केंद्र से चुनावी रणनीति पर हुई बात: तीरथ
तमाम अटकलों के बीच नड्डा के साथ CM तीरथ की बैठक खत्म, बताया क्या हुई चर्चा
नई दिल्ली 02 जुलाई। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर अचानक बुधवार को दिल्ली पहुंचे तो कई अटकलें शुरू हो गईं। तीन दिन से तीरथ सिंह रावत दिल्ली में ही हैं। वृहस्पतिवार रात के बाद आज शुक्रवार को उनकी मुलाकात पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई। नड्डा से मुलाकात के बाद तीरथ सिंह रावत ने बताया कि किस बात पर चर्चा हुई।
तीरथ सिंह रावत ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलना हुआ और आगामी चुनाव को लेकर बातचीत हुई है। हमें किस तरह विकास करना है और केंद्र की योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए बहुत सारे काम हम लोगों ने किए, उनको जनता तक ले जाने की बात हुई। चुनाव को लेकर बातचीत हुई कि कैसी तैयारियां हैं, क्या करना है। विपक्ष जनता के सामने कहीं है नहीं। केंद्र जो तय करेगा और जो रणनीति हमारे सामने रखेगा उस रणनीति को लेकर हम आगे बढ़ेंगे, काम करेंगें।
इससे पहले रावत के दिल्ली पहुंचने को उप चुनाव से जोड़ने के साथ ही नेतृत्व परिवर्तन की बात भी राजनीतिक गलियारों में चली। राज्य के दो मंत्रियों की दिल्ली में मौजूदगी को भी इससे जोड़ दिया गया। हालांकि खुद मुख्यमंत्री ने कहा कि वह रामनगर चिंतन शिविर में पार्टी द्वारा तय की गई चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात को दिल्ली आए हैं।
मात्र साढ़े तीन महीने पहले प्रदेश सरकार में आकस्मिक रूप से हुए नेतृत्व परिवर्तन के बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री तीरथ को अचानक आलाकमान द्वारा दिल्ली बुलाए जाने से सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चाएं उठने लगीं। रामनगर में आयोजित भाजपा के तीन दिनी चिंतन शिविर में भाग लेकर मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री देहरादून पहुंचे। बुधवार दोपहर दिल्ली पहुंच गए।
मुख्यमंत्री के उपचुनाव में आ रही अड़चन को लेकर भी चर्चाएं हुईं। यह बात भी उठी कि यदि उपचुनाव होता है तो मुख्यमंत्री गंगोत्री सीट से शायद ही चुनाव लड़ें, क्योंकि देवस्थानम बोर्ड को लेकर वहां तीर्थ पुरोहित नाराज चल रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री गढ़वाल संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली किसी विधानसभा सीट को तवज्जो दे सकते हैं। यह अटकलें भी लगाई गईं कि यदि उपचुनाव की स्थिति नहीं बनी तो सरकार में फिर से नेतृत्व परिवर्तन हो सकता है।
नेतृत्व परिवर्तन के बाद तीरथ सरकार ने पिछली सरकार में बंटे दायित्वों को निरस्त कर दिया था। दायित्व वितरण के लिए ऐसा फार्मूला निकालने पर जोर दिया जा रहा, जिससे संगठन में कहीं भी असंतोष के सुर न उभरें। मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरे को इस मसले से भी जोड़कर देखा गया। इसके अलावा पार्टी विधायकों और कार्यकर्त्ताओं की जुबानी जंग सरकार व संगठन को असहज किए है। चर्चा रही कि मुख्यमंत्री इस बारे में केंद्रीय नेतृत्व से विमर्श कर सकते हैं.