उत्तराखंड ने किया गंगा प्रबंधन क्षेत्र में वनीकरण -वृक्षारोपण
देहरादून 30 दिसंबर। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार को कोलकाता पश्चिम बंगाल में आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद की द्वितीय बैठक में प्रतिभाग किया। प्रधानमंत्री ने बैठक को वर्चुअल सम्बोधित किया।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में गंगा स्वच्छता एवं निर्मलता के लिये किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2019 में गंगा को आजीविका एवं विकास से जोड़ने के उद्देश्य से जो अर्थ गंगा मॉडल के रूप में दिया गया था उसमें उत्तराखण्ड राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किये हैं। गंगा के मैनेजमेंट क्षेत्र में वनीकरण एवं वृक्षारोपण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भविष्य में गंगा की सहायक नदियों के पुनर्जीवन को नदी के किनारे पुराने बसे हुए शहरों के लिए विभिन्न विभागों के सहयोग से नदी केन्द्रित मास्टर प्लान भी बनाये जा रहे हैं। उत्तराखण्ड राज्य में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एन.एम.सी.जी.) के मार्गदर्शन में पूर्व के निर्धारित लक्ष्य पूर्ण करते हुए गंगा की स्वच्छता, निर्मलता एवं अविरलता को बनाये रखने की दृष्टि से कुछ अन्य परियोजनाओं के प्रस्ताव एन.एम.सी.जी. को प्रेषित किये गये हैं तथा सहायक नदियों को लेकर कुछ प्रस्ताव और भी तैयार कराये जा रहे हैं।
दो दिन पहले मुख्य सचिव ने की थी समीक्षा
मुख्य सचिव डॉक्टर एस.एस. संधु की अध्यक्षता में बुधवार को सचिवालय में राज्य स्तरीय गंगा समिति की 14वीं बैठक आयोजित हुयी थी। मुख्य सचिव ने गंगा किनारे बसे शहरों में भी सेप्टेज मैनेजमेंट की तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश दिये थे और कहा था कि गंगा में ड्रेनेज का अशोधित जल न जाए, यह सुनिश्चित किया जाए।
मुख्य सचिव ने सभी एसटीपी का सोशल ऑडिट किए जाने के भी निर्देशों के साथ कहा कि सोशल ऑडिट में स्थानीय लोगों से भी उनके विचार लिए जाएं। उन्होंने प्रदेश के विभिन्न स्थानों में जमा पुराने कूड़े (लीगेसी वेस्ट) को प्रोसेस कर उसके निस्तारण की व्यवस्था भी शीघ्र सुनिश्चित करने के निर्देश संबंधित नगर निकायों को दिये। साथ ही, समस्त जिला विकास समितियों को एनजीटी की गाइड लाइन के अनुरूप कार्यवाही सुनिश्चत करने के निर्देश दिये।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश में भूजल के स्तर को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि पूरे प्रदेश को छोटे चेक डैम बनाए जाएं। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को अपने जनपदों में चेक डैम के लिए मास्टर प्लान तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने वन विभाग को भी प्रदेश के अंतर्गत सभी फ्लड प्लेन जोन में वृक्षारोपण कार्य सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। साथ ही नदियों के किनारे पूर्व में दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार नए निर्माण कार्यों को अनुमति न दी जाए। साथ ही जो पूर्व में निर्मित हो चुके हैं, नष्ट करने के लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि नए निर्माण न हों इसके लिए प्रत्येक माह ड्रॉन आदि से वीडियोग्राफी की जाए ताकि नए निर्माण का पता चल सके, वीडियोग्राफी का डाटा, डाटा सेंटर में संकलित किया जाए।
बैठक में बताया गया कि मनरेगा में 689735 ग्रामीण परिवारों को 120182 लाख रुपये का प्रत्यक्ष मजदूरी रोजगार दिया गया। व्यक्तिगत स्वरोजगार, कृषि और कृषि संबद्ध क्षेत्र और स्वयं सहायता समूहों से संबंधित वृद्धि गतिविधियों पर 110201 करोड़ रुपये खर्च हुए। कृषि गतिविधियों में जैविक खेती में 1182 गांव के 74522 किसान जैविक खेती के लिए लगे हुए हैं।
बताया गया कि गंगा के किनारे ऋषिकेश में पर्यटन सर्किट के विकास के लिए व्यापक योजना तैयार की गई है। हर की पौड़ी, हरिद्वार में गंगा आरती के लिए ऑडियो वीडियो सुविधा विकसित की जा रही है। ग्रामीणों को अपने घरों को होमस्टे के रूप में पंजीकृत करने को भी प्रोत्साहित किया जाता है और पर्यटन वेबसाइट और अन्य लोकप्रिय ओटीए पर प्रचारित किया जाता है। नमामि गंगे कार्यक्रम में ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट और हरिद्वार में चंडी घाट पर गंगा पर एक संग्रहालय स्थापित किया गया है।
इस अवसर पर पीसीसीएफ (हॉफ) श्री विनोद कुमार, अपर सचिव पर्यटन श्री सी. रविशंकर, श्री उदयराज सिंह सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।