UPSC: उत्तराखंड की सदफ को 23वीं, वरुणा 38, शैलजा 61, निहारिका को 121 वीं रैंक
UPSC CSE Main Result 2020: सिविल सेवा परीक्षा में चमके उत्तराखंड के होनहार, हरिद्वार की सदफ चौधरी को मिली 23वीं रैंक
शुक्रवार को संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा-2020 का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया। इसमें उत्तराखंड के दर्जनभर युवाओं ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इस परीक्षा में हरिद्वार के भगवानपुर की सदफ चौधरी ने परीक्षा में 23वीं रैंक हासिल की है।
देहरादून 26 सितंबर। संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा में उत्तराखंड के युवाओं का डंका बजा है। भगवानपुर की सदफ चौधरी ने परीक्षा में 23वीं रैंक हासिल की है। संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा-2020 का फाइनल रिजल्ट जारी कर दिया है, जिसमें हर बार की तरह इस बार भी प्रदेश के होनहारों ने खुद को साबित किया है। तमाम चुनौतियों और अड़चनों से पार पाकर उन्होंने अपनी कामयाबी का लोहा मनवाया। ऊधमसिंह नगर की वरुणा अग्रवाल ने परीक्षा में 38वीं रैंक हासिल की है। वहीं नैनीताल की शैलजा पांडे ने 61वीं, मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल लेकिन बचपन से देहरादून में पली-बढ़ी निहारिका तोमर ने 121 वां स्थान, हरिद्वार के उत्कर्ष तोमर ने 172वीं, रामनगर के देवांश पांडे ने 201वीं, बागेश्वर के कांडा तहसील के भतोड़ा गांव निवासी सिद्धार्थ धपोला ने 293वीं और रानीखेत के जनौली गांव निवासी तुषार मेहरा ने 306वीं रैंक हासिल की है।
बेटी ने बढ़ाया मान, 23वीं रैंक प्राप्त कर लहराया परचम
हरिद्वार जिले की भगवानपुर तहसील के मोहितपुर गांव निवासी सदफ चौधरी ने 23वीं रैंक प्राप्त कर सफलता का परचम लहराया है। उन्होंने दिल्ली में रहकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। सदफ के पिता मोहम्मद इसरार ने उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक में क्लर्क की नौकरी से अपने करियर की शुरूआत की थी। वर्तमान में वह सहारनपुर जिले के नागल में उत्तरप्रदेश ग्रामीण बैंक में शाखा प्रबंधक के पद पर तैनात हैं। वह ज्यादातर अमरोहा जिले की तहसील जोया में रहे और वहीं पर अपने तीनों बच्चों की पढ़ाई लिखाई कराई। सदफ की एक छोटी बहन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस का कोर्स कर रही हैं। वहीं छोटे भाई जेएनयू में पढ़ाई कर रहे हैं।
महिला सशक्तीकरण को काम करेंगी वरुणा
सिविल सेवा परीक्षा में 38वीं रैंक हासिल करने वाली वरुणा का कहना है कि शिक्षा व महिला सशक्तीकरण उनकी प्राथमिकता होगी। नैनीताल रोड रुद्रपुर निवासी वरुणा ने जेसीज स्कूल से वर्ष, 2013 में इंटरमीडिएट में विज्ञान वर्ग में 95.4 फीसद अंक प्राप्त कर स्कूल में टाप किया था। इसके बाद वह पुणो में कानून की पढ़ाई करने चली गईं और वर्ष 2018 में कानून में स्नातक की डिग्री ली। दिल्ली में आइएएस की एक साल कोचिंग कर घर से ही तैयारी करने लगीं। तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा परीक्षा में 38वीं पोजीशन के साथ पास कर दिखाई।
नैनीताल की शैलजा पांडे 61वीं रैंक हासिल कर बनीं आईएएस
शैलजा ने एनआईटी हमीरपुर से इलेक्ट्रिक एंड इलेक्ट्रानिक्स में इंजीनियरिंग किया। इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस में सलेक्शन होने के बाद वह अहमदाबाद में प्रशिक्षण ले रही हैं।
शैलजा पांडे माता पिता के साथ
संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा का परिणाम घोषित हो गया है। नैनीताल की शैलजा पांडे की 61वीं रैंक आई है। शैलजा पांडे ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता दीप चंद्र पांडे और बीडी पांडेय अस्पताल नैनीताल में डॉक्टर शोभा पांडेय की बेटी हैं। शैलजा ने हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा में जिला टॉप किया था। वर्तमान में वह इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस (आईएएएस) की अहमदाबाद में ट्रेनिंग ले रही हैं।
दीप चंद्र पांडे ने बताया कि शैलजा की सिविल सेवा की परीक्षा में ऑल इंडिया में 61 वीं रैंक आई है। शैलजा ने एनआईटी हमीरपुर से इलेक्ट्रिक एंड इलेक्ट्रानिक्स में इंजीनियरिंग किया। इंडियन ऑडिट एंड अकाउंट सर्विस में सलेक्शन होने के बाद वह अहमदाबाद में प्रशिक्षण ले रही हैं। उन्होंने सेंटमेरी कान्वेंट स्कूल नैनीताल से 2011 में हाईस्कूल और 2013 में इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। दोनों ही परीक्षाओं में वह टॉपर रहीं और विद्यालय के रोल ऑफ मेरिट लिस्ट में उसका नाम दर्ज है। मूल रूप से मझेड़ा (प्रेमपुर) गरमपानी, नैनीताल निवासी शैलजा का परिवार वर्तमान में लोअर डांडा कंपाउंड जू रोड नैनीताल में रहता है। दीप चंद्र पांडेय के बेटे यथार्थ पांडे ने भी इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स से इंजीनियरिंग की है।
अनुशासन, आत्मविश्वास की बदौलत पाई सफलता
शैलजा ने बताया कि लगन, मेहनत, अनुशासन, आत्मविश्वास की बदौलत ही उन्होंने सफलता पाई है। उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं में सबसे पहले आत्मविश्वास जरूरी है। आप जिस क्षेत्र की तैयारी कर रहे हैं उस पर अपना खास फोकस रहना चाहिए। लगातार पढ़ाई जरूरी है लेकिन तय करना चाहिए कि क्या पढ़ें और कैसे पढें। विषय वस्तु पर ध्यान केंद्रित करें। पूरी पढ़ाई और प्रतियोगी परीक्षा के दौरान अनुशासित रहना जरूरी है। मेरी सफलता के पीछे माता-पिता, नानी रेवती लोहनी, नाना स्वर्गीय पूरन चंद्र लोहनी और मौसी हेमा लोहनी का भी आशीर्वाद है।
हरिद्वार के उत्कर्ष की 172 रैंक
धर्मनगरी के उत्कर्ष ने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 172 रैंक हासिल करके उत्तराखंड और हरिद्वार का नाम रोशन किया है। 2018 में भी उन्होंने 306 रैंक हासिल की थी और वर्तमान में वह देहरादून स्थित फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) में भारतीय वन सेवा (आईएफएस) की ट्रेनिंग ले रहे हैं। बेटे की इस उपलब्धि से उनके माता-पिता और अन्य परिजनों में खुशी की लहर है।
श्याम विहार कनखल निवासी होनहार उत्कर्ष ने 2018 में संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में 306 रैंक हासिल की थी। तब उनका चयन इंडियन रेवन्यू सर्विस में हुआ था, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया था। बाद में उनका चयन आईएफएस के लिए हुआ था। उन्हें उत्तर प्रदेेेश का कैडर मिला। वह फिलहाल देहरादून स्थित एफआईआर में ट्रेनिंग ले रहे हैं और भारत भ्रमण कर रहे हैं।
उत्कर्ष के पिता तेजवीर सिंह तोमर एसएमजेएन पीजी कॉलेज में कॉमर्स के एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उनकी मां डॉक्टर शशी प्रभा महिला विद्यालय सतीकुंड में प्राचार्य हैं। उनके पिता तेजवीर ने बताया कि उत्कर्ष शुरू से ही बहुत मेहनती रहा है। 2017 में उत्कर्ष का इंडियन रेलवे इंजीनियरिंग में भी चयन हुआ था, लेकिन उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। वह भेल हरिद्वार में भी कार्य कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि उत्कर्ष ने कक्षा 12 तक की पढ़ाई दिल्ली पब्लिक स्कूल रानीपुर से की। इसके बाद उन्होंने एनआईटी कुरुक्षेत्र से मैकेनिकल से बीटेक किया।
बागेश्वर के सिद्धार्थ धपोला ने पास की यूपीएससी की परीक्षा
उत्तराखंड के बागेश्वर में कांडा के भदौरा गांव के लाल सुपुत्र सिद्धार्थ धपोला ने लगातार तीसरी बार यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की है। सिद्धार्थ इस समय हैदराबाद में आईपीएस का प्रशिक्षण ले रहे हैं। इस बार उनकी रैंकिंग गिरी है। सिद्धार्थ के परिजनों के अनुसार सिद्धार्थ आईपीएस का प्रशिक्षण पूरा करेंगे। धपोला की उपलब्धि से उनका गांव और समूचा क्षेत्र गौरवांवित महसूस कर रहा है।
शुक्रवार को जारी यूपीएससी की परीक्षा में आईटीबीपी में इंस्पेक्टर के पद तैनात भदौरा गांव के विपिन चंद्र धपोला और मुन्नी धपोला के सुपुत्र सिद्धार्थ धपोला ने 294वीं रैंकिंग हासिल की है। सिद्धार्थ ने पिछली बार 163वीं ऑल इंडिया रैंकिंग से यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। उनका चयन आईपीएस के लिए हुआ है। उससे पहले सिद्धार्थ ने 255वीं रैंकिंग से यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। तब उनका चयन आईआरएस के लिए हुआ था।
रामनगर के देवांश ने दूसरी प्रयास में पाई सफलता
कानिया निवासी देवांश पांडेय ने यूपीएससी की परीक्षा 201वीं रैंक से पास की है। उन्होंने दूसरे प्रयास में यह सफलता पाई है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय भारत नंदन पांडेय के पौत्र देवांश ने प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल से ली। पंतनगर विश्वविद्यालय से उन्होंने कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया।
देवेश के पिता गोविंद बल्लभ पांडेय नैनीताल हाईकोर्ट में सेक्शन अधिकारी हैं। देवांश की सफलता पर परिवार में खुशी है। देवांश ने इस परीक्षा के लिए कोई कोचिंग नहीं ली थी। घर पर ही रह कर तैयारी की थी। देवांश के पिता ने कहा कि उनके बेटे ने इसके लिए काफी मेहनत की है और उसे इसका फल मिला है।
हल्द्वानी के तुषार ने भी पास की सिविल सेवा परीक्षा
हल्द्वानी शहर के तुषार मेहरा ने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा 306 रैंक हासिल कर उत्तीर्ण की है। मूलरूप से जैनोली (रानीखेत) निवासी शोभा मेहरा और गोविंद सिंह मेहरा के बेटे तुषार ने 12वीं की परीक्षा आर्मी स्कूल रानीखेत से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। यहां न्यू आवास विकास में रह रहे तुषार ने बताया कि उन्होंने आईआईटी रुड़की से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है। यूपीएससी की परीक्षा पहले ही प्रयास में उत्तीर्ण की है। तुषार के पिता राजकीय इंटर कालेज त्यूनराखेत (रानीखेत) से प्रवक्ता पद से सेवानिवृत्त हैं।
उनकी बहन चेतना गणित में पीएचडी कर रही हैं। भाई लॉ की पढ़ाई कर रहे हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया उनकी मौसी हैं। सफलता का श्रेय अपनी बहन चेतना मेहरा को देते हुए तुषार का कहना है कि लक्ष्य को साधने के लिए मेहनत जरूरी है। इसकी से सफलता जरूर मिलती है।
देहरादून की निहारिका ने बढ़ाया मान, हासिल की 121वीं रैंक
निहारिका मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले के द्वारीखाल के ग्राम जवाड़ की रहने वाली हैं। निहारिका ने बताया कि वह बचपन से परिवार के साथ दून में पली बढ़ी हैं।
देहरादून के इंद्रानगर (वसंत विहार) की रहने वाली निहारिका तोमर ने अखिल भारतीय सिविल सर्विसेज परीक्षा में 121वीं रैंक हासिल कर अपना, परिवार, स्कूल और प्रदेश का मान बढ़ाया है। निहारिका ने यह सफलता चौथे प्रयास में हासिल की है।
पिता केवी ओएनजीसी में शिक्षक
निहारिका मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले के द्वारीखाल के ग्राम जवाड़ की रहने वाली हैं। निहारिका ने बताया कि वह बचपन से परिवार के साथ दून में पली-बढ़ी हैं। उनके पिता केवी ओएनजीसी में शिक्षक हैं। मां रिंकी तोमर गृहिणि हैं। निहारिका ने वैकल्पिक विषय पॉलिटिकल साइंस एंड इंटरनेशनल रिलेशन के लिए तीन महीने दिल्ली में कोचिंग ली। इसके अलावा उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली।
निहारिका दो बहनों में छोटी हैं। निहारिका का कहना है कि उनके मम्मी-पापा ने हमेशा दोनों बेटियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उनकी धारणा है कि बेटियां भी बेटों की तरह होती हैं। वह भी कोई भी मुकाम हासिल कर सकती हैं।
चौथे प्रयास में 121वीं रैंक हासिल
निहारिका ने सातवीं कक्षा तक गौतम इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई की। आठवीं से 12वीं तक केवि ओएनजीसी में पढ़ाई की। उसके बाद पंतनगर विश्वविद्यालय से बीटेक किया। तीसरे प्रयास में वह इंटरव्यू से बाहर हो गई। फिर भी निहारिका ने हार नहीं मानी और चौथे प्रयास में 121वीं रैंक हासिल की।
निहारिका कहती हैं कि उनके मन में हमेशा से समाज के लिए कुछ खास करने की भावना है। इसलिए वह सिविल सर्विस में जाना चाहती थीं। उनकी पहली च्वाइस आईएएस और दूसरी आईपीएस बनने की है। निहारिका कहती हैं कि कोई भी काम असंभव नहीं ,बस इसके लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत होती है।