भाजपा कोर कमेटी बैठक समाप्त, बंशीधर भगत ने कहा-आल इज वैल, नेतृत्व परिवर्तन नहीं
उत्तराखंड भाजपा कोर ग्रुप की बैठक समाप्त, मुस्कुराते हुए अपने आवास को रवाना हुए मुख्यमंत्री
उत्तराखंड में अचानक भाजपा कोर ग्रुप की बैठक होने की खबर से राज्य की राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है. कहा जा रहा है कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा को लेकर केंद्रीय पर्यवेक्षकों को देहरादून भेजा गया है.
देहरादून 06 मार्च: राज्य में राजनीतिक सरगर्मियों के बीच गैरसैंण विधानसभा सत्र को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दिया गया है और ज्यादातर विधायक-मंत्री देहरादून पहुंचे हैं, जहां बीजापुर स्थित सेफ हाउस में उत्तराखंड भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में सभी ने भाग लिया .मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम, केंद्रीय पर्यवेक्षक रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, सांसद अजय भट्ट, माला राज्य लक्ष्मी शाह, संगठन महामंत्री अजय कुमार और प्रदेश महामंत्री कुलदीप बैठक में मौजूद रहे. बैठक करीब आधा घंटे तक चली. बैठक के बाद सभी लोग अपने-अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो गए. हालांकि, सभी के जाने के बाद ही पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सेफ हाउस पहुंचे.
bjp core group meeting.भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में मंत्री-विधायक-सांसद मौजूद.
वहीं, बैठक के मुस्कुराकर बाहर निकले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाव-भाव देखकर फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं पर विराम लग गया है.दरअसल, एकाएक बुलाई गई भाजपा कोर ग्रुप की बैठक की खबर के बाद से नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें शुरू हो गई थीं. कहा जा रहा था कि प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा को लेकर केंद्रीय पर्यवेक्षकों को देहरादून भेजा गया हैै।
उधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए बताया कि राज्य में कोई नेतृत्व परिवर्तन नहीं होने जा रहा है. पार्टी में कोई नाराज नहीं है और त्रिवेंद्र सिंह रावत ही 5 साल मुख्यमंत्री रहेंगे. बैठक में केवल सरकार के 4 साल के कार्यक्रमों को लेकर बातचीत हुई है.
हालांकि, पहले इतना जरूर कहा जा रहा था कि विधायकों और मंत्रियों की नाराजगी को लेकर नेतृत्व परिवर्तन के लिए केंद्रीय हाईकमान ने पर्यवेक्षकों को उत्तराखंड भेजा है.
असल में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की कड़क कार्य शैली से पार्टी में भी हर कोई तो खुश नहीं है लेकिन कोर कमेटी में यह भी साफ रहा कि चुनाव के ठीक पहले मुख्यमंत्री बदलने से स्थितियों और पार्टी का चुनाव में प्रदर्शन सुधारने के प्रयोग में भाजपा दो बार और कांग्रेस भी एक बार अपने हाथ जला कर देख चुकी है।
कुछ नहीं था और बैठक सिर्फ भाजपा सरकार केज्ञचार साल के कामकाज पर चर्चा भर होने की बात इसलिए बेतुकी लगती है क्योंकि इस बैठक को केवल दो दिन के नोटिस पर बुलाया गया बताया जाता है। इस तरह की बैठक तो कभी भी आराम से बुलाई जा सकती थी। काफी पहले बुलाई जाती तो कुछ तुकताल भी दिखता। दूसरे यदि बंशीधर भगत की बातों पर भरोसा करें तो सवाल यह है कि ऐसी बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षकों का क्या काम?