VDOभर्ती घोटाला: डॉक्टर आरबीएस रावत, कन्याल और पोखरिया की हिरासत 14 दिन बढ़ी
DEHRADUN/14 DAYS JUDICIAL CUSTODY EXTENDED FOR FORMER OFFICERS OF UKSSSC IN VDO RECRUITMENT SCAM
VDO भर्ती घोटाला: आयोग के पूर्व अधिकारियों की कोर्ट में पेशी, 14 दिन की न्यायिक हिरासत बढ़ी
उत्तराखंड में साल 2016 में हुए ग्राम विकास अधिकारी (VDO) भर्ती घोटाले मामले में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष रघुबीर सिंह रावत , सचिव एम एस कनियाल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र पोखरिया को सोमवार देहरादून कोर्ट में पेश किया गया. जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में सुद्दोवाला जेल भेज दिया गया है. STF ने ईडी को पत्र लिखकर उनकी संपत्ति का ब्यौरा भेज जानकारी के आधार पर जांच करने की अपील की है.
देहरादून:साल 2016 ग्राम विकास अधिकारी (VDO) भर्ती घोटाले मामले में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत , सचिव और परीक्षा नियंत्रक आरोपित अधिकारियों को एक बार फिर सोमवार देहरादून कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में सुद्दोवाला जेल भेज दिया गया है.
वहीं, इस भर्ती घोटालें में सलाखों के पीछे धकेले गए आयोग पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर आरबीएस रावत की संपत्ति जांच की भी तैयारी है. इसके लिए STF ने ईडी को पत्र लिखकर उनकी संपत्ति का तात्कालिक विवरण भेज जानकारी के आधार पर जांच करने की अपील की है. बताया जा रहा है कि इस भर्ती घोटाले में आरोपित तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष के साथ ही पूर्व सचिव एमएस कन्याल और परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र पोखरिया की भी संपत्ति की जांच की जा सकती है. प्रारंभिक कार्रवाई में एसटीएफ ने तीनों ही अधिकारियों की संपत्ति का लेखा-जोखा जुटाकर ED को पत्राचार के माध्यम बताया है.
तीन माह की जगह परीक्षा के मात्र 23 दिनों में कैसे परिणाम जारी
बता दें कि 6 मार्च, 2016 में ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती आयोजित की गई थी. इस भर्ती परीक्षा में लगभग 1 लाख 10 हजार आवेदन आये थे, जिनमें से 87 हजार अभ्यर्थी परीक्षा शामिल हुए थे. हैरानी की बात यह रही की परीक्षा आयोजन के मात्र 23 दिनों बाद यानी 29 मार्च, 2016 को परिणाम जारी कर दिया गया. जबकि इस परीक्षा आयोजन के अलग-अलग औपचारिकता के लिए कम से कम 3 माह का समय निर्धारित था.
परीक्षा आयोजित होने के बाद 87 हजार अभ्यर्थियों के आंसर शीट चेक करना और उसके बाद आपत्तियों का निस्तारण कर अंतिम आंसर शीट के साथ रिजल्ट आउट करना निर्धारित था, लेकिन ऐसा कैसे हुआ इस पर संशय बरकरार है. अब तक की जांच में यही सामने आया है कि मोटी रकम वसूल कर ओएमआर शीट (Optical Mark Recognition) से छेड़छाड़ कर भारी संख्या में अपात्र अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचा कर VDO की नौकरी में नियुक्ति दी गई.
VDO भर्ती घोटाले में हो सकती हैं और गिरफ्तारियां
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक साल 2016 वीडीओ भर्ती घोटाले में आयोग के तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष सहित तीन अधिकारियों के जेल जाने के बाद अब कई अन्य अधिकारी-कर्मचारियों पर भी जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है. इस बात की संभावना जताई जा रही है कि इस पूरे भर्ती घोटाले में सरकारी और गैर सरकारी कुछ और लोगों की गिरफ्तारी भी हो सकती है.
FORMER SECRETARY OF UKSSSC MANOHAR SINGH KANYAL SUSPENDED
धामी सरकार की एक और स्ट्राइक, UKSSSC के पूर्व सचिव मनोहर सिंह कन्याल सस्पेंड
Suspended former secretary of Uksssc Manohar Singh Kanyal
UKSSSC पेपर लीक मामले में सरकार ने आयोग के पूर्व सचिव मनोहर सिंह कन्याल को सस्पेंड कर दिया है. उत्तराखंड सरकार ने गिरफ्तारी के बाद उनके सस्पेंशन के दिए आदेश जारी किए हैं. मनोहर सिंह कन्याल वीपीडीओ भर्ती 2016 के दौरान आयोग के सचिव थे.
UKSSSC पेपर लीक मामले(UKSSSC paper leak case) में धामी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. मामले में UKSSSC के पूर्व सचिव मनोहर सिंह कन्याल (Manohar Singh Kanyal former secretary of UKSSSC) को सस्पेंड कर दिया गया है. फिलहाल मनोहर सिंह कन्याल संयुक्त सचिव लेखा के पद पर तैनात थे. शासन ने गिरफ्तारी के बाद उनके सस्पेंशन के दिए आदेश जारी किए हैं. मनोहर सिंह कन्याल वीपीडीओ भर्ती 2016 के दौरान आयोग के सचिव थे.
एमएस कन्याल का निलंबन आदेश आठ अक्तूबर को हुई गिरफ्तारी से प्रभावी होगा. एमएस कन्याल 2016 में हुई वीपीडीओ भर्ती के दौरान आयोग में सचिव थे.इस भर्ती में ओएमआर शीट से छेड़छाड़ हुई थी,जिसके पुख्ता प्रमाण भी सामने आए थे.2018 में विजिलेंस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया था.जिसके बाद हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले को एसटीएफ के हवाले कर दिया था.
भर्ती घोटाले में पूछताछ के बाद शनिवार को एसटीएफ ने कन्याल को गिरफ्तार किया.सोमवार को अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कन्याल को सस्पेंड करने का आदेश जारी किया.कन्याल वर्तमान में सचिवालय में संयुक्त सचिव लेखा थे.
बता दें बता दें कि 2016 VPDO भर्ती के मामले में लंबे समय से जांच चल रही थी. लेकिन मुख्यमंत्री धामी के कड़े रुख के बाद जांच एजेंसियों ने भी तेजी दिखाई. मुख्यमंत्री धामी पिछले दिनों भर्तियों पर उठ रहे सवाल के जवाब देते हुए कहा था कि वो अपने युवा भाई-बहनों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे, सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार का जो दीमक लगा है, उसे वे जड़ से मिटा देंगे. इसी कड़ी में VPDO भर्ती में साल बाद दोषियों के खिलाफ यह कार्रवाई करते हुए धामी सरकार ने बड़ी लकीर खींच दी है.
क्या था मामला
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 6 मार्च 2016 को ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (VPDO) चयन परीक्षा करवाई गई. यह परीक्षा प्रदेश के सभी 13 जिलों के 236 परीक्षा केंद्रों में संचालित की गई. इस परीक्षा में कुल 87,196 परीक्षार्थियों ने परीक्षा में भाग लिया. वहीं, 30 मार्च 2016 को परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया था. वहीं, इस परीक्षा में धांधली की विभिन्न शिकायतों के आधार पर उत्तराखंड शासन द्वारा तत्कालीन अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 2017 में जांच समिति गठित की गई थी. इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने इस परीक्षा परिणाम को अनियमितताओं के पुष्टि के बाद निरस्त करने के आदेश दिये थे. जिसके बाद इस परीक्षा धांधली की जांच 2019 में विजिलेंस को सौंपी गई.
जिसके बाद इस मामले में विजिलेंस की ओर से धारा 420/468/467/120B आईपीसी व धारा 13 (1) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करने को शासन से अनुमति मांगी गई थी. शासन से अनुमति मिलने के बाद विजिलेंस ने इस मामले में मुकदमा दर्ज किया. वहीं, 2020 से 2022 तक इस मामले की जांच विजिलेंस ही कर रही थी। भर्ती में धांधली के खिलाफ लगातार उठ रहे सवालों के बाद अगस्त महीने में मुख्यमंत्री के आदेश पर यह जांच एसटीएफ को सौंपी गई. जिसके बाद से एसटीएफ इस मामले की जांच कर रही थी. एसटीएफ ने विवेचना आगे बढ़ाते हुए सूबत इकट्ठा किये और पूर्व में जांच कमेटी ने इस परीक्षा से संबंधित ओएमआर शीट को FSL भेजा था. FSL से OMR शीट में छेड़छाड़ होने की पुष्टि हुई थी.
वहीं, इस जांच के दौरान एसटीएफ ने पाया कि इस परीक्षा से संबंधित ओएमआर स्कैनिंग/फाइनल रिजल्ट बनाए जाने का का कार्य तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल के घर पर हुआ था. वहीं, जांच में अभी तक दो दर्जन से अधिक अभ्यर्थियों को एसटीएफ ने चिन्हित करके उनके बयान भी दर्ज किये हैं. साथ ही इस जांच के दौरान कई अहम गवाहों के बयान न्यायालय में भी दर्ज कराए जा चुके हैं. जो केस की अहम सबूत हैं.अब तक हुई कार्रवाई: इस मामले में एसटीएफ ने पूर्व में तीन अभियुक्त मुकेश कुमार शर्मा, मुकेश कुमार और राजेश पाल को गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद एसटीएफ पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर तत्कालीन अध्यक्ष UKSSSC डॉक्टर रघुवीर सिंह रावत, तत्कालीन सचिव UKSSSC मनोहर सिंह कन्याल और तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक UKSSSC राजेंद्र सिंह पोखरिया को गिरफ्तार किया है. जिसके बाद तीनों आरोपित पूर्व अधिकारियों को देहरादून रिमांड कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में सुद्धोवाला जेल भेज दिया गया है।