंटेंट किस तरह रेगुलेट होता है?
भारत में जितने भी मीडिया प्लेटफॉर्म हैं,उनको रेगुलेट करने के लिए एक बॉडी है। प्रिंट मीडिया को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) रेगुलेट करती है। टीवी न्यूज चैनल को न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन रेगुलेट करता है। टीवी विज्ञापन को एडवरटाइसिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया रेगुलेट करता है। फिल्मों को सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) यानी सेंसर बोर्ड रेगुलेट करता है। OTT प्लेटफॉर्म एक तरह से सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है,जिसके लिए अब तक कोई रेगुलेशन नहीं है।
द इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) के पास OTT प्लेटफॉर्म को लेकर सेल्फ-रेगुलेटरी मॉडल है। इस पर 7 सितंबर 2020 को 15 बड़े OTT प्लेटफॉर्म ने साइन किया था। इसमें OTT प्लेटफॉर्म सेल्फ रेगुलेट करने की बात कही थी। सेल्फ रेगुलेशन कोड में ऐज क्वालिफिकेशन ,कॉन्टेंट डिस्क्रिप्शन और पैरेंटिंग कंट्रोल आता है।
ऐज क्वालिफिकेशन में हर उम्र के हिसाब से सीरीज और फिल्म को कैटेगराइज किया जाता है। कॉन्टेंट डिस्क्रिप्शन में कंटेंट का डिस्क्रिप्शन बताया जाता है। साथ ही पैरेंटिंग कंट्रोल दिया जाता है। इस कोड के हिसाब से यूजर्स पर तय कर दिया जाता है कि उसे क्या देखना है,और क्या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में अक्टूबर 2020 में एक याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि बिना जांचे OTT प्लेटफॉर्म का कटेंट पब्लिक डोमेन में है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यहां पर केंद्र सरकार से हम जवाब मांगते हैं कि OTT प्लेटफॉर्म को रेगुलेट करने को कुछ इंतजाम क्यों नहीं किए हैं?
इसके बाद केंद्र सरकार ने 11 नवंबर को एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसमें न्यूज पोर्टल और ऑनलाइन ऑडियो-विजुअल कंटेंट प्रोवाइड करने वाले सभी प्लेटफॉर्म्स को I&B मिनिस्ट्री की निगरानी के दायरे में लाया गया। इस ऑर्डर के बाद से मिनिस्ट्री OTT को रेगुलेट कर रही है।
सरकार के हस्तक्षेप से आगे किस तरह की स्थिति बन सकती है?
सरकार के सीधे हस्तक्षेप के बाद सभी OTT प्लेटफॉर्म सतर्कता बरतेंगे। इस तरह कानून की अनदेखी वे आगे नहीं कर पाएंगे। अगर नवंबर में जारी नोटिफिकेशन के अनुसार सरकार किसी तरह की रेगुलेटरी बॉडी बनाती है तो OTT प्लेटफॉर्म को नए कंटेट को रिलीज करने से पहले I&B मिनिस्ट्री से सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा। अगर मंत्रालय को किसी कंटेंट पर आपत्ति होती है तो उसे बैन किया जा सकेगा।
सरकार ने पहली बार एक वेब सीरीज के दृश्यों को हटवाया,ओटीटी को कंट्रोल करने के लिए कानून क्या हैं? वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं
वेब सीरीज तांडव के दोनों विवादास्पद दृश्यों को हटा दिया गया है। यह पहली बार है जब सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म की सामग्री में सीधे हस्तक्षेप किया है और विवादास्पद दृश्य को हटाने के लिए कहा है। विवादित दृश्य को लेकर महाराष्ट्र, यूपी के लखनऊ समेत कई जगहों पर एफआईआर हुई है।
सोमवार और मंगलवार को, I & B मंत्रालय ने सीरीज के प्रोड्यूसर्स के साथ बैठक की। विवादित दृश्य को हटाने का निर्णय लिया गया। इसके साथ, तांडव पहली वेब सीरीज बन गई जिसकी कंटेंट को हटा दिया गया है। वहीं, फिल्म निर्देशक ने भी इन दृश्यों के लिए माफी मांगी है।
ऐसी स्थिति में, तांडव के किन दृश्यों को लेकर विवाद है? क्या सरकार का वेब श्रृंखला पर कोई नियंत्रण नहीं है? तांडव के दृश्यों को हटाने के लिए सरकार ने किस पावर से पूछा? क्या पहले भी दृश्यों को वेब श्रृंखला से हटाया गया है?
तांडव के कौन से दृश्य विवाद में हैं?
पहला विवाद-फर्स्ट एपीसोड का पहला सीन
तांडव के दो दृश्य विवादित हैं। पहली श्रृंखला के पहले एपिसोड के एक दृश्य के बारे में है। इसमें अभिनेता जीशान अयूब अपने कॉलेज में भगवान शिव की भूमिका में हैं। इसमें उनका कहना है कि भगवान राम की तुलना में उनके सोशल मीडिया पर कम फाॅलोअर्स हैं। वह नारद से पूछता है कि फाॅलोअर्स को कैसे बढ़ाया जाए।
नारद का कहना है कि वह कुछ विवादास्पद ट्वीट करें। इसके बाद, दोनों विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता और स्वतंत्रता के नारे लगाने के बारे में बात करते हैं। पूरे दृश्य में बताया गया है कि छात्र गरीबी, बेरोजगारी और जातिगत भेदभाव से मुक्ति की मांग कर रहे हैं। अंत में, शिव कहते हैं कि देश में रहते हुए स्वतंत्रता की आवश्यकता है, देश से नहीं। इस पूरे दृश्य में, जीशान शिव की भूमिका में आपत्तिजनक शब्द बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं।
दूसरा विवाद – 8वें एपिसोड का दृश्य
दूसरा विवाद श्रृंखला के 8 वें एपिसोड के दूसरे दृश्य को लेकर है। इसमें संध्या (संध्या मृदुल) अपने प्रेमी और दलित राजनेता कैलाश (अनूप सोनी) के साथ एक पूर्व पति की बात साझा करती है। इसमें, वह कहती है कि एक बार उसके पूर्व-पति ने कहा था कि जब एक निम्न-जाति का पुरुष एक उच्च-जाति की महिला को डेट करता है, तो बस बदला लेने के लिए … कैलाश के साथ संबंध बनाने के बाद संध्या गर्भवती हाे जाती है। कैलाश संध्या से झूठ बोलता है कि उसने रिश्ते में आने के बाद अपनी पत्नी को तलाक दे दिया। यह एक तरह की जातिगत टिप्पणी है।
किस कानून में सरकार ने तांडव के दृश्यों को हटाने के लिए कहा?
ओटीटी प्लेटफार्मों की एक श्रृंखला के दृश्य के बारे में पहली बार,सरकार ने सीधे हस्तक्षेप किया है। अब एक सवाल यह है कि सरकार ने किस कानून में ऐसा हस्तक्षेप किया है। दरअसल, भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म को विनियमित करने को कोई कानून और कोई नियम नहीं है। प्रिंट और रेडियो अलग-अलग कानूनों के अधीन हैं। ओटीटी एक सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है।
इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) का OTT प्लेटफॉर्म के बारे में एक स्व-नियामक मॉडल है। इससे पहले नवंबर में,सरकार ने I & B मंत्रालय को सभी OTT और डिजिटल समाचार प्लेटफ़ॉर्म सामग्री की निगरानी करने को कहा था। हालांकि, टीवी या फिल्म की तरह, ओटीटी प्लेटफार्मों का अनुबंध नहीं है। इस समय इस कानून का अभाव है।
सरकार चाहती थी कि इन दोनों दृश्यों को हटा दिया जाए। जाहिर है कि मंत्रालय ने भी इन दृश्यों पर आपत्ति जताई होगी। इससे पहले,सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म को एक स्व-विनियमन कोड बनाने को कहा है। यदि ओटीटी प्लेटफॉर्म ऐसा नहीं करते हैं,तो सरकार कोड बनाने पर विचार कर सकती है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार,मंत्रालय का मानना है कि निष्क्रिय स्वतंत्रता के नाम पर कानून को बिगड़ने नहीं दिया जा सकता है। थिएटर और ओटीटी के लिए अलग मानक नहीं हो सकते।
तांडव से दो दृश्य हटा दिए गए, उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर का क्या होगा?
NALSAR यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ,हैदराबाद के कुलपति फैजान मुस्तफा का कहना है कि यदि दो दृश्यों के बारे में एफआईआर की गई है और वे दृश्य हटा दिये गये है, तो एफआईआर अब प्रासंगिक नहीं है। हमें यह देखना होगा कि क्या एफआईआर की गई है,चाहे वह दृश्य के बारे में हो या पूरी वेब श्रृंखला हो। इन दो दृश्यों का उल्लेख महाराष्ट्र के घाटकोपर से भाजपा विधायक राम कदम ने निर्माताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर में किया था। मुस्तफा के मुताबिक, उनकी एफआईआर अब किसी काम की नहीं होगी।
क्या दृश्यों को वेब श्रृंखला से पहले हटाया गया है?
नहीं,लेकिन यह पहली बार नहीं है जब ओटीटी की एक श्रृंखला विवादित रही है। इससे पहले नेटफ्लिक्स के सूटेबल ब्वॉय पर विवाद हुआ था। तब मध्य प्रदेश में भाजपा नेता ने आपत्तिजनक सामग्री दिखाने के लिए प्राथमिकी दर्ज की। रक्षा मंत्रालय ने फिल्म गुंजन सक्सेना पर भी आपत्ति जताई। इससे पहले, सेक्रेड गेम्स के बारे में भी एक एफआईआर दर्ज की गई थी। फरवरी में, हॉटस्टार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना के कारण जॉन ओलिवर के साथ अमेरिकी शो लास्ट वीक टुनाइट को ब्लॉक कर दिया। लेकिन यह पहली बार है जब सरकार ने हस्तक्षेप किया है और एक श्रृंखला दृश्य को हटा दिया है।
वेब सीरीज की सामग्री को कैसे विनियमित किया जाता है?
भारत में सभी मीडिया प्लेटफार्म विनियमित करने को एक निकाय है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) प्रिंट मीडिया को नियंत्रित करता है। न्यूज ब्रॉडकास्ट एसोसिएशन टीवी न्यूज चैनल को नियंत्रित करता है। विज्ञापन परिषद भारत के विज्ञापन मानक परिषद को नियंत्रित करती है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC), यानी सेंसर बोर्ड फिल्मों को नियंत्रित करता है। ओटीटी प्लेटफॉर्म एक तरह का सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जिसके लिए अब तक कोई नियमन नहीं है।
इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) का OTT प्लेटफॉर्म के बारे में एक स्व-नियामक मॉडल है जिसे 7 सितंबर 2020 को 15 बड़े ओटीटी प्लेटफार्मों ने हस्ताक्षरित किया। इसने ओटीटी प्लेटफॉर्म को स्व-विनियमित करने की बात की। स्व-विनियमन कोड में आयु योग्यता, सामग्री विवरण और अभिभावक नियंत्रण शामिल हैं।
आयु योग्यता में, श्रृंखला और फिल्म को प्रत्येक आयु के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। सामग्री विवरण सामग्री विवरण में वर्णित है। पेरेंटिंग नियंत्रण भी प्रदान किया जाता है। इस कोड के अनुसार, यह उपयोगकर्ताओं पर तय किया जाता है कि उन्हें क्या देखना है और क्या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में अक्टूबर 2020 में एक याचिका दायर की गई थी कि ओटीटी प्लेटफॉर्म की सामग्री सार्वजनिक डोमेन में अनियंत्रित है। इस पर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यहां हम केंद्र सरकार से जवाब मांगते हैं, तो ओटीटी प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के लिए कुछ व्यवस्था क्यों नहीं की गई है?
इसके बाद, केंद्र सरकार ने 11 नवंबर को एक अधिसूचना जारी की। इसमें, सभी पोर्टल जो समाचार पोर्टल और ऑनलाइन ऑडियो-विजुअल सामग्री प्रदान करते हैं, को I & B मंत्रालय की देखरेख में लाया गया था। इस आदेश के बाद से, मंत्रालय ओटीटी को विनियमित कर रहा है।
सरकार के हस्तक्षेप से किस तरह की स्थिति बन सकती है?
सरकार द्वारा सीधे हस्तक्षेप के बाद सभी ओटीटी प्लेटफार्म सतर्क हो जाएंगे। इस तरह, वे आगे कानून की अनदेखी नहीं कर पाएंगे। अगर सरकार नवंबर में जारी अधिसूचना के अनुसार किसी तरह की नियामक संस्था बनाती है तो ओटीटी प्लेटफॉर्म को नई सामग्री जारी करने से पहले आईएंडबी मंत्रालय से प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा। यदि मंत्रालय किसी भी सामग्री पर आपत्ति जाहिर करता है,तो उसे प्रतिबंधित किया जा सकता है।