उत्तरांचल उत्थान परिषद को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय सम्मान
उत्तरांचल उत्थान परिषद को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय सम्मान से किया सम्मानित
आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में बीते रोज गणतंत्र दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड की प्रमुख सामाजिक संस्था उत्तरांचल उत्थान परिषद को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया। पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र दो लाख की राशि एवं अंग वस्त्र दिया गया।
मध्य प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड की प्रमुख सामाजिक संस्था उत्तरांचल उत्थान परिषद को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया।
देहरादून 27जनवरी । आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला में गणतंत्र दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड की प्रमुख सामाजिक संस्था उत्तरांचल उत्थान परिषद को नानाजी देशमुख राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया। पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र दो लाख की राशि एवं अंग वस्त्र परिषद के महामंत्री राम प्रकाश पैन्यूली को संस्था के लिए दिया गया।
नव निर्मित रवींद्र सभागम भवन में कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संस्था के महामंत्री राम प्रकाश पैन्यूली को यह सम्मान प्रदान किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल एवं संस्कृति मंत्री की गरिमामय उपस्थिति में उत्तरांचल उत्थान परिषद को ग्राम विकास एवं उत्तराखंड हो रहे पलायन को रोकने की दिशा में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया।
जैसा कि विदित ही है कि उत्तराखंड में उच्च एवं मध्य हिमालयी ग्रामों से आबादी का नगरों महानगरों एवं अन्य सुविधाजनक स्थानों पर बड़ी संख्या पलायन करना एक बहुत बड़ी समस्या बनकर उभरी है। उत्तरांचल उत्थान परिषद ने प्रवासी ग्रामीणों को अपने गांव से जोड़ने के लिए प्रवासी पंचायतों के माध्यम से देशभर में यह मुहिम शुरू की। प्रवासी ग्रामीणों को ग्रामोत्सव और ग्राम देवताओं के पूजन के निमित्त गांव आने का आग्रह किया गया। ग्रामोत्सवों में प्रतिवर्ष आवागमन के साथ-साथ उनको स्वरोजगार की दिशा में अपना प्रयास प्रारंभ करने के लिए प्रेरित किया गया। परिणामस्वरूप प्रवासी युवा स्वरोजगार के प्रति आकर्षित होने लगे। धीरे-धीरे चलो गांव की ओर, ‘मेरा गांव, मेरा तीर्थ’ ये अभियान लोकप्रिय होते चले गए। इनके माध्यम से पुनः प्रवासियों की रूचि अपने मूल गांव की ओर बढ़ने लगी और हजारों युवाओं ने स्वरोजगार को अपना लिया। इसे रिवर्स पलायन के सफल प्रयोग के रूप में भी देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी का ‘पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, पहाड़ के काम आए’, इस दिशा में भी उल्लेखनीय परिणाम दिखाई देने लगे हैं। प्रवासी उत्तराखंडी कामगार अपने ही गांव में रुकने लगे हैं। सन 1988 में स्वर्गीय डाक्टर नित्यानंद एवं भाउराव देवरस की प्रेरणा से स्थापित उत्तरांचल स्थान परिषद प्रदेश में हरेला आदि अनेक रचनात्मक सेवा कार्यों का भी संचालन कर रही है। इनके भी अनेक आशाजनक सुपरिणाम देवभूमि के सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं। उत्तराखंड की सही दिशा, दशा एवं दृष्टि विकसित करने में उत्तरांचल उत्थान परिषद अम्ब्रेला आर्गनाइजेशन के रूप में प्रतिष्ठित है।