हाथरस की ‘भाभी’ दो वर्ष पूर्व आगरा गई थी ‘मौसी’ बन कर
हाथरस में पीड़ित परिवार के साथ सक्रिय रहीं भाभी की मुश्किलें बढ़ीं, मेडिकल कॉलेज से मिला नोटिस
पीड़ित परिवार के घर में कई दिन तक रहने के साथ ही पीड़ित परिवार को सरकार तथा जिला प्रशासन के खिलाफ भड़काने के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है। …
लखनऊ, 11, अक्तूबर । मध्य प्रदेश के जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर राजकुमारी बंसल के हाथरस कांड में बेहद सक्रिय भूमिका अदा करने के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। पीड़ित परिवार के घर में कई दिन तक रहने के साथ ही पीड़ित परिवार को सरकार तथा जिला प्रशासन के खिलाफ भड़काने के मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की एटीएस उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है। इसी बीच इनको जबलपुर में उनके संस्थान से भी संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त होने के मामले में नोटिस मिला है।
हाथरस में पीड़ित परिवार की बेहद नजदीकी रिश्तेदार बनकर मीडिया के साथ ही जिला प्रशासन को बयान देने वाली डॉक्टर राजकुमारी बंसल की भूमिका बेहद संदिग्ध है। कभी पीड़ित परिवार की बहन तो कभी भाभी के रूप में सामने आने वाली डॉक्टर के माओवादी तथा नक्सली संगठनों से भी सम्पर्क होने की दिशा में भी जांच की जा रही है। माना जा रहा है कि नक्सलवादियों से जुड़ी महिला ने खुद को युवती की भाभी बताया था। वह महिला (भाभी) युवती के घर रह रही थी और उस पर यह भी आरोप है कि वह उन्हेंं सिखा रही थी कि मीडिया के सामने क्या और कैसे बोलना है। इंसानियत के नाते हाथरस आने की बात कहने वाली डॉक्टर राजकुमारी बंसल भले ही अपने को फोरेंसिक एक्पर्ट बता रही हैं, लेकिन उनकी भूमिका बेहद संदिग्ध है। अब उनके दो वर्ष पहले आगरा आने के प्रकरण को भी खंगाला जा रहा है।
हाथरस में पीड़िता की फर्जी रिश्तेदार बनकर रहने वाली डॉक्टर राजकुमारी बंसल के मामले की जांच में बता चला है कि वह जबलपुर की रहने वाली है और पेशे से डॉक्टर है। तस्वीर और वीडियो मीडिया में आने के बाद जबलपुर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन डॉक्टर राजकुमारी बंसल के खिलाफ सख्त हो गया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर उनको नोटिस भी भेज चुका है। मेडिकल कॉलेज के डीन पीके कसर ने बताया कि फॉरेंसिक विभाग की सहायक प्राध्यापिका डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने चार से छह अक्टूबर तक का अवकाश लिया था। इस दौरान वह बिना कॉलेज प्रशासन को सूचित किए हाथरस मामले में मृतका के स्वजनों से मिलने गई थीं। इसके बाद डीन ने बताया कि वह इस तरह के मामलों में होने वाले प्रदर्शन का हिस्सा नहीं बन सकती हैं क्योंकि वह सरकारी कर्मचारी हैं। एक शासकीय सेवक का इस तरह के आंदोलनों में शामिल होने को गंभीर कदाचरण माना गया है। अब तो डॉक्टर राजकुमारी बंसल को नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। शासन के नियमों के मुताबिक उन पर कार्रवाई भी की जाएगी।
बोलीं- इंसानियत के नाते गईं थी हाथरस
हाथरस में अपनी भूमिका पर उठ रहे सवाल पर डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने बताया कि वो इंसानियत के नाते हाथरस पहुंची थीं और पीड़िता के परिवार की मदद करना ही उनका मकसद था। इसके साथ ही दावा किया है कि एक फोरेंसिंक एक्सपर्ट होने के नाते वो पीड़िता के इलाज से संबंधित दस्तावेज देखना चाहती थीं, लेकिन उन्हेंं दस्तावेज देखने को नहीं मिले। खुद के नक्सलियों से संबंध होने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए राजकुमारी बंसल का कहना है कि यदि उनके संबंध नक्सलियों से हैं तो जांच एजेंसियां इसे साबित करके दिखाएं। खुद के फोन टैपिंग होने का भी आरोप लगाते हुए जबलपुर के साइबर सेल में इसकी शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर ली है।
हाथरस की घटना के बाद दो दिन सो नहीं सकीं थीं बंसल
राजकुमारी बंसल ने कहा कि हाथरस घटना की जानकारी मिलने के बाद उन्हेंं दो दिन तक नींद नहीं आई थी। वह परिजनों को सहानुभूति देने और संवेदना व्यक्त करने के लिए हाथरस गई थी और उनके निवेदन पर रुकने का फैसला किया। उनके रुकने के दौरान भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर भी परिजनों से मिलने आए थे। तभी कई मीडिया वालों ने इस मुद्दे पर उसके वीडियो रिकॉर्ड किए थे, जो फिलहाल सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं। इसके बाद राजकुमारी बंसल ने अपने बयान में कहा कि बहुत से लोग मुझे माओवादी बुला रहे हैं, मेरे ऊपर झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। जितने भी लोग मेरी छवि को बदनाम करने के लिए मेरे वीडियो वायरल कर रहे हैं, मुझ पर झूठे आरोप लगा रहे हैं, मैं उन सभी के विरुद्ध मामला दर्ज कराऊंगी।
मौसी बनकर दो वर्ष पहले आईं थी आगरा
हाथरस कांड में पीड़िता की भाभी बनकर घर में रुकने वाली महिला दो वर्ष पहले आगरा में संजलि हत्याकांड के बाद आई थी। तब वह संजलि की मौसी बनकर दिल्ली से ही शव के साथ आई थी। शव का अंतिम संस्कार करने से रोकने की कोशिश की थी। ग्रामीणों के आगे आ जाने के कारण उनकी नहीं चल सकी थी। इसके बाद में पुलिस की जांच में फर्जी मौसी का मामला खुला था। तब तक वह यहां से चली गई थी। मलपुरा के लालऊ निवासी 15 वर्षीय संजलि 18 दिसंबर 2018 को स्कूल से साइकिल लेकर घर जा रही थी। तभी रास्ते में उसके ऊपर पेट्रोल डालकर आरोपितों ने आग लगा दी थी। संजलि अनुसूचित जाति से थी। इसको मुद्दा बनाने की कोशिश की गई थी। सफदरजंग में उपचार के दौरान संजलि की मौत होने के बाद एक महिला और उसके साथ कुछ युवक लालऊ गांव में पहुंचे थे। गांव में शव पहुंचने के बाद उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया था।
महिला खुद को संजलि की मौसी बताकर विरोध कर रही थी। वह कह रही थी कि अगर संजलि सामान्य जाति की होती तो मुख्यमंत्री वहां आ जाते। वह शव को न उठने देने का एलान कर रही थी। उसके साथ आए युवक भी शव के चारों ओर खड़े हो गए थे। तब न तो संजलि के स्वजन कुछ समझ पा रहे थे और न ही पुलिस। इसके बाद में उनके तेवर देखकर ग्रामीणों ने उन्हेंं खदेड़ दिया। शव का अंतिम संस्कार कराया। उनके वहां से जाने के बाद पता चला कि वह महिला मौसी नहीं थी। मामला खुला तो करीबी ही हत्यारोपित निकले। दोबारा महिला और उसके साथी गांव में नहीं पहुंचे।