UKमंत्रीमंडल बैठक:भाषा संस्थान को 42 पद, 30 हजार पेंशनर्स को मिलेगी चिकित्सा प्रतिपूर्ति

Uttarakhand Cabinet Decision 30 Thousand Pensioners Medical Bills Of Cashless Treatment Will Be Paid
मंत्रीमंडल का फैसला, कैशलेस इलाज न लेने वाले 30 हजार पेंशनरों को होगा चिकित्सा बिलों का भुगतान
देहरादून 14 फरवरी 2024। मंत्री मंडल ने 2006 में जारी शासनादेश के अनुसार योजना का लाभ न लेने वाले पेंशनरों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति का लाभ देने की मंजूरी दी है।

आयुष्मान योजना में राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना (एसजीएचएस) में कैशलेस इलाज की सुविधा न लेने वाले 30 हजार पेंशनरों को चिकित्सा बिलों का भुगतान किया जाएगा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार ने पेंशनरों को योजना का लाभ लेने या न लेने का विकल्प दिया था। इसमें 30 हजार पेंशनरों ने योजना छोड़ दी थी जिससे इलाज पर होने वाले खर्च के भुगतान को लेकर संशय बना था।
प्रदेश सरकार ने 2021 में एसजीएचएस योजना में राजकीय कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके आश्रितों को गोल्डन कार्ड पर कैशलेस इलाज की सुविधा शुरू की थी जिसमें कर्मचारियों, पेंशनरों के वेतन व पेंशन से प्रति माह अंशदान की कटौती की जाती है। गोल्डन कार्ड पर इलाज पर खर्च होने वाली राशि की कोई सीमा नहीं है।
लेकिन कुछ पेंशनरों ने पेंशन से अंशदान की कटौती करने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को पेंशनरों से विकल्प लेेने के आदेश दिए थे। इस पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में पेंशनरों से योजना का लाभ लेने या न लेने का विकल्प मांगा था।

प्रदेश के सवा लाख पेंशनरों में से 30 हजार ने लिखित रूप में गोल्डन कार्ड स्कीम से बाहर होने का विकल्प दिया। लेकिन पेंशनरों की मांग थी कि उन्हें पूर्व की भांति इलाज पर होने वाले खर्च की चिकित्सा प्रतिपूर्ति की जाए। मंत्रिमंडल ने एसजीएचएस योजना में कैशलेस इलाज की सुविधा न लेने वाले पेंशनरों को पूर्व में जारी शासनादेश के अनुसार चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति करने का निर्णय लिया है।

Uttarakhand Cabinet Decision Language Institute Will Get Permanent Officers And Employees After Six Years
Uttarakhand: कैबिनेट का फैसला, भाषा संस्थान को छह साल बाद मिलेंगे स्थायी अधिकारी-कर्मचारी
धामी कैबिनेट ने बुधवार को भाषा संस्थान एवं अकादमियों के विभागीय ढांचे के पुनर्गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
उत्तराखंड में स्थानीय बोली, भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2010 में उत्तराखंड भाषा संस्थान की स्थापना की गई थी। इसके बाद वर्ष 2018 में इसका एक्ट बना, लेकिन तभी से संस्थान अस्थाई कर्मचारियों के भरोसे चल रहा था, अब संस्थान में सहायक निदेशक और शोध अधिकारी सहित 42 पद सृजित होंगे।
कैबिनेट में आए प्रस्ताव के मुताबिक, उत्तराखंड भाषा संस्थान के तहत गठित हिंदी, उर्दू, पंजाबी एवं लोक भाषा एवं बोली अकादमियों का उद्देश्य हिंदी, उर्दू, पंजाबी एवं लोक भाषा और बोलियों का विकास संवर्धन, शोधकार्य, मानकीकरण, अनुवाद कार्य करना है।
अभी उत्तराखंड भाषा संस्थान का कार्य नितांत अस्थायी सृजित पदों एवं आउटसोर्स कर्मचारियों के माध्यम से हो रहा है। बताया गया कि विभाग में करीब 14 पीआरडी कर्मचारी तैनात हैं। संस्थान में सहायक निदेशक, प्रकाशन अधिकारी, शोध अधिकारी सहित कई पदाें सहित कुल 51 पद सृजित करने का प्रस्ताव रखा गया था।

मंत्री मंडल ने इसमें से 42 पदों को सृजित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। संस्थान में स्थाई अधिकारी, कर्मचारी मिलने से स्थानीय बोली, भाषा को बढ़ावा दिए जाने के काम को गति मिलेगी।

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