कैबिनेट:घसियारी कल्याण योजना समेत सात प्रस्तावों को हरी झंडी
उत्तराखंडः घस्यारी कल्याण योजना सहित सात प्रस्तावों को प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में मिली मंजूरी,
उत्तराखंड प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक आज गुरुवार को न्यू कैंट स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय परिसर में हुई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में यह बैठक हुई। बैठक में सात प्रस्तावों पर चर्चा के उन्हें मंजूरी दी गई है।
कैबिनेट के महत्वपूर्ण फैसलेः
– घस्यारी कल्याण योजना को कैबिनेट की मंजूरी
– संस्कृत शिक्षा विभाग के 57 शिक्षकों को 155 शिक्षकों में समायोजित किया गया
– वन भूमि पर दी गयी लीज के नवीनीकरण और नई लीज नीति को मंजूरी दी गई
– उत्तराखंड पुलिस दूरसंचार अधिनस्थ सेवा नियमावली संशोधन को मंजूरी,10 साल की सेवा के बाद सब इंस्पेक्टर बन सकेंगे इस्पेक्टर
– उत्तराखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन प्रोत्साहन एवं सुविधा अधिनियम 2020 की धारा 87 में संशोधन
– कोविड-19 के उपचार हेतु डेडीकेटेड 600 बेड के अस्पताल,जिसमें 50 आईसीयू बेड सम्मिलित होने के संबंध में निर्णय लिया गया
– जल जीवन मिशन में दो पदों को मंजूरी,अपर परियोजना निदेशक और एसई पदों को मंज़ूरी दी गई
क्या है घस्यारी कल्याण योजना?
यह योजना पहाड़ की मिट्टी से जुड़े मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दिल के बेहद नजदीक है। उन्होंने ने कहा कि राज्य में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में राज्य सरकार तेजी से काम कर रही है। जंगली जानवरों से महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार जल्द ही मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याणकारी योजना शुरू करने जा रही है। इस योजना में सस्ते गल्ले की तरह प्रदेश में 7771 केंद्रों के माध्यम से गांव-गांव पशुओं के लिए सस्ता चारा उपलब्ध कराया जाएगा ताकि महिलाओं के लिए जंगली जानवरों और दुर्गम भौगोलिकता में जान जोखिम में डालने की विवशता न रहे।
यह योजना अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से प्रशासन के ध्यान में है। उत्तर प्रदेश में पर्वतीय विकास अपर सचिव डाक्टर रघुनंदन सिंह टोलिया ने चीन से लंबी घास का बीच मंगाने की योजना बनाई थी।
सहकारिता विभाग के मुताबिक इस योजना के तहत पशुचारे या साइलेज के उत्पादन को बढ़ाया जा रहा है। इस समय करीब आठ हजार मीट्रिक टन का उत्पादन हो रहा है। इसे बढ़ाकर 50 हजार मीट्रिक टन किया जाना है। इसके लिए प्लांट जल्द ही स्थापित किया जाएगा।
पशुचारे पर प्रदेश सरकार अपनी तरफ से अनुदान भी देगी। इस समय पशु चारे पर प्रति किलोग्राम करीब 15 रुपये खर्च किए जा रहे हैं। सरकार की योजना है कि पहाड़ों में यह चारा करीब तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से लोगों को मिले। यह उस काम के बोझ की तुलना में काफी कम है जो महिलाओं को इसके लिए प्रतिदिन करना पड़ता है।