गैरजिम्मेदारी:राष्ट्रपति के उत्तराखंड प्रवास में ऐसी प्रशासनिक लापरवाही!
देहरादून 26 नवंबर। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का 28-29 नवंबर का उत्तराखंड प्रवास एक शीर्ष स्तर का संवेदनशील और महत्वपूर्ण अवसर है जिसकी अपनी सुरक्षा चुनौतियां होती हैं। इसके लिए प्रमाणिक,योग्य उपलब्ध अधिकारियों को विभिन्न दायित्व सौंपे जाते हैं जिसे चयनित अधिकारी स्वभावतः अपना सौभाग्य और गर्व का विषय समझते हैं। जाहिर है,इन अधिकारियों का चयन जिलाधिकारी अपने विश्वस्त योग्य अधीनस्थों की मदद से करते हैं।
राष्ट्रपति मुख्यत: हरिद्वार में कुछ कार्यक्रमों में भाग लेंगे। उनका हैलीकॉप्टर रायवाला और एम्स ऋषिकेश से उड़ान भरेगा और उतरेगा। इसलिए देहरादून जिला प्रशासन ने भी उसी के अनुसार व्यवस्थायें की हैं। इसमें जिले के चार उच्चाधिकारियों को राष्ट्रपति, उनके परिजनों और स्टाफ की गरिमा और सुविधा के लिए लाईजन अफसर बनाया गया है। इनके साथ तीन अधिकारियों को आपात स्थिति में अतिरिक्त रूप से यहीं जिम्मेदारी दी गई। इसके लिए इन सबको आवश्यक प्रशिक्षण के अलावा कोविड परीक्षण के आदेश हो गये।
ये आदेश जिलाधिकारी डॉक्टर राजेश कुमार के हस्ताक्षरों से हुए जो। प्रोटोकॉल अधिकारी जिले के अपर जिलाधिकारी डॉक्टर शिव कुमार बरनवाल है लेकिन हैरानी यह कि डॉक्टर बरनवाल को इस बात का संज्ञान तक नहीं है कि उनके कार्यालय ने आरक्षित अधिकारियों में अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय की उपनिदेशक श्रीमती गीतांजलि शर्मा गोयल का नाम भी जोड़ दिया गया है जो 15 नवंबर से 27 दिन के लिए सीसीएल ( बच्चे की देखभाल को छुट्टी) पर चल रही है। उन्हे आदेश वाट्स एप पर मिला और प्रशिक्षण लेने को कहा गया। उन्होंने प्रशिक्षण ले भी लिया लेकिन उन्हें कोविड परीक्षण की अनिवार्यता की जानकारी सहयोगी अधिकारियों से मिली।
यहां कुछ सवाल बनते हैं-
(1) जिलाधिकारी किसी निदेशालय की अधिकारी को आदेश दे सकते हैं?
(2) सीसीएल पर चल रही महिला अधिकारी का उस दत्तचित्तता और एकाग्रता से कर्तव्य निर्वहन के लिए चयन उचित है जिसका आधा ध्यान घर पीछे छूटे बच्चे की ओर होगा?
(3) कहीं ऐसा तो नहीं कि अपर जिलाधिकारी और जिलाधिकारी के हस्ताक्षर अधीनस्थ कार्मिकों ने बिना तथ्य बताये ड्यूटी पर लगाऐ अफसरों की सूची पर करा लिये? अंतिम आशंका इसलिए उचित प्रतीत होती है क्योंकि डॉक्टर बरनवाल इस स्थिति से स्वयं को अनभिज्ञ बता रहे हैं।
(4) राष्ट्रपति के प्रवास को लेकर इस प्रकार की घास काटने के मुहावरे को चरितार्थ करती लापरवाही क्षम्य है? इस स्थिति की ओर समय रहते दुरूस्त नहीं किया गया तो आज छुट्टियों पर चल रही अफसर की ड्यूटी लगाई गई कल किसी रिटायर या मृत अफसर की ड्यूटी लग जायेगी।