सरकार साहित्य और संस्कृति के संरक्षण एवं प्रोत्साहन को प्रतिबद्ध- मुमं धामी
- सरकार साहित्य और संस्कृति के संरक्षण एवं प्रोत्साहन को प्रतिबद्ध- मुख्यमंत्री धामी
- विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन को वित्तीय सहायता योजना’ में साहित्यकारों को अनुदान
- प्रदेश के उत्कृष्ट साहित्यकारों को ‘साहित्य भूषण’ और ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार व पाँच-पाँच लाख रुपये की सम्मान राशि
देहरादून 07 जून 2025। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि हमारी सरकार साहित्य और संस्कृति संरक्षण एवं प्रोत्साहन को प्रतिबद्ध है। हमने राज्य में ‘उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान’ से उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित करना प्रारंभ किया है। हम विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन को वित्तीय सहायता योजना’ में साहित्यकारों को अनुदान भी दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारी सरकार प्रदेश के उत्कृष्ट साहित्यकारों को ‘साहित्य भूषण’ और ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार से भी सम्मानित कर रही है जिसके अंतर्गत हाल ही में हमने पाँच-पाँच लाख रुपये की सम्मान राशि देने की घोषणा की है। हम युवा पीढ़ी को भी साहित्य के प्रति आकर्षित करने को विभिन्न प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं, ताकि वे अपनी सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहर से जुड़ सकें और उसे आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज यहां हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र, गढ़ी कैंट देहरादून में QUA के डेरा कवि सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे |
कवि सम्मेलन में मौजूद प्रख्यात कवि डॉक्टर कुमार विश्वास सहित सभी कवियों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कवि केवल शब्द निर्माता नहीं होते बल्कि वे समाज के चिंतक, मार्गदर्शक और प्रेरक भी होते हैं और उनकी कविताएं समाज को दर्पण दिखाती हैं। जब समाज उलझनों से घिरता है, तब कवि अपनी लेखनी से न केवल समाज को एक नई दिशाते हैं, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का भी प्रयास करते हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को भी तभी गति मिली जब हमारे कवियों और रचनाकारों ने अपनी रचनाओं से देशवासियों को स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाने को प्रेरित किया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हमारी देवभूमि की यह पावन धरा सदियों से रचनात्मकता का अद्भुत केंद्र रही है, जहाँ विचारों की ज्योति ने हर युग में समाज को प्रेरित किया है। श्री अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध हों या सुमित्रानंदन पंत हों, गीर्दा हों या नागार्जुन हों,उत्तराखंड की वादियों में लिखी इन सबकी रचनाएं हमारे यहां आज भी गूंजती हैं। देवभूमि उत्तराखंड में जहां एक ओर हिमालय की ऊंची- ऊंची चोटियों से नए- नए विचारों की ऊँचाइयाँ जन्म लेती हैं,वहीं नदियों की कल-कल में छंद की लय छिपी होती है।
इस अवसर पर श्री भरत कुकरेती, श्री मयंक अग्रवाल , श्री आशुतोष, श्री कुशल कुशलेन्द्र, श्री सुदीप भोला, सुश्री कविता तिवारी, श्री रमेश मुस्कान और Quaa संस्था के प्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित थे |

