पर्व शोभायात्रा गाइडलाइंस पर SC कठोर, तीस्ता की याचिका निरस्त

‘हम अच्छी चीजों को क्यों नहीं देखते…’ और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने धार्मिक जुलूसों को लेकर देशव्यापी गाइडलाइंस की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में यह भी मांग की गई थी कि ‘संवेदनशील इलाकों’ से होकर किसी धार्मिक जुलूस के निकालने पर रोक लगे। ये जनहित याचिका तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सिटिजंस फॉर जस्टिस ऐंड पीस की तरफ से दायर की गई थी।

हाइलाइट्स
1_सुप्रीम कोर्ट ने ‘संवेदनशील जगहों’ से होकर धार्मिक जुलूस के निकालने पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज की
2_तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सिटिजंस फॉर जस्टिस ऐंड पीस की तरफ से दायर की गई थी जनहित याचिका
3_याचिका में कहा गया था कि दंगों का मुख्य कारण धार्मिक जुलूस हैं जिनमें लोग तलवार और दूसरे हथियार लेकर चलते हैं
4_धार्मिक जुलूसों के लिए पुलिस परमिशन से जुड़े गाइडलाइंस बनाने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज

नई दिल्ली 10: सुप्रीम कोर्ट ने ‘संवेदनशील इलाकों’ से होकर धार्मिक जुलूस के निकलने पर रोक की मांग वाली एक जनहित याचिका को निरस्त कर दिया है। सोशल ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ सिटिजंस फॉर जस्टिस ऐंड पीस (CJP) की तरफ से दाखिल इस याचिका में कहा गया था कि धार्मिक जुलूसों से दंगे भड़कते हैं ‌इसलिए इस पर रोक लगनी चाहिए। इस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में पीठ ने कहा कि हम हमेशा धार्मिक जुलूसों को इस रूप में ही क्यों देखते हैं कि इससे दंगे होते हैं। हम अच्छी चीजें क्यों नहीं देखते? बाद में याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेनी चाही लेकिन शीर्ष अदालत ने उसे सिरे से निरस्त कर दिया।

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया था कि किसी समुदाय को शक्तिप्रदर्शन के तौर पर ऐसे जुलूस निकालने को पुलिस से इजाजत को लेकर देशभर के लिए एक गाइडलाइंस जारी की जाए। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ और जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा की पीठ के सामने सीजेपी के वकील सीयू सिंह ने दलील दी कि ज्यादातर दंगे इसी से भड़कते हैं। उन्होंने कहा कि कई जांच आयोगों ने ऐसे धार्मिक जुसूसों को दंगों का मुख्य कारण बताया है। ऐसे जुलूसों में हिस्सा लेने वाले तलवार जैसे हथियार और धार्मिक प्रतीक लिए होते हैं।

सिंह ने कहा, ‘त्योहारों में ऐसी ‘शोभा यात्राओं’ को अनुमति देते पुलिस को सावधानी बरतनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को देशभर के लिए गाइडलाइंस जारी करनी चाहिए जिसका सभी राज्यों की पुलिस पालन करे। सिंह ने कहा कि कानून शांतिपूर्ण कार्यक्रम की अनुमति देता है लेकिन ज्यादातर जुलूसों में लोग तमाम तरह के हथियार लिए रहते हैं जिससे तनाव बढ़ता है।

इस पर मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम हमेशा धार्मिक जुलूसों को इस रूप में क्यों दिखाते हैं कि इनसे दंगे भड़कते हैं। हर वर्ष गणपति उत्सव के दौरान जुलूस निकलते हैं लेकिन कभी दंगे नहीं भड़के। हम अच्छी चीजें क्यों नहीं देखते? सुप्रीम कोर्ट को ऐसी स्थिति में मत उलझाए जिनसे निपटने को पुलिस और राज्य सरकारें सक्षम हैं।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमारे देश की विविधता की ओर देखिए। एक जिले से दूसरे जिले में जाने पर कल्चर बदल जाती है। राज्य स्थितियां नियंत्रित कर सकते हैं। इसमें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तय करने से क्या मदद मिलेगी?’

सुप्रीम कोर्ट का कठोर रुख  भांपते ही सिटिजंस फॉर पीस ऐंड जस्टिस ने याचिका वापसी की अनुमति मांगी ताकि भविष्य में इस मुद्दे पर फिर न्यायपालिका आने का रास्ता खुला रहे। लेकिन पीठ ने कहा कि ऐसी याचिकाएं वापस लेने की अनुमति नहीं देंगे और याचिका निरस्त कर दी।

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