पुण्य स्मृति:नवजीवन घोष,अल्पायु में ही दिया अंग्रेजों की जेल में बलिदान
………… चरित्र-निर्माण, समाज-सुधार तथा राष्ट्रवादी जन-चेतना के लिए समर्पित *मातृभूमि सेवा संस्था* (राष्ट्रीय स्तर पर पंजीकृत) आज देश के ज्ञात व अज्ञात राष्ट्रभक्तों को उनके अवतरण, स्वर्गारोहण व बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन करती है।🙏🙏🌹🌹🌹🌹
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🔥 *नवजीवन घोष * 🔥
✍️ राष्ट्रभक्त साथियों, आज क्रान्तिकारी घटनाओं की राजधानी मिदनापुर, पश्चिम बंगाल में जन्मे नवजीवन घोष के जीवन से परिचित होने का प्रयास करेंगे। इनका पूरा परिवार क्रान्तिकारी गतिविधियों में संलग्न था। इनके एक भाई प्रोफेसर विजय जीवन घोष को स्वदेशी आंदोलन में भाग लेने के कारण सरकारी नौकरी से निकाल दिया गया था। इनके छोटे भाई ज्योति जीवन घोष को क्रान्तिकारी गतिविधियों के कारण जेल में डाल दिया गया। इनके बडे़ भाई निर्मल जीवन घोष बहुत बड़े क्रांतिकारी थे। निर्मल जीवन घोष मिदनापुर के क्रूर मजिस्ट्रेट बर्नार्ड ई. जे. बर्ज को मौत के घाट उतारने वाली क्रान्तिकारी टीम के हिस्सा थे, जिन्हें इस केस में फाँसी मिली।
📝 पश्चिमी बंगाल की क्रांतिकारी भूमि के हुगली जिले में जामिनी जीवन घोष के घर जन्मे नवजीवन घोष, क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुडे़ थे। पुलिस इन पर नजर रख रही थी। इन्हें दिन प्रतिदिन पुलिस तंग करती थी। पुलिस के अत्याचार से तंग आकर मिदनापुर से कोलकाता आ गए। पुलिस ने यहाँ भी इनका पीछा नहीं छोड़ा। फरवरी 1934 में पुलिस ने बंगाल आपराधिक कानून अधिनियम में गिरफ्तार कर बरहामपुर कैम्प में नजरबंद कर लिया। कैम्प में इनके साथ बहुत ज्यादती होती थी, जिसके कारण इनका जेल कर्मचारियों से विवाद हो जाता था। ऐसे ही एक विवाद में 22 सितम्बर, 1936 को जेल अधिकारियों ने इन्हें इतना मारा कि बहुत ज्यादा चोट लगने के कारण बलिदान हाे गए। जेल अधिकारियों ने इनके शव को इनके माता-पिता को भी नहीं दिया। निधन से पहले लिखे दो पत्र भी जेल अधिकारियों ने माता-पिता को नहीं दिए। जेल अधिकारियों ने ये खबर फैला दी कि नवजीवन घोष ने आत्महत्या की है। *मातृभूमि सेवा संस्था भारत माता की आज़ादी के लिए बहुत कम उम्र में बलिदान होने वाले ऐसे क्रान्तिवीर केे सम्मान में नतमस्तक है।*🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
✍️ राकेश कुमार
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