यूक्रेन युद्ध का असर:अभी 15 लाख , अंततः 70 लाख होंगे शरणार्थी, महिला-बच्चे होंगें अपराधियों के शिकार

Russia Ukraine War का ये असर यूक्रेन तो क्या, यूरोप ने भी नहीं सोचा होगा!

कीव 06 मार्च : रूस के हमले के बाद यूक्रेन में हालात बेहद खराब हो गए हैं। लोगों के पास न रहने के लिए घर बचा है और न ही खाना-पानी, ऊपर से मौत हर वक्त आसमान में मंडरा रही है। कुछ आपराधिक गिरोह इस मौके का फायदा उठा रहे है। युद्ध शुरू हुए 11 दिन हो चुके हैं और अनुमान है कि अब तक 15 लाख लोग देश छोड़कर जा चुके हैं। शरण के लिए मजबूर लोगों की इस भीड़ का इस्तेमाल ये गिरोह अपने फायदे के लिए कर रहे हैं और महिलाओं को वेश्यावृत्ति और गुलामी को मजबूर कर रहे हैं।

यूक्रेन में बिगड़े हालात, 70 लाख बनेंगे शरणार्थी, गंदे धंधे में धकेली जा रहीं महिलाएं

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यूक्रेन पर 11वें दिन भी रूस हमले जारी
अब तक 15 लाख लोग छोड़ चुके हैं देश
शरणार्थियों को गुलाम बनाने की है आशंका

यूक्रेन पर रूसी हमले ने एक हंसते खेलते देश को खंडहर में बदल दिया है. हालात ये है कि लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. न तो वहां खाना है और न ही पानी, ऊपर से जान पर मंडराता खतरा. लिहाजा, लोग देश छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं. परेशानी और मजबूरी के इस आलम में कुछ लोग इस मौके का फायदा उठाने के लिए सक्रिय हो गए हैं. देश छोड़कर भाग रहे लोगों को गुलाम बनाने और मानव तस्करी का शिकार बनाने की खबरें भी सामने आने लगी है.

दरअसल, यूक्रेन पर पिछले 11 दिन से रूस के हमले जारी है. दुनियाभर के देशों के प्रतिबंधों के बाद भी रूस झुकता नजर नहीं आ रहा है. इस युद्ध का असर ये हुआ है कि अब तक 15 लाख लोग देश छोड़कर जा चुके हैं. शरण के लिए मजबूर हो चुके लोगों की इस भीड़ का इस्तेमाल कुछ गिरोह अपने फायदे के लिए कर रहे हैं. बताया जाता है कि ये गिरोह देश छोड़कर भागे इन परेशान महिलाओं को वेश्यावृत्ति और गुलामी के लिए मजबूर कर रहे हैं.

ऐसे खुला मामला

खबरों के मुताबिक एक 27 वर्षीय यूक्रेनी महिला ने बताया कि देश से भागकर मेरी एक दोस्त पोलैंड गई थी. उसने मुझे बताया कि वह उसे उस शख्स ने मुफ्त में वरसॉ पहुंचाने का वादा किया, लेकिन जब वे वहां पहुंचे तो उसने उनसे पैसों की मांग करने लगा. महिला ने बताया कि पैसा नहीं देने पर वह मेरी दोस्त पर भड़क गया और कहने लगा कि वह उसकी कर्जदार है, जिसका भुगतान करने के लिए उसे उसके लिए काम करके करना पड़ेगा. उसने बताया कि इसके बाद मेरी दोस्त ने उसपर चिल्लाना शुरू कर दिया और वहां से भाग गई. उन्होंने कहा कि मेरा ये बताने का मकसद ये है कि हम सभी लोगों को ऐसे हालात के लिए सावधान करना चाहते हैं.

70 लाख लोगों के शरणार्थी बनने की है आशंका

युद्ध से यूक्रेन की बिगड़ती हालत को देखते हुए यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र को बड़े पैमाने पर यूक्रेन से लोगों के पलायन का डर सता रहा है.ऐसी आशंका है कि लगभग 70 लाख लोग यूक्रेन से पड़ोसी देशों, पोलैंड, माल्डोवा, रोमानिया, स्लोवाकिया और हंगरी में शरण ले सकते हैं. इतने बड़े पैमाने पर लोगों के पलायन होने से मानव तस्करी में भयानक रूप से बढ़ोतरी हो सकती है. डेलीमेल की खबर के मुताबिक लोगों के देश छोड़ने से इस बात का भी खतरा पैदा हो गया है कि ज्यादातर महिलाएं वेश्यावृत्ति, आपराधिक गतिविधियों और जबरन गुलामी के जंजाल में फंस सकती हैं.

महिलाएं और बच्चे बन रहे अपराधियों के शिकार

रिपोर्ट्स बता रहे हैं कि जिन देशों में शरणार्थी जा रहे हैं, वे वहां आपराधिक गिरोहों के केंद्र में हैं. अपराधी उन्हें ‘अमीर बनने के स्रोत’ के रूप में देख रहे हैं, जिनका फायदा वे आसानी से उठा सकते हैं. आपराधिक तत्व इस युद्ध को अपने आपराधिक धंधों के लिए सबसे मुफीद समय के तौर पर देख रहे हैं. लेकिन दुख इस बात का है कि उनके शिकार महिलाएं और बच्चे बन रहे हैं, क्योंकि पुरुषों को यूक्रेन छोड़ने से मना किया गया है और सेना में भर्ती होने के लिए कहा गया है.

इसलिए होती है मानव तस्करी

मानव तस्करी के इन मामलों में वेश्यावृत्ति के लिए यौन शोषण करना, जबरन श्रम करना और घरेलू दास रखना शामिल हैं. मादक पदार्थों और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय (UNODC) के आंकड़ों के अनुसार मानव तस्करी के नजर में आए मामलों में 72 प्रतिशत पीड़ित महिलाएं और बच्चे होते हैं.

ये देश हैं मानव तस्करी के सबसे बड़े शिकार

अमेरिकी रिपोर्ट में सोमालिया ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में लगातार 14 साल से सबसे ऊपर बना हुआ है. सिविल वॉर, नेचुरल डिजास्टर, नरसंहार, भूख, भीषण गरीबी जैसे कारणों के चलते कोई आश्चर्य नहीं कि यहां बहुत सारे लोग खुद ही ह्यूमन ट्रैफिकर्स के चंगुल में जा फंसते हैं. यहां 1991 से अराजकता फैली हुई है. देश के विभिन्न हिस्सों पर अलग-अलग लड़ाका गुटों का कब्जा है. यहां हालात इतने खराब है कि बहुत सारे मामलों में पेरेंट्स अपने बच्चों को ट्रैफिकर्स को सौंपने पर मजबूर हो जाते हैं.

गुलाम शब्द बोलते ही दो-चार सौ साल पहले का दौर याद आता है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि मानव इतिहास में सबसे ज्यादा गुलाम 21वीं सदी में हैं. खतरनाक बात ये है कि अब गुलाम सिर्फ अफ्रीका के ही नहीं होते, अब सारी दुनिया में गुलाम बनाए जा रहे हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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