सैन्य धाम में बनें अभिलेखागार और संग्रहालय
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की भावना की प्रस्तुति होगा , उत्तराखंड का सैन्य धाम
देहरादून 25 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड को सैन्य धाम की संज्ञा दी है ।अब उनकी इस भावना के अनुरूप उत्तराखंड में राज्य स्तरीय सैन्य धाम स्थापित किया जा रहा है ।इसका शिलान्यास मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पराक्रम दिवस के अवसर पर किया।प्रधानमंत्री जी ने उत्तराखंड को सैन्य धाम कहकर यहां की सैन्य परंपरा के प्रति जो सम्मान व्यक्त किया यह सैन्य धाम उस का प्रतीक होगा ।देहरादून के पुरूकुल ग्राम में बनने जा रहा यह धाम जहाँ उत्तराखंड की सैन्य परम्परा का तीर्थ तो होगा ही वहीं यह देश – विदेश के लोगों के आकर्षण व अध्ययन का केंद्र भी बनेगा।जहाँ आने लोग उत्तराखंड की सैन्य परंपरा को निकटता से देख सकेंगे और गहराई से समझ सकेंगें । देवभूमि उत्तराखंड अपने में कई विशेषताएं समेटे हुए हैं ।जहाँ हिंदू धर्म के 4 पवित्र धाम गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ यहाँ स्थापित है वहीं सिखों का पवित्र स्थल हेमकुंट साहिब भी यहाँ स्थित है ।इसी के साथ प्रकृति ने अपना सौंदर्य यहाँ बिखेरा हुआ है और इसके प्राकृतिक सौंदर्य की तुलना विश्व के किसी भी स्थान से की जा सकती है । इस महान आध्यात्मिक भूमि के साथ उत्तराखंड की सैनिक परंपरा का भी अपना एक स्वर्णिम इतिहास है ।यहां के जन , सदियों से देश के प्रति अपने समर्पण,शौर्य व बलिदान की गाथाएं लिखते आ रहे हैं । उत्तराखंड की महान सैनिक परंपरा का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। प्राचीन व मध्यकाल में तीलू रौतेली, रानी कर्णावती , माधो सिंह भंडारी की परम्परा से होते हुए आधुनिक काल में वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली , गबर सिंह नेगी व दरबान सिंह नेगी के शौर्य व देश की स्वतंत्रता के बाद हुए विभिन्न युद्धों व अभियानों में उत्तराखंड के वीरों का शौर्य व बलिदान उत्तराखंड व देश के लिए गौरव का विषय रहा है। अंग्रेज़ी राज में एक तरफ गढ़वाल राइफल्स तो दूसरी ओर कुमाऊँ रेजीमेंट और इससे पहले गोरखा राइफल्स की स्थापना और उनके सैनिकों का शौर्य, भारत के इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ है ।उत्तराखंड के लगभग सभी गांवों में कई कई सैनिक परिवार हैं जिन्होंने देश को सर्वोच्च मानते हुए अपने युवाओं को देश सेवा के लिए भेजा और महान परम्परा को स्थापित किया है।उत्तराखंड के नौजवान सेना के विभिन्न अंगों में सेवा करते हुए उच्च पदों पर पहुंचे हैं और वहां पर उनका योगदान हमेशा सराहा जाता रहा है।लम्बी सैन्य परम्परा के चलते देश के प्रथम व वर्तमान चीफ़ डिफ़ेन्स ऑफ स्टाफ़ जनरल बिपिन रावत मूलतः उत्तराखंड के हैं । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व केन्द्र में केबिनेट मंत्री रहे मेजर जनरल (सेनि) भवन चन्द्र खंडूड़ी भी इस परम्परा का अंग हैं।ऐसे में प्रधानमंत्री जी द्वारा उत्तराखंड को सैन्य धाम कहा जाना यहाँ की सैन्य परंपरा के प्रति उनकी उच्च भावना और सम्मान प्रकट करता है। सैन्य धाम को लेकर मुख्यमंत्री जी ने सुझाव मांगे हैं । इस संदर्भ में मेरा विनम्र आग्रह है कि यह धाम एक ऐसे स्थल के रूप में विकसित हो जो केवल उत्तराखंडी नहीं बल्कि देश और विदेश से आने वाले लोगों के लिए सैन्य दृष्टि से विशेष आकर्षण का केंद्र बने।यहाँ सैनिकों के शौर्य व शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भव्य स्मारक का निर्माण होना अपेक्षित है और साथ ही धाम में उत्तराखंड की सैन्य परंपरा का इतिहास , अभिलेखागार,अस्त्र-शस्त्र, सैन्य वेशभूषा आदि का म्यूजियम, प्राचीन और वर्तमान साहित्य , चित्र गैलरी आदि को समाहित किया जाना उचित रहेगा। इससे यह धाम जहां यहां आने वाले विशिष्ट जनों व पर्यटक के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगा वही आने वाली पीढ़ियों के लिए भी यह प्रेरणा का स्रोत बन सकेगा।साथ ही यदि हम स्मृति उपहार के रूप में कोई प्रतीक विकसित कर सकें तो उसे यहाँ आने वाले लोग उसे याद के रूप में ले जा सकेंगे। उत्तराखंड की सैन्य परंपरा में यद्यपि थल सेना के प्रति अधिक झुकाव रहा है लेकिन यहां के युवक सेना के अन्य अंगों और सुरक्षा एजेंसियों में भी अपनी भूमिका निभाते आ रहे हैं। ऐसे में इन बलों को भी सैन्य धाम में स्थान दिया जाना चाहिए , ऐसा मेरा मानना है। मेरा सुझाव है कि कि यदि मुख्यमंत्री जी इस बारे में विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर जानकार लोगों से राय लें तो कई अच्छे सुझाव और आ सकते हैं। मुझे विश्वास है सैन्य धाम एक ऐसे स्थान के रूप में विकसित होगा जो तीर्थ भी होगा,प्रेरणा स्थल भी होगा, पर्यटक स्थल भी होगा और ज्ञान का केंद्र भी होगा ।( चित्र: युद्ध स्मारक , नई दिल्ली)