आठ करोड़ के उद्यान घोटाले में ऊपर से नीचे तक बंदरबांट

एक सामाजिक कार्यकर्ता के संघर्ष से प्रदेश के इस बड़े घोटाले का पर्दाफाश किया गया था। मामले में स्थानीय स्तर पर एसआईटी का गठन भी किया गया लेकिन हाईकोर्ट के आदेश पर इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई।
Uttarakhand Garden Scam CBI investigation found scam of more than 8 crore Rupees

देहरादून 15 जून 2024.उद्यान विभाग में फलदार पौधों कै क्रय-विक्रय में आठ करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला पाया गया है। यह रकम पौधों की दरों में मनमाने तरीके से बढ़ोतरी कर अनुदान के रूप में इधर से उधर की गई है। यही नहीं, एक नर्सरी का तो दूसरे पैन कार्ड पर नया खाता खुला और एकाएक उसमें करीब सवा करोड़ रुपये जमा कर दिए गए। सीबीआई की जांच में इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड पूर्व निदेशक बवेजा और उनका एक परिचित नर्सरी संचालक बताया जा रहा है। तीनों मुदकमों में सीबीआई ने अब विवेचना शुरू कर दी है।
बता दें कि एक सामाजिक कार्यकर्ता के संघर्ष से प्रदेश के इस बड़े घोटाले का अनावरण हुआ था। मामले में स्थानीय स्तर पर एसआईटी का गठन भी किया गया लेकिन हाईकोर्ट के आदेश पर इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई ने आठ माह तक इसमें प्राथमिक जांच कर दो दिन पहले पूर्व निदेशक एचएस बवेजा समेत 15 नामांकित अधिकारियों, कर्मचारियों और नर्सरी संचालकों के खिलाफ मुकदमे लिख लिए। सीबीआई के अधिकारिक सूत्रों के अनुसार पूरा मामला लगभग आठ करोड़ रुपये के घोटाले का है। घोटाला कई तरीके से किया गया है। इसमें प्रमुख रूप से पौधों की वास्तविक दरों में बेतहाशा मनमानी वृद्धि की गई। इसके बाद इसी हिसाब से अनुदान बांटा गया। एक-एक नर्सरी को लाखों पौध का ऑर्डर दिया गया।

इस तरह जिस नर्सरी को केवल 50 लाख रुपये का भुगतान होना था उसे नई दरों के हिसाब से एक करोड़ से सवा करोड़ रुपये तक का भुगतान हुआ। यही नहीं निम्न गुणवत्ता वाले जिन पौधों की दरें विभाग ने ही 150 रुपये तय की थी। उन्हें मनमाने तरीके से 465 रुपये प्रति पौधा की दर से खरीदा गया। इस तरह जम्मू कश्मीर की बरकत एग्रो फार्म नर्सरी को तीन गुना अधिक भुगतान किया गया। बताया जा रहा कि इस पैसे की बंदरबांट अधिकारियों के बीच की गई। यही नहीं तत्कालीन सीएचओ नैनीताल आरके सिंह ने फारुक अहमद डार और साजाद अहमद के साथ मिलकर एक और खेल खेला। इन्होंने सेब के पौधों की झूठी रसीद बनाई और 1.71 करोड़ रुपये नर्सरी को ट्रांसफर कर दिए गए।
बेटे के खाते में 17 लाख और खुद नकद लिए आरके सिंह ने 43 लाख
इस पैसे में 17 लाख रुपये 73 हजार पौधों की खरीद के आरके सिंह के बेटे सुनील सिंह के बाजपुर स्थित एक्सिस बैंक के खाते में ट्रांसफर किए गए। जांच में सामने आया कि नैनीताल के सीएचओ आरके सिंह ने अपने बेटे के खाते में तो पैसा लिया ही। साथ ही साथ फारुक डार से 43 लाख रुपये नकद भी हासिल किए। यह रकम सिंह को विभिन्न तारीखों में दी गई। सूत्रों के मुताबिक इस रकम में से काफी बड़ा हिस्सा पूर्व निदेशक एचएस बवेजा को भी मिला था।

सीबीआई तैयार कर रही है संयुक्त रिपोर्ट
सीबीआई ने बृहस्पतिवार को सभी आरोपितों से पूछताछ की थी। इसके अलावा इन सभी के ठिकानों पर तलाशी भी ली गई। इस दौरान सभी के बैंक खातों और लॉकर आदि की भी जांच की गई। सभी टीमें अन्य प्रदेशों से भी अब उत्तराखंड लौट आई हैं। ऐसे में अब सीबीआई एक संयुक्त रिपोर्ट तैयार कर रही है। बताया जा रहा है कि आरोपितों के पास से बड़ी संख्या में प्रपत्र मिले हैं। जल्द ही इस मामले में और भी बड़ी कार्रवाई हो सकती है।

Horticulture Scam Uttarakhand Plants Were Bought From Himachal And Jammu And Kashmir At Many Times Higher Prices

हिमाचल और जम्मू कश्मीर से कई गुना अधिक दामों पर खरीदे गए पौधे

सेब के पौधों को दूसरी नर्सरी फर्मों के प्रस्तावित दामों से डेढ़ से तीन गुना दामों पर खरीदा गया। मनमर्जी से नर्सरियों को सब्सिडी भी करोड़ों रुपये की जारी की गई।

पूर्व निदेशक के इशारों पर अधिकारियों ने जालसाजी करते हुए इस घोटाले में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जहां चाहा वहां पर अपनी मर्जी से दाम बढ़ाते हुए खुद को लाभ और सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। पूर्व निदेशक के इशारों पर फलदार पौधों के दाम अपनी मर्जी से संशोधित किए गए। ये दाम पड़ोसी राज्यों से कई गुना अधिक थे।

संशोधित दामों में 40 से 150 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई। यही नहीं सेब के पौधों को दूसरी नर्सरी फर्मों के प्रस्तावित दामों से डेढ़ से तीन गुना दामों पर खरीदा गया। मनमर्जी से नर्सरियों को सब्सिडी भी करोड़ों रुपये की जारी की गई।

सीबीआई जांच में सामने आया है कि उद्यान विभाग ने कीवी के पौधों के दामों को मई 2021 में 35 रुपये से बढ़ाकर 75 रुपये कर दिया। जबकि, कलम वाले कीवी के पौधों के दाम 75 से 175 रुपये कर दिए गए। ताकि, इन पर सब्सिडी का खेल किया जा सके। इसके बाद फिर से दिसंबर में दामों को संशोधित किया गया।

नर्सरियों को मनमाने तरीके से लाभ पहुंचाया
इस बार कीवी के पौधों के दाम 75 से 225 रुपये कर दिए गए। जबकि, कलम वाले कीवी के पौधों के दामों को 175 रुपये से बढ़ाकर 275 रुपये कर दिया गया। जांच में सामने आया कि ये दाम पड़ोसी राज्यों हिमाचल और जम्मू कश्मीर से कई गुना अधिक हैं। ऐसा इसलिए किया गया कि नर्सरियों को मनमाने तरीके से लाभ पहुंचाया जा सके। इसका बड़ा हिस्सा इन अधिकारियों की जेब में भी आया।

इसी तरह सेब के पौधों की दर 480 रुपये फिक्स कर दी गई। यह दर भी दोनों राज्यों से कहीं अधिक थी। जब इस बात पर सवाल उठे तो पूर्व निदेशक ने अपने चहेते अधिकारियों से ही इसकी जांच कराई, जिसमें कोई निर्णय नहीं आया। सेब के पौधों के लिए पाल नर्सरी नाम की फर्म ने 300 रुपये प्रति पौधा की दर प्रस्तावित की थी। लेकिन, पूर्व निदेशक और उनके चहेते अधिकारियों ने मनमर्जी से सेब के पौधे जम्मू कश्मीर की बरकत एग्रो से 465 रुपये प्रति पौधे की दर से खरीदे गए। इस फर्म से कुल 183625 सेब के क्लोन रूट पौधे खरीदे गए, जिसके लिए उसे 8.53 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया.

150-150 के पौधे 465 -465 में खरीदे
सेब के उन पौधों को खरीदने में भी तमाम अनियमितताएं हुई जिनकी गुणवत्ता ठीक नहीं थी। इन पौधों पर फेदर नहीं था उनकी दर 150 रुपये निर्धारित की गई थी। यह दर उद्यान निदेशालय ने ही ऐसे पौधों के लिए निर्धारित की थी। जबकि, पूर्व निदेशक के इशारे पर बरकत एग्रो से 2.55 करोड़ रुपये में 1.09 लाख रुपये ऐसे पौधे खरीदे गए। इनकी दर करीब तीन गुना 465 रुपये चुकाई गई। यही नहीं इस जैसी कई फर्म को नियमों को ताक पर रखकर भुगतान भी किया गया।
दो साल पहले अनशन पर बैठे थे रानीखेत के दीपक करगेती

हिमाचल प्रदेश में भ्रष्टाचार के तमाम आरोपों के बाद उत्तराखंड में सांठ-गांठ कर तैनात उद्यान निदेशक डॉक्टर एच एस बवेजा (Dr. HS Baveja)  पर अपने कार्यकाल में कई आयोजनों में लिमिट से अधिक खर्च करने, अदरक और हल्दी बीज खरीद में खेल करने, तमाम पौधों की खरीद के मामलों के साथ ही उद्यान निदेशालय को देहरादून से ही संचालित करने के गंभीर आरोप लगे। 

अनशन में दीपक ने लगाए कई गंभीर आरोप

Dr. HS Baveja के कारनामों को लेकर रानीखेत निवासी सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता दीपक करगेती देहरादून के गांधी पार्क के बाहर पांच दिन अनशन पर बैठे। उनका कहना था कि उद्यान निदेशक Dr. HS Baveja के खिलाफ साक्ष्य देने के बाद भी मुख्यमंत्री से लेकर विजिलेंस और कोई भी जिम्मेदार उनकी जांच नहीं कर रहा। इसके अलावा उन्होंने उद्यान निदेशक Dr. HS Baveja की ओर से उन्हें नशे में होने और पागल करार देने के साथ एक महिला कर्मी की ओर थाने में झूठे केस में भी फंसाने का आरोप लगाया।

उनके अनुसार अगर मैं नशे में था तो मेडिकल जांच क्यों नहीं की गई। वह थाने भी गए लेकिन, उन्हें देर शाम तक इंतजार के बाद कोई जांच करवाए बगैर ही वापस भेज दिया गया।

Dr. HS Baveja का विवादों से पुराना नाता!
हिमाचल प्रदेश के बाद कई मामलों में उत्तराखंड में भी विवादों में घिरे रहे डाॅ. एचएस बबेजा (Dr. HS Baveja) के खिलाफ उद्यान मंत्री और प्रदेश सरकार कोई कार्रवाई करने की बजाय मामले में उन्ही पर भरोसा जता रही है। उत्तराखंड में डाॅ. एचएस बवेजा (Dr. HS Baveja) पर कई महोत्सव के आयोजन में लिमिट से अधिक खर्च करने के आरोप भी हैं। इसके अलावा उद्यान निदेशालय रानीखेत में होने पर भी देहरादून से ही इसे संचालित करने के भी आरोप लगे। सामाजिक कार्यकर्ता और अल्मोड़ा से निर्दलीय चुनाव लडे दीपक करगेती रानीखेत और  देहरादून के गांधी पार्क में 5 दिन अनशन पर बैठे।
उनके अनुसार उत्तराखंड मुख्यमंत्री के साथ विजिलेंस, उद्यान विभाग मंत्री के साथ ही तमाम जिम्मेदार एजेंसियों को वह निदेशक के खिलाफ शपथ पत्र के साथ प्रमाण दे चुके। फिर भी कोई कार्रवाई तो दूर जांच की शुरूआत भी नहीं हो रही है। उनके खिलाफ पहले भी कुछ लोगों ने बीज घोटालों के साथ ही 6 अंतरराष्ट्रीय आयोजनों 7.50 लाख की लिमिट के बाद भी 6000000-7000000 से अधिक खर्च करने के आरोप हैं।

हिमाचल प्रदेश के नौणी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर से ऐसे बने निदेशक
दरअसल, डाॅ. एचएस बवेजा (Dr. HS Baveja) इससे पहले हिमाचल प्रदेश के नौणी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर तैनात थे। कांग्रेस की सरकार में उन्हें एक के बाद एक प्रमोशन और जिम्मेदारियां देते देते हिमाचल प्रदेश बागवानी विभाग का निदेशक तक बना दिया गया था। भाजपा ने चुनाव से पहले वीरभद्र सरकार के चेहते डॉक्टर एचएस बवेजा का नाम अपनी चार्जशीट में शामिल करने के साथ ही उन पर लगे तमाम भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। हिमाचल प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद डाॅ. एचएस बवेजा ने पड़ोसी राज्य में गुपचुप तरीके से अपनी तैनाती फिर से निदेशक उद्यान के पद करवा ली।

हिमाचल प्रदेश में नौणी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर तैनात रहे बवेजा (Dr. HS Baveja) पर बागवानी विभाग निदेशक रहते वक्त स्टोर की सब्सिडी जारी करने के मामले में घूस लेने के आरोप लगे थे। बागवानी विभाग के पास शिकायत मिलने के बाद हिमाचल प्रदेश के गृह विभाग ने इस मामले में जांच शुरू तो की थी लेकिन सरकार बनने के बाद फिर से दबा दिया गया। 2013 में कांग्रेस की सरकार में उन्हें डेपुटेशन पर एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड का एमडी बनाया गया था। उसके बाद लगातार प्रमोशन करते करते हिमाचल प्रदेश के बागवानी विभाग का निदेशक भी बना दिया गया था। इस दौरान उन पर तमाम मामलों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।

हिमाचल प्रदेश में खुद को घिरते देख एचएस बवेजा पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में सांठगांठ कर निदेशक के पद पर तैनात हो गए। अब उत्तराखंड में भी उन पर हल्दी बीज घोटाला, अदरक बीज घोटाला, कीवी पौध के साथ ही अन्य पौधों की खरीद-फरोख्त में भी तमाम तरह के गबन और खेल के आरोप लगे।
वहीं, दूसरी ओर वर्तमान में उत्तराखंड उद्यान विभाग के निदेशक डाॅ. एचएस बवेजा ने कुछ दिन पहले उद्यान मंत्री को लिखित में शपथ पत्र देकर कहा कि उनको बेवजह बदनाम किया जा रहा है।

बता दें कि उत्तराखंड के उद्यान निदेशक डॉ हरमिंदर सिंह बवेजा (Dr. HS Baveja) ने कुछ दिन पहले विभागीय मंत्री के सामने अपना पक्ष रखा। बवेजा ने कहा कि बीज की खरीद भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक नेशनल सीड कारपोरेशन से की थी। खरीद में कुछ भी गलत नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि बीज की खरीद विभागाध्यक्ष को प्राप्त अधिकारों के अनुसार की गई थी। इसके साथ ही उन्होंने इस प्रकरण के लिए अपर निदेशक को जिम्मेदार बताते हुए उन पर विभाग की छवि खराब करने का आरोप भी लगाया।

जबकि इससे पहले सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक डाॅ. एचएस बवेजा पर देहरादून में प्रेस कांफ्रेंस कर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने बताया था कि उद्यान निदेशक की शिकायत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उद्यान मंत्री, पुलिस अधीक्षक विजिलेंस, मुख्य सचिव और सचिव उद्यान विभाग से की थी। अभी तक कोई कार्रवाई मामले में नहीं हुई है। अब पांच दिन से वह गांधी पार्क के बाहर इस मामले की जांच को लेकर आमरण अनशन पर बैठे हैं।

Dr. HS Baveja ने इन आयोजनों में किया लिमिट से ज्यादा खर्च
मुनिकीरेती टिहरी में 16 से 18 नवंबर 2021 तक अंतरराष्ट्रीय मसाला व सब्जी महोत्सव में पीएमकेएसवाई के नाम पर 65 व पीएमएसएमई में 2.50 यानि कुल 67.50 लाख व्यय।
हल्द्वानी (नैनीताल) में 18 से 20 दिसंबर 2021 तक चले अंतरराष्ट्रीय मौनपालन महोत्सव में बागवानी मिशन, पीएमकेएसवाइ व पीएमएसएमई पर 50 लाख रुपये खर्च
हरिद्वार में 18 से 20 अक्टूबर 2021 तक अंतरराष्ट्रीय मशरूम महोत्सव में बागवानी मिशन में पांच, पीएमकेएसवाई में 50 व पीएमएसएमई में 10.50 समेत कुल 65.50 लाख रुपये का व्यय दिखाया गया है।
24 से 26 सितंबर 2021 तक देहरादून में अंतरराष्ट्रीय सेब महोत्सव कराया गया था। इसमें बागवानी मिशन में 60 लाख, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) में 15 व पीएम सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना (पीएमएसएमई) में 2.50 समेत कुल 77.50 लाख रुपये खर्च।

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