सिलक्यारा समेत दो सुरंग आर-पार,बाबा बौखनाग मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा

Silkarya tunnel breakthrouh Uttarkashi Chardham pilgrims will benefit Baba Bauknag temple Pran pratishtha
बाबा बौखनाग मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा,उत्तरकाशी में सिलक्यारा टनल आर-पार,चारधाम यात्रियों के बचेंगें 26 किलोमीटर और समय,होगी सुविधा
सिलक्यारा टनल अभियान दुनिया का सबसे जटिल और लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन था। इससे जुड़े प्रत्येक व्यक्ति ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की। यह घटना तकनीकी और मानवीय संकल्प की वास्तविक परीक्षा थी।

ऐतिहासिक बना 16 अप्रैल, उत्तराखंड में देश के सबसे लंबे जानसू टनल का ब्रेकथ्रू, भारत में आज ही चली थी पहली रेल – TUNNEL BREAKTHROUGH IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में आज का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है. आज उत्तराखंड में दो टनलों का सफलतापूर्वक ब्रेकथ्रू हुआ.
Breakthrough of two tunnels in Uttarakhand
उत्तराखंड में दो टनल का ब्रेकथ्रू

पौड़ी/देहरादून 16 अप्रैल 2025 : उत्तराखंड के लिए आज दिन ऐतिहासिक रहा. आज प्रदेश में दो टनल का ब्रेकथ्रू हुआ है. इन दोनों कार्यों के लिए निर्माणाधीन एजेंसियों को दिन-रात एक करना पड़ा, जिसकी सफलता का आज  उत्सव मनाया गया. धामी सरकार भी इन दोनों टनल (सिलक्यारा और जानसू) के ब्रेकथ्रू को बड़ी उपलब्धि मान रही है. इन दोनों टनल को ब्रेकथ्रू करने क कई चुनौतियों पार करनी पड़ी, जिसके बाद ये घड़ी आई है. बता दें कि, साल 1853 में आज ही के दिन देश में पहली रेल बोरीबंदर से ठाणे के बीच चली थी. आज ही भारत देश की सबसे लम्बी ट्रांसपोर्टेशन टनल जानसू टनल का ब्रेकथ्रू भी हुआ है.

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉडगेज रेल परियोजना टनल ब्रेकथ्रू: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना में पौड़ी के देवप्रयाग और जनासू के बीच बन रही टी-8 और टी-8एम सुरंग में आज ब्रेकथ्रू हो गया है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौजूद रहे. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस चुनौतीपूर्ण परियोजना से जुड़े सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों और श्रमिकों को बधाई व शुभकामनाएं दी. इस दौरान पौड़ी गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी और मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत भी मौजूद रहे.


रेल मंत्री के साथ खुशी मनाते अधिकारी और कर्मचारी (Uttarakhand Information Department)
उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक पल:रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
यह उत्तराखंड की 14.57 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल परियोजना से जुड़ी है. परियोजना की टनल-8 भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग है. इसी सुरंग में पहली बार टीबीएम यानी टनल बोरिंग मशीन की सफलता मिली है. यह एक ऐतिहासिक पल था.
इस मौके पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे. उन्होंने खुद साइट पर जाकर इस पल को देखा.
यह हिमालयन रेल कनेक्टिविटी में एक बड़ी कामयाबी है.
रेल मंत्री का दौरा वहां काम करने वाले मजदूरों और अधिकारियों को प्रेरणा बना, जिन्‍होंने इस सफलता को दिन-रात मेहनत की थी.

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा  : आज बहुत ही ऐतिहासिक दिन है. आज भारत की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट टनल में टनल बोरिंग मशीन ने ब्रेकथ्रू किया है. जो रेलवे का ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट है, उसका मेजर सेक्शन है. ये बहुत की कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट है. इसमें दो टनल हैं, जो बराबर में जाती हैं. उसमें एक और बड़ी उपलब्धि ये है कि हिमालय में टनल बोरिंग मशीन की सफलता , एक बड़ा चैलेंज था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा बड़े टारगेट देते हैं और बड़े चैलेंजिंग काम हाथ में लेने को प्रेरणा देते हैं. टनल बोरिंग मशीन हिमालयी जूलॉजी में चलाना काफी कठिन काम था.

प्रधानमंत्री मोदी का संकल्प: टीबीएम हार्ड सरफेस होता है तो उसमें टनल बोरिंग मशीन आसानी से कार्य करती है. हिमालय यंग माउंटेन है, यहां पहले टीबीएम का अनुभव अच्छा नहीं था. तीन साल पहले रिसर्च किया गया दुनिया के सबसे अच्छे इंजीनियर के साथ बैठकर एक प्रयोग किया गया. टनल बोरिंग मशीन में ऐसे मॉडिफेशन किए गए, जो हिमालयी जूलॉजी में चल सके. दुनिया के टनल बनाने के तरीके से अलग हिमालय में टनल बनती है. जिसका नाम हिमालयी टनल मेथड है. ये बड़ी उपलब्धि है. देवभूमि के लोगों के लिए प्रधानमंत्री के संकल्प की ये बड़ी सिद्धि है.

गौर हो कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक पर देश की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट टनल थी. ये T-50 सुरंग 12.77 किमी लंबी है. जबकि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना में पौड़ी के देवप्रयाग और जनासू के बीच बन रही टी-8 और टी-8 एम सुरंग 14.57 किलोमीटर लंबी है.

सिलक्यारा टनल का सकुशल ब्रेकथ्रू  :  वहीं आज दूसरी ओर उत्तरकाशी जिले में स्थित सिलक्यारा टनल का भी ब्रेकथ्रू हो गया है. इस मौके पर टनल के निकट नवनिर्मित बाबा बौखनाग मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी हुई. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कार्यक्रम में भाग लिया. वहीं आज दूसरी ओर सिलक्यारा टनल का भी ब्रेकथ्रू हो गया है. इस मौके पर टनल के निकट नवनिर्मित बाबा बौखनाग मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी हुई.

चुनौतियों से पाया पार: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कार्यक्रम में भाग लिया.

सिलक्यारा टनल के निर्माण के दौरान कई चुनौतियां बनी रही और साल 2023 में टनल में मजदूर फंसने से देश-दुनिया में सिलक्यारा सुर्खियों में छाया रहा. दुर्घटना बाद 17 दिन तक 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे रहे. प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और सीएम धामी के कुशल मार्गदर्शन में सफलता पूर्वक मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया था. सिलक्यारा टनल 4.531 किलोमीटर लंबी दो लेन और दो दिशा वाली सुरंग है.

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन चर्चित सिलक्यारा टनल कामुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मौजूदगी में सफल ब्रेक थ्रू किया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि टनल के आरपार होने के बाद आने वाले समय में जल्द ही यहां से चारधाम यात्री वाहनों की आवाजाही शुरू होगी।

मुख्यमंत्री धामी ने सिलक्यारा टनल का नाम ‘बाबा बौखनाग’ के नाम पर किए जाने की घोषणा की ।सिलक्यारा टनल के आर-पार होने पर प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों, श्रमिकों को बधाई देते हुए मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यह ऐतिहासिक अवसर न केवल उन्नत इंजीनियरिंग की सफलता का प्रतीक है, बल्कि आस्था और समर्पण की शक्ति का जीवंत उदाहरण भी है।

उन्होंने कहा कि सिलक्यारा टनल बचाव  अभियान दुनिया का सबसे जटिल और लंबा बचाव अभियान  था। इससे जुड़े प्रत्येक व्यक्ति ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत  उदाहरण प्रस्तुत किया। यह घटना तकनीकी और मानवीय संकल्प की वास्तविक परीक्षा थी।

उन्होने कहा कि सभी ने एकजुट होकर इस अभियान को सफल बनाया। उन्होंने समस्त रेस्क्यू टीम, रैट माइनर्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सहयोगी संस्थाओं का भी इस अभियान को सफल बनाने में आभार व्यक्त किया।

भूस्खलन से चर्चा में आई थी सिलक्यारा टनल
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग 12 नवंबर 2023 में हुए भूस्खलन दुर्घटना बाद चर्चा में आई थी जिसमें 41 श्रमिक 17 दिन फंसे रहे। सघन बचाव अभियान से सभी श्रमिकों को सुरंग से सकुशल बाहर निकाला जा सका था। इसमें प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पल-पल का नेतृत्व संभाला। सिलक्यारा सुरंग चारधाम यात्रा की दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना है।

लगभग 853 करोड़ लागत की डबल लेन की इस सुरंग परियोजना की लंबाई 4.531 किलोमीटर है। सुरंग निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किलोमीटर कम हो जाएगी, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधा तो मिलेगी ही  समय की भी बचत होगी।

घर से पूजा सामग्री लेकर बाबा बौखनाग के मंदिर पहुंचे थे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
उत्तरकाशी में ब्रहम्खाल के सिलक्यारा पहुंचे मुख्यमंत्री   धामी अपने घर से ही पूजा सामग्री लेकर बाबा बौखनाग मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल हुए। उन्होंने बाबा बौखनाग की विधिवत पूजा अर्चना कर बाबा बौखनाग से प्रदेश की खुशहाली और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।

उन्होंने कहा कि जब सुरंग के मुख पर बाबा बौखनाग को विराजमान किया गया, तभी फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाला जा सका था। तब उन्होंने बाबा बौखनाग का भव्य मंदिर बनाने की घोषणा की थी। आज मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से वह संकल्प भी पूरा हुआ है । श्रद्धालु भी बाबा बौखनाग का आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगें।

धामी ने कहा कि टनल निर्माण में 12 नवम्बर को अचानक हुए भूस्खलन में 41 श्रमिक फँस गए थे। तब देशभर से लोग इन श्रमिकों की कुशलता को ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे। उस अँधेरी सुरंग में, जहाँ उम्मीद की किरणें भी धूमिल हो रही थी, बाबा बौखनाग ने पहाड़ों के रक्षक के रूप में शक्ति और विश्वास का संचार किया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की ये घोषणाएं
1. सिलक्यारा टनल का नाम बाबा बौखनाग के नाम पर किये जाने की कार्यवाही की जायेगी।

2. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गेंवला-ब्रह्मखाल को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाया जायेगा।

3. बौखनाग टिब्बा को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किया जायेगा।

4. स्यालना के निकट हेलीपैड का निर्माण किया जायेगा।

 

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