रामपुर तिराहा कांड में पहला फैसला, पीएसी के दो सिपाही दोषी
Rampur Tiraha Incident: Judgment Today After 30 Years, retired Two PAC Constables Held Guilty And Know What Was Whole Incident
चर्चित रामपुर तिराहा कांड: PAC के दो रिटायर्ड सिपाहियों पर दोष सिद्ध,18 मार्च को होगी सज़ा,लूट,छेड़छाड़, सामूहिक दुष्कर्म,प्रमाण नष्ट करने और षड्यंत्र का था मुकदमा
मुजफ्फरनगर 15 मार्च 2024,। रामपुर तिराहा कांड में तीन दशक बाद फैसले की घड़ी नजदीक है। अदालत में पीएसी के दो सिपाहियों पर दोष सिद्ध हो गया। सजा के प्रश्न पर 18 मार्च को सुनवाई होगी।
देशभर को हिलाकर रख देने वाले रामपुर तिराहा कांड में पीएसी के दो सिपाहियों पर दोष सिद्ध हो गया है। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह सजा के प्रश्न पर 18 मार्च को सुनवाई करेंगें।
शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा,सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह और उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि मिलाप सिंह की पत्रावली में प्रकरण में फैसले के प्रश्न पर सुनवाई हुई।
अदालत ने दुष्कर्म के मामले में अभियुक्त पीएसी के रिटायर्ड सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप दोष सिद्ध पाये गये। 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए थे।
फिर याद आई सपा सरकार की हठधर्मिता और क्रूरता
मुजफ्फरनगर के चर्चित रामपुर तिराहा कांड में मिलाप सिंह विरुद्ध सीबीआई पत्रावली पर सुनवाई हुई जिसमें सामूहिक दुष्कर्म, लूट, छेड़छाड़ और षड्यंत्र रचने के मामले में पीएसी के दो सिपाहियों पर तीन दशक बाद दोष सिद्ध हुआ। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने सुनवाई की। सजा के प्रश्न पर सुनवाई के लिए 18 मार्च नियत की गई। दोनों दोषी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
वारदात के वक्त पीएसी में रहे आरोपित मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह अदालत में हाजिर हुए। सीबीआई की ओर से कुल 15 गवाह पेश किए गए।
अदालत ने दोनों आरोपितों पर दोष सिद्ध करते हुए सजा के प्रश्न पर सुनवाई के लिए 18 मार्च की तिथि नियत कर दी है। दोनों दोषियों को कड़ी सुरक्षा के बीच जिला कारागार भेज दिया गया।
यह था मामला
एक अक्तूबर, 1994 की रात अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। इनमें महिला आंदोलनकारी भी शामिल थीं। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया।
आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी।
रात करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बस रुकवा ली। दोनों दोषियों ने बस में चढ़कर महिला आंदोलनकारी के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म किया। पीड़िता से सोने की चेन और एक हजार रुपये भी लूट लिए थे। आंदोलनकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए। उत्तराखंड संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे।
एटा और सिद्धार्थ नगर के रहने वाले हैं दोनों दोषी
पीएसी गाजियाबाद में सिपाही मिलाप सिंह मूल रूप से एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होरची गांव का रहने वाला है। दूसरा आरोपित सिपाही वीरेंद्र प्रताप मूल रूप सिद्धार्थनगर के थाना पथरा बाजार के गांव गौरी का रहने वाला है।
छह धाराओं में हुआ दोष सिद्ध
दोनों अभियुक्तों पर धारा 376जी, 323, 354, 392, 509 व 120 बी में दोष सिद्ध हुआ।
एटा और सिद्धार्थ नगर के रहने वाले हैं दोनों दोषी
पीएसी गाजियाबाद में सिपाही मिलाप सिंह मूल रूप एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होर्ची गांव का रहने वाला है। दूसरा आरोपित सिपाही वीरेंद्र प्रताप मूल रूप सिद्धार्थनगर के गांव गौरी का रहने वाला है।