माफिया अतीक के गैंग में शूटरों के होते हैं अनिवार्य मुस्लिम नाम
शूटरों को माफिया अतीक की गैंग में शामिल होने के लिए रखना होता था ‘मुस्लिम’ उपनाम
शूटरों को अतीक की गैंग में शामिल होने के लिए रखना होता है मुस्लिम नाम
उमेश पाल और उनके दो सरकारी गनरों की हत्या के बाद घटना में शामिल सभी लोगों के बारे में पुलिस गहनता से जानकारी कर रही है। जिसमें पता चला है कि अतीक की गैंग में शामिल होने वालों को मुस्लिम उपनाम दिया जाता है।
प्रयागराज 25 मार्च : उमेश पाल हत्याकांड में शामिल अतीक गैंग के शूटरों के बारे में तमाम तरह की जानकारियां सामने आ रही हैं। गैंग में शामिल होने वाले नए सदस्यों का मुस्लिम उपनाम देना परिपाटी है। हालांकि मतांतरण जैसी कोई बात नहीं मिली है।
अरबाज के पूर्वज थे हिंदू
उमेश पाल हत्याकांड में शामिल शूटरों के कार ड्राइवर अरबाज के एनकाउंटर में मार गिराए जाने के बाद पता चला कि उसके पूर्वज हिंदू थे। पिछले हफ्ते प्रयागराज के नेहरू पार्क जंगल में एनकाउंटर में मारे गए अरबाज के चाचा अशफाक ने बताया कि अरबाज पहले बांदा के नरैनी में अपनी ननिहाल में रहता था। उसके पिता आफाक भी अतीक के कार ड्राइवर रहे हैं।
अरबाज के दादा ने अपनाया था मुस्लिम धर्म
अरबाज नाबालिग था, तभी अतीक के घर जाकर उसके बच्चों का कपड़ा धोने का काम करने लगा था। अरबाज के दादा का नाम शुभराम था। बाद में उन्होंने मुस्लिम धर्म अपना लिया और नाम बदलकर सोहराब कर लिया।
पुलिस मुठभेड़ में मारा गया उस्मान भी था हिंदू
इसी तरह सोमवार सुबह मुठभेड़ में मारे गए विजय का नया नाम उस्मान सामने आया। पुलिस ने यह नाम बताया, जिस पर घरवालों ने आपत्ति जताई और कहा कि उसका नाम उस्मान कभी नहीं रहा। कहा जा रहा है कि विजय चौधरी को अतीक गैंग में जोड़ने के बाद उसका उपनाम उस्मान रखा गया ताकि लोग उसे मुस्लिम समझें।
गुड्डू ने भी जोड़ा था अपने नाम के आगे मुस्लिम
उमेश पाल हत्याकांड में शामिल सबसे अनुभवी शूटर 50 वर्षीय गुड्डू मुस्लिम सुलतानपुर जिले का रहने वाला है। अतीक गैंग में शामिल होने के लिए अपने नाम के साथ मुस्लिम शब्द जोड़ा। धूमनगंज थाना प्रभारी राजेश मौर्य ने बताया कि उसका यही नाम लोग जानते हैं और अन्य नाम किसी को पता नहीं है। सूत्रों के मुताबिक अतीक गैंग में मुस्लिम उपनाम रखे जाने की बात तो सामने आई है, मगर जबरन मतांतरण कराने जैसा कोई मामला अभी तक सामने नहीं आया है।
अब अतीक को हो रहा मलाल, वारदात के दिन करीबी को फोन करके कहा था- बड़ी गलती हो गई…
बाहुबल के दम विधानसभा तक जा पहुंचे माफिया को अब अपनी उस गलती का हो रहा है एहसास
साबरमती जेल में बंद माफिया अतीक अहमद को लखनऊ लाने की तैयारी जल्द पुलिस सीधे करेगी पूछताछ – उमेश पाल के बढ़ते रसूख से गहराई दुश्मनी व पांच करोड़ के लेनदेन की दिशा में भी जांच
बसपा के पूर्व विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल को दिनदहाड़े मार गिराने के बाद अब माफिया अतीक अहमद गिरोह को उसका दुस्साहस भारी पड़ रहा है।
पुलिस ने घटना में शामिल दूसरे बदमाश को मुठभेड़ में मार गिराया है। बाहुबल के दम पर लोकसभा व विधानसभा तक जा पहुंचे माफिया अतीक अहमद को अब अपनी उस गलती का एहसास हो रहा है, जिसने उसके खौफ की जमीन को दरकाना शुरू कर दिया है।
सूत्रों का कहना कि वारदात के बाद अतीक अहमद ने अपने एक बेहद करीबी से संपर्क साधा था, उस दौरान अतीक ने कहा था कि बड़ी गलती हो गई।
विधानमंडल सत्र चल रहा था, इस दौरान यह घटना नहीं होनी चाहिए थी। उमेश पाल न सिर्फ मुख्य गवाह था, बल्कि राजू पाल की हत्या के मुकदमे में अतीक अहमद गिरोह के विरुद्ध खड़ा सबसे अहम पैराकोर भी था।
हालांकि पुलिस इस प्रमुख वजह के साथ ही उमेश पाल की हत्या के पीछे दो अन्य कारणों की छानबीन में भी जुटी है। यह बात भी सामने आई है कि उमेश पाल ने कोर्ट में अतीक अहमद के विरुद्ध अपनी पैरवी को ढीला करने के बदले लगभग पांच करोड़ रुपये लिए थे और उसके बाद वह मुकर गया था।
पुलिस को अभी इसका कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं मिला है पर उसने कई लोगों से इसे लेकर लंबी पूछताछ जरूर की है।
इसके अलावा उमेश पाल अपना रसूख भी लगातार बढ़ा रहा था और कुछ विवादित जमीनों को लेकर भी उसकी अतीक गिरोह से ठन चुकी थी। अतीक अहमद गिरोह के लिए उमेश पाल की हत्या के पीछे एक बड़ी वजह अपने दबदबे को बनाए रखने की भी थी।
पुलिस इन दोनों दिशाओं में भी जांच के कदम बढ़ा रही है। पुलिस को इस बात का भी पूरा यकीन हो चुका है कि उमेश पाल की हत्या से पहले अतीक अहमद गिरोह ने पूरा रिर्हसल किया था।
घटना के समय कौन क्या करेगा, यह भूमिकाएं भी पूर्व निर्धारित थीं। गोली के साथ बम का इस्तोल भी सोची समझी साजिश का हिस्सा था। बस, घटना के लिए चुना गया समय अतीक अहमद गिरोह के लिए उल्टा पड़ गया।
सत्र के दौरान हुई वारदाता को विपक्ष ने सदन में जिस जोरशोर से उठाया, उसके बाद सरकार ने भी कार्रवाई के कदम उतनी ही धमक के साथ बढ़ाए। पुलिस अतीक अहमद को गुजरात की साबरमती जेल से लाने के लिए भी अपनी तैयारी तेजी से कर रही है
घटना के बाद विवेचना के पर्चे काटे जाने के साथ ही अतीक के विरुद्ध साबरमती जेल में जल्द वारंट बी दाखिल कराया जाएगा। इसके साथ ही प्रयागराज पुलिस गुजराज कोर्ट में उसे पुलिस रिमांड पर लेने के लिए प्रार्थनापत्र दाखिल करेगी।
कमिश्नरेट बनने के बाद तेजी
प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरेट का गठन होने के बाद जब वहां खाकी नई व्यवस्था के तहत अपने कामों में व्यस्त थी, उसी दौरान उमेश पाल व अतीक अहमद गिरोह ने भी अपनी तेजी बढ़ाई थी और अवैध जमीनों से जुड़े व काम को तेज किया था। तब नए अधिकारियों के पहुंचने पर भी दोनों पक्षों ने उनसे अपने-अपने ढ़ंग से संपर्क व पैरवी आरंभ की थी।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि वाराणसी में भी पुलिस कमिश्नरेट बनने के तत्काल बाद कुछ व्यवहारिक दिक्कतें सामने आई थीं और माफिया मुख्तार अंसारी समेत अन्य गिरोह ने शुरुआती दिनों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी।
पश्चिम बंगाल में शूटरों के छिपे होने की आशंका
पुलिस जांच में सामने आया है कि उमेश पाल की हत्या के बाद गुड्डू मुस्लिम व गुलाम समेत वारदात में शामिल अन्य शूटर पहले भागकर सैदाबाद क्षेत्र में एक स्थान पर इकट्ठा हुए थे और उसके बाद सब अलग-अलग हो गए थे।
शूटिंग में केवल तीन लोग ही शामिल थे। अन्य लोगों को समय-समय पर अलग-अलग स्थान पर बुलाकर उनकी भूमिका बताई गई थी। आशंका है कि शूटर पश्चिम बंगाल में यार्ड क्षेत्र में शरण लिए हैं। हत्यारों की तलाश में एसटीएफ, प्रयागराज व अन्य जिलों की 15 से अधिक टीमें सक्रिय हैं।