कर राहत,पैकेज, ग्रोथ……सामान्य जन को जो मिला ये रहा बिन्दुवार

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टैक्‍स राहत, पैकेज, ग्रोथ… बजट में सामान्य जन को क्या मिला? जानॅ एक-एक बिॅदू
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर टैक्स माफी की घोषणा की। इसके अलावा बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव भी शामिल है। बजट में कृषि, MSME, निवेश और निर्यात पर विशेष जोर दिया है.

मुख्य बिॅदू
+12 लाख रुपये तक की आय पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा
+बजट में कृषि और MSME के लिए कई प्रस्ताव शामिल
+वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज पर टैक्स छूट बढ़ी

नई दिल्‍ली एक फरवरी 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के प्रस्तुत सामान्य बजट में मध्यम वर्ग के लिए बड़ी खुशखबरी है। 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर अब कोई टैक्स नहीं लगेगा। यह छूट नई इनकम टैक्‍स व्यवस्था चुनने वालों के लिए है। इसके अलावा, बजट में आर्थिक विकास को तेज करने के लिए कई और प्रस्ताव भी हैं। जैसे, बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा वृद्धि। बजट में देश के विकास को चार मुख्य क्षेत्रों पर जोर दिया गया है: कृषि, MSME, निवेश और निर्यात।

इस बजट से मध्यम वर्ग को सबसे ज्‍यादा फायदा होगा। 12 लाख रुपये तक की सालाना कमाई पर कोई आयकर नहीं देना होगा। यह नई टैक्स व्यवस्था चुनने वालों के लिए है। वेतनभोगियोॅ के लिए 75,000 रुपये की मानक कटौती यानी स्‍टैंडर्ड डिडक्शन भी है। इसका मतलब है कि 12.75 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। टैक्स स्लैब भी बदले हैं। इससे 25 लाख रुपये तक कमाने वालों को 1.1 लाख रुपये तक की बचत होगी। वित्त मंत्री ने बताया कि इस छूट से एक करोड़ लोग टैक्स के दायरे से बाहर हो जाएंगे। नए टैक्स स्लैब से 6.3 करोड़ लोगों को फायदा होगा। यह कुल टैक्स भरने वालों का 80 फीसदी से ज्‍यादा है।

लोगों के हाथ में ज्‍यादा पैसे का लक्ष्य
वित्त मंत्री ने कहा, ‘नई कर व्यवस्था में छूट से मध्यम वर्ग के करों में काफी कमी आएगी और उनके हाथ में अधिक पैसा बचेगा, जिससे घरेलू उपभोग, बचत और निवेश बढ़ेगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘विकसित भारत की दिशा में लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और मांग हमारे प्रमुख समर्थक स्तंभ हैं। मध्यम वर्ग भारत की वृद्धि को ताकत देता है…उनका योगदान देखते हुए हमने उनका कर बोझ समय-समय पर कम किया है।’

वरिष्ठ नागरिकों को भी राहत मिली है। ब्याज पर टैक्‍स छूट सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है। सीतारमण लगातार आठवां बजट पेश किया। इस बजट में अगली पीढ़ी के सुधारों की रूपरेखा भी आई है। बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा 74 % से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव है। साथ ही, टैक्‍स कानूनों को आसान बनाने की भी बात कही गई है।

गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं का भी ख्‍याल
बजट में सामाजिक क्षेत्रों के लिए ज्‍यादा पैसा रखा गया है। गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं के लिए कई योजनाएं हैं। बुनियादी ढांचे पर भी खर्च जारी रहेगा। वित्त मंत्री के मुताबिक, ‘ बजट का लक्ष्य पहले पांच वर्षों में छह क्षेत्रों… कराधान, बिजली क्षेत्र, शहरी विकास, खनन, वित्तीय क्षेत्र और नियामकीय क्षेत्र में परिवर्तनकारी सुधार शुरू करना है। ये हमारी ग्रोथ क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाएंगे।’

टैक्‍स प्रणाली सरल बनाने को 60 साल पुराने आयकर कानून की जगह नया कानून लाया जाएगा। नए कानून में ‘न्याय’ की भावना होगी। यह ‘पहले विश्वास करो, बाद में जांच करो’ सिद्धांत पर आधारित होगा। इन सब घोषणाओं के बावजूद सरकार राजकोषीय मजबूती पर ध्यान दे रही है। 2025-26 में राजकोषीय घाटा GDP का 4.4 % रहने का अनुमान है। इस साल यह 4.8% रहने की उम्मीद है। इस घाटे को पूरा करने को सरकार अगले वित्त वर्ष में बाजार से 11.54 लाख करोड़ रुपये ऋण लेगी।

प्रधानमंत्री ने बजट बताया ‘ऐत‍िहास‍िक’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट को ‘ऐतिहासिक’ बताया। उन्होंने कहा कि यह बजट हर भारतीय का सपना पूरा करेगा, ‘विकसित भारत’ का मिशन आगे बढ़ाएगा और विकास, निवेश और उपभोग  कई गुना आगे ले जाएगा। प्रथानमंत्री मोदी ने कहा कि यह बजट न केवल देश की वर्तमान आवश्यकताएं ध्यान में रखता है, बल्कि भविष्य की तैयारी करने में भी मदद करता है।

इस बजट का लक्ष्य उपभोग और निवेश दोनों को बढ़ावा देना है। इससे वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। बजट में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर है। MSME और कृषि क्षेत्र के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। कुछ जरूरी दवाओं पर भी टैक्स घटाया गया है।

बजट घोषणाओं से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई को पूंजीगत व्यय थोड़ा बढ़ाकर 11.21 लाख करोड़ रुपये किया गया है। सरकार ने 2024-25 के लिए 11.11 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का अनुमान लगाया था। लेकिन,संशोधित अनुमान 10.18 लाख करोड़ रुपये है। आरबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों से मिलने वाले लाभांश से भी राजस्व नुकसान की भरपाई में मदद मिलेगी।

चुनौतीपूर्ण हालातों में आया है बजट

यह बजट ऐसे समय आया है जब भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर शुल्क लगाने की चेतावनी से भी चिंता बढी है। इस साल आर्थिक विकास दर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले साल यह 6.3 से 6.8 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने को जरूरी 8 प्रतिशत के ग्रोथ रेट से काफी कम है।

बजट में दालों और कपास के उत्पादन पर विशेष ध्यान देने के साथ उच्च उपज वाली फसलों को बढ़ावा देने को एक राष्ट्रीय मिशन, किसानों के लिए KCC मॅ कर्ज सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करना और विनिर्माण और निर्यात वृद्धि को नए मिशन की शुरुआत जैसे कदम शामिल हैं।

2025-26 में कुल खर्च 50.65 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। टैक्‍स से आव 28.37 लाख करोड़ रुपये सम्भावित है। कर्ज छोड़ कुल आमदनी 34.96 लाख करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है। 2024-25 में कुल खर्च का संशोधित अनुमान 47.16 लाख करोड़ रुपये है,जिसमें पूंजीगत व्यय 10.18 लाख करोड़ रुपये है। कर्ज के अलावा कुल आमदनी का संशोधित अनुमान 31.47 लाख करोड़ रुपये है। इसमें टैक्‍स से 25.57 लाख करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।

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