सोशल मीडिया का नियमन जरुरी: ज्ञान चंद गुप्ता
एनयूजेआई कार्यकारिणी समापन सत्र में बोले हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता
‘सोशल मीडिया के लिए कानून अपर्याप्त’
चंडीगढ़, 14 नवंबर।हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि सूचनाओं के आदान-प्रदान में सोशल मीडिया बहुत बड़ी चुनौती उभरकर सामने आया है क्योंकि इसमें तथ्यहीन सूचनाओं से समाज और देश का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए अभी कानून अपर्याप्त हैं और इन्हें ज्यादा धारदार बनाए जाने की जरूरत है।
गुप्ता ने रविवार को चंडीगढ़ के सेक्टर 26 स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल टीचर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च (एनआईटीटीटीईआर) में एनयूजेआई यानी नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए अपनी बात रखी।
देश के निर्माण में पत्रकारों की महती भूमिका को रेखांकित करते हुए हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष गुप्ता ने कहा कि निष्पक्षता और पारदर्शिता से विश्वास बनता है और यही विश्वास हमें दूर तक ले जाता है। उन्होंने कहा कि जब विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के साथ मीडिया मजबूत होगा तभी लोकतंत्र मजबूत होगा। देशभर से आये पत्रकारों को संबोधित करते हुए ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा, ‘समाज और देश निर्माण के लिए बिना किसी पूर्वाग्रह और धारणा बनाए हमें आगे आना होगा।’
इससे पहले एनयूजेआई के अध्यक्ष मनोज मिश्र एवं महासचिव सुरेश शर्मा ने पत्रकारों के समक्ष चुनौतियों और उनसे निपटने को लेकर हुई चर्चा का उल्लेख किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार जीतेंद्र अवस्थी ने किया।
इस मौके पर एनयूजेआई के पूर्व अध्यक्ष अशोक मलिक, सीजेआई अध्यक्ष अमरनाथ वशिष्ठ, महासचिव दुष्यंत पुंडीर एवं अवतार सिंह ने हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष को पत्रकारों के हितों को लेकर सरकार के नियमों में उदारता के लिए अनुरोध संबंधी एक ज्ञापन विधानसभा अध्यक्ष को सौंपा।
पत्रकारों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा एवं आगामी रणनीतियों के संबंध में विचार-विमर्श के साथ ही एनयूजेआई की यह दो दिवसीय कार्यकारिणी बैठक संपन्न हो गयी।
उत्तराखंड से बैठक में हरिद्वार से राष्ट्रीय सचिव सुनील दत्त पाण्डेय, प्रदेश अध्यक्ष बृजेन्द्र हर्ष, कार्यकारी अध्यक्ष गुलशन नैय्यर, देहरादून से प्रदेश महामंत्री रवीन्द्र नाथ कौशिक और कार्यकारिणी सदस्य राजकमल गोयल ने भी भाग लिया और बताया कि उत्तराखंड में पत्रकारिता का स्वरूप तथा चुनौतियां शेष भारत से भिन्न और विशिष्ट हैं।