पुण्य स्मरण:पति के बलिदान बाद दुर्गा भाभी ने दिया क्रांतिकारियों को नेतृत्व
✒✒✒ *राष्ट्र को समर्पित जीवन* ✒✒✒
मन समर्पित, तन समर्पित और यह जीवन समर्पित; चाहता हूँ देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूँ।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 *दुर्गा भाभी* 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
*जन्म:* 07.10.1907 *निधन:* 15.10.1999
🇮🇳 *प्रिय राष्ट्रभक्तों आज भारत की महान महिला क्रांतिकारी दुर्गा भाभी की 20वीं पुण्यतिथि है। दुर्गा भाभी जी भारत के स्वतंत्रता संग्राम की महिला क्रांतिकारी व क्रान्तिकारियों की प्रमुख सहयोगी थीं। वह क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा की धर्मपत्नी थीं। चन्द्रशेखर आज़ाद के अनुरोध पर ‘दि फिलॉसफी ऑफ़ बम’ दस्तावेज तैयार करने वाले क्रांतिकारी भगवतीचरण बोहरा की पत्नी दुर्गावती बोहरा क्रांतिकारियों के बीच ‘दुर्गा भाभी’ के नाम से मशहूर थीं। सन् 1927 में लाला लाजपतराय की मौत का बदला लेने के लिये लाहौर में बुलायी गई बैठक की अध्यक्षता दुर्गा भाभी ने की थी। तत्कालीन बम्बई के गर्वनर हेली को मारने की योजना में टेलर नामक एक अंग्रेज़ अफ़सर घायल हो गया था, जिस पर गोली दुर्गा भाभी ने ही चलायी थी।*
📝 दुर्गा भाभी का जन्म शहजादपुर ग्राम, इलाहाबाद में पंडित बांके बिहारी के यहाँ हुआ था। इनके पिताजी इलाहाबाद कलेक्ट्रेट में नाजिर (a native court official in India who serves processes, acts as treasurer and performs other similar duties) थे और इनके बाबा महेश प्रसाद भट्ट जालौन जिला में थानेदार के पद पर तैनात थे। इनके दादा पंंडित शिवशंकर शहजादपुर में जमींदार थे। 10 वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह लाहौर के भगवती चरण बोहरा के साथ हुआ। इनके ससुर शिवचरण रेलवे में हायर पोस्ट पर तैनात थे। अंग्रेज सरकार ने उन्हें राय साहब का खिताब दिया था। भगवती चरण बोहरा राय साहब का पुत्र होने के बावजूद अंग्रेजों की दासता से देश को मुक्त कराना चाहते थे। वे क्रांतिकारी संगठन के प्रचार सचिव थे।
📝 *क्रांतिकारी भगवतीचरण बोहरा के साथ विवाह हो जाने के बाद दुर्गा भाभी शीघ्र ही वे अपने पति के कार्यों में सहयोग देने लगी थीं। उनका घर क्रांतिकारियों का आश्रयस्थल था। वे सभी का आदर करतीं, स्नेहपूर्वक उनका सेवा-सत्कार करतीं। इसलिए सभी क्रांतिकारी उन्हें ‘भाभी’ कहने लगे थे* और यही उनका नाम प्रसिद्ध हो गया। जब भगत सिंह असेंबली में बम फेंकने जा रहे थे तो दुर्गा भाभी ने अपनी बाँह काटकर खून से उनका तिलक किया था। चंद्रशेखर आजाद आखिरी लड़ाई जिस बंदूक के लड़ रहे थे वह भी इनकी ही लाई हुई थी। *अपने क्रांतिकारी जीवन में दुर्गा भाभी ने खतरा मोल लेकर कई बड़े काम किये। उनमें सबसे बड़ा काम था – लाहौर में लाला लाजपत राय जी पर लाठी बरसाने वाले सांडर्स की हत्या करने के बाद भगतसिंह (वेश बदलकर) को 18 दिसम्बर, 1928 को सुरक्षित कोलकाता पहुँचाया था।*
पुत्र के साथ दुर्गा भाभी
📝 पति की बलिदान:- इधर 63 दिन की भूख हड़ताल के बाद लाहौर जेल में ही *जतिन्द्रनाथ दास यानी जतिन दा की मौत हो गई तो उनकी लाहौर से लेकर कोलकाता तक ट्रेन में और कोलकाता में भी अंतिम यात्रा की अगुवाई दुर्गा भाभी ने ही की।* इधर उनके पति भगवतीचरण बोहरा ने लॉर्ड इरविन की ट्रेन पर बम फेंकने के बाद भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव समेत सभी क्रांतिकारियों को छुड़ाने की योजना बनाई और इसके लिए वह रावी नदी के तट पर लाहौर में बम का परीक्षण कर रहे थे। 28 मई, 1930 का दिन था कि अचानक बम फट गया और भगवतीचरण बोहरा की मौत हो गई। दुर्गा भाभी को बड़ा झटका लगा, लेकिन वह जल्द ही उबर गईं और देश की आज़ादी को ही अपने जीवन का आखिरी लक्ष्य मान लिया।
क्रांतिकारी पति भगवती चरण वोहरा व पुत्र के साथ दुर्गा भाभी
तब दुर्गा भाभी ने अंग्रेज़ों को सबक सिखाने के लिए पंजाब प्रांत के पूर्व गवर्नर लॉर्ड हैली पर हमला करने की योजना बनाई। दुर्गा भाभी ने उस पर 09 अक्टूबर, 1930 को बम से हमला किया। हैली और उसके कई सहयोगी घायल हो गए, लेकिन वह घायल होकर भी बच गया। उसके बाद दुर्गा भाभी बचकर निकल गईं, लेकिन जब मुंबई से पकड़ी गईं तो उन्हें तीन साल के लिए जेल भेज दिया गया। बताया तो ये भी जाता है कि चंद्रशेखर आज़ाद के पास आखिरी वक्त में जो माउजर था, वह भी दुर्गा भाभी ने ही उनको दिया था।
प्रसिद्ध साहित्यकार अमृत लाल नागर दुर्गा भाभी के साथ
📝 मांटेसरी स्कूल की शुरुआत:- पुलिस उन्हें बार-बार परेशान कर रही थी। लाहौर से उन्हें ज़िला बदर कर दिया गया। ऐसे में वह सन् 1935 में गाज़ियाबाद निकल आईं, जहाँ उन्होंने एक स्कूल में अध्यापिका की नौकरी कर ली। फिर उन्होंने मद्रास जाकर मांटेसरी सिस्टम की ट्रेनिंग ली और फिर लखनऊ में कैंट रोड पर एक मांटेसरी स्कूल खोला। शुरू में जिसमें सिर्फ 05 बच्चे थे। दुर्गा भाभी को मांटेसरी स्कूलिंग सिस्टम के शुरुआती लोगों में गिना जाता है। इस महान क्रांतिकारी ने 15.10.1999 को अंतिम साँस ली।
इलाहाबाद में दुर्गा भाभी का उपेक्षित परिवार
राकेश कुमार ✒ *शिक्षक* ✒ 9891960477