टीपू सुल्तान ने मरवाये थे 800 आयंगर ब्राह्मण? तभी से नहीं मनाते दीवाली
ग्राउंड रिपोर्ट : क्या टीपू सुल्तान ने 800 ब्राह्मण मरवाये:इतिहास में जिक्र नहीं; पर मेलकोटे के अयंगरों में पीढी दर पीढी कहानी चली आ रही है और वे इसी से दीपावली नहीं मनाते। उस दिन पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं।
मंड्या 24 अप्रैल ( अक्षय बाजपेयी) ‘कर्नाटक में इस बार का चुनाव कांग्रेस और BJP के बीच नहीं, सावरकर और टीपू की विचारधारा के बीच लड़ा जाएगा।’- नलिन कुमार कतील, BJP स्टेट प्रेसिडेंट, 9 फरवरी 2023
‘टीपू सुल्तान का बेटा सिद्धारमैया आएगा… आपको टीपू चाहिए या सावरकर? नान्जे गौड़ा ने क्या किया आपको याद है न? हमें सिद्धारमैया को ऐसे ही खत्म कर देना चाहिए।’ -अश्वथ नारायण, हायर एजुकेशन मिनिस्टर, 13 फरवरी, 2023
29 मार्च को इलेक्शन कमीशन ने कर्नाटक चुनाव की तारीख का ऐलान किया, उससे काफी पहले BJP के दो बड़े नेताओं के बयानों से साफ हो गया कि चुनाव में टीपू सुल्तान बड़ा मुद्दा होंगे। मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान को कांग्रेस राष्ट्रभक्त बता रही है और BJP हिंदू विरोधी।
कर्नाटक में 10 मई को वोटिंग होगी, 13 मई को नतीजे आएंगे। चुनावी माहौल के बीच मैं मंड्या जिले के मेलकोटे टाउन पहुंचा, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यहां टीपू सुल्तान के सैनिकों ने करीब 800 हिंदुओं को मारा था। ये सभी अयंगर ब्राह्मण थे।
ये हमला नर्क चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली के दिन हुआ था, तब से मेलकोटे के अयंगर ब्राह्मण दिवाली नहीं मनाते। देश में दिवाली मन रही होती है, तब वे पूर्वजों का श्राद्ध कर रहे होते हैं। हालांकि इस समुदाय के कुछ परिवार अब दिवाली मनाने लगे हैं।
मेलकोटे बेंगलुरु से 133 किलोमीटर दूर है। यहां अयंगर समुदाय के गिने-चुने घर बचे हैं। जो हैं, वो योग नरसिंह मंदिर और चेलुवनारायण मंदिर की देखरेख और पूजा-पाठ करते हैं।
मेलकोटे में मुझे श्री हरि मिले। उनके पूर्वज भी 230 साल पहले हुए नरसंहार में मारे गए थे। श्री हरि की उम्र करीब 30 साल है। वे अपने पूर्वजों की तरह सफेद सूती धोती पहनते हैं और वैष्णव टीका लगाते हैं।
धर्म का प्रचार कर रहे थे, इसलिए ब्राह्मणों की हत्या की: श्री हरि
230 साल पहले दिवाली के दिन क्या हुआ था, इस पर श्रीहरि कहते हैं, ‘ये एक इतिहास है और हमें इसे इतिहास की तरह ही समझना चाहिए। टीपू सुल्तान को संदेह था कि हमारी कम्युनिटी के लोग रानी लक्ष्मी अम्मनी से मिले हुए हैं। उनके लिए काम करते हैं।’
‘टीपू कट्टर मुस्लिम था। इतना कट्टर कि भारत के बाहर के मुस्लिम राजाओं को खत लिखकर भारत पर हमले के लिए कहता था। इसका मकसद इस्लाम फैलाना था। वो चाहता था कि उसकी आने वाली पीढ़ी भी उसकी तरह राज करे। वो ये सब बिना हिंदुओं के सपोर्ट के नहीं कर सकता था, इसलिए उसने हिंदुओं को भी जोड़ रखा था और मैं ये बातें मन से नहीं कह रहा हूं, ये सब लिखा हुआ है।’
‘हमारे समुदाय का नरसंहार 1790 के दशक में हुआ। इसके लिए नरक चतुर्दशी का दिन चुना गया। वो मेलकोटे में पहले ही नरसंहार कर चुका था। नरक चतुर्दशी के दिन श्रीरंगपटना के नृसिंह मंदिर के सामने सैकड़ों हिंदुओं को मार दिया। ब्राह्मण उसके निशाने पर थे, क्योंकि धर्म का सबसे ज्यादा प्रचार वही कर रहे थे।’
‘कुल कितने लोग मारे गए, इसका सही आंकड़ा किसी के पास नहीं है। उस हमले में महिलाएं और बच्चे भी थे या नहीं, ये भी नहीं पता।’
‘इस नरसंहार के बाद हिंदू परिवार पलायन कर गए थे। कुछ काशी में बस गए। कुछ बंगाल-मद्रास चले गए। अब इस नरसंहार के दो इम्पैक्ट हो रहे हैं। पहला तो अच्छा है कि सब लोग सही इतिहास जान रहे हैं, क्योंकि हमें किताबों में ये बातें नहीं बताई गईं।’
‘दूसरा इम्पैक्ट परेशान करने वाला है। हमसे बार-बार यही पूछा जाता है। इसका सामुदायिक सांप्रदायिक असर भी हो रहा है। हर साल चुनाव के वक्त या दिवाली के आसपास मीडियावाले आते हैं और हमसे यही कहानी पूछी जाती है। हम चाहते हैं कि सही इतिहास देखा जाए, लेकिन ऐसा कुछ भी करना सही नहीं, जिससे कम्युनल टेंशन हो।’
हमारे पूर्वजों को वैसे ही मारा, जैसे जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था: रामानुजम
मेलकोटे में मुझे अयंगर ब्राह्मण समुदाय के रामानुजम भी मिले। वो कहते हैं, ‘उस वक्त यहां वैष्णव भक्त ही रहा करते थे। हमारे पूर्वज घर में जैसे त्योहार मनाते थे, उससे भी बड़ा त्योहार मंदिर में मनाते थे। उस समय मंदिर में उत्सव चल रहा था। पूजा-पाठ हो रही थी। तभी टीपू सुल्तान के सैनिकों ने सभी को एक जगह इकट्ठा किया और मारने लगे। जो बच गए उन्हें जिंदा जला दिया। ये बिल्कुल जलियांवाला बाग हत्याकांड की तरह था।’
‘उसका उद्देश्य ही हिंदुओं को खत्म करना था। उन लोगों ने मंदिर लूटे, उन्हें तोड़ दिया। दिवाली के दिन का उसे पहले से इंतजार था, क्योंकि उस दिन समुदाय के लोग इकट्ठा होते थे।’
गांव में अब सिर्फ 400 अयंगर, ज्यादातर टीपू के बारे में बात नहीं करते
मैंने अयंगर ब्राह्मण समुदाय के और लोगों से बात करने की कोशिश की, लेकिन वे तैयार नहीं हुए। गांव में इस समुदाय के करीब 400 लोग ही हैं। कुछ लोगों ने ऑफ द रिकॉर्ड कहा कि वो अकारण विवाद में नहीं पड़ना चाहते। मीडियावाले चले जाते हैं, लेकिन बाद में तनाव होता है। यहां क्षेत्रीय पार्टी का दबदबा है, इसलिए सबके साथ मिलकर चलना पड़ता है।
टीपू के दो चेहरे, एक बहुत डरावना…
इतिहासकार और डिपार्टमेंट ऑफ कन्नड़ एंड कल्चर के थिएटर इंस्टीट्यूट रंगायना के डायरेक्टर श्री अदांदा सी करियप्पा कहते हैं, ‘टीपू सुल्तान के दो चेहरे थे, जिसमें एक बहुत डरावना था। मेलकोटे और कोडागु में बड़ा रक्तपात हुआ। मेलकोटे के अयंगर ब्राह्मण रानी लक्ष्मी अम्मनी के वफादार थे। इसलिए टीपू ने 1700 ब्राह्मणों को जहर देकर मारा। ये सभी मंडयम ब्राह्मण थे। अयंगर में भी मंडयम अयंगर। नरक चतुर्दशी के दिन ब्राह्मणों को मारकर पेड़ पर लटका दिया था।’
‘टीपू सुल्तान सेकुलर नहीं था, बल्कि इस्लामिक फंडामेंटलिस्ट था। वह कुरान के अनुसार ही फैसले लेता था। वह मानता था कि कुरान में जो लिखा है, उसने वही किया और हिंदुओं को इस्लाम धर्म में कन्वर्ट किया तो उसे जन्नत मिलेगी।’
अयंगर ब्राह्मण और संस्कृत स्कॉलर एमए अलवर इस घटना को दूसरी दृष्टि से देखते हैं। उनके अनुसार, ‘टीपू सुल्तान महत्वाकांक्षी शासक था और राज्य बढ़ाने के लिए लोगों को मारने से पीछे नहीं हटता था। मेलकोटे में मरने वाले अयंगर ब्राह्मण थे, लेकिन कुर्ग में उसने मुस्लिमों को भी नहीं बख्शा था। उसने हिंदुओं को मारा भी और रंगनाथन स्वामी मंदिर में बड़ी रकम भी दान की। मंदिर में मौजूद एक घंटा और ड्रम इस बात के गवाह हैं।’
योग नरसिंह मंदिर के बाहर कर्नाटक टूरिज्म बोर्ड का ये बोर्ड लगा है, जिसमें लिखा है कि मंदिर में रखा नगाड़ा टीपू सुल्तान ने भेंट किया था।
रानी लक्ष्मी अम्मनी और अंग्रेजों के बीच बातचीत से डर गया था टीपू: रिसर्च स्कॉलर
अयंगर ब्राह्मण कम्युनिटी से आने वाले रिसर्च स्कॉलर प्रो. एमए जयश्री और प्रोफेसर एमए नरसिम्हन ने 2014 में मेलकोटे नरसंहार पर एक पेपर पब्लिश कराया था। इस पेपर में ब्रिटिश सेना में मद्रास के कमांडर रहे जॉर्ज हैरिस की डायरी का जिक्र है। इसमें हैरिस ने मेलकोटे में टीपू सुल्तान की सेना के इकठ्ठा होने और नरसंहार करने का जिक्र है।
हैरिस लिखते हैं, ‘सैकड़ों लोगों को मारा गया था। बाकी लोग शहर छोड़कर भाग गए। शहर में कोई नहीं बचा था, वो ‘घोस्ट टाउन’ था। इसका कोई फायदा भी टीपू को नहीं हुआ। मैंने चौथी एंग्लो मैसूर जंग उसके खिलाफ लड़ी और उसे हरा दिया था।’
इस पेपर के मुताबिक, टीपू अयंगर ब्राह्मणों और रानी लक्ष्मी अम्मनी के रिश्तों को शक की नजर से देखता था। लक्ष्मी अम्मनी लगातार अंग्रेजों के साथ गठजोड़ बनाने की कोशिश कर रही थीं। टीपू के दरबार में शमियाह अयंगर नाम का एक मंत्री था, जो रानी का गुप्त संदेश लेकर लॉर्ड जॉर्ज हैरिस के पास गया था। इसी से टीपू सुल्तान भड़क गया। उसने इसे राजद्रोह माना और बदले में अयंगर ब्राह्मणों का नरसंहार किया।
हालांकि इतिहास में इसका जिक्र नहीं है। ये कहानी मेलकोटे के अयंगर परिवारों में ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंची है।
पहाड़ी पर बसा है मेलकोटे, यहां दो प्रसिद्ध मंदिर
मेलकोटे कर्नाटक के पवित्र शहरों में से एक है। यह चट्टानी पहाड़ियों पर बना है, जिन्हें यदुगिरी, यादवगिरी और यदुशैलदीपा कहा जाता है। यह सी लेवल से करीब 3 हजार मीटर ऊंचाई पर बसा है। शहर की खासियत यह बताई जाती है कि यहां कभी सूखा नहीं पड़ता। इसकी वजह 100 से ज्यादा तालाब हैं।
मेलकोटे में योग नरसिंह और चेलुवनारायण मंदिर हैं। योग नरसिंह मंदिर पहाड़ी के सबसे ऊपरी छोर पर है। यहां दर्शन के लिए 600 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं, मंदिर पर पहुंचने के बाद पूरा मेलकोटे नजर आता है।
अयंगर ब्राह्मणों के मुताबिक, वनवास के दौरान भगवान राम मेलकोटे से गुजरे थे। सीता को प्यास लगने पर उन्होंने बाण मारकर धरती से पानी निकाला था, उस जगह को धुनषकोटि कहा जाता है और ये कभी सूखता नहीं है।
किसान और वोक्कालिगा जीत-हार तय करेंगे
मेलकोटे विधानसभा सीट मंड्या जिले में आती है। मंड्या पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी JD(S) का गढ़ है। यहां वोक्कालिगा वोट प्रभावी हैं, जो JD(S) को सपोर्ट करते आए हैं। 2018 में ये सीट JD(S) ने जीती थी।
2013 में यहां से सर्वोदय कर्नाटक पार्टी (SKP) का उम्मीदवार जीता था। इस बार भी JD(S), SKP और BJP के बीच लड़ाई है। आम आदमी पार्टी ने भी कैंडिडेट उतारा है। इस विधानसभा एरिया में रहने वाले ज्यादातर लोग खेती करते हैं, इसलिए यहां किसानों के वोट डिसाइडिंग फैक्टर होते हैं।