पशु चिकित्सक ने पत्नी को दिया थर्माकोल का घर

Burhanpur Thermocol House Chilled In Hot Summer And Earthquake Is Ineffective Burhanpur Doctor Built House Like Abroad

 तपती गर्मी में चिल्ड है थर्मोकोल हाउस, भूकंप भी बेअसर… एमपी के डॉक्टर ने बनवाया है विदेशों जैसा घर

Thermocol House In Burhanpur: एमपी के बुरहानपुर में रहने वाले डॉ प्रवीण इंगले ने थर्माकोल हाउस बनवाया है। तपती गर्मी में भी यह घर चिल्ड रहती है। इसके साथ ही भूकंपरोधी भी है। अब इस यूनिक घर को देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

बुरहानपुर25 अप्रैल : एमपी में आसमान से आग बरस रही है। कई जिलों में तापमान में 40 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। प्रदेश में बुरहानपुर को सबसे गर्म जिला माना जाता है। गर्मी के मौसम में यहां तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इसकी वजह से घर से निकलना मुश्किल हो जाता है। भीषण गर्मी से बचने के लिए बुरहानपुर के एक शख्स ने रास्ता ढूंढ लिया है। उसने थर्मोकोल से घर तैयार करवाया है। इस घर पर 48 डिग्री तक तापमान का कोई असर नहीं होता है। बहादुरपुर रोड पर स्थित डॉक्टर प्रवीण कुमार इंगले का घर अपने आप में अनोखा है। इन्होंने अपना पूरा घर थर्मोकोल से बनवाया है।

इस घर में कहीं पर भी भी कॉलम नहीं लगे हैं। न ही ईंटों का उपयोग किया गया है। यह घर पूरी तरह से थर्मोकोल की मटीरियल से तैयार किया गया है। इसे बनाने में पांच इंजीनियरों की टीम लगी है। पूरा घर बनने में छह महीने का वक्त लगा है। घर इतना ठंडा है कि बाहर यदि टेंपरेचर 40 के पार है तो अंदर का तापमान केवल 25 के भीतर रहता है। घर ठंडा होने के कारण ही लोग गर्मी में भी सुकून से रहते हैं।

चाइना से मंगवाया है सामान

डॉक्टर प्रवीण कुमार इंगले ने बताया कि छह साल पहले उन्होंने अपने दोस्तों के सुझाव पर यह घर बनाया है। इसका पूरा मटीरियल चाइना से एक्सपोर्ट किया गया है। करीब 11 फीट की एक शीट थर्माकोल की आई है। सभी जगह 11-11 फिट की थर्माकोल की सीट लगी है, जिसकी लागत लगभग 16 ₹100 स्क्वायर फीट के हिसाब से पड़ी है। 55 से 60 लाख का खर्च इस घर को बनाने में आया है।

इस दो मंजिला मकान को बनाने में कई बातों का ख्याल रखा गया है। घर बनाने के दौरान 5 इंजीनियरों की टीम ने घर का मेजरमेंट तैयार किया। उसके आधार पर पूरा घर बना हुआ है। डॉक्टर प्रवीण कुमार इंगले बताते हैं कि यदि थर्माकोल का मटीरियल अपने देश में मिलने लग जाए तो इसकी कॉस्ट और कम पड़ेगी। साथ ही लोगों को आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।

विदेशों में बनते हैं ऐसे मकान

डॉक्टर प्रवीण कुमार इंगले ने बताया कि इस तरह के मकान मलेशिया, इंडोनेशिया और अमेरिका जैसे फॉरेन देशों में बनाए जाते हैं। वहां पर प्राकृतिक आपदाएं बहुत आती है। भूकंप, बड़े-बड़े बवंडर और तेज हवाओं के कारण वहां जनहानि बहुत होती है, जिसको देखते हुए इस तरह के मकान बनाए जाते हैं। यह मकान पूरी तरह से भूकंप रोधी है। थर्मोकोल का होने के कारण साउंडप्रूफ है।

एसी और पंखों का उपयोग कम

घर में ऐसी पंखे का उपयोग कम किया जाता है। इस घर की ठंडक के कारण पशु-पक्षियों ने भी अपना डेरा जमा लिया है। यह घर प्रकृति को भी अपने करीब रखता है। यही कारण है कि डॉक्टर प्रवीण इंगले को कलेक्टर प्रवीण सिंह ने भी प्रकृति की सुरक्षा की दृष्टि से सम्मानित किया है।

डॉक्टर प्रवीण कुमार की पत्नी सोनाली प्रवीण इंगले ने बताया कि पहले मैं इस तरह का घर बनाने के खिलाफ थी लेकिन मेरे पति ने जब मुझे एक घर बना कर दिया तो घर में पूरी तरह से क्लाईमेट चेंज था। ठंडी में हमें ठंड नहीं लगती, बॉडी टेंपरेचर के हिसाब से घर का टेंपरेचर मेंटेन रहता है। गर्मी ज्यादा भी पड़ जाए तो हमारे घर पर कोई असर नहीं पड़ता है। इतना ही नहीं इस घर को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। प्रवीण के दोस्त बताते हैं कि इस तरह का घर पूरे प्रदेश में एकमात्र घर है। इसके लिए उन्हें गर्व होता है।

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