उप्र में रही सीधी लड़ाई: भाजपा+ और सपा+ में बंट गये 95% तक वोट
UP Assembly result analysis: भाजपा-सपा में बंटी वोट की थाली, बाकी रहे खाली… समझिए यूपी में नतीजों का गणित
प्रेम शंकर मिश्रा
56% सीटों पर विजेता प्रत्याशियों को 45 से 70% तक वोट मिले। 40% से अधिक सीटों पर भाजपा और सपा गठबंधन में बंटे 80 से 95% तक वोट। 250 से अधिक सीटों पर सपा गठबंधन दूसरे नंबर पर रहा जबकि 115 सीटों पर भाजपा दूसरे नंबर पर रही।
लखनऊ: चुनाव के नतीजों को लेकर (UP Assembly result 2022) सियासी दल और विश्लेषक भले भ्रम में रहे हों, लेकिन वोटर का नजरिया एकदम साफ था। आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं। लड़ाई इतनी सीधी थी कि बूथ तक पहुंची वोट की थाली भाजपा और सपा गठबंधन में ही बंट गई, बाकी खाली हाथ ही रह गए। प्रदेश की 56% सीटों पर जीतने वाले प्रत्याशी को इस बार 45% से 70% तक वोट मिले। इसमें 79% सीटें भाजपा ने जीती हैं।
गठबंधन के साथ दो-तिहाई से अधिक सीटें जीतने वाली भाजपा ने अपने कुल वोट में 36 लाख से अधिक का इजाफा किया है। वहीं, सपा के कुल वोट 1.06 करोड़ अधिक बढ़े हैं। पिछली बार 1.92 करोड़ से अधिक वोट पाने वाली बसपा के खाते में अबकी महज 1.19 करोड़ वोट ही आए। पिछली बार 54 लाख से अधिक वोट पाने वाली कांग्रेस इस बार 21 लाख पर सिमट गई। इसका सीधा असर यह रहा कि वोट सपा और भाजपा गठबंधन के ही बीच बंटे।
सपा के सिर्फ दो उम्मीदवार को ही मिले 60% वोट
भाजपा गठबंधन ने जो 273 सीटें जीतीं, उनमें 177 सीटें ऐसी हैं जहां भाजपा उम्मीदवारों को 45% से अधिक वोट मिले। इनमें भी 83 सीटों पर भाजपा ने 50 से 60% के बीच वोट ने हासिल किए। 17 सीटों पर तो भाजपा के खाते में जनता ने 60% से अधिक वोट डाल दिए हैं। वहीं, सपा के दो उम्मीदवार ही 60% वोट हासिल कर सकें, जिसमें खुद सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव शामिल हैं। 115 सीटों पर भाजपा गठबंधन दूसरे तो 7 सीटों पर तीसरे स्थान पर रहा।
95% तक वोट दो उम्मीदवारों के बीच
लड़ाई इतनी कांटे की थी कि 40% से अधिक सीटों पर कुल पड़े वोटों में 85% से 95% तक वोट केवल भाजपा और सपा गठबंधन के बीच बंट गए। जहां त्रिकोणीय लड़ाई में 30% से 32% वोट मिलने पर जीत मिल जाती थी, वहीं इस बार 45% तक वोट पाकर उम्मीदवार हार गए। मसलन शामली सीट पर जीतने वाले रालोद उम्मीदवार को 48.46% वोट मिले। वहीं, हारने वाले भाजपा उम्मीदवार को 45.49% वोट मिले। शाहजहांपुर सीट से कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना जीते, वहां भी 90% से अधिक वोट सपा-बसपा में ही बंटे और बाकी की जमानत जब्त हो गई। कांग्रेस केवल रामपुर खास सीट पर 50% से अधिक वोट हासिल कर सकी, जहां उसकी उम्मीदवार आराधना मिश्रा को जीत मिली।
11 भाजपा प्रत्याशी 1 लाख+ वोट से जीते
सीधी लड़ाई के बीच भी 75 सीटें ऐसी थीं, जहां भाजपा की जीत का अंतर 40 हजार से अधिक रहा। 11 सीटों पर तो भाजपा के प्रत्याशी 1 लाख से भी अधिक वोटों से जीते। जबकि, सपा के 10 उम्मीदवारों की ही जीत का आंकड़ा 40 हजार के पार रहा। 90 हजार से अधिक के अंतर से शिवपाल सपा की ओर से सर्वाधिक वोटों से जीतने वाले उम्मीदवार रहे। नोएडा से भाजपा के उम्मीदवार पंकज सिंह को 70% वोट मिले, जो प्रदेश में सर्वाधिक है।
गैंगरेप से बदनाम हुए हाथरस से जीती बीजेपी
चुनाव की दिलचस्प बात यह रही कि जिन मुद्दों को उछालकर विपक्ष भाजपा के रास्ते में कांटे बिछा रहा था, वे मुद्दे उसके ही पांव में चुभ गए। मसलन, हाथरस में एक दलित युवती के साथ गैंगरेप के मामले ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी। इससे सरकार के इकबाल पर सवाल उठने लगे थे। भाजपा ने यह सीट 1 लाख से अधिक वोटों से जीती और भाजपा प्रत्याशी को 59% वोट मिले।
कुलदीप सेंगर के क्षेत्र में भी खिला ‘कमल’
उन्नाव में भाजपा विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर गैंगरेप व हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। विपक्ष ने योगी सरकार पर आरोपितों को बचाने का आरोप लगाया था। यहां से पीड़िता की मां को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्हें महज 1,555 वोट मिले। विजेता भाजपा उम्मीदवार को 52% के करीब वोट मिले।
लखीमपुर में भाजपा को मिले 53% वोट
किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 9 हत्याओं के मुद्दे ने भी खूब सुर्खियां बिटोरीं। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे पर पांच लोगों पर गाड़ी चढ़ाकर मार देने के आरोपों के बीच विपक्ष का हर बड़ा चेहरा यहां पहुंचने की होड़ में रहा। बावजूद इसके तिकुनिया जिस निघासन विधानसभा क्षेत्र में आता है, भाजपा न केवल उसे जीत गई, बल्कि, 53% वोटर उसके पाले में खड़े हुए।
सपा के गढ़ में बीजेपी को 47% वोट
मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र मैनपुरी की सीट भाजपा ने 47% वोट शेयर हासिल कर जीती। भाजपा का सूपड़ा साफ करने का दावा करने वाली स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ फाजिलनगर सीट पर जनता का जनादेश इतना साफ था कि वहां भाजपा उम्मीदवार को 51% वोट मिले। पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी के सुर भाजपा के खिलाफ ही मुखर थे, वहां की सारी सीटें भाजपा जीत गई।
बागियों ने दरकाई जमीन
भाजपा और सपा दोनों के लिए ही कुछ सीटों पर बागी भारी पड़े। बलिया की बैरिया सीट पर मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला 23 हजार वोट से हार गए। यहां टिकट कटने से बागी हुए सुरेंद्र सिंह को 28 हजार वोट मिले। खलीलाबाद से सपा उम्मीदवार जय चौबे 13 हजार वोट से हार गए। सपा के बागी सुबोध यादव के खाते में गए 25 हजार से अधिक वोट सपा पर भारी पड़ गए। कुशीनगर की खड्डा सीट से टिकट न पाने के चलते निर्दल लड़े विजय कुशवाहा दूसरे नंबर पर रहे, जबकि यहां सपा गठबंधन के प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई। तुलसीपुर में भी सपा की बागी जेबा रिजवान और महराजगंज में निर्मेष मंगल निर्दलीय लड़कर दूसरे नंबर पर रहे और सपा की उम्मीदों को ले डूबे। 77 सीटों पर सपा की हार का आंकड़ा 13 हजार वोटों से कम का रहा।