पैरालंपिक में भारत के गोल्ड हुए चार,कुल पदक 17,टैली में 26 वां
टोक्यो पैरालिंपिक:भारत को चौथा गोल्ड, बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को हराया; मनोज सरकार ने जीता ब्रॉन्ज
टोक्यो04 सितंबर।टोक्यो पैरालिंपिक में 11वें दिन भारत को दो गोल्ड सहित चार मेडल मिले। भारत की शुरुआत अच्छी रही। तीन बैडमिंटन खिलाड़ी फाइनल में पहुंचने में सफल हुए। भारत के लिए शनिवार को पहला गोल्ड शूटिंग के एसएच-1 कैटेगरी के 50 मीटर पिस्टल में मनीष नरवाल ने जीता, वहीं दूसरा गोल्ड बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत ने SL3 कैटेगरी में जीता। वहीं शूटिंग में सिंहराज अधाना ने सिल्वर मेडल जीता। मनोज सरकार ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज मेडल जीता।
प्रमोद भगत ने SL3 कैटेगरी के फाइनल में ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को 21-14, 21-17 से हरा दिया। इसी SL3 कैटेगरी में मनोज सरकार ने भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता। उन्होंने तीसरे स्थान के लिए हुए मुकाबले में जापान के दाइसुके फॉजीहारा को 22-20, 21-13 से हराया।
SL3 कैटेगरी में मनोज सरकार ने भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता।
भारत ने 17 मेडल किए अपने नाम
अब भारत के टोक्यो में 17 मेडल हो चुके हैं। अब तक 53 साल में 11 पैरालिंपिक्स में 12 मेडल आए। 1960 से पैरालिंपिक हो रहा है। भारत 1968 से पैरालिंपिक में भाग ले रहा है। वहीं 1976 और 1980 में भारत ने भाग नहीं लिया था। टोक्यो में अब तक 4 गोल्ड, 7 सिल्वर और 6 ब्रॉन्ज मेडल मिले हैं।
रविवार को इनसे हैं मेडल की उम्मीद
पहली बार पैरालिंपिक में शामिल बैडमिंटन में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा। प्रमोद के अलावा एसएल-4 में नोएडा के डीएम सुहास यथिराज और एसएच-6 कैटेगरी में भी कृष्णा नागर फाइनल में पहुंचकर मेडल पक्का कर चुके हैं। दोनों का फाइनल मुकाबला रविवार को हाेगा। वहीं पलक कोहली और प्रमोद भगत से मिक्स्ड इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतने की उम्मीद है।
क्या होता है एसएल-3 कैटेगरी
SL3 कैटेगरी में बैडमिंटन खिलाड़ी स्टैंडिंग पॉजिशन में खेलते हैं। हालांकि, उनके एक या दोनों पैर में गंभीर कमजोरी होती है।
कृष्णा ने सेमीफाइनल में वर्ल्ड नंबर-5 को हराया
कृष्णा ने सेमीफाइनल में ग्रेट ब्रिटेन के वर्ल्ड नंबर -5 क्रिस्टन कूंब्स को 21-10, 21-11 से हराया। इसके साथ ही उन्होंने बैडमिंटन में कम से कम सिल्वर मेडल पक्का कर लिया। इसके साथ ही तीन खिलाड़ी बैडमिंटन के फाइनल में पहुंचे हैं।
क्या होता है एचएच-6 कैटेगरी
एचएच-6 कैटेगरी में वह खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं जिनकी लंबाई नहीं बढ़ती। कृष्णा को इस बारे में तब पता चला वह महज दो साल के थे। उन्होंने खुद को पूरी तरह खेल को समर्पित कर दिया। वे हर रोज घर से 13 किमी दूर स्टेडियम जाकर ट्रेनिंग किया करते जिसका फल उन्हें आज मिल रहा है।
शूटिंग फाइनल में मनीष ने 209.1 स्काेर किया
मनीष ने फाइनल में 209.1 का स्कोर किया, जबकि सिंहराज ने 207.3 स्कोर का सिल्वर मेडल जीता। इससे पहले अधाना क्वॉलिफिकेशन राउंड में 536 अंकों के साथ चौथे स्थान पर थे, जबकि नरवाल 533 अंकों के साथ सातवें स्थान पर थे। अधाना 10 मीटर एयर पिस्टल में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं।
प्रमोद ने फुजिहारा को हराया
प्रमोद ने सेमीफाइनल में जापान के फुजिहारा डाइसुके को 21-11, 21-16 से हराकर फाइनल में जगह बनाई। वहीं सुहास ने इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को 21-9, 21-15 से हराया। इसके साथ ही टोक्यो में भारत के 18 मेडल हो जाएंगे। सुहास नोएडा के DM हैं। इससे पहले भी वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए मेडल जीत चुके हैं।
प्रमोद ने सेमीफाइनल में जापान के फुजिहारा डाइसुके को 21-11, 21-16 से हराकर फाइनल में जगह बनाई
प्रमोद ने सेमीफाइनल में जापान के फुजिहारा डाइसुके को 21-11, 21-16 से हराकर फाइनल में जगह बनाई
सुहास फाइनल में रविवार को भिड़ेंगे
सुहास यतिराज एसएल-4 कैटेगरी में गोल्ड मेडल के लिए लिए मजूर लुकास से भिड़ेंगे। फाइनल मैच रविवार को खेला जाएगा। वहीं इसी कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल के लिए तरुण ढिल्लो इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान से भिड़ेंगें
टोक्यो पैरालंपिक में भारत के लिए मेडलों की बारिश, अब तक कुल 17 पदक
भारत के प्रमोद भगत ने शनिवार को पैरालंपिक खेलों गोल्ड मेडल जीत कर इतिहास रच दिया. पैरालंपिक खेलों के बैडमिंटन मुक़ाबले में गोल्ड जीतने वाले वो पहले भारतीय बन गए हैं.
उनके अलावा, बैंडमिंटन में ही मनोज सरकार ने भी मेडल हासिल किया. उन्होंने ब्रॉन्ज़ मेडल अपने नाम किया है.
इसके साथ ही अब टोक्यो पैरालंपिक में भारत के कुल 17 मेडल हो गए हैं. इनमें चार गोल्ड मेडल, सात सिल्वर मेडल और छह ब्रॉन्ज़ मेडल हैं. पैरालंपिक खेलों के इतिहास में भारत का यह अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है.
अपने इस प्रदर्शन के साथ पदक तालिका में भारत 26वें स्थान पर पहुंच गया है. 93 गोल्ड मेडल के साथ कुल 199 मेडलों के साथ चीन पहले जबकि 41 गोल्ड के साथ कुल 122 मेडल लेकर ब्रिटेन दूसरे स्थान पर बना हुआ है
गोल्ड मेडल विजेता
इस पैरालंपिक खेलों में भारत ने जो चार गोल्ड मेडल हासिल किए हैं, उनमें से दो शूटिंग में मिले हैं. बाकी के दो मेडल जैवलिन थ्रो और बैडमिंटन में मिले हैं.
निषाद कुमार को हाई जंप (टी-47) में सिल्वर मेडल मिला है.
इस बार देश के लिए सबसे पहला गोल्ड मेडल अवनि लेखारा ने महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफ़ल शूटिंग मुक़ाबले में हासिल किया था.
दूसरा गोल्ड मेडल सुमित एंटिल ने भाला फेंकने में प्राप्त किया.
इसके बाद मनीष नरवाल ने 50 मीटर पिस्टल की शूटिंग प्रतियोगिता में तीसरा तो आज प्रमोद भगत ने बैडमिंटन में देश के लिए चौथा गोल्ड मेडल सुनिश्चित किया.
गोल्ड मेडल के लिहाज से भारत का इससे पहले का सबसे बढ़िया प्रदर्शन 2016 के रियो पैरालंपिक में था.
उस समय, भारत को दो गोल्ड मेडल और कुल चार मेडल मिले थे. वहीं 2016 के पहले देश को कुल मिलाकर केवल दो ही गोल्ड मेडल हासिल हुए थे.
इसका मतलब यह हुआ कि 2020 के पहले तक भारत ने पैरालंपिक खेलों के इतिहास में कुल चार गोल्ड मेडल प्राप्त किए थे. टोक्यो पैरालंपिक खेलों में अब तक प्राप्त हुए 4 गोल्ड मेडल को इस लिहाज से भारत का सबसे बढ़िया प्रदर्शन कहा जाएगा.
सिल्वर मेडल
टोक्यो पैरालंपिक खेलों में भारत ने अब तक कुल 7 सिल्वर मेडल प्राप्त किए हैं. इनमें से एथेलेटिक्स में सबसे ज्यादा 5 सिल्वर मेडल मिले हैं, जबकि एक-एक मेडल टेबल टेनिस और शूटिंग में मिला है.
हालांकि भारत ने 2020 खेलों के पहले तक जितने भी पैरालंपिक मेडल हासिल किए थे, उनमें सिल्वर मेडल की कुल संख्या केवल 4 ही थी. इनमें से दो 1984 के खेलों में मिले थे, जबकि एक-एक 2012 और 2016 के पैरालंपिक खेलों में प्राप्त हुए थे.
इस बार देश के लिए सबसे पहला सिल्वर मेडल टेबल टेनिस के एकल मुक़ाबले में भाविना पटेल ने जीता था. उनके बाद निषाद कुमार ने हाई जंप में, तो योगेश कथुनिया ने चक्का फेंक प्रतियोगिता में सिल्वर हासिल किया.
देंवेद्र झाझरिया ने भाला फेंकने में सिल्वर प्राप्त किया. इसके बाद, मरियप्पन थंगावेलू और प्रवीण कुमार दोनों ने हाई जंप में सिल्वर मेडल अपने और देश के नाम किए.
शूटिंग के 50 मीटर पिस्टल मुक़ाबले में सिंहराज अढ़ाना ने भी एक सिल्वर मेडल प्राप्त किया है.
ब्रॉन्ज़ मेडल
2020 के पैरालंपिक खेलों में देश की झोली में अब तक 6 ब्रॉन्ज़ मेडल आए. इनमें से एथेलेटिक्स और शूटिंग में दो-दो, आर्चरी और बैडमिंटन में एक-एक ब्रॉन्ज़ हासिल हुए हैं.
सबसे पहले सुंदर सिंह गुर्जर ने भाला फेंकने में ब्रॉन्ज़ मेडल प्राप्त किया, तो सिंहराज अढ़ाना ने शूटिंग के 10 मीटर एयर पिस्टल मुक़ाबले में ब्रॉन्ज़ अपने नाम किया. सिंहराज ने उसके बाद शूटिंग के 50 मीटर पिस्टल मुक़ाबले में भी सिल्वर मेडल हासिल किया.
उसके बाद शरद कुमार ने हाई जंप में तो अवनि लेखारा ने शूटिंग के 50 मीटर राइफ़ल मुक़ाबले में ब्रॉन्ज़ मेडल प्राप्त किया.
इस तरह इस बार के पैरालंपिक खेलों में अवनि लेखारा और सिंहराज अढ़ाना दो ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपने-अपने नाम दो मेडल किए हैं.
आर्चरी में हरविंदर सिंह ने तो बैडमिंटन में मनोज सरकार ने भी इस बार ब्रॉन्ज़ मेडल हासिल किया है.
हालांकि टोक्यो के पैरालंपिक खेलों के ख़त्म होने में अभी दो दिन बाक़ी हैं.
अगले दो दिनों में चाहे जो हो यह तो साबित हो चुका है कि इस बार टोक्यो में हुए दोनों तरह के ओलंपिक भारत के इतिहास के सबसे बेहतर आयोजन साबित हुए हैं.
नरेंद्र मोदी ने मनीष को दी बधाई
टोक्यो में मनीष नरवाल ने भारत को तीसरा गोल्ड मेडल दिलाया। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करके उन्हें बधाई दी है। मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा कि शानदार उपलब्धि के लिए आपको बधाई। आपका यह गोल्ड भारतीय खेल के लिए विशेष महत्व रखता है।
हरियाणा सरकार ने नरवाल को 6 करोड़ रुपए देने की घोषणा की
हरियाणा सरकार ने टोक्यो में गोल्ड मेडल जीतने वाले हरियाणा के फरीदाबाद निवासी मनीष नरवाल को 6 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है, वहीं सिल्वर मेडल जीतने वाले सिंहराज को 4 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है।
बैडमिंटन में 7 खिलाड़ी गए, 3 फाइनल में
पैरालिंपिक में पहली बार बैडमिंटन को शामिल किया गया है। भारत से सात खिलाड़ी भाग लिए। इनमें से 6 खिलाड़ी विभिन्न कैटेगरी के सेमीफाइनल में पहुंचे। वहीं तीन खिलाड़ी फाइनल में पहुंचे। नोएडा के डीएम सुहास, प्रमोद भगत और कृष्णा नागर अपने-अपने कैटगिरी के फाइनल में पहुंचे। प्रमोद भगत गोल्ड जीत चुके हैं, वहीं मनोज सरकार भी ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं। कृष्णा नागर और नोएडा के डीएम सुहास कम से कम सिल्वर पक्का कर चुके हैं और रविवार को फाइनल में भिड़ेंगे। वहीं तरुण कुमार के अलावा पलक कोहली को मिक्स्ड डब्ल्स में प्रमोद कुमार के साथ आखिरी दिन ब्रॉन्ज के लिए भिड़ेंगी। वहीं पारुल परमार पहले राउंड में बाहर हो गई थीं।