यूसीसी पोर्टल पर लिव-इन के तीन आवदेनों में एक अनुमोदित, पुलिस जांच बाद मिली अनुमति
उत्तराखंड में तीन जोड़ों ने मांगी लिव-इन-रिलेशनशिप की परमिशन, एक को मिली स्वीकृति, यूसीसी पोर्टल पर थे आवदेन – LIVE IN RELATIONSHIP
कॉन्सेप्ट इमेज
देहरादून 05 फरवरी2025: उत्तराखंड सरकार ने बालिग युवक-युवती को लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने की मान्यता दी है, लेकिन इसके लिए उन्हें यूनिफॉर्म सिविल कोड पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा. यूसीसी पोर्टल पर लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के लिए तीन आवेदन है. पुलिस ने एक आवेदन की जांच कर हरी झंडी दे दी है.
दरअसल, तीन युगल जोड़ों ने लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के लिए यूसीसी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आवदेन किया था. रजिस्ट्रार स्तर से आवेदनों की जांच पूरी हो गई है. रजिस्ट्रार के बाद अब पुलिस आवेदनों की जांच कर रही है. आवेदन पत्रों में लगाए गए दस्तावेजों के सही पाए जाने पर एक युगल को लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने की अनुमति मिल गई. जांच बाद युगलों को लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने संबंधित रसीद भी मिलेगी जिसके आधार पर वो आसानी से किराए पर कमरा या मकान ले पायेंगे
Doon’s first couple gets legal approval to live-in
Dehradun News: लिव-इन में रहने को दून के पहले जोड़े को मिली अनुमति
समान नागरिक संहिता में जांच के बाद अनुमत युगल देहरादून जिले का है, एक आवेदन दूसरे जिले से भी है। पहला पंजीकरण देहरादून से ही हुआ ।
ज्ञातव्य है कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता में लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता मिलने पर दून में दो जोड़े सबसे पहले पंजीकरण कराने आगे आए। दोनों युगलों ने यूसीसी पोर्टल पर आवेदन किया। इसके अलावा राज्य से दूसरे जिले से भी एक जोड़े ने आवेदन किया। पुलिस आवेदनों की जांच कर रही है। दस्तावेज व दावे सही मिले तो पहले जोड़े को लिव इन में रहने के लिए कानूनी तौर पर अनुमति दे दी गई है।
भरना होता है 16 पेज का फॉर्म : यूसीसी अधिनियम में जो भी जोड़े लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराएंगे, उन्हें 16 पेज का फॉर्म भरना होगा। पंजीकरण शुल्क जमा करना होगा और यह भी बताना होगा कि अगर भविष्य में वह विवाह करना चाहें तो वो इस योग्य हैं या नहीं। जोड़े को पिछले लिव इन संबंधों का विवरण भी देना होगा।
यूसीसी में पंजीकरण अनिवार्य
लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने को पंजीकरण अनिवार्य हो गया है. यदि कोई जोड़ा बिना रजिस्ट्रेशन लिव-इन-रिलेशनशिप में रहता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. जिसमें 6 माह की जेल या फिर 25 हजार जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा जेल और जुर्माना दोनों का एक साथ प्रावधान भी है.
यूनिफॉर्म सिविल कोड नियमावली में प्रावधान किया गया है कि पहले से लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे लोगों को यूसीसी लागू होने की तिथि से अगले एक महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. यूसीसी लागू होने के बाद अगर कोई युगल लिव-इन-रिलेशनशिप में आता है तो उसे लिव इन में आने की तिथि से एक महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यम से कराया जा सकते हैं.
खासबात ये है कि रजिस्ट्रार की ओर से लिव-इन-रिलेशनशिप कराने वाले युगल की सूचना उनके माता-पिता या अभिभावक को भी दी जाएगी. यूनिफॉर्म सिविल कोड नियमावली केवल लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने का ही प्रावधान नहीं है बल्कि लिव-इन-रिलेशनशिप खत्म करने की जानकारी भी देने की व्यवस्था दी गई है.
लिव-इन-रिलेशनशिप समाप्त करने को ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन दोनों ही तरीके से आवेदन हो सकता है. लिव इन में रहते जोड़े में एक की ओर से रिश्ता समाप्ति का आवेदन आता है तो रजिस्ट्रार जोड़े के दूसरे साथी से इसकी पुष्टि करेगा. तभी लिव-इन-रिलेशनशिप समाप्त होगा.
लिव-इन-रिलेशनशिप में महिला के गर्भवती होने की सूचना रजिस्ट्रार को देना अनिवार्य है. साथ ही बच्चे के जन्म बाद 30 दिन में इसकी जानकारी भी अपडेट करानी होगी. लिव-इन-रिलेशनशिप में पैदा बच्चों को उसी युगल की संतान माना जाएगा, इस बच्चे को जैविक संतान की तरह ही अधिकार होंगे.
Uttarakhand Live In Couples Starts Registration After Ucc Implemented In State Know Rules
उत्तराखंड में लिव-इन कपल्स को UCC में 1 महीने की टाइम लिमिट शुरू, 3 जोडे पंजीकृत
UCC कानून लागू होने के 9 दिनों में लिव-इन में रहते 3 जोड़ों ने रजिस्ट्रेशन कको अप्लाई किया है। ज्ञातव्य कि कानून लागू होने पर सभी कपल्स के पास एक महीने का समय है। रजिस्टर नहीं कराने पर 6 महीने तक की जेल की सजा है.
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता में लिव-इन का पंजीकरण नहीं कराने पर 6 महीने की जेल या 25 हजार जुर्माना
नियमानुसार लिव-इन में पैदा बच्चे वैध संतान होंगे
कपल्स को एक महीने का समय, फिर अतिरिक्त फीस
लिव-इन कपल्स (AI इमेज)
रिपोर्ट के अनुसार 3 जोड़े यूसीसी कानून में रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। नहीं करा पाने वालों को 6 महीने की जेल या फिर 25 हजार जुर्माना होगा। दोनों सजा भी हो सकती है। तय समय सीमा बाद रजिस्ट्रेशन पर एक हजार रुपये अतिरिक्त फीस भी लगेगी।
यूसीसी विधेयक में विवाह और तलाक का पंजीकरण भी अनिवार्य है, ऐसा नहीं करने पर संबंधित दंपत्ति को सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाएगा। विधेयक में लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण न कराने पर कड़े प्रावधान हैं। यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा बच्चे दंपत्ति का वैध बच्चा होगा।
लिव इन में रहने वालों में से किसी एक की उम्र 21 वर्ष से कम हो तो सूचना उसके माता-पिता एवं अभिभावकों को निबंधक देगा।यूनिफॉर्म सिविल कोड में प्रावधान है कि लिव इन रिलेशनशिप पार्टनर को अपने इलाके के रजिस्ट्रार के सामने धारा-381(1) में बयान दर्ज कराना होगा। रजिस्ट्रार ऐसे कपल के वेरिफिकेशन को आदेश कर सकता है। वह 30 दिनों में पार्टनर के बारे में जांच प्रक्रिया पूरी करेंगें। इसके लिए वह आवेदक या अन्य को समन कर सकता है.
अगर किसी महिला को उसका लिव-इन पार्टनर छोड़ता है तो वो मेंटेनेंस का दावा कर सकती है। पीड़ित महिला उस इलाके के कोर्ट में दावा कर सकती है, जहां लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले आखिरी बार साथ रहे थे। लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे वैध संतान होंगे।
लिव-इन संबंधों में पैदा बच्चों को वे सारे अधिकार मिलेंगे, जो शादी के बाद पैदा बच्चों को मिलते हैं। किसी भी बच्चे को नाजायज नहीं माना जा सकेगा। बच्चों को माता-पिता की विरासत में समान अधिकार होगा।