यह कैसी पत्रकारिता? फारूख और करन थापर पर कब होगा देशद्रोह का मुकदमा?

मुझे शक है कि हम मित्रों में से किसी ने ‘द वायर’ पर प्रसारित फारुख अब्दुल्ला का इंटरव्यू नहीं देखा होगा ! मुझे 100 % विश्वास है कि भारत के गृहमंत्री या राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भी यह 42 मिनट का इंटरव्यू नहीं देखा है ! सबसे खास बात यह है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने भी फारुख और करन थापर के सामूहिक देशद्रोह पर फोकस नहीं किया…. लेकिन इस इंटरव्यू के कारण पश्चिमी दुनिया में भारत की छिछालेदारी शुरू हो चुकी है… मैं गारंटी लेता हूँ कि अमेरिका जैसे लिबरल देश मे भी वहां का कोई नेता और पत्रकार अमेरिका की ऐसी छिछालेदारी करता तो नेता और पत्रकार दोनो जेल में होते…. प्रसारित करनेवाले न्यूज़ पोर्टल पर ताला लग गया होता….

ज़रा प्रश्नों की बानगी देखिये… ” कश्मीर कब तक भारत के हाथों से निकल जाएगा ?”… “क्या इस हरकत के लिए आप मोदी और अमित शाह को माफ कर देंगे ? “…. “कश्मीर एक मुस्लिम डोमिनेटेड स्टेट है,यहाँ पर हिंदू अधिकारी और ब्यूरोक्रेट क्या कर रहे हैं ? “… चीन भारत पर अटैक कर दे तो आप क्या करेंगे ? “….”आपको लोकसभा में बोलने क्यों नहीं दिया गया ?”….ऐसे दर्जनों प्रश्न…. करन थापर पूछता रहा…. ज़ाहिर है कि इंटरव्यू से पहले जो प्रश्न पूछे जाने थे… वह पहले ही करन थापर को दे दिए गए थे…. करन थापर उस पर और नमक मिर्च लगा कर पूछ रहा था…. फारुख अब्दुल्ला दांत पीस-पीसकर भारत सरकार और PM को गालियां सुनाते हुए उत्तर दे रहा था !
अब आते हैं… फारुख अब्दुल्ला के खुले दोषद्रोह पर ! ऐसे ही एक इंटरव्यू के बाद नेहरू जैसे कम्युनिस्ट ने शेख अब्दुल्ला की सरकार को बर्खास्त कर शेख अब्दुल्ला को दस साल के लिए जेल में डाल दिया था और बक्शी गुलाम मोहम्मद को कश्मीर का PM बना दिया था !
3 दिन पहले के इंटरव्यू में फारुख अब्दुल्ला ने दांत पीसते हुए कहा हुए कहा कि कश्मीर से मिलिट्री हटाइये… एक एक कश्मीरी सड़क पर होगा… सरकार की चूलें हिला देगा ! कश्मीर में एक भी शख्स खुद को भारतीय नहीं मानता..… हम कश्मीरी भारत के बजाय चीन के नागरिक बनना पसंद करेंगे… अर्थात चीन को भारत पर आक्रमण का खुला न्योता दे रहा है फारुख अब्दुल्ला !
सभी मित्र इस इंटरव्यू को ‘द वायर’ पर अवश्य देखें !…. फारुख अब्दुल्ला और करन थापर पर भारत सरकार तुरन्त सख्त (कम से जेल) कार्यवाही के लिए पोस्टें लिखें….
अगर फारुख और करन थापर यूहीं भारत विरोधी एजेंडा द वायर के माध्यम से चलाते रहे तो…. सोशल मीडिया का होना बेकार है….
*वरिष्ठ पत्रकार केएन गुप्ता की वाट्स एप वाल से

 

 

370 और अनुच्छेद 35ए पर प्रधानमंत्री मोदी ने हमसे झूठ बोला: फ़ारूक़ अब्दुल्ला

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला का कहना है कि वे अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए को दोबारा लागू करवाने और जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए आख़िरी सांस तक शांतिपूर्ण ढंग से लड़ेंगें

नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि मौजूदा समय में कश्मीरी नागरिक खुद को भारतीय नहीं समझते और वे भारतीय रहना भी नहीं चाहते.

उन्होंने यहां तक कहा कि इसके बजाय कश्मीरी नागरिक चीनी शासक शासन में रहने को तैयार हैं. अब्दुल्ला ने द वायर के लिए करण थापर को दिए साक्षात्कार में यह बातें कहीं.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और बीते चार दशकों से जम्मू कश्मीर की राजनीति में भारत समर्थित चेहरों में से एक रहे फारूक ने कश्मीरियों की तुलना गुलामों से करते हुए कहा कि उनके साथ देश के दोयम दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार किया जा रहा है.

द वायर को दिए इस 44 मिनट के साक्षात्कार में अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा का यह कहना बिल्कुल निरर्थक है कि कश्मीर के लोगों ने अगस्त 2019 में हुए बदलावों को स्वीकार कर लिया है, वह भी सिर्फ इसलिए कि वहां कोई प्रदर्शन नहीं हुए.

उन्होंने कहा कि अगर कश्मीर की हर सड़क से सैनिकों को हटा दिया जाए और वहां से धारा 144 भी हटा दी जाए तो लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर निकलेंगे.

अब्दुल्ला के अनुसार घाटी को हिंदुओं से भर देने और घाटी को हिंदुओं को बहुमत में लाने के लिए ही नया डोमिसाइल कानून लाया गया. उन्होंने कहा कि इससे कश्मीर के लोगों में और कड़वाहट पैदा हुई है.

यह पूछने पर कि कश्मीर के लोग केंद्र सरकार विशेष रूप से प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को किस तरह देखते हैं?

इस पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘उनका मोहभंग हो गया है. उनका केंद्र सरकार में कई विश्वास नहीं है. वो भरोसा जो कश्मीर को बाकी देश से जोड़ता था, अब पूरी तरह से खत्म हो गया है.’

अब्दुल्ला ने पांच अगस्त 2019 को कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने को लेकर हुए फैसले से 72 घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बैठक से जुड़ी जानकारियों का खुलासा भी किया.

फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर अनुच्छेद 370 और 35ए को जारी रखने का आश्वासन मांगा था. उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा था कि घाटी में इतने सैन्य टुकड़ियों को क्यों तैनात किया है? क्या यह किसी तरह के सैन्य खतरे की वजह से है?

अब्दुल्ला के अनुसार प्रधानमंत्री ने जानबूझकर ऐसा इशारा दिया कि सैन्यबलों की बढ़ी तैनाती की वजह सुरक्षा कारण हैं. अब्दुल्ला ने कहा कि मोदी ने बैठक में अनुच्छेद 370 और 35ए को लेकर एक शब्द नहीं कहा.

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई उस बैठक के बाद उन्हें विश्वास था कि इन दोनों अनुच्छेदों को कोई खतरा नहीं है. हालांकि, वह सहमत हैं कि प्रधानमंत्री ने उन्हें भ्रमित किया और धोखा दिया.

अब्दुल्ला ने कहा कि पांच अगस्त 2019 को जब अचानक से संवैधानिक बदलाव किए गए, उस समय नेशनल कॉन्फ्रेंस और अन्य मुख्यधारा के राजनीतिक दलों पर कश्मीरी लोगों की नजरों में गिर-से गए.

वह खुद के बारे में कहते हैं कि वह खुद दो तरफ से फंसे थे. एक तरफ केंद्र सरकार ने उन्हें देशद्रोही की तरह देखा और गिरफ्तार कर लिया था. दूसरी तरफ, कश्मीरी उन्हें सरकार के खिदमतगार के रूप में देख रहे थे और ‘अब्दुल्ला के साथ सही हुआ’ जैसी बातें कह रहे थे.

अब्दुल्ला ने कहा कि उनके ‘भारत माता की जय’ बोलने पर उन्हें भला-बुरा कहा गया, तंज कसे गए, जिसने उन्हें बहुत निराश किया.

उन्होंने कहा, ‘हालांकि नजरबंदी में सात से आठ महीने रहने के बाद भी अपने रुख पर कायम रहने की वजह से कश्मीरियों के मन में उनकी पार्टी और अन्य मुख्यधारा के दलों को लेकर विश्वास दोबारा बहाल हुआ. लोगों को अब एहसास हुआ कि हम सरकार के खिदमतगार नहीं हैं.’

उन्होंने कहा कि न केवल नेशनल कॉन्फ्रेंस बल्कि सभी दल इस मुद्दे पर साथ हैं और कश्मीरियों की गरिमा को बहाल करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं यानी अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को दोबारा लागू करने और जम्मू कश्मीर को दोबारा राज्य का दर्जा दिलवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

उन्होंने कहा कि वह इसके लिए अपनी आखिरी सांस तक लड़ते रहेंगे लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से.

अब्दुल्ला ने कहा कि उनका सुप्रीम कोर्ट में विश्वास है और उम्मीद है कि अदालत उनकी पार्टी की ओर से दायर की जा रही याचिका को स्थगित करना बंद करेगा और उस पर सुनवाई करेगा. साक्षात्कार के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों से संवैधानिक मामलों पर जल्द सुनवाई की अपील की.

यह पूछने पर कि उन्होंने संसद के मौजूदा सत्र के दौरान इस मुद्दे को क्यों नहीं उठाया, उन्होंने जवाब दिया कि उन्हें समय ही नहीं दिया गया.

उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और वामपंथी दलों के सांसदों के साथ मिलकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मिलने गए थे और स्पीकर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि चर्चा के लिए समय आवंटित किया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

यह पूछने पर कि क्या उन्हें लगता है कि सरकार ने इसमें हस्तक्षेप कर स्पीकर से आपको समय नहीं देने को कहा होगा? इस पर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें इसके बारे में नहीं पता लेकिन उन्होंने इस पर सहमति जताई कि लोकसभा अध्यक्ष अपने वादे पर खरे नहीं उतरे.

अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर के हित के लिए मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवार अपने पिछले मतभेदों को भुलाकर एक साथ आ गए हैं.

उन्होंने कहा कि आज की तारीख में महबूबा मुफ्ती राजनीतिक रूप से उनके बेटे उमर और उनके नजदीक हैं. उन्होंने कहा कि वह भी उनके संपर्क में थे और हर हफ्ते उनसे बात करते थे.

साक्षात्कार के दौरान अब्दुल्ला ने सवाल उठाया कि महबूबा मुफ्ती को क्यों रिहा नहीं किया गया? क्या वह अपराधी हैं? यह पूछने पर कि क्या लंबे समय से नजरबंद रहने से इसका उन पर (महबूबा) असर होना शुरू हुआ होगा?

इस पर वह कहते हैं, ‘कैसे नही हो सकता? आखिर वह भी एक इंसान हैं.’

अब्दुल्ला ने नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के अगला चुनाव लड़ेंने के सवाल पर कहा कि इस पर फैसला लिया जाएगा. पहले यह लोकतांत्रिक रूप से पार्टी के अंदर लिया जाएगा और पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते वह अपनी व्यक्तिगत सोच को नहीं थोपेंगे. इस पर फैसला अन्य सभी पक्षों के साथ मिलकर लिया जाएगा.

अब्दुल्ला ने बताया कि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला के हाल ही में एक समाचार पत्र में लिखे अपने लेख में यह कहना कि जब तक जम्मू कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश रहेगा, वो विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे, उमर का निजी फैसला है, न कि पार्टी का स्टैंड.

उन्होंने कहा कि अगर उमर चुनाव लड़ना नहीं चाहते तो उन्हें ऐसा करने का अधिकार है लेकिन वे सामूहिक रूप से पार्टी द्वारा लिए गए फैसले का पालन करेंगे.

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