सीनियर आईएएस का वेतन -सुविधा ले रहे थे विस सचिव मुकेश सिंघल
विधानसभा बैकडोर भर्ती में थी बल्ले-बल्ले! IAS स्केल ले रहे थे सचिव मुकेश सिंघल
देहरादून 04 सितंबर। विधानसभा बैकडोर से भर्ती कर्मचारी, क्या सीनियर आईएएस रैंक का वेतन और सुविधा ले सकता है? उत्तराखंड विधानसभा में अब तक यही हो रहा था। सचिव मुकेश सिंघल की नियुक्ति काे विवादित माना गया है। सवाल यह भी है कि सिंघल पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल की विशेष कृपा कहीं इसीलिए तो नहीं थी कि अस्थाई के नाम पर अंधाधुंध और मनमानी भर्तियों में वे सहयोग करें?
सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल की नियुक्ति को अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने साफ तौर पर विवादित माना है, अब सिंघल का करियर दांव पर है।
अध्यक्ष ऋतु खंडूडी ने कहा कि सचिव मुकेश सिंघल की नियुक्ति भी जांच के दायरे में है, इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से आगामी आदेश तक छुट्टी पर भेज दिया गया है, उनकी नियुक्ति पर फैसला अब जांच के बाद ही होगा। इस बीच समिति को कामकाज में सहयोग देने और विधान सभा के अन्य काम -काज के लिए किसी अधिकारी की तैनाती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
मुकेश सिंघल के मामले में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि उन्हें लेवल 14 का वेतनमान मिल रहा था, जो संघ लोक सेवा के रूप में देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा पास कर आने वाले आईएएस अधिकारी को 16 साल की सेवा पर मिलता है। यही नहीं, उन्हें एक के बाद एक तीन प्रमोशन देकर विधानसभा सचिव बनाया गया।
इस तरह वो सुविधाओं के मामले में भी अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के समकक्ष आ गए थे। यह अपने आप में व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। सूत्रों के अनुसार पूर्व वित्त सचिव अमित नेगी और सौजन्या ने विधानसभा में भर्तियों और मनमाने प्रमोशन पर कई बार कड़ा पत्र भी लिखा लेकिन विशेषाधिकार की आड़ में सभी पत्र हवा कर दिए गए ।
विधानसभा सचिव सिंघल का दफ्तर सील, लंबी छुट्टी पर भेजा
स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने प्रेस कांफ्रेंस के तत्काल बाद ही विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल का दफ्तर अपनी मौजूदगी में सील करा दिया। बाकायदा इसकी वीडियोग्राफी भी कराई गई। स्पीकर खंडूड़ी ने बताया कि जांच अफसर जब कहेंगे, तब ही सील को उनकी मौजूदगी में खोला जाएगा। सूत्रों ने बताया कि बैकडोर भर्तियों से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज सिंघल अनुभाग के बजाय अपने दफ्तर में ही रखवाते थे।
Uttarakhand Assembly Recruitment : नियमों के विपरीत बदला मुकेश सिंघल के लिए कैडर, 5 साल में मिले तीन प्रमोशन
विधानसभा में मुकेश सिंघल की नियुक्ति शोध अधिकारी के पद पर हुई थी। उप सचिव शोध से सचिव विधानसभा बने सिंघल को पांच साल में तीन पदोन्नति दी गईं। नियमों के विपरीत उनका कैडर भी बदला गया
देहरादून : विधानसभा के भर्ती प्रकरण की जांच के दायरे में सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल भी हैं। उप सचिव शोध से सचिव विधानसभा बने सिंघल को पांच साल में तीन पदोन्नति दी गईं।
इसके लिए नियमों के विपरीत उनका कैडर भी बदला गया। इसे लेकर विपक्ष ने अंगुली उठाई थी। अब जबकि प्रकरण की जांच हो रही है तो इसके मद्देनजर उन्हें लंबी छुट्टी पर भेजा जाना विवशता थी। वरिष्ठ शोध अधिकारी के पद पर मिली पदोन्नति
विधानसभा में मुकेश सिंघल की नियुक्ति शोध अधिकारी पद पर हुई थी। बाद में उन्हें वरिष्ठ शोध अधिकारी के पद पर पदोन्नति मिली। चौथी विधानसभा के कार्यकाल में शोध शाखा कार्मिकों के पदनाम बदलने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था।
तर्क दिया गया कि इससे कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। वित्त विभाग ने इस शर्त पर पदनाम बदलने की अनुमति दी कि इस कैडर के कार्मिकों को किसी अन्य कैडर में नहीं भेजा जाएगा।
इसके बाद सिंघल को उप सचिव शोध बनाया गया था। फिर उनका कैडर बदल उन्हें संयुक्त सचिव विधानसभा के पद पर पदोन्नति दे दी गई। तत्कालीन सचिव विधान सभा जगदीश चंद के सेवानिवृत्त होने पर सिंघल को प्रभारी सचिव विधानसभा बनाया गया। बाद में उन्हें सचिव पद पर पदोन्न्नति दे दी गई।
विधानसभा में भर्तियों की जांच कराने पर कोई आपत्ति नहीं है। जांच समिति को निष्पक्षता और कानून के अनुसार काम करना चाहिए। राजनीतिक रूप से किसी को निशाना बनाकर निर्णय नहीं होना चाहिए। यद्यपि जांच समिति में सम्मिलित किए गए अधिकारियों की छवि ईमानदार रही है। जांच समिति बनने से नियुक्तियों को लेकर हो-हल्ला भी थमेगा।
-गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उत्तराखंड
विधानसभा संवैधानिक संस्था है। नियुक्तियों की जांच के लिए वरिष्ठ नौकरशाहों को जिम्मा दिया गया है। सरकार के इस कदम का सार्थक परिणाम आना चाहिए, तब ही इससे विश्वास और विधानसभा की गरिमा कायम रहेगी। उम्मीद है कि जांच समिति महीनेभर में सभी बिंदुओं पर समुचित रिपोर्ट सौंपेगी। इस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष को निर्णय लेना है।
-यशपाल आर्य, नेता प्रतिपक्ष विधानसभा, उत्तराखंड
विधानसभा में हुईं भर्तियों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को परीक्षा देनी है। परीक्षा इस प्रकरण को विधिसम्मत और नैतिकता से सुलझाने की है। उनके सामने एक उज्ज्वल भविष्य और ठोस धरातल है। परीक्षा मुख्यमंत्री की भी है। उनकी सीट में धब्बे हैं। मगर यह चुनौती अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में नियुक्तियों को लेकर है। इस प्रकरण में उनकी पार्टी दलदल में फंसी हुई है।
-हरीश रावत, पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता, उत्तराखंड