उत्तराखंड मंत्रीमंडल: राज्य आंदोलनकारियों को 10% क्षैतिज आरक्षण समेत 20 निर्णय,विस सत्र में आयेगा विधेयक

Uttarakhand Cabinet Meeting Today 20 Proposals Approved State Agitating Horizontal Reservation Bill Approved
उत्तराखंड मंत्रीमंडल बैठक में 20 प्रस्ताव स्वीकार, राज्य आंदोलनकारी क्षैतिज आरक्षण बिल सहित 20 प्रस्ताव स्वीकार

देहरादून 01 सितंबर। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में 20 प्रस्ताव स्वीकार हुए हैं । उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण विधेयक भी स्वीकार हो गया है।
इससे संबंधित विधेयक विधानसभा मानसून सत्र में आएगा, जोकि 2004 से लागू होगा।
वहीं अप्रचलित विधेयकों को निरस्त करने के लिए विस में निरसन विधेयक लाया जाएगा। इसे भी कैबिनेट ने स्वीकार किया है।

कैबिनेट के प्रमुख निर्णय:

*राज्य आंदोलनकारियों को 10 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पर लगी मुहर।
*राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों के लिए अंब्रेला एक्ट बनेगा, विधेयक स्वीकृत
*राज्य के निजी विश्वविद्यालयों के लिए अंब्रेला एक्ट के लिए विधेयक स्वीकृत,राज्य के विद्यार्थियों को 25 प्रतिशत प्रवेश व शुल्क में छूट।
  *अनुपूरक बजट स्वीकार
*जीएसटी संशोधन विधेयक स्वीकृत
*लोक ऋण विधेयक स्वीकृत
*दैनिक वेतन, आउट सोर्सिंग, संविदा कर्मचारियों को मातृत्व, पितृत्व, बाल्य देखभाल अवकाश स्वीकृत
*आयुष नीति स्वीकृत
*स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट रामनगर का ढांचा स्वीकृति
*इंदिरा मार्केट रिडेवलपमेंट परियोजना स्वीकार
 *आपदा प्रबंधन विभाग में 148 पद स्वीकृत
*एकल पद पर भर्ती परीक्षा में चयनित अभ्यर्थियों की 25 प्रतिशत प्रतीक्षा सूची भी बनेगी।

राज्य आंदोलनकारियों को 10% आरक्षण शासनादेश उच्च न्यायालय ने कर दिया था निरस्त
बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से उत्तराखंड आंदोलनकारियों व उनके आश्रितों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। यहां तक कि सैकड़ों चयनित अभ्यर्थियों को भी विभिन्न सरकारी विभागों में नियुक्ति नहीं मिल पाई है क्योंकि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इस शासनादेश को ही समाप्त कर दिया था।

राज्यपाल ने विधेयक संदेश के साथ विधानसभा को वापस लौटा दिया था। कानून बनने पर इसका लाभ उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के शहीदों के परिजनों,विभिन्न गोलीकांडों में घायल आंदोलनकारियों,जेल व घायल आंदोलनकारियों के आश्रितों व सक्रिय आंदोलनकारियों के आश्रितों को भी मिलेगा।

आयुष को 5 वर्ष के भीतर जन-जन तक पहुंचाने का लक्ष्य; नई आयुष नीति 2023 को मिली मंजूरी

आयुष के विकास तथा इसे जन-जन तक पहुंचाने को आपसी सहयोग के लिए भी नीति में जोर दिया गया है। इसमें यह भी प्रविधान किया गया है कि राज्य सरकार आयुष पारिस्थितिकी को बढ़ावा देने को लक्ष्य निर्धारित करने के अलावा प्रोत्साहन भी देगी। इसके लिए आयुष चिकित्सालयों को ढाई लाख से लेकर 15 लाख तक की प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था की गई है।

उत्तराखंड में आयुष को पांच वर्ष के भीतर जन-जन तक पहुंचाने का लक्ष्य

प्रदेश में आयुष सेवाओं को अगले पांच वर्षों तक जन-जन तक पहुंचाने का लक्ष्य है। प्रदेश की आयुष नीति में इसके लिए आयुष पारिस्थितिकी तंत्र के पांच स्तंभ चिह्नित किए गए हैं। इनमें औषधीय पादपों की कृषि, आयुष विनिर्माण (औषधियां एवं उपभोक्ता उत्पाद), स्वास्थ्य सेवाएं, वेलनेस व शिक्षा तथा अनुसंधान सम्मिलित है। उद्देश्य यह है कि इन क्षेत्रों में निवेश व निजी क्षेत्रों की भागीदार बढ़ाई जाए।

प्रदेश सरकार आयुष को लगातार बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। आयुष स्थानीय संस्कृति और परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। आयुष में स्वास्थ्य सेवाएं, वेलनेस, शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य करने की अपार संभावनाएं हैं। यहां औषधीय पादप व औषधियोंं की भरमार है। इनके प्रचार-प्रसार को आयुष विभाग ने आयुष नीति बनाई है। नीति में आयुष विनिर्माण, स्वास्थ्य सेवाएं, वेलनेस, शिक्षा एवं अनुसंधान को बढ़ावा देने को निवेश व निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की बात कही गई है।

नीति में उल्लेख है कि आयुष संबंधी उत्पादों तथा सेवाओं में सुधार को आयुष पारिस्थितिकी तंत्र में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। उत्पादन प्रक्रिया में दक्षता, उत्पादकता तथा जागरूकता वृद्धि को प्रौद्योगिकी व नवाचार को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा।

आयुष के विकास तथा इसे जन-जन तक पहुंचाने को परस्पर सहयोग पर भी नीति में जोर है।  यह भी प्राविधान  है कि राज्य सरकार आयुष पारिस्थितिकी को बढ़ावा देने को लक्ष्य निर्धारित करने के अलावा प्रोत्साहन भी देगी।

चरेखडांडा में बनेगा अनुसंधान केंद्र

नीति में महर्षि चरक की पौड़ी गढ़वाल के दुगड्डा स्थित जन्मस्थली चरेखडांडा में आयुष आधारित अनुसंधान केंद्र  विकसित करने का प्राविधान है।

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