रेल के जिस इंजन का मज़ाक उड रहा, वह राष्ट्रीय गर्व है

आज से कोई 6 साल पुरानी बात है, 2016 की

रेलवे के एक बड़े अधिकारी थे, बहुत बड़े वाले

पेशे से इंजीनियर थे

उनके रिटायरमेंट में सिर्फ दो साल बचे थे

आमतौर पे रिटायरमेंट के नज़दीक जब अंतिम पोस्टिंग का समय आता है तो कर्मचारी से उसकी पसंद पूछ ली जाती है

पसंद की जगह अंतिम पोस्टिंग इसलिये दी जाती है ताकि कर्मचारी अपने अंतिम दो साल में पसंद की जगह घर मकान इत्यादि बनवा ले और रिटायर हो के सेटल हो जाये व आराम से रह सके पर उस अधिकारी ने अपनी अंतिम पोस्टिंग मांग ली ICF चेन्नई में

ICF बोले तो Integral Coach Factory मने रेल के डिब्बे बनाने वाला कारखाना

चेयरमैन रेलवे बोर्ड ने उनसे पूछा कि क्या इरादा है ?

वो इंजीनियर बोला अपने देश की अपनी खुद की सेमी हाई स्पीड ट्रेन बनाने का इरादा है

ये वो दौर था जब देश मे 180Km प्रति घंटा दौड़ने वाले Spanish Talgo कंपनी के रेल डिब्बों का ट्रायल चल रहा था

ट्रायल सफल था पर वो कंपनी 10 डिब्बों के लगभग 250 करोड़ रु मांग रही थी और तकनीक स्थानांतरण का करार भी नही कर रही थी

ऐसे में उस इंजीनियर ने ये संकल्प लिया कि वो अपने ही देश मे स्वदेशी तकनीक से Talgo से बेहतर ट्रेन बना लेगा उसके आधे से भी कम दाम में

चेयरमैन रेलवे बोर्ड ने पूछा Are You Sure, We Can Do It ?
Yes Sir

कितना पैसा चाहिये R&D के लिये ?
सिर्फ 100 करोड़ रु सर

रेलवे ने उनको ICF में पोस्टिंग और 100 करोड़ रु दे दिया

उस अधिकारी ने आनन फानन में रेलवे इंजीनियर्स की एक टीम खड़ी की औऱ सभी काम मे जुट गए

दो साल के अथक परिश्रम से जो नायाब प्रॉडक्ट तैयार हुआ उसे हम ट्रेन 18 बोले तो वन्दे भारत रेक के नाम से जानते हैं

और जानते हैं 16 डब्बे की इस ट्रेन 18 की लागत कितनी आई ?

सिर्फ 97 करोड़ जबकि Talgo सिर्फ 10 डिब्बों के 250 करोड़ माँग रही थी

ट्रेन 18 भारतीय रेल के गौरवशाली इतिहास का सबसे नायाब हीरा है

इसकी विशेषता ये है कि इसे खींचने के लिए किसी इंजन की ज़रूरत नही पड़ती क्योंकि इसका हर डिब्बा खुद ही सेल्फ प्रोपेल्ड है, बोले तो हर डिब्बे में मोटर लगी है

दो साल में तैयार हुए पहले रैक को वन्दे भारत ट्रेन के नाम से वाराणसी नई दिल्ली के बीच चलाया गया

उस होनहार इंजीनियर का नाम था सुधांशु मनी साहब

2018 में ही Retire हो गये

इस देश में ट्रेन 18 जैसी विलक्षण उपलब्धि के लिये उनकी टीम की किसी ने पीठ तक न थपथपाई

पिछले दिनों जब वन्दे भारत भैंस से टकरा गई और उसका अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया तो सब ट्रेन के डिज़ाइन की अनर्गल आलोचना करने लगे तब सुधांशु सर का दर्द छलक आया और उन्होंने एक लेख लिख उसके डिजाइन की खूबियां बताईं…

मनी साहब सेवानिवृत्त होकर आजकल लखनऊ में रहते हैं।

Vande Bharat Express: मुंबई-गांधीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ इस महीने तीसरी दुर्घटना,रेलवे ने दी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी

मुंबई-गांधीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) शनिवार को फिर दुर्घटना का शिकार हो गई। इस ट्रेन के साथ अक्टूबर में यह तीसरी दुर्घटना है। इस बार एक गाय ट्रेन से टकरा गई। इससे ट्रेन को मामूली नुकसान पहुंचा और उसे आधे घंटे बाद रवाना कर दिया। इस बीच रेलवे ने किसानों से एक अपील की है…

हाइलाइट्स
1-मुंबई-गांधीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस के साथ फिर हुई दुर्घटना
2-वलसाड़ के करीब अतुल रेलवे स्‍टेशन पर ट्रेन गाय से टकराई
3-अक्टूबर में इस ट्रेन के साथ तीसरी बार दुर्घटना हुई है
रेलवे की किसानों से अपील…पशु ट्रैक से दूर रखें

मुंबई-गांधीनगर वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) शनिवार को एक बार फिर दुर्घटना का शिकार हो गई। यह दुर्घटना गुजरात के अतुल रेलवे स्‍टेशन के पास हुआ। मुंबई से गांधीनगर जा रही ट्रेन के सामने एक गाय आ गई। इस टक्कर से ट्रेन का आगे का हिस्सा टूट गया। करीब 30 मिनट रुकने के बाद ट्रेन को रवाना कर दिया गया। इस महीने यह इस ट्रेन के साथ तीसरी दुर्घटना है। यह दुर्घटना सुबह 8 बजकर 17 मिनट पर हुई जब वंदेभारत एक्सप्रेस वलसाड़ के अतुल रेलवे स्टेशन से गुजर रही थी। इसके बाद आधे घंटे तक खड़ी रही। इसके बाद पौने नौ बजे ट्रेन अतुल रेलवे स्टेशन से गंतव्य को रवाना हुई। इससे पहले अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में वंदे भारत ट्रेन दो बार पशुओं से टकराई थी। इसके बाद वंदे भारत ट्रेन को रिपयेर किया गया था।


वंदे भारत ट्रेन छह अक्टूबर को अहमदाबाद में भैंसों के झुंड से टकराई थी। इसके अगले दिन यह आणंद में गाय से टकरा गई थी। इसके बाद आठ अक्टूबर को दिल्ली से वाराणसी जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस में अचानक खराबी आ गई थी। टेक्निकल फॉल्ट से ट्रेन के पहिए जाम हो गए थे। इस कारण ट्रेन पांच घंटे खुर्जा स्टेशन पर रुकी रही, इसके बाद यात्रियों को शताब्दी एक्सप्रेस से भेजा गया था। इस बीच वेस्टर्न रेलवे ने पशु किसानों से अपील की है कि वे अपने पशु रेलवे ट्रैक के करीब न आने दें। रेलवे का कहना है कि इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इससे पहले भी रेलवे ने कहा था कि वह इस बारे में पशु पालकों को जागरूक बनाने को अभियान चलाएगा। देश में तीसरी वंदे भारत एक्सप्रेस मुंबई से गांधीनगर के बीच चलाई गई थी। इसे 30 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाई थी।

कहां से कहां चलेगी पांचवीं वंदे भारत

अभी देश में चार वंदे भारत एक्सप्रेस चल रही हैं। पहली ऐसी ट्रेन दिल्ली से वाराणसी के बीच शुरू की गई थी जबकि दूसरी ट्रेन दिल्ली से कटड़ा के लिए चली। तीसरी ट्रेन मुंबई से गांधीनगर और चौथी ट्रेन दिल्ली से हिमाचल के ऊना के बीच शुरू हुई है। रेलवे की योजना अमृत महोत्सव में 75 वंदे भारत ट्रेनें चलाने की है। देश की पांचवीं वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चेन्नई-बेंगलुरू-मैसूरु रूट पर चलेगी। ट्रेन 10 नवंबर 2022 को लॉन्च होगी। यह ट्रेन करीब 483 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।

पत्थरबाजों के निशाने पर क्यों है वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन

भारत में बनी पहली हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस को पटरी पर दौड़ते हुए अभी कोई एक महीना ही हुआ था लेकिन तब तक वो करीब दर्जन भर बार पत्थरबाजों के निशाने पर आ चुकी थी.
नई दिल्ली से वाराणसी तक चलने वाली देश में बनी पहली हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस की सुरक्षा को लेकर रेलवे के साथ-साथ प्रशासन भी चिंतित रहा है. ट्रेन को पटरी पर दौड़ते हुए अभी कोई एक महीना ही हुआ था लेकिन तब तक वो करीब दर्जन भर बार पत्थरबाजों के निशाने पर आ गई.

ट्रेन के रास्ते में जगह-जगह और बार-बार होने वाले पथराव के चलते सुरक्षा को लेकर रेलवे ने कई कदम भी उठाए. कानपुर परिक्षेत्र में अब यह ट्रेन पुलिस और रेलवे सुरक्षा बल यानी आरपीएफ की निगरानी में गुजरती है. रेलवे ने यह फैसला कानपुर और फतेहपुर के बीच ट्रेन पर हुए पथराव के बाद लिया जिसमें इस ट्रेन की आठ बोगियों के कई शीशे क्षतिग्रस्त हो गए. इस घटना में पुलिस ने एक युवक को गिरफ्तार भी किया .

कब क्या हुआ

दरअसल, बीते रविवार नई दिल्ली से वाराणसी जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस पर कुछ लोगों ने अचानक कानपुर से आगे बढ़ते ही अचानक पथराव करना शुरू कर दिया. ट्रेन के चालक दल की ओर से वाराणसी जीआरपी में मुकदमा दर्ज कराया गया था. लेकिन इस घटना के बाद से आरपीएफ, जीआरपी समेत स्थानीय पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए थे.

ट्रेन अपनी पहले ही सफर में बनारस से दिल्ली वापस आते समय ब्रेक सिस्टम में खराबी के कारण अटक गई थी.
वंदे भारत ट्रेन पर पथराव की यह पहली घटना नहीं थी. इससे पहले भी इटावा और फतेहपुर के खागा में भी पत्थरबाजों के निशाने पर ये ट्रेन आई थी. 15 मार्च को वाराणसी से दिल्ली जा रही वंदेभारत एक्सप्रेस पर इटावा के पास कुछ लोगों ने पत्थर फेंके जिससे दो कोच के शीशे टूट गए. पथराव से यात्री भी डर गए थे.

इससे पहले 11 मार्च को भी ट्रेन पर पथराव हुआ. यही नहीं, इस महत्वाकांक्षी ट्रेन के ट्रायल रन के दौरान ही इसे पत्थरबाजों के हमले का सामना करना पड़ा था. दो फरवरी को ट्रायर के दौरान ट्रेन जैसे ही दिल्ली में शकूरबस्ती वर्कशाप से आगे बढ़ी थी, उस पर कुछ लोगों ने पत्थर फेंके थे जिससे ट्रेन को काफी नुकसान हुआ था. उससे पहले पिछले साल बीस दिसंबर को इसके पहले ट्रायल रन के दौरान भी पथराव हुआ था.

पथराव के दौरान अब तक किसी यात्री को चोट पहुंचने की खबर नहीं है लेकिन इतनी हाईप्रोफाइल ट्रेन पर लगातार हो रही पत्थरबाजी की घटना और ट्रेन को हो रहे नुकसान के बावजूद इस पर लगाम न लग पाना कई सवाल खड़ा कर रहा है.

इसी ट्रेन पर निशाना क्यों

रेलवे के अधिकारी भी ये नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर सिर्फ इसी ट्रेन को क्यों निशाना बनाया जा रहा है. उत्तर रेलवे के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दिल्ली-कानपुर-वाराणसी रूट पर हर रोज तीन सौ से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं. ऐसे में यदि लोग इसी ट्रेन पर पत्थर फेंक रहे हैं तो कोई न कोई वजह तो होगी ही.

फतेहपुर के जीआरपी प्रभारी आरपी सरोज कहते हैं, “चंदन नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है. ज्यादातर मामलों में नाबालिग लड़के ही सामने आए हैं. ये पता करने की कोशिश होगी कि आखिर ये शरारतवश पत्थर फेंक रहे हैं या फिर इन्हें ऐसा करने के लिए कहीं से प्रेरित किया जा रहा है.”

दरअसल, इस ट्रेन को लेकर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत आशान्वित थे और ये उनके ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में थी. इस ट्रेन के लेट होने और इसकी कुछ खामियां गिनाने पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से ऐसे लोगों की यह कहते हुए निंदा की थी जो लोग ऐसा कह रहे हैं वो देश के इंजीनियरों का अपमान कर रहे हैं. इसकी वजह ये थी कि इस ट्रेन को पूरी तरह से भारत में ही और भारतीय तकनीक से ही बनाया गया है.

इसके पीछे किसका हाथ

अब तक इस ट्रेन पर जहां भी पत्थरबाजी हुई है वो ग्रामीण और सुनसान इलाकों में हुआ है. पत्थरबाजी करने वालों में ज्यादातर वहीं के स्थानीय लड़के रहे हैं जिन्हें पुलिस ने पकड़ा लेकिन बिना किसी सबूत के छोड़ दिया. पुलिस अब तक इसके पीछे कोई ठोस वजह भी नहीं ढूंढ़ पाई है और न ही किसी मुख्य अभियुक्त को.

कानपुर के स्थानीय पत्रकार प्रवीण मोहता कहते हैं, “लगातार पत्थरबाजी से ये तो तय है कि कहीं न कहीं से समर्थन मिल रहा है. दरअसल, यहां कुछ लोगों से बातचीत में ये पता चला है कि इसके पीछे राजनीतिक विद्वेष भी हो सकता है. प्रधानमंत्री का ये ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है तो कुछ लोग किसी भी कीमत पर इस प्रोजेक्ट की असफलता देखना चाहते हैं. ऐसे में यदि कुछ बच्चों को सौ-पचास रुपये देकर ट्रेन में पत्थर फेंकने को कहा जा रहा हो तो इसमें आश्चर्य नहीं.”

हालांकि ऐसा करके किसका राजनीतिक हित सधेगा, ये कहना भी मुश्किल है. इस ड्रीम प्रोजेक्ट की असफलता ट्रेन पर पत्थर फेंककर तो साबित की नहीं जा सकती है, ये सब को पता है. इसके लिए तो ट्रेन की लेट-लतीफी और इसके भीतर तकनीकी खामियों को ही गिनाया जा सकता है और गिनाया जा भी रहा है. ट्रेन पर पत्थरबाजी करके तो उसे यानी सार्वजनिक संपत्ति को ही नुकसान पहुंचाया जा रहा है.

बहरहाल, रेलवे प्रशासन ने ट्रेन की हिफाजत के लिए उसके पूरे रास्ते पर एक सुरक्षा तंत्र विकसित करने का फैसला किया है. लेकिन जिस तरीके से अब तक इस ट्रेन पर पत्थरबाजी हुई है, उसे देखते हुए ये कहना मुश्किल है कि इतनी सुरक्षा के बावजूद वो पत्थरबाजों से कितनी बची रह पाएगी. वहीं पुलिस के सामने ट्रेन की सुरक्षा के अलावा पत्थरबाजों की तलाश और उनके मकसद तक पहुंचना भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

वंदे भारत एक्सप्रेस पर एक बार फिर किया गया पथराव, पांच कोच के शीशे टूटे
नई दिल्ली से वाराणसी जाते समय प्रेमपुर व सरसौल स्टेशन के बीच हुई घटना वापस में भी चले पत्थर

नई दिल्ली से वाराणसी जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस एक बार फिर रविवार को पथराव का शिकार हुई। सुबह प्रेमपुर और सरसौल के मध्य अराजक तत्वों ने पथराव करके इस ट्रेन के पांच कोचों के शीशे तोड़ दिए। जब ट्रेन वाराणसी से वापस आ रही तो प्रेमपुर के पास फिर पथराव हो गया। इस घटना से आरपीएफ, जीआरपी समेत स्थानीय पुलिस में अफरातफरी मची रही। ट्रेन के चालक दल की ओर से वाराणसी जीआरपी में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
सुबह 11 बजे के करीब वंदे भारत एक्सप्रेस कानपुर से होते हुए सरसौल से आगे प्रेमपुर रेलवे स्टेशन के समीप पहुंची तो अराजक तत्व ने पथराव कर दिया। पथराव में ट्रेन के सी-4, सी 11, सी 9, सी-6, सी 8 कोच का शीशा टूट गया। यात्री सहम गए। ट्रेन को इस असहज स्थिति का सामना शाम छह बजे वापसी में भी करना पड़ा। गौरतलब है कि 11 मार्च को खागा कोतवाली के कटोघन के समीप अराजक तत्वों ने वंदे भारत ट्रेन पर पथराव किया था, जिससे कोचों के शीशे टूटे थे। पुलिस अराजक तत्वों की तलाश कर ही रही थी कि अब आरपीएफ सेक्शन की सीमा में अप व डाउन ट्रेन में प्रेमपुर स्टेशन के समीप फिर पथराव से ट्रेन की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं।
आरपीएफ कंपनी कमाण्डर प्रवीण ङ्क्षसह ने बताया कि प्रेमपुर स्टेशन पर ट्रेन के न रुकने पर मुकदमा वाराणसी जीआरपी थाने में हुआ। आरपीएफ सेंट्रल रेलवे स्टेशन के प्रभारी पीके ओझा ने बताया कि मुकदमा निल पर कायम करके संबंधित थाना क्षेत्र को भेजा गया।
जांच जीआरपी महाराजगंज करेगी या जीआरपी कानपुर,यह घटनास्थल की पुष्टि होने के बाद ही स्पष्ट हो पाया।

टक्कर से टूट जाए, इतना कमजोर क्यों है वंदेभारत का अगला हिस्सा; रेलवे ने बताया कारण

Vande Bharat Express Train Accident भारतीय रेलवे के मुताबिक पूरी तरह से भारत में निर्मित वंदे भारत ट्रेन को यहां की परिस्थितियों चुनौतियों और जरूरतों को ध्यान में रख बनाया गया है। ट्रेन का अगला हिस्सा जिसे नोज कोन कहते हैं उसे बदलना बहुत आसान है।

वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन एक बार फिर मुंबई में सफर के दौरान जानवर से टकरा गई। टक्कर से ट्रेन का आगे का हिस्सा फिर टूट गया है। पहले भी सफर के दौरान टक्कर से वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है। हर बार दुर्घटनाग्रस्त वंदे भारत की फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगती है। लोग रेलवे और सरकार की खिंचाई करने लगते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर वंदे भारत ट्रेन का अगला हिस्सा इतना कमजोर क्यों है? इस संबंध में हमने वंदे भारत प्रोजेक्ट से जुड़े रेलवे अधिकारियों से बात की। जानते हैं क्या है उनका जवाब?

टूटने को ही बना है वंदे भारत का नोज कोन

वंदे भारत प्रोजेक्ट से जुड़े रेलवे के एक बड़े अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इसके अगले हिस्से, जिसे नोज कोन (Nose Cone) भी कहते हैं को टक्कर होने पर टूटने के लिए ही बनाया गया है। ये इसकी डिजाइन में किसी तरह की चूक नहीं, बल्कि योजना का हिस्सा है। रेलवे को पहले से पता था कि इस तरह के हादसे हो सकते हैं। इसीलिए जहां भी वंदे भारत की रैक भेजी जाती है, वहां नोज कोन के अतिरिक्त सेट भी पहले से ही भेजे जाते हैं। ताकि दुर्घटना के बाद इन्हें स्थानीय डिपो में बदला जा सके।

टूटने के लिए क्यों बने हैं नोज कोन

रेलवे अधिकारी के अनुसार नोज कोन को टूटने के लिए डिजाइन करने का मकसद है कि इससे दुर्घटना के असर को कम किया जा सके। ताकि ट्रेन और जिससे वो टकराए, दोनों को कम से कम नुकसान हो। इससे गाड़ी का इंजन, चेचिस (बेसिक ढांचा) और यात्रियों को नुकसान की आशंका बहुत कम हो जाती है। साथ ही क्षतिग्रस्त नोज कोन को मौके पर ही आसानी से हटाकर जल्द से जल्द आगे का सफर शुरू किया जा सकता है।

ट्रेन और यात्रियों को कैसे बचाता है ये नोज कोन

रेलवे अधिकारी के अनुसार वंदे भारत एक्सप्रेस के नोज कोन को इस तरह से डिजाइन किया गया है,ताकि ये टक्कर के असर को कंज्यूम कर उसका असर कम कर सके। टक्कर के बाद ये शॉक एब्जॉर्बर (Shock Absorber) का काम करता है। इसी तकनीक का इस्तेमाल कार में भी किया जाता है,इसीलिए कार का अलगा हिस्सा (बंफर) भी मजबूत प्लास्टिक का होता है।

अन्य ट्रेन से कितनी सुरक्षित है वंदे भारत


रेलवे के मुताबिक सामान्य ट्रेनों में अलग हिस्सा भी लोहे का होता है। जोरदार टक्कर होने पर इससे पूरी ट्रेन को जबरदस्त झटका लगता है। इससे यात्रियों को नुकसान पहुंचता ही है, साथ ही ट्रेन का इंजन और उसकी चेचिस पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा टक्कर होने पर सामान्य ट्रेन के पटरी से उतरने का खतरा काफी ज्यादा रहता है, जबकि ऐसी परिस्थिति में वंदे भारत के डिरेल होने की संभावना काफी कम है।

नोज कोन को ऐसे डिजाइन करने की जरूरत क्यों पड़ी

इससे पूर्व सात अक्टूबर 2022 को वंदे भारत ट्रेन की इसी तरह जानवर से टक्कर हुई थी, जिसमें उसका अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। तब भी रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव (Railways Minister Ashwini Vaishnaw) ने कहा था, ‘हमारे देश में रेलवे ट्रैक पर जानवरों के आ जाने की समस्या बहुत आम है। देश में सभी रेलवे ट्रैक अब भी सतह पर हैं और खुले हुए हैं। इसे ध्यान में रखकर ही ट्रेन को डिजाइन किया है। क्षतिग्रस्त होने पर ट्रेन के अगले हिस्से (नोज कोन) को आसानी से बदल जा सकता है।’ अक्टूबर माह में वंदे भारत की तीसरी बार टक्कर

मुंबई-अहमदाबाद रूट पर शनिवार को वंदे भारत ट्रेन की ट्रैक पर चल रहे एक बैल से टक्कर हुई थी। ये इस महीने वंदे भारत की टक्कर की तीसरी घटना है। इससे पहले छह और सात अक्टूबर को भी लगातार दो दिन वंदे भारत ट्रेन की ट्रैक पर जानवरों से टक्कर हुई थी। तीनों दुर्घटना में ट्रेन की नोज कोन टूट गई थी। हालांकि यात्रियों और ट्रेन को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ। तीनों दुर्घटना के बाद क्षतिग्रस्त नोज कोन को हटाकर थोड़ी देर में सफर शुरू कर दिया गया था।

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