तीस्ता, संजीव भट्ट और श्री कुमार चाहते थे मोदी की राजनीति खत्म कर जेल भिजवाना

Teesta Setalvad: तीस्ता, संजीव भट्ट और श्रीकुमार की तिकड़ी ने मोदी को फंसाने की रची थी साजिश! चार्जशीट दाखिल

जून के अंतिम सप्ताह में गिरफ्तार सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट के 2 सितंबर के आदेश के बाद अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया। श्रीकुमार इस मामले में जेल में बंद हैं। तीसरा आरोपी भट्ट पालनपुर की जेल में बंद है जहां वह 1990 की एक हिरासत में मौत के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।

अहमदाबाद ,21 सितंबर: 2002 के गुजरात दंगों में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए गहरी साजिश रची गई थी। यह साजिश तीस्ता सीतलवाड़ पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार ने मिलकर रची थी। तीनों मिलकर तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐसे फंसाना चाहते थे कि उन्हें जेल हो। यह बातें विशेष जांच दल की चार्जशीट में कही गई हैं। यह चार्जशीट एसआईटी ने कोर्ट में दाखिल की है। अहमदाबाद सेशन कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट 100 पन्नों की है।

चार्जशीट में कहा गया है कि तीस्ता सीतलवाड़ ने बहुत गहरी साजिश रची थी। एसआईटी ने ये भी कहा है कि संजीव भट्ट इसमें तीस्ता की मदद कर रहे थे। उन्होंने फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। झूठी गवाही नहीं देने पर एक शख्स को धमकाया गया था। एसआईटी ने ये तमाम बातें चार्जशीट में रखी हैं।

सबूत गढ़ने के मामले में चार्जशीट

गुजरात दंगों में क्लीन चिट मिलने के बाद गुजरात पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ मामला दर्ज किया था। कुछ हफ्ते पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने सीतलवाड़ को अंतरिम जमानत दी थी। एसआईटी इस मामले में जांच कर रही थी। बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ कथित तौर पर सबूत गढ़ने के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया।

पूर्व IPS राहुल शर्मा को बनाया गवाह

जांच अधिकारी और सहायक पुलिस आयुक्त बीवी सोलंकी ने बताया कि यहां मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्व आईपीएस अधिकारी से वकील बने राहुल शर्मा को भी इस मामले में गवाह बनाया गया है। आरोपियों पर धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 194 (पूंजीगत अपराध के लिए दोषसिद्धि हासिल करने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) और 218 (लोक सेवक को सजा से बचाने के इरादे से गलत रिकॉर्ड बनाना या लिखना) के तहत आरोप लगाए गए हैं।

अंतरिम जमानत पर बाहर हैं तीस्ता

जून के अंतिम सप्ताह में गिरफ्तार सीतलवाड़ को सुप्रीम कोर्ट के 2 सितंबर के आदेश के बाद अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया। श्रीकुमार इस मामले में जेल में बंद हैं। तीसरा आरोपी भट्ट पालनपुर की जेल में बंद है जहां वह 1990 की एक हिरासत में मौत के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।

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Teesta Setalvad Case: गुजरात SIT ने तीस्ता सितलवाड़, संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट

तीस्ता सीतलवाड़ के केस में गठित एसआईटी ने अदालत में दायर चार्जशीट में तीस्ता,पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट और पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार, पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट और तीस्ता सीतलवाड़

2002 में हुए गुजरात दंगो (Gujarat Riots) को लेकर अदालतों में झूठे सबूत, झूठी गवाही देने के आरोप में गुजरात क्राइम ब्रांच (Gujarat Crime Branch) ने तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) के खिलाफ दर्ज किये गये मानहानि के केस में चार्जशीट दाखिल की है. इस चार्जशीट में पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़, पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट (Sanjiv Bhatt) और आरबी श्रीकुमार पर कई आरोप लगाए हैं.

एसआईटी ने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत की सजा के लिए गहरी साजिश रची गई. साजिश के दो चेहरे पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार और संजीव भट्ट सरकार का ही हिस्सा थे जो समय-समय पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर उसकी ऑफिशियल एंट्री कर तीस्ता को भेजते थे.

एसआईटी ने लगाया पीड़ितों को गुमराह करने का आरोप?

एसआईटी ने अपनी चार्जशीट में कहा कि फर्जी दस्तावेज और फर्जी एफिडेविट तैयार किए गए। इसके लिए बाकायदा वकीलों को फौज तैयार की गई. पीड़ितों को गुमराह किया गया और जो घटनाएं नहीं घटी उनकी भी मनगढ़ंत कहानियां बना उनके हस्ताक्षर लिए गए. पीड़ितों ने भी उन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए जो कि अंग्रेजी में लिखे हुए थे और पीड़ितों की समझ से बाहर थे.

एसआईटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई भी पीड़ित जब तीस्ता का साथ देने को तैयार नहीं होता था तब उसे डराया धमकाया जाता था. एसआईटी ने कहा कि पूर्व आईपीएस आर बी श्रीकुमार ने एक गवाह को फोन करके धमकाया था कि वो तीस्ता से सुलह कर लें नहीं तो मुसलमान उसके विरोधी बन जाएंगे और वह आतंकियों के निशाने पर भी आ जाऊंगा. आरबी कुमार ने पीड़ितों को ऑफर दिया कि आओ साथ मिलकर काम करते हैं,अगर हम अंदर ही अंदर लड़ने लगे तो दुश्मनों को फायदा होगा और मोदी जीत जाएगा.

पीड़ितों के नाम पर इकट्ठा किया गया चंदा

एसआईटी ने चार्जशीट में कहा कि पीड़ितों को गुजरात से बाहर अलग-अलग जगहों पर ले जाकर उनके दुख दर्द के नाम पर चंदा इकट्ठा किया गया. एसआईटी ने कहा कि तीस्ता और कांग्रेस के कुछ नेता आपस में मिलकर दंगा पीड़ितों के कैंप में जाकर मामले को गुजरात की बाहर के कोर्ट में ले जाने को लेकर उकसा रहे थे और अधिकारियों के सामने उनसे उनके हस्ताक्षर ले रहे थे.

संजीव भट्ट पर क्या हैं आरोप?

एसआईटी ने आरोप लगाया कि तीस्ता और संजीव भट्ट एक दूसरे के संपर्क में थे. संजीव भट्ट नामी पत्रकारों, एनजीओ और गुजरात विधानसभा में नेता विपक्ष से ईमेल से संपर्क में थे.संजीव भट्ट ने इन सभी आरोपितों को एमिकस क्यूरी और बाकी लोगों पर प्रभाव डालने को समझाता था। उन्होंने अलग अलग पिटिशन दायर की थी. इसके साथ ही संजीव इन सभी से लगातार ईमेल से संपर्क में थे.

एसआईटी ने दावा किया कि तीस्ता के मुताबिक एफिडेविट दायर नहीं करने वाले एक गवाह का पूर्व आइपीएस संजीव भट्ट (Sanjiv Bhatt) ने अपहरण कर उससे जबरन फर्जी एफिडेविट दर्ज करवाई थी.एसआईटी के मुताबिक इन सभी आरोपितों की मंशा तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की राजनीतिक पारी खत्म कर उनकी साख को नुकसान पहुंचाना था.

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