चुनाव में सहानुभूति पाने को यूकेडी प्रत्याशी ने हमले का सीन रचा,होगा मुकदमा

Uttarakhand: चुनाव से ठीक पहले यूकेडी प्रत्याशी ने खुद ही रचा था अपने पर हमले का प्रपंच, जांच में हुआ खुलासा

रूद्रप्रयाग 21 फरवरी। पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने बताया कि पुलिस जब मौके पर पहुंची तो पीड़ित व उसके साथी नहीं मिले। बल्कि पीड़ित द्वारा निजी चिकित्सालय में अपना उपचार कराया जा रहा था।

विस चुनाव के दौरान 12 फरवरी की रात्रि को रुद्रप्रयाग विस में उत्तराखंड क्रांतिदल के प्रत्याशी मोहित डिमरी पर हुए हमले को पुलिस ने झूठा करार दिया है। कहना है कि चुनाव में लाभ लेने के लिए प्रत्याशी द्वारा स्वयं यह प्रपंच रचा गया था। मामले की विवेचना पूरी करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 182 में अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। वहीं डिमरी ने पूरे घटनाक्रम की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। उन्होंने पुलिस पर सत्तापक्ष के दबाव में जांच करने का आरोप लगाया है।

यूकेडी प्रत्याशी ने चुनाव में लाभ लेने के उद्देश्य से स्वयं ही अपने पर हमले की घटना का अंजाम दिया है। 12 फरवरी की रात्रि को जवाड़ी बाईपास पर उनके द्वारा पत्थर से अपने वाहन को क्षतिग्रस्त किया गया और स्वयं पर हल्की चोटें भी लगाईं। पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने बताया कि पुलिस जब मौके पर पहुंची तो पीड़ित व उसके साथी नहीं मिले। बल्कि पीड़ित द्वारा निजी चिकित्सालय में अपना उपचार कराया जा रहा था।

हमले की सूचना पूरी तरह से भ्रामक

पुलिस द्वारा उन्हें जिला चिकित्सालय में लाया गया, जहां मेडिकल कराने के बाद कोतवाली रुद्रप्रयाग में मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि मामले की विवेचना पूरी कर दी गई है। विवेचना में यह बात स्पष्ट तौर पर सामने आई है कि यूकेडी प्रत्याशी द्वारा अपने ऊपर हुए हमले की सूचना पूरी तरह से भ्रामक है। उनके साथ किसी भी प्रकार की हमले की कोई घटना नहीं हुई है।

सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल्स सहित लोगों के बयानों में भी हमले की पुष्टि नहीं हो पाई है। प्रत्याशी द्वारा चुनाव में फायदा लेने व सहानुभूति प्राप्त करने के इरादे से यह कृत्य किया गया है। प्रत्याशी द्वारा स्वयं अपने वाहन के शीशे पत्थर से तोड़े गए और अपने पर कुछ हल्की चोटें लगाई गई।

पुलिस का कहना है कि चुनाव में सहानुभूति बटोरने के लिए झूठा क्राइम सीन तैयार किया गया. जो पूरी तरह झूठा है. पुलिस की मानें तो यह घटना झूठी और राजनीतिक लाभ लेने को गढ़ी गई है. वहीं, यूकेडी प्रत्याशी ने आरोप लगाया कि पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर जांच की है. उन्होंने अब इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.

बता दें कि बीते 12 फरवरी को चुनाव से ठीक पहले जवाड़ी बाईपास पर रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट से यूकेडी प्रत्याशी मोहित डिमरी पर कुछ अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया था. इस मामले में पीड़ित पक्ष की लिखित शिकायत पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की. पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने बताया कि जांच करने के बाद यह मामला झूठा और भ्रामक पाया गया. मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाते हुए न्यायालय को पेश कर दिया जाएगा. साथ ही बताया कि पुलिस को गलत सूचना देने पर आईपीसी की धारा 182 में कार्रवाई की जाएगी.वहीं, पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए यूकेडी प्रत्याशी मोहित डिमरी ने कहा कि हमें पहले ही अंदेशा था कि सत्ता पक्ष दबाव बनाते हुए जांच भटकाने का प्रयास करेगी.   डिमरी ने कहा कि हमले की निष्पक्ष सीबीआई जांच की जानी चाहिए. पुलिस ने विवेचना से पूर्व ही घटना को भ्रामक बता दिया, जबकि इस मामले में पूरी विवेचना होनी थी। हमले के प्रत्यक्षदर्शियों के मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 में बयान दर्ज नहीं किए गए. उन्होंने कहा कि हमें पुलिस की विवेचना पर संदेह  है.

एक बीजेपी नेता की ओर से पुलिस से जांच की मांग करते हुए घटना को तथाकथित बताया गया है. यही बीजेपी नेता पिछले दो दिनों से पुलिस के अधिकारियों से फोन पर वार्ता कर रहा था. इसकी कॉल डिटेल भी निकाली जानी जरूरी है. इन्हीं के दबाव में पुलिस ने घटना को झूठा बताया है. उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता उनकी राजनीतिक हत्या चाहते हैं. हमें पूरा यकीन है कि इन्हीं के कार्यकर्ताओं ने हमला किया था और अब कार्यकर्ताओं को बचाने को घटना को झूठा बताया जा रहा है.

मोहित डिमरी का कहना है कि पुलिस की जांच संदेह के घेरे में है. हम इसकी सीबीआई जांच की मांग करते हैं. उन्होंने पुलिस को गांव में शराब और पैसे बांटने की मौखिक सूचना दी थी, लेकिन पुलिस ने किसी को नहीं पकड़ा. बीजेपी का एक कार्यकर्ता शराब के साथ पकड़ा तो गया, लेकिन उसे तुरंत छोड़ दिया गया. उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष सरकारी मशीनरी का पूरा दुरुपयोग कर रही है. न्याय नहीं मिलता है तो इस पूरे मामले में उत्तराखंड क्रांति दल आंदोलन करेगी.यूकेडी प्रत्याशी ने सीबीआई से मामले की जांच करने की मांग करते हुए राष्ट्रपति को भी मामले में पत्र भेजने की बात कही है।

धारा 182 आईपीसी (IPC Section 182 in Hindi) – लोक सेवक को अपनी विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग दूसरे व्यक्ति की क्षति करने के आशय से झूठी सूचना देना

भारतीय दंड संहिता की धारा 182 के अनुसार, जो भी कोई किसी लोक सेवक को कोई ऐसी सूचना, जिसके निराधार होने का उसे ज्ञान या विश्वास है, इस आशय से देगा कि वह उस लोक सेवक को प्रेरित करे या यह सम्भाव्य जानते हुए देगा कि वह उस लोक सेवक को तद्द्वारा प्रेरित करे कि वह —
(क) कोई ऐसी काम करे या छोड़े जिसे वह लोक सेवक, यदि उसे उस संबंध में, जिसके बारे में ऐसी सूचना दी गई है, तथ्यों की सही स्थिति का पता होता तो न करता या छोड़ता, अथवा
(ख) ऐसे लोक सेवक की विधिपूर्ण शक्ति का उपयोग करे जिस उपयोग से किसी व्यक्ति को क्षति या क्षोभ हो,
तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दंड, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा ।

लागू अपराध
गैरकानूनी जनसमूह का सदस्य होना
सजा – छह महीने कारावास या एक हजार रुपए तक का आर्थिक दंड या दोनों ।
यह एक जमानती, गैर-संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

Offence : किसी लोक सेवक को गलत सूचना देना ताकि वह किसी भी व्यक्ति की चोट या झुंझलाहट को उसकी विधिसम्मत शक्ति का उपयोग कर सके

Punishment : 6 महीने या जुर्माना या दोनों

Cognizance : गैर – संज्ञेय

Bail : जमानतीय

Triable : कोई भी मजिस्ट्रेट

आई. पी. सी. धारा 182 अपराध : किसी लोक सेवक को गलत सूचना देना ताकि वह किसी भी व्यक्ति की चोट या झुंझलाहट को उसकी विधिसम्मत शक्ति का उपयोग कर सके

आई. पी. सी. की धारा 182 के मामले में 6 महीने या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

आई. पी. सी. की धारा 182 गैर – संज्ञेय है।

आई. पी. सी. की धारा 182 जमानतीय है।

आई. पी. सी. की धारा 182 के मामले को कोर्ट कोई भी मजिस्ट्रेट में पेश किया जा सकता है।

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