ट्विटर को भारतीय बाजार चाहिए, जिम्मेदारी नहीं
During Farmers Agaitation In 2021 Twitter India Md Tried To Mislead Delhi Police By Mischievous Reply
ट्विटर के इंडिया एमडी ने 2021 में कैसे ‘शरारतभरे’ जवाब से की थी पुलिस को गुमराह करने की कोशिश, जानिए
राजशेखर झा
ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी ने भारत सरकार पर आरोप लगाए हैं कि किसान आंदोलन के दौरान ट्विटर को धमकियां दी गईं। हालांकि, उस दौरान कंपनी ने जांच एजेंसी को अपने शरारती जवाबों से गुमराह करने की कोशिश की थी। जो शख्स ट्विटर इंडिया को एमडी था, वह खुद के ट्विटर इंक का कर्मचारी होने से ही इनकार कर रहा था।
हाइलाइट्स
2021 में ट्विटर इंडिया के एमडी ने दिल्ली पुलिस को की थी गुमराह करने की कोशिश
मनीष माहेश्वरी के ईमेल आईडी में भी था @twitter.com लेकिन खुद को ट्विटर का कर्मचारी नहीं बताया
प्रॉपगेंडा वाले ट्वीट के स्रोत के बारे में जानकारी के लिए भेजे गए कई नोटिस का नहीं दिया जवाब
नई दिल्ली 14 जून: ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी चर्चा में हैं। भारत सरकार पर लगाए आरोपों को लेकर। ट्विटर को भारत में बंद करने और छापे मारने की धमकियों के आरोप। इसे लेकर जब हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने दिल्ली पुलिस से बात की तो उनका दावा डॉर्सी के दावों के ठीक उलट था। पुलिस से जुड़े सूत्रों ने बताया कि 2021 में ट्विटर के इंडिया मैनेजिंग डायरेक्टर मनीष माहेश्वरी से पूछताछ के लिए डीसीपी रैंक के सिर्फ एक अधिकारी बेंगलुरु गए थे। उसी साल दिल्ली में भी ट्विटर के दफ्तर पर पुलिस आखिरकार तब गई जब कंपनी के भेजे गए कई नोटिस का कोई जवाब नहीं मिला।
जब पुलिसवालों ने ‘किसानों के नरसंहार’ का दावा करने वाले झूठे और भड़काऊ ट्वीट्स के स्रोत के बारे में पूछा तो सोशल मीडिया कंपनी की तरफ कोई जवाब नहीं मिला। 21 मई 2021 को दिल्ली पुलिस ने ट्विटर से उसके प्लेटफॉर्ट पर शेयर हो रहे ‘टूलकिट’ के बारे में पूछा। उस समय पुलिस की एक रिपोर्ट में बताया गया, ”टूलकिट’ को लेकर दिल्ली पुलिस की जांच अभी चल ही रही थी कि ट्विटर खुद से नतीजे पर पहुंच गया और टूलकिट को ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ मार्क कर दिया। चूंकि ट्विटर टूलकिट से जुड़े तथ्यों और सामग्रियों से वाकिफ लग रहा था, लिहाजा दिल्ली पुलिस ने उसे जांच में शामिल होने और उसके पास जो सूचनाएं थीं, उन्हें साझा करने के लिए कहा।’
पुलिस अफसरों का कहना है कि जवाब में ट्विटर के इंडिया एमडी मनीष माहेश्वरी ने ‘शरारतपूर्ण’ जवाब दिया और ये कहकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की कि वह ट्विटर का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। उसके बाद दिल्ली पुलिस ने तीन और नोटिस भेजे और फिर ट्विटर के गुड़गांव दफ्तर पहुंची। इन दौरान माहेश्वरी तरह-तरह के बहाने बनाते रहे मसलन अभी कोरोना है या वह इसके लिए सही व्यक्ति नहीं हैं।
पुलिस ने बताया, ‘ये एक विचित्र स्थिति थी जहां ट्विटर इंडिया के सबसे वरिष्ठ कर्मचारी और जो कई जगहों पर खुद को एमडी बताता हो, वह ये कह रहा था कि वह कंपनी का प्रतिनिधित्व नहीं करता और इसलिए जांच में सहयोग नहीं करेगा।’ पूछताछ रिपोर्ट में पुलिस ने कहा है कि ट्विटर ने जानबूझकर अपारदर्शी तरीका अपनाया ताकि वह इंडियन मार्केट के सारे फायदों का दोहन तो करे लेकिन किसी भी तरह की जिम्मेदारी से बच जाए।
आखिरकार माहेश्वरी से मिलने के लिए 31 मई को पुलिस बेंगलुरु पहुंची। लेकिन उन्होंने गुमराह करने की कोशिश की। माहेश्वरी ने दावा किया कि वह TCIPL नाम की कंपनी के कर्मचारी हैं और उनके बॉस सिंगापुर के यू सासामोटो हैं। हालांकि, उनकी मेल आईडी के आखिर में @twitter.com था। जब पुलिस ने उनसे ये पूछा कि अगर आप ट्विटर के कर्मचारी ही नहीं हैं तो खुद को ट्विटर इंडिया का एमडी क्यों कहते हैं, इस पर माहेश्वरी ने कहा कि ये भारत के बिजनस सर्कल में मार्केट प्रैक्टिस के हिसाब से विज्ञापनदाताओं के बीच में उनका महज एक टाइटल है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है, ‘दिलचस्प बात ये है कि माहेश्वरी ने कबूल किया कि TCIPL के कर्मचारियों को ट्वीट्स को लेकर शिकायतें मिलती हैं और वे उन्हें ट्विटर हेल्प को बढ़ा देते हैं। इस तरह उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि उन्हें पता था कि वे ट्विटर के साथ संपर्क में थे।’
शेयर पैटर्न के मुताबिक ट्विटर इंटरनैशनल कंपनी के पास 10000 शेयरों में से 9999 शेयर थे जबकि ट्विटर नीदरलैंड्स बीवी के पास 1 शेयर था। अफसरों ने बताया, पैटर्न से ये साफ हो जाता है कि ट्विटर इंक की पूर्ण स्वामित्व वाला सब्सिडियरी है और खुद को अलग बताने का ये पूरा मुखौटा सिर्फ धोखा देने भर के लिए था जो हमारे सामने ज्यादा नहीं चला।