कश्मीर से 370 हटने के तीन साल, आतंक घटा, जनविकास बढ़ा
कश्मीर से 370 हटने के तीन साल… आम लोगों के लिए कितनी बदली घाटी? जानें 7 बड़े बदलाव
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटे आज तीन साल पूरे हो गए हैं. 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने कानून लाकर जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाली धारा 370 को खत्म कर दिया था. इन तीन सालों में वहां कई सारे बदलाव हो गए हैं. बड़ संख्या में केंद्रीय कानून और योजनाएं वहां लागू कर दी गई हैं. आतंकी घटनाओं में भी कमी आई है. इसके अलावा तीन साल में करीब 30 हजार लोगों को निजी क्षेत्र में नौकरी मिली है.
370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में काफी कुछ बदल गया है. (फाइल फोटो-PTI)
1-5 अगस्त 2019 को हटी थी धारा 370
2-तीन साल में 30,000 नौकरियां दी गईं
3-केंद्र के 890 कानून जम्मू-कश्मीर में लागू
नई दिल्ली 27 अप्रैल। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म हुए तीन साल पूरे हो गए हैं. आज से तीन साल पहले केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले धारा 370 को खत्म कर दिया था. केंद्र सरकार का दावा है कि तीन सालों में जम्मू-कश्मीर में काफी बड़े बदलाव आए हैं.
इसके खत्म होने के बाद अब जम्मू-कश्मीर भी देश के बाकी राज्यों जैसा हो गया है. पहले केंद्र सरकार का कोई भी कानून यहां लागू नहीं होता था, लेकिन अब यहां केंद्र के कानून भी लागू होते हैं. इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में कई समुदायों को कई सारे अधिकार भी नहीं थी, लेकिन अब सारे अधिकार भी मिलते हैं.
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को खत्म कर दिया था. इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी बांट दिया था. अब दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश हैं. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा है, जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं है. हालांकि, सरकार का कहना है कि सही समय आने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा.
धारा 370 हटने के तीन साल पूरे होने पर ये जानना भी जरूरी है कि जम्मू-कश्मीर में क्या-क्या बड़े बदलाव हुए हैं? वहां नौकरियों से लेकर निवेश-कारोबार कितना बढ़ा है? लोगों को अब कौन-कौन से अधिकार मिल गए हैं? आतंकी घटनाओं में कितनी कमी आई है?
1. आतंकी घटनाओं में कितनी कमी आईं?
– धारा 370 हटाए जाने के तीन साल पूरे होने पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक आंकड़ा साझा किया. इसमें पुलिस ने 5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 और 5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच हुई आतंकी घटनाओं, शहीद हुए जवानों और मारे गए आम लोगों की संख्या की तुलना की है.
– इसके मुताबिक, 5 अगस्त 2016 से 4 अगस्त 2019 के बीच 930 आतंकी घटनाएं हुई थीं, जिसमें 290 जवान शहीद हुए थे और 191 आम लोग मारे गए थे. वहीं, 5 अगस्त 2019 से 4 अगस्त 2022 के बीच 617 आतंकी घटनाओं में 174 जवान शहीद हुए और 110 नागरिकों की मौत हुई.
2. कितनों को नौकरियां मिलीं?
– 3 अगस्त को गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया था कि 2019 से जून 2022 तक जम्मू-कश्मीर में 29,806 लोगों को पब्लिक सेक्टर में भर्ती किया गया है.
– इसके अलावा केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कई योजनाएं भी शुरू की हैं. सरकार का अनुमान है कि स्व-रोजगार योजनाओं से 5.2 लाख लोगों को रोजगार मिला होगा.
3. राजनीतिक मैप कितना बदला?
– इसी साल मई में परिसीमन आयोग ने रिपोर्ट दी थी. इसमें आयोग ने जम्मू-कश्मीर में 7 विधानसभा सीटें बढ़ाने का सुझाव दिया है. इनमें से 6 सीटें जम्मू और एक सीट कश्मीर में बढ़ाने की सिफारिश की गई है.
– लद्दाख के अलग होने के बाद जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें बची हैं. अगर आयोग की सिफारिशें लागू होती हैं तो कुल 90 सीटें हो जाएंगी. जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा सीटें होंगी. 24 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर या पीओके में हैं.
– वहीं, जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की सीटें 5 ही रहेंगी, लेकिन एक सीट में जम्मू और कश्मीर दोनों के इलाके शामिल करने की सिफारिश है. जम्मू में जम्मू और उधमपुर जबकि कश्मीर में बारामूला और श्रीनगर लोकसभा सीट होगी. एक अनंतनाग-राजौरी सीट भी होगी, जिसमें जम्मू और कश्मीर दोनों रीजन के इलाकों को शामिल किया गया है.
4. कितने बाहरियों ने जमीन खरीदी?
– जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद अब वहां बाहरियों यानी दूसरे राज्य के लोगों के लिए संपत्तियां खरीदना भी मुमकिन हो गया है. जबकि, पहले वहां सिर्फ स्थानीय लोग ही संपत्ति खरीद सकते थे.
– इस साल 29 मार्च को गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में दूसरे राज्य के 34 लोगों ने संपत्तियां खरीदी है. ये संपत्तियां जम्मू, रियासी, उधमपुर और गांदरबल जिलों में खरीदी गई हैं.
5. केंद्र के कानून और योजनाएं लागू?
– धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर में पहले केंद्र के बहुत से कानून और योजनाएं लागू नहीं होती थीं. पहले केंद्र के कानून और योजनाएं लागू करने के लिए राज्य सरकार की मंजूरी जरूरी थी. लेकिन अब वहां केंद्रीय कानून और योजनाएं भी लागू हैं.
– इस साल मार्च में जम्मू-कश्मीर का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में केंद्र के 890 कानून लागू हो गए हैं. पहले बाल विवाह कानून, जमीन सुधार से जुड़े कानून और शिक्षा का अधिकार जैसे कानून लागू नहीं थे, लेकिन अब यहां लागू हैं.
– इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर में पहले महिलाएं अगर दूसरे राज्य के पुरुष से शादी करती थीं, तो उनके पति को मूल निवासी नहीं माना जाता था. लेकिन अब दूसरे राज्य के पुरुष जिन्होंने जम्मू-कश्मीर की महिलाओं से शादी की है, उन्हें भी यहां का स्थानीय निवासी माना जाता है.
– इसके अलावा यहां रहने वाले वाल्मीकि, दलित और गोरखा समुदाय के लोगों को कई सारे अधिकार नहीं मिले थे. इन्हें वोटिंग का अधिकार भी नहीं था. लेकिन अब वाल्मीकि समुदाय के लोगों को भी यहां वोट डालने का अधिकार मिल गया है.
6. निवेश-कारोबार-प्रोजेक्ट कितना बढ़ा?
– धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट भी करवाई गई थी. इस समिट में 13,732 करोड़ रुपये के MOU पर हस्ताक्षर हुए थे.
– इसके अलावा इस साल अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया था कि आजादी के बाद 7 दशकों में जम्मू-कश्मीर में प्राइवेट इन्वेस्टर्स ने 17 हजार रुपये का निवेश किया था, जबकि अगस्त 2019 के बाद से अब तक 38 हजार करोड़ रुपये का निवेश आ चुका है.
– लोकसभा में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया था कि प्रधानमंत्री डेवलपमेंट पैकेज के तहत 58,477 करोड़ रुपये की लागत के 53 प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए हैं. ये प्रोजेक्ट्स रोड, पावर, हेल्थ, एजुकेशन, टूरिज्म, खेती और स्किल डेवलपमेंट जैसे सेक्टर में शुरू हुए हैं.
7. सड़कें कितनी बनीं?
– पहले जम्मू-कश्मीर में रोड कनेक्टिविटी सही नहीं थी. श्रीनगर से जम्मू जाने में 12 से 14 घंटे का वक्त लगता था. लेकिन अब श्रीनगर से जम्मू तक 6 से 7 घंटे में पहुंचा जा सकता है.
– सरकार के मुताबिक, अगस्त 2019 से पहले हर दिन औसतन 6.4 किमी सड़क ही बन पाती थी, लेकिन अब हर दिन 20.6 किमी सड़क बन रही है. जम्मू-कश्मीर में सड़कों का जाल 41,141 किलोमीटर लंबा है.