साहित्य चोर बदजुबान मुनव्वर राणा अब उलझे उलेमाओं से
जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन मौलाना कारी इसहाक गोरा ने मुनव्वर राणा के बयान की निंदा करते हुए कहा कि उनका बयान खुद उनके लिए शर्मनाक है। उन्होंने किसी एक को नहीं बल्कि तमाम उलमा को बुरा भला कहा है, जिसको बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। जनता उनकी शायरी और उनके कलाम की बड़ी इज्जत करती है। उलमा को लेकर उनके बयान ने लाखों लोगों के दिलों को ठेस पहुंची है। उन्होंने कहा कि यदि उनको अपने दिए बयान पर अफ़सोस है तो अपना बयान वापस लेकर मुल्क की जनता से माफी मांगनी चाहिए। कारी इसहाक ने कहा कि अगर राणा माफी नहीं मांगते तो उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए। मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी का कहना है कि मुनव्वर राणा के बयान की जितनी निंदा की जाए कम है। उन्होंने कहा कि राणा के अपने बयान के लिए अल्लाह से तौबा करनी चाहिए। क्योंकि उत्तर प्रदेश में एक से बढ़कर एक आलिम हैं। इतना ही नहीं देवबंद इल्म की नगरी है जहां से बड़े बड़े उलमा पैदा हुए हैं। उन सभी के लिए गलत टिप्पणी करना घोर निंदनीय है। मुफ्ती असद ने कहा कि राणा खुद शरीयत के मुताबिक जिंदगी नहीं गुजारते और दूसरे पर गलत टिप्पणी करते हैं। बता दें कि शायर मुनव्वर राणा ने एक इंटरव्यू में प्रदेश के उलमा के बारे में टिप्पणी की है। उनके इंटरव्यू की यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
मुफ्ती असद कासमी
जिस ‘मां’ ग़ज़ल से फेमस हुआ मुन्नवर राणा वो तो किसी और की थी! जवाब आज तक नहीं जनाब ने। हद है बेशर्मी की।
राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले विवादास्पद शायर मुनव्वर राणा सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मुनव्वर राना जिस मां को लेकर दुनिया भर में फेमस हुए वो मां किसी और की थी। जी हां… मुन्नवर राणा ने जिस शेर पर तमाम उम्र मुशायरों और महफिलों में वाह-वाही लूटी, असल में वो आलोक श्रीवास्तव की ‘अम्मा’ कविता से चुराई गईं हैं।
इसका खुलासा मई में डीडी न्यूज के पत्रकार अशोक श्रीवास्तव के एक ट्वीट से हुआ। अशोक श्रीवास्तव ने लिखा कि मुन्नवर राणा पर आरोप हैं कि उनकी मशहूर नज़्म “मेरे हिस्से में माँ आई” दअरसल हिंदी कवि आलोक श्रीवास्तव की कविता “मेरे हिस्से अम्मा आई” को चुरा कर लिखी गई। ( आलोक जी का पुराना पत्र पढ़िए), मुन्नवर राणा जी आरोप गंभीर है। जवाब दें अन्यथा कोई अवार्ड बचा हो तो लौटा दें।
अशोक श्रीवास्तव ने इस ट्वीट के साथ आलोक श्रीवास्तव की ओर से मुन्नवर राणा को 30 मई, 2003 में लिखा एक पत्र भी शेयर किया गया है।
इस पत्र में आलोक श्रीवास्तव ने साफ लिखा है कि बार-बार टोकने के बाद भी मुनव्वर राना ने अपने मुशायरे में उनकी लिखी पंक्तियों को इस्तेमाल किया। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि आपके इस अनुज ने अपनी बड़ी पुरानी एक गजल का ये शेर पढ़के खासी दाद बटोरी थी-
‘बाबूजी गुजरे आपस में सब चीजें तकसीम हुईं तब-
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा।’
आलोक ने आगे लिखा है कि अब आप फर्माते है-
‘मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।?’
मुनव्वर राना की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया न आने पर अशोक श्रीवास्तव ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि पुष्टि के बाद पुनः यह पत्र ट्वीट कर रहा हूँ। जिस नज़्म ‘मेरे हिस्से में माँ आई’ की कमाई मुनव्वर राना, ज़िंदगी भर खाते रहे वो आलोक श्रीवास्तव, जी की कविता की कॉपी है। मुनव्वर राना ने खत का आज तक जवाब नहीं दिया, बेशर्मी से चुराई नज़्म पर पुरस्कार और तालियाँ बटोरते रहे।”