योगी जीते तो यूपी छोड़ जायेगा मुनव्वर राना!!!!!
योगी के कंधे पर PM मोदी के हाथ वाली इस तस्वीर को खतरनाक बोल रहे शायर मुनव्वर राना
मशहूर शायर मुनव्वर राना ने कहा है कि सियासत में कंधे पर हाथ रखना बेहद खतरनाक होता है। वह पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वायरल तस्वीर के बारे में बात कर रहे थे।
हाइलाइट्स
यूपी चुनाव में वोटिंग से पहले शायर मुनव्वर राणा का बयान
बोले- योगी चुनाव जीते तो यूपी से पलायन कर जाऊंगा
मोदी-योगी की वायरल फोटो पर कहा- सच्चाई दूसरी है,सियासत में कंधे पर हाथ रखना खतरनाक : मुनव्वर राणा
योगी-मोदी की इसी तस्वीर पर शायर मुनव्वर राणा का व्यंग
नई दिल्ली 29 जनवरी : यूपी चुनाव (UP Election 2022) में शायर मुनव्वर राना (Munawwar Rana) फिर चर्चा में हैं। इन दिनों अपनी शेरो-शायरी से ज्यादा अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले मुनव्वर राना ने बीजेपी और योगी सरकार पर बेहद तीखे तंज किए हैं। योगी आदित्यनाथ की पीएम नरेंद्र मोदी की संग पिछले दिनों वायरल तस्वीर (PM Modi CM Yogi Photo) का भी उन्होंने अपने ढंग से विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सपने में भी प्रधानमंत्री बनने के ख्वाब देखते हैं।
‘सियासत में कंधे पर हाथ खतरनाक’
एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में राना ने कहा, ‘योगी को दिन रात ख्वाब में प्रधानमंत्री की कुर्सी दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और योगी के कंधे पर हाथ रखकर चलने की तस्वीर के पीछे की सच्चाई दूसरी है। मुनव्वर ने कहा कि सियासत में कंधे पर हाथ रखना बेहद खतरनाक है। मोहब्बत में कंधे पर हाथ रखने का मतलब कुछ और होता है, जबकि सियासत में इसके मायने बिल्कुल बदल जाते हैं।
‘मोदी को योगी के पैर छूने चाहिए थे’
राना ने कहा कि सियासत में इसका मतलब यह है कि अब हम लोग दोस्त नहीं हैं, जबकि मोहब्बत में इसका मतलब है कि अब हम सिर्फ दोस्त हैं। योगी हिंदू मान्यता के हिसाब से जिस जगह पर खड़े हैं, वहां मोदी जी को उनके पैर छूने चाहिए थे। कंधे पर हाथ तो बराबर का आदमी रखता है। योगी तो मठाधीश हैं और न जाने क्या-क्या हैं। कोई भी शख्स उनसे मिले तो सिर झुकाना होता है।
‘योगी सरकार बनी तो पलायन कर जाऊंगा’
मुनव्वर राना ने कैराना में पलायन के मसले पर बोलते हुए कहा था कि अगर दोबारा योगी सरकार बनी तो वे यूपी छोड़ जाएंगे। राना ने कहा है, ‘करीब 6 महीने पहले हमने कहा था कि अगर उत्तर प्रदेश में असदुद्दीन ओवैसी की मदद से योगी सरकार आएगी तो हम प्रदेश से पलायन कर लेंगे, जिसके बाद हमें काफी परेशान किया गया। मेरे खिलाफ कई FIR दर्ज किए गए। इसके साथ ही मेरे बेटे को पकड़ा गया।’
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार पलायन-पलायन रट रही है, लेकिन इनकी वजह से काफी लोग परेशान हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी सरकार का मुसलमानों में इतना खौफ है कि कोई बोल ही नहीं सकता है। ये सरकार सिर्फ एक जाति विशेष के नेताओं की मदद कर रही है और अगर फिर भी ओवैसी की बेवकूफी की वजह से बीजेपी सरकार आ जाती है तो हमें यहां रहने की कोई जरूरत नहीं है।
मेरी मिट्टी भी कराची नहीं जाने वाली…तो पलायन कर जाऊंगा, अपनी ही शायरियों को झुठला रहे हैं मुनव्वर राना
अब एक नजर सुधाकर सिंह की~~~~
मशहूर शायर मुनव्वर राना इन दिनों विवादों में हैं। उन्होंने कहा कि अगर योगी सरकार फिर से सत्ता में आती है तो यूपी पलायन कर जाएंगे। कैसे अपनी ही शायरियों को झुठला रहे हैं मुनव्वर राना। एक विश्लेषण।
मैं मरूंगा तो यहीं दफ़्न किया जाऊंगा, मेरी मिट्टी भी कराची नहीं जाने वाली।
आप समझ गए होंगे हम किसकी बात कर रहे हैं। जी हां, बात हो रही है मशहूर शायर मुनव्वर राना की। कभी मां-मौसी, बेटी और बहन की शायरी करने वाले मुनव्वर की डिक्शनरी में आजकल पलायन लफ्ज बार-बार इस्तेमाल हो रहा है। कहते हैं कि इस बार योगी फिर मुख्यमंत्री बने तो यूपी छोड़ दूंगा, प्रदेश से पलायन कर जाऊंगा। सवाल इस बात का है कि आपको अब उसी यूपी में क्यों दिक्कत होने लगी, जहां की मिट्टी ने आपको अदबी जमात में सिर आंखों पर चढ़ाया। एक नया मुकाम दिया। जिन्ना, पाकिस्तान और पलायन आपकी जुबान पर क्यों आने लगा है? आप क्यों बार-बार कहते हैं कि यूपी का मुसलमान खौफ में है।
आप तब डर, खौफ और पलायन की बात क्यों नहीं कर रहे थे, जब 9 साल पहले मुजफ्फरनगर दंगों की आग में झुलस रहा था। मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आए हैं तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ आए हैं। गले मिलती हुई नदियां गले मिलते हुए मजहब इलाहाबाद में कैसा नजारा छोड़ आए हैं। संगम नगरी में दो मजहब के गले मिलने की शायरी लिखने वाले मुनव्वर साहब आपको हो क्या गया है? आपको ऐसा क्यों लगता है कि मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं। पांच साल के योगी सरकार के कार्यकाल में आप जरा बताइए ऐसी कोई बड़ी घटना, जब मुस्लिम समुदाय को कहीं से पलायन करना पड़ा हो। उल्टे मुजफ्फरनगर से जब 2013 में पलायन हुआ तब आप कहां थे? तब आपको यूपी में डर नहीं लगा और ना ही आपकी जुबान पर मुहाजिर (पलायन करने वाला) होने की बात आई।
मुहाजिरनामा में आप लिखते हैं-
जो इक पतली सड़क उन्नाव से मोहान जाती है, वहीं हसरत के ख्वाबों को भटकता छोड़ आए हैं। मुहर्रम में हमारा लखनऊ ईरान लगता था मदद मौला हुसैनाबाद छोड़ आए हैं।
उन्नाव से लखनऊ तक की फिजां आपको क्यों बदली-बदली सी दिखती है? आप बता सकते हैं कि आपके साथ आखिर क्या ज्यादती हुई? आपके बेटे पर प्रॉपर्टी के लिए खुद को गोली चलवाने का आरोप लगा। उसमें भी आपको साजिश नजर आती है, लेकिन होटल और पेट्रोल पंप के सीसीटीवी फुटेज ने असल कहानी बता दी। आपको भी पता है कि तस्वीरें कभी झूठ नहीं बोलती हैं।
आपने यह भी लिखा है-
सभी त्योहार मिलजुल कर मनाते थे वहां जब थे, दिवाली छोड़ आए हैं दशहरा छोड़ आए हैं।
आप मलिक मोहम्मद जायसी की परंपरा से आए थे। रायबरेली के जायस कस्बे से निकलकर देश-दुनिया के फलक पर छा गए। आपका गजल ट्रांसपोर्ट (मुनव्वर राना की ट्रांसपोर्ट एजेंसी) भी अच्छा चल रहा है। नवाबों के शहर लखनऊ में किसने आपके साथ जोर-जबरदस्ती की, जरा खुलकर बताइए। क्या चुनाव आ गए हैं इसलिए आप पलायन की बात करके ध्यान खींचना चाहते हैं। क्या आपके ये बयान गंगा-जमुनी तहजीब को तार-तार नहीं कर रहे है?
आप ही के अल्फाज में अपनी बात पूरी करना चाहता हूं।
मोहब्बत करने वालों में ये झगड़ा डाल देती है, सियासत दोस्ती की जड़ में मट्ठा डाल देती है।
तो आप इस सियासत में उलझेंगे तो कहीं के नहीं रहेंगे। आपका काम है समाज के बीच नफरतों की जगह मोहब्बत का पैगाम देना। आपकी इस नज्म के साथ बात खत्म- नुमाइश के लिए गुलकारियां दोनों तरफ से हैं, लड़ाई की मगर तैयारियां दोनों तरफ से हैं। मुझे घर भी बचाना है वतन को भी बचाना है, मेरे कांधे पे जिम्मेदारियां दोनों तरफ से हैं। आमीन।