25 करोड़ के यूरेनियम के साथ दो बंदी
महाराष्ट्र एटीएस ने 7 किलो यूरेनियम के साथ दो युवकों को किया गिरफ्तार, पूरी कहानी जानकर रह जाएंगे हैरान
इस यूरेनियम की कीमत करीब 25 करोड़ आंकी जा रही है. एटीएस के अधिकारियों ने गुजरात के बिजनेसमैन बनकर आरोपितों से संपर्क किया और दोनों को दबोच लिया.
महाराष्ट्र एटीएस ने 7 किलो यूरेनियम के साथ दो युवकों को किया गिरफ्तार, पूरी कहानी जानकर रह जाएंगे हैरान
मुंबई 06 मई। महाराष्ट्र एटीएस ने 7 किलो यूरेनियम जैसे घातक पदार्थ के साथ दो युवकों को गिरफ्तार किया है. एटीएस के डीआईजी शिवदीप लांडे ने बताया कि ये दोनों ही आरोपित इस यूरेनियम को बेचने की फिराक में थे और ग्राहक की तलाश कर रहे थे. गिरफ्तार आरोपितों के नाम जिगर पंड्या और अबु ताहिर अफ़जल हुसैन चौधरी हैं. सूत्रों ने बताया कि जिगर पांड्या और अबू ताहिर दोनों ही कॉलेज के दिनों से एक दूसरे को पहचानते हैं। ताहिर इंपोर्ट और एक्पोर्ट का काम करता है. दोनों आरोपितों ने साथ ही एमबीए की पढ़ाई की है.
जांच में पता चला कि ताहिर के पिता का गोवंडी इलाके में कबाड़ का व्यवसाय है.5-6 साल पहले उसकी दुकान पर एक ट्रक भरकर कबाड़ आया था जिसमें उन्हें यूरेनियम मिला था. यह पदार्थ यूनिक होने की वजह से उन्होंने उसे संभालकर अपने गोदाम में रखा था.आश्चर्य की बात यह है कि उन्हें उस समय यह नही पता था कि वो पदार्थ यूरेनियम है.
अबु ने एटीएस को बताया कि फरवरी 2021 में जब उसे यह टुकड़ा दिखाई दिया तब उसने इसका पता लगाने के लिए इंटरनेट पर सर्च करने शुरू कर दिया. इसके बाद उसने इस बात की जानकारी उसके दोस्त जिगर को दी जो कि आईटी कंपनी में काम करता था. जिगर की पहचान एक प्राइबेट लैब में थी जिसके बाद उसने उस लैब को संपर्क किया ताकि पता लगाया जा सके कि यह कौन सी धातु है .
फिर उस लैब के मालिक की मदद से इन लोगों ने उस धातु का पता लगाना शुरू किया और तब जाकर उन्हें पता चला कि ये कोई सामान्य धातु नही बल्कि यह तो यूरेनियम है और इसकी मार्केट में करीब 25 करोड़ की कीमत है. ये लोग मार्केट में इस यूरेनियम को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश में थे.
उस बीच फरवरी महीने में इस बात की जानकारी एटीएस को मिली. इस जानकारी पर कई दिन से एटीएस काम कर रहा था. एटीएस के सदस्यों ने गुजरात का बिजनेसमैन बनकर उस यूरेनियम को खरीदने के लिए दोनों आरोपितों से संपर्क किया. एक बार जब एटीएस के अधिकारियों को उस धातु का सैम्पल मिला तो उसकी जांच के लिए उसे भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में भेजा गया. लांडे ने बताया कि मामला आगे बढ़ाने से पहले हम इस नतीजे पर पहुचना चाहते थे कि आखिर कर यह कौन सी धातु है और क्या यह यूरेनियम ही है?
करीब दो महीने बाद भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से पता चला कि यह तो यूरेनियम है जो कि हाइली रेडियोएक्टिव और मानव व अन्य प्राणियों के लिए खतरे से कम नही है. फिर क्या, एटीएस ने इसकी जानकारी एटोमिक मिनिरल्स डायरेक्टर फाँर एक्सप्लोरेशन एंड रिसर्च, एटोमिक एनर्जी विभाग नागपुर को दी. इसके बाद उनकी शिकायत को आधार बनाते हुए एटीएस ने मामला दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया और आज दोनों ही आरोपितों को कोर्ट में पेश किया गया जहां कोर्ट ने दोनों ही आरोपितों को 12 मई तक एटीएस की कस्टडी में भेज दिया है.