टिहरी बांध पर मस्जिद को धींगामुश्ती, मजदूरों को कंपनी ने बनाया था अस्थाई ढांचा
टिहरी डैम की सरकारी जमीन पर अवैध मस्जिद: शुक्रवार को नमाज बाद छेड़छाड़ से परेशान स्थानीय, प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन
टिहरी बाँध मस्जिद
टिहरी में अवैध मस्जिद का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों को अधिकारियों ने जल्द हटाने का वादा किया
उत्तराखंड में टिहरी बाँध के पास लैंड जिहाद का मामला सामने आया है। रिपोर्टों के अनुसार, 2000 के दशक की शुरुआत में खंड-खाला कोटि कॉलोनी में साइट पर एक अवैध मस्जिद बनाई गई थी, जो बाँध के करीब है और तब से हिंदू संगठनों ने इसे हटाने के लिए कई बार कोशिशें की है। हाल ही में, सितंबर 2021 के पहले सप्ताह में, स्थानीय हिंदुओं के एक समूह ने मस्जिद के खिलाफ नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू किया और 150 वर्ग मीटर से अधिक भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त करने के प्रयासों को तेज किया।
हमने मामले के बारे में और अधिक जानने के लिए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति अक्षत बिल्जवान से संपर्क किया। 6 सितंबर को अक्षत और खंड-खाला कोटी कॉलोनी क्षेत्र के हिंदू समुदाय के अन्य सदस्यों ने पर्यटन विभाग को आवंटित भूमि का अतिक्रमण कर टिहरी बाँध के पास बनाई गई अवैध मस्जिद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
बता दें कि टिहरी बाँध के निर्माण के समय कई इमारतों, खेतों और धार्मिक संरचनाओं को हटा दिया गया था। संपत्तियों के सभी कानूनी मालिकों को अन्य स्थानों पर विस्थापित कर दिया गया और अधिकारियों ने उन्हें मुआवजा दिया या फिर इसके बदले में कहीं और जमीन दिया। निर्माण के दौरान, बाँध बनाने वाली कंपनी (JP) ने मुस्लिम श्रमिकों के लिए अस्थाई मस्जिद का निर्माण किया। प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद, कंपनी और कर्मचारी चले गए, लेकिन अस्थाई मस्जिद को नहीं हटाया गया।
जैसे-जैसे समय बीतता गया, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और यहाँ तक कि स्थानीय भाजपा नेताओं सहित कई हिंदू संगठनों ने मस्जिद को हटाने की कोशिश की। इसके बाद भी प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अक्षत ने कहा कि मस्जिद से कुछ ही मीटर की दूरी पर CISF बेस है जो बाँध की सुरक्षा करता है, लेकिन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ किसी ने कार्रवाई नहीं की।
अक्षत ने कहा, “हर शुक्रवार को न जाने कहां-कहां से सैकड़ों मुसलमान यहाँ नमाज अदा करने आ जाते हैं। नमाज अदा करने के बाद ज्यादातर लोग सड़क पर ही बैठ जाते हैं। पास में ही एक कॉलेज है और इस सड़क से अक्सर मोहल्ले की महिलाएँ गुजरती हैं। खासकर शुक्रवार को इलाके में उत्पीड़न के अनगिनत मामले सामने आए हैं, जहाँ सौ से ज्यादा मुस्लिम सड़क के किनारे बैठे रहते हैं। हमने कई बार शिकायत की है, लेकिन कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।”
मस्जिद का संचालन करने वाले व्यक्ति के बारे में बात करते हुए अक्षत ने कहा, “मस्जिद में आने वाले स्थानीय नहीं हैं। यह एक छोटा सा इलाका है, और हम लोगों को उनके चेहरे से पहचान सकते हैं। स्थानीय लोगों की पहचान करना मुश्किल नहीं है क्योंकि सभी के पास आईडी है। लेकिन जो लोग इस मस्जिद में जाते हैं वे स्थानीय नहीं हैं और उन्हें ट्रैक करना लगभग असंभव है। मस्जिद का प्रबंधन करने वाला मौलवी (मोहम्मद उस्मान) भी मस्जिद से थोड़ी दूर पर रहता है। हालाँकि सभी जानते हैं कि यह अवैध है फिर भी अवैध ढाँचा अभी भी खड़ा है।”
अवैध मस्जिद के खिलाफ 6 सितंबर का विरोध प्रदर्शन
छह सितंबर को अक्षत व अन्य ने धरना पर बैठ कर अवैध रूप से अतिक्रमण की गई जमीन पर बनी मस्जिद को हटाने और बाँध की सुरक्षा सुनिश्चित करने को नारेबाजी की। अक्षत के फेसबुक पर साझा वीडियो में उन्होंने कहा, “ बाँध बनाया जा रहा था, तो कंपनी नेेेे काम कर रहे मुसलमानों को नमाज अदा करने को अस्थाई जगह दी थी। अब कंपनी और कर्मचारी क्षेत्र छोड़ जा चुके हैं। जमीन पर्यटन विभाग को हस्तांतरित कर दी गई है। मौके पर पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौजूद थे। निरीक्षण में उन्होंने पाया कि मस्जिद अवैध है।”
वरिष्ठ अधिकारियों से बात करते हुए, अक्षत ने यह भी बताया कि लव जिहाद के भी कुछ मामले उस क्षेत्र में सामने आए, जहाँ मुस्लिम पुरुषों ने अपनी हिंदू पहचान बता कर हिंदू लड़कियों को बहकाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को पता चलता है कि कोई स्थानीय लड़कियों और महिलाओं को लुभाने -बहकानेे या उन्हें परेशान करने की कोशिश कर रहा है, तो वे खुद कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा, “यह पहला मामला नहीं है। हम रोज ऐसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। हम जिस पर्वतीय क्षेत्र में रहते हैं वह शांत स्थान माना जाता है। हम अब ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं कर सकते। अगर पुलिस और प्रशासन ऐसा करने में विफल रहता है तो हमें कार्रवाई करनी होगी।”
अक्षत के हमारे साथ शेयर किए दो दस्तावेजों के अनुसार, 6 सितंबर को मस्जिद के आसपास एक संयुक्त सर्वेक्षण किया गया जिसमें प्रशासन को पता चला कि मस्जिद अवैध थी। कुछ अन्य संरचनाएँ थीं जिनमें कुछ दुकानें आदि शामिल थीं, वह भी अतिक्रमित जमीन पर बनी थीं। मस्जिद का प्रबंधन करने वाले मौलवी मोहम्मद उस्मान भी मौके पर मौजूद थे। उन्हें प्रशासन नेे सूूूूचित किया था कि मस्जिद अवैध थी और इसे हटाया जाना था। मस्जिद के आसपास बनी अस्थाई दुकानों को भी इसी तरह के निर्देश दिए गए थे।
Joint survey report. Source: Akshat Biljwan
अक्षत ने प्रशासन द्वारा दिए गए निर्देशों के बारे में बताया कि प्रशासन ने मस्जिद के आसपास की अस्थाई दुकानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की और उन्हें हटा दिया। उन्होंने कहा, “वे क्षेत्र में किसी भी अस्थाई दुकान को तेजी से हटाना सुनिश्चित करते हैं, जो एक अच्छी बात है। हालाँकि जब बात मस्जिद की आती है तो हर कोई किसी और पर आरोप मढ़ रहा है और कोई कार्रवाई को तैयार नहीं है।”
मस्जिद के प्रशासक ने माँग की है कि उन्हें मस्जिद के पुनर्निर्माण को वैकल्पिक भूमि प्रदान की जानी चाहिए। अक्षत ने कहा, “माँग पर हमें कड़ी आपत्ति है। जब प्रशासन ने संरचना अवैध मानी है, तो उन्हें वैकल्पिक भूमि क्यों मिलनी चाहिए, इसका मतलब अतिक्रमण की गई भूमि को वापस लेना है। सरकार उन्हें जमीन के एक हिस्से पर कानूनी कब्जा देगी। यह अस्वीकार्य है।”
इसके बाद मस्जिद के प्रशासक ने राज्य अल्पसंख्यक आयोग में याचिका दायर की। दिलचस्प बात यह है कि अल्पसंख्यक आयोग ने मामले का तुरंत संज्ञान लिया। इसने अवैध संरचना को हटाने की प्रक्रिया में और देरी की। अक्षत ने कहा, “मैं हैरान हूँ कि अल्पसंख्यक आयोग मामले में शामिल हो गया। वे जानते हैं कि संरचना अवैध है। वे प्रशासन से मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन देने के लिए कैसे कह सकते हैं? यह सिस्टम का मजाक है।”
25 सितंबर की घटना
प्रशासन ने मस्जिद के प्रशासक को ढाँचे को हटाने के लिए 15 दिन का समय दिया था। जो कि 21 सितंबर को पूरा हो गया। हालाँकि, मस्जिद अभी भी वहीं पर खड़ी है। 25 सितंबर को अक्षत और अन्य ने क्षेत्र का फिर से दौरा करने और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया। स्थानीय प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुँचे। चर्चा में एक अधिकारी की अक्षत से बहस हो गई, जिसके बाद स्थिति लगभग हाथ से निकल गई। अधिकारी ने अक्षत को अपनी आवाज नीचे करने को कहा जिसके बाद अक्षत बिगड़ पड़े।
उन्होंने कहा, “अधिकारी इलाके में नए थे। हम उन्हें नहीं जानते और वह नहीं जानते कि हम किन समस्याओं का सामना कर रहे हैं। जब उन्होंने मुझसे आवाज नीची करने को कहा, तो मुझे समझ नहीं आया कि मैंने क्या गलत कहा।” उन्होंने स्थल पर विरोध कर रहे अपने साथियों के साथ मस्जिद की ओर मार्च करने की कोशिश की। लेकिन पुलिस ने उन्हें रोका और पीछे धकेल दिया। अक्षत और उसके साथी मौके पर मौजूद पुलिस को एसडीएम को बुलाने के लिए कहते रहे क्योंकि वे जानना चाहते थे कि प्रशासन ने क्या कार्रवाई की।
SDM ने दिया मस्जिद को हटाने का आश्वासन
अंत में जब एसडीएम अपूर्वा सिंह मौके पर पहुँची तो उन्होंने मौजूदा स्थिति से अवगत कराया। अक्षत ने एक वीडियो साझा किया जिसमें एसडीएम के साथ चर्चा देखी जा सकती है। उसने कहा, “ यहाँ पर जो लोग मस्जिद का प्रबंधन कर रहे थे, उन्होंने अल्पसंख्यक आयोग से संपर्क किया है। कानून के मुताबिक हमें उनका जवाब देना होगा और आगे कदम उठाना होगा, जिसमें समय लग रहा है। उन्होंने मौके पर मौजूद सभी लोगों को आश्वासन दिया कि प्रशासन के लिए मस्जिद अतिक्रमण की जमीन पर है, उसे हटा दिया जाएगा। एसडीएम ने कहा, “मैं वादा नहीं कर सकती कि इसे एक दिन, एक सप्ताह या एक महीने में हटा दिया जाएगा, लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर सकती हूँ कि इसे हटा दिया जाएगा।”
एसडीएम ने महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाओं पर बात करते हुए स्थानीय लोगों से ऐसी घटनाओं को पुलिस के संज्ञान में लाने को कहा। उन्होंने पुलिस को शुक्रवार को सुरक्षा बढ़ाने के भी निर्देश दिए ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। उन्होंने कहा, “मैं आपसे अनुरोध कर रही हूँ कि अतिक्रमण और छेड़खानी के मुद्दे को आपस में न मिलाएँ। मैंने पुलिस से शुक्रवार को सुरक्षा बढ़ाने को कहा है ताकि ऐसी घटनाओं पर काबू पाया जा सके। हम अवैध ढाँचे को हटा देंगे, लेकिन हमें कानून का पालन करना होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि सभी को अदालतों का दरवाजा खटखटाने का अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें रुकना होगा। सड़क किनारे अतिक्रमण हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं। एसडीएम ने आगे कहा, “प्रशासन के पास दिशानिर्देश हैं, और हम संरचना को हटा सकते हैं, लेकिन हमें प्रक्रिया का पालन करना होगा। आपको हम पर भरोसा करना होगा। मैं समझती हूँ कि अविश्वास की समस्या है, लेकिन मैं आपको आश्वासन दे रही हूँ कि ढाँचा हटा दिया जाएगा।”
जनवरी में उठा था मामला
यह पहली बार नहीं है जब इस मुद्दे को उठाया गया है। जनवरी 2021 में टिहरी के भाजपा विधायक धन सिंह नेगी ने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने कई बार टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (THDC) से संपर्क किया, लेकिन किसी ने भी उनकी याचिका पर ध्यान नहीं दिया। क्षेत्र में स्थित मस्जिद को बाँध के निर्माण के दौरान हटा दिया गया था। हालाँकि, इस अवैध ढाँचे को निर्माण के दौरान अस्थाई आधार पर खड़ा किया गया था। बाँध बनाने वाली कंपनी तो चली गई, लेकिन मस्जिद वहीं रही, जिससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानी हो रही है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
शनिवार की क्लिप का एक हिस्सा ट्विटर पर गोपाल गोस्वामी ने साझा किया था, जिन्होंने मस्जिद को हटाने की माँग की थी। इसके बाद कई नेटिजन्स ने इस माँग को दोहराया।
पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने भी इस मुद्दे को उठाया और पुष्कर सिंह धामी से सवाल किया।
स्तंभकार और वकील दिव्या कुमार सोती ने लिखा, कमाल है! जिस टिहरी डैम के आस-पास इतने प्रतिबंध हैं वहाँ मस्जिद बन गई!
हमने एसडीएम से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन मामले के बारे में विस्तार से बात नहीं हो पाई।
लैंड जिहाद की समस्या
गौरतलब है कि लैंड जिहाद का यह पहला मामला सामने नहीं आया है। हाल ही में, हमारी एक रिपोर्ट में सूरत और गुजरात के अन्य शहरों के मामलों का विवरण दिया गया था। चौंकाने वाली घटना में अशांत क्षेत्र अधिनियम की धज्जियाँ उड़ाई गई और धोखे से भवन निर्माण की अनुमति ली गई। सूरत के अदजान इलाके में एक मंदिर के बगल में रेहान हाइट्स प्रोजेक्ट निर्माण के लिए एक मुस्लिम स्वामित्व वाली एंटरप्राइजेज ने हिंदू साथी को सामने पेश कर निर्माण की अनुमति ली, जो कि कानून को धोखा देने जैसा था। अनुमति मिलने के बाद हिंदू पार्टनर को डील से बाहर कर दिया गया।
हाल के दिनों में अवैध मस्जिदों और मजारों की कई दूसरी घटनाएँ भी सामने आई हैं। जून में, यूपी सरकार ने हरदोई में एक अवैध मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। मार्च में, यूपी पुलिस ने उत्तर प्रदेश के मैनाथर जिले के इमरतपुर उधो गाँव में एक मुस्लिम व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जहाँ उसने एक हिंदू की जमीन पर मजार बनाने की कोशिश की।