अब बड़ी मछलियां : UKSSSC पूर्व अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक बंदी, जेल
UKSSSC : भर्ती परीक्षा धांधली पर बड़ी कार्रवाई, STF ने पूर्व चेयरमैन आरबीएस रावत सहित दो को किया गिरफ्तार
UKSSSC PAPER LEAK CASE STF ARRESTED THREE FORMER OFFICERS IN VPDO RECRUITMENT SCAM UTTARAKHAND
UKSSSC पेपर लीक: VPDO भर्ती घोटाले में तीन पूर्व अधिकारी गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजा जेल
2016 ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VPDO) भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने आयोग के तीन पूर्व अधिकारी आरबीएस रावत पूर्व चेयरमैन, सचिव मनोहर कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ्तार किया है. जिसके बाद तीनों आरोपित पूर्व अधिकारियों को देहरादून रिमांड कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है.
देहरादून 08 अक्टूबर: उत्तराखंड में भर्ती परीक्षाओं में हुई धांधलियों को लेकर सीएम धामी के जीरो टॉलरेंस नीति का पालन करते हुए उत्तराखंड एसटीफ ने बड़ी कार्रवाई की है. UKSSSC द्वारा 2016 ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VPDO) भर्ती घोटाले में एसटीएफ ने आयोग के तीन पूर्व अधिकारी आरबीएस रावत पूर्व चेयरमैन, सचिव मनोहर कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को किया गया है. जिसके बाद तीनों आरोपित पूर्व अधिकारियों को देहरादून रिमांड कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है.यह इस भर्ती परीक्षा प्रकरण में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है.
देहरादून गिरफ्तारी के बाद मेडिकल से लेकर कोर्ट में पेशी के लिए बैठे आरबीएस रावत व साथी पहले पुलिस टीम ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जिला ( कोरोनेशन ) अस्पताल में मेडिकल कराया गया था.
राज्य में भर्ती परीक्षाओं में हुई धाँधलियों पर मुख्यमन्त्री पुष्कर सिंह धामी के जीरो टॉलरेंस के सिद्धांत का पालन करते हुए उत्तराखंड एसटीएफ़ ने बड़ी कार्रवाई की है यूकेएससीसी की 2016 में कराई गई वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में धांधली की जाँच में आज आरबीएस रावत पूर्व चेयरमैन,सचिव मनोहर कन्याल,पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ़्तार कर लिया गया है । यह भर्ती परीक्षा प्रकरण में अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही है । 2016 के मामले में लंबे समय से जाँच चल रही थी लेकिन मुख्यमन्त्री के कड़े रुख़ के बाद जाँच एजेंसियों ने भी तेज़ी दिखाई। मुख्यमंत्री धामी पिछले कई अवसरों पर बार – बार कह रहे हैं कि वो अपने युवा भाई बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार का जो दीमक लगा है उसे वे जड़ से मिटा देंगे। इस क्रम में वीपीडीओ भर्ती में 6 वर्ष बाद विधिसम्मत कार्यवाही कर मुख्यमंत्री ने एक बड़ी लकीर खींच दी है। मुख्यमंत्री धामी ने एसटीएफ की कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि *“ जाँच एजेंसिया अपना काम कर रही हैं। उत्तराखंड के युवा का हक़ मारने वाले किसी भी दोषी को छोड़ेंगें नहीं।सरकार सुनिश्चित कर रही है कि भविष्य की सभी भर्ती परीक्षाएँ स्वच्छ और पारदर्शी हो। आज की कार्रवाई इस बात की मिसाल है कि भविष्य में कोई इन परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत न कर सकेगा “*
UKSSSC द्वारा 2016 में कराई गई वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में धांधली की जाँच के दौरान दोषी पाए जाने पर आज पूर्व चेयरमैन आरबीएस रावत, सचिव मनोहर कन्याल, पूर्व परीक्षा नियंत्रक आरएस पोखरिया को गिरफ़्तार कर लिया गया है।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) October 8, 2022
परीक्षा 6 मार्च 2016 को समस्त 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों हुई थी। परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों ने प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया था । 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ था. परीक्षा में धांधली को लेकर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन ने तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की थी। जांच समिति की प्रेषित आख्या के आधार पर सम्यक विचारोपरांत एवं उच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में इस परीक्षा में अनियमितताओं की पुष्टि होने के कारण परिणाम निरस्त किये गये । वर्ष 2019 में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग के निर्देशानुसार परीक्षा में अनियमितताओं के संबंध में जांच सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून को दी। वर्ष 2020 में सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून की खुली जांच में अनियमितताओं की पुष्टि होने पर सतर्कता अधिष्ठान देहरादून में मुकदमा अपराध संख्या 01/20 धारा 420/468/467/120B ipc व धारा 13 (1) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में अभियोग शासन की अनुमति से पंजीकृत हुआ।
अभियोग पंजीकृत होने पर वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक प्रकरण की विवेचना सतर्कता अधिष्ठान देहरादून ने की। वर्ष 2022 माह अगस्त में मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित हुई। एसटीएफ ने विवेचना आगे बढ़ाते हुए साक्ष्य संकलन किया। पूर्व में जांच कमेटी ने परीक्षा संबंधी ओएमआर शीट FSL को भेजी जहां OMR शीट में छेड़छाड़ की पुष्टि हुई ।विवेचना में यह भी पाया गया कि परीक्षा संबंधित ओएमआर स्कैनिंग/फाइनल रिजल्ट तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर बनाया गया था । विवेचना में अभी तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थी चिन्हित कर उनके बयान एसटीएफ ने अंकित किये हैं। कई महत्वपूर्ण गवाहों के बयान न्यायालय में भी कराए जा चुके हैं जो केस के महत्वपूर्ण साक्ष्य है ।विवेचना में पूर्व में तीन अभियुक्त (1) मुकेश कुमार शर्मा (2) मुकेश कुमार (3) राजेश पाल को एसटीएफ गिरफ्तार कर चुकी है। एसटीएफ ने पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर आज 8 अक्टूबर 2022 को
(1) तत्कालीन अध्यक्ष UKSSSC डॉक्टर रघुवीर सिंह रावत (पुत्र स्वर्गीय श्री दुर्गा सिंह रावत निवासी 188/1ऑफिसर सोसायटी वसंत विहार देहरादून )
(2) तत्कालीन सचिव UKSSSC मनोहर सिंह कन्याल पुत्र प्रताप सिंह कन्याल निवासी वन 169/2 वन विहार शिमला बायपास देहरादून (वर्तमान पद- सँयुक्त सचिव लेखा सचिवालय देहरादून)
(3 ) तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक UKSSSC राजेंद्र सिंह पोखरिया (पुत्र स्वर्गीय श्री प्रेम सिंह पोखरिया निवासी 1/29कृष्ण पुरम माजरी माफी आईआईपी मोहकमपुर देहरादून) को पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तार किया गया है और न्यायालय में पेश किया जा रहा है
मेडकिल के बाद कोर्ट पहुंचे आरबीएस रावत व 2 अन्य आरोपित
यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले में अब अब तक उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के 40 आए अधिक आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
2016 को करवाई गई थी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा
आयोग की ओर से बीते छह मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई थी। परीक्षा सभी 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई थी। परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों ने प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया था। 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ था।
2017 में गठित की गई थी जांच समिति
परीक्षा में धांधली के मद्देनजर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की गई थी।
वर्ष 2019 में अनियमितताओं की पुष्टि होने पर विजिलेंस की ओर से मुकदमा दर्ज किया गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के निर्देश के बाद इसी साल अगस्त महीने में विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित हुई।
कब क्या हुआ
1-उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा दिनांक 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी चयन परीक्षा करवाई गई
2-परीक्षा 6 मार्च 2016 को समस्त 13 जनपदों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई थी
3-परीक्षा में कुल 87196 परीक्षार्थियों द्वारा प्रतियोगी परीक्षा में भाग लिया गया था
4-30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था
5-परीक्षा में धांधली के मद्देनजर विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन ने तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति वर्ष 2017 में गठित की
6-परीक्षा में अनियमितताओं की पुष्टि होने के कारण परिणाम निरस्त किया गया
7-वर्ष 2019 में सचिव कार्मिक एवं सतर्कता अनुभाग के निर्देशानुसार उक्त परीक्षा में हुई अनियमितताओं के संबंध में जांच सतर्कता अधिष्ठान सेक्टर देहरादून को प्राप्त हुई
8-वर्ष 2020 में शासन की अनुमति उपरांत अभियोग पंजीकृत कराया गया
9-वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक उक्त प्रकरण की विवेचना सतर्कता अधिष्ठान देहरादून द्वारा की जा रही थी
10-वर्ष 2022 माह अगस्त में मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार एसटीएफ को विवेचना स्थानांतरित हुई
11-एसटीएफ ने विवेचना आगे बढ़ाते हुए साक्ष्य संकलन किया।
12-पूर्व में जांच कमेटी ने उक्त परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट एफएसएल भेजी, जिसमें ओएमआर शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी
13-यह पाया गया कि परीक्षा संबंधित ओएमआर स्कैनिंग/ फाइनल रिजल्ट बनाने का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था।
14-मामले में अब तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थी चिन्हित हुए हैं और उनके बयान एसटीएफ ने दर्ज किए हैं।
15-पूर्व में तीन अभियुक्त मुकेश कुमार शर्मा, मुकेश कुमार और राजेश पाल को एसटीएफ गिरफ्तार कर चुकी है
16-आज आठ अक्टूबर 2022 को एसटीएफ ने तीन बड़ी गिरफ्तारियां की।
पांच के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की शासन से मांगी अनुमति
वहीं यूकेएसएसएससी से पिछले सात सालों में करवाई गई भर्तियों में गड़बड़ी के मामले में आयोग के सचिव संतोष बड़ौनी, पूर्व परीक्षा नियंत्रक नारायण सिंह डांगी व तीन अनुभाग अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। जांच के बाद विजिलेंस ने शासन को पत्र लिखकर पांचों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की शासन से अनुमति मांगी है।
अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध
इस मामले में कई अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई जा रही है। विजिलेंस अधिकारियों के अनुसार इन सात सालों में आयोग की ओर से 88 परीक्षाएं आयोजित हुई हैं। यह परीक्षाएं आरएमएस टेक्नो सोल्यूशंस की ओर से करवाई गई हैं।
कंपनी का रिकॉर्ड खराब होने पर भी आयोग अधिकारियों ने इसी कंपनी से 88 परीक्षाएं करवा दीं। अनियमितता पाए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी गई है।