खेमेबाजी और चुनावी वादों को बजट, सुक्खू की दो समस्यायें

हिमाचल कांग्रेस में गुटबाजी और 10 हजार करोड़ के चुनावी वादे, सुक्खू के सामने  दो बड़ी चुनौतियां

एक अनुमान के मुताबिक हिमाचल में कांग्रेस के वादे पूरा करने में एक साल में करीब 10 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. अब सवाल है कि ये पैसे आएंगे कहां से? इस साल के मार्च हिमाचल 65,000 करोड़ रुपये के कर्ज में था

हिमाचल में मुख्यमंत्री चुनने का मुश्किल काम कांग्रेस कर चुकी है लेकिन नई सरकार के सामने कई चुनौतियां मुंह खोले खड़ी हैं. सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार के सामने सबसे पहली चुनौती पार्टी की गुटबाजी को खत्म करने की है. वहीं दूसरी सबसे बड़ी चुनौती चुनावी वादे हैं जो कांग्रेस ने चुनाव जीतने को किए थे. गुटबाजी के कारण मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के सामने कैबिनेट गठन को लेकर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा .

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री पद नहीं मिलने से उनके समर्थक पहले ही नाराज हैं. मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा के बाद खुली सड़क पर उनकी नारेबाजी किसी से छुपी नहीं है. ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण रुख प्रतिभा सिंह का रहेगा. सवाल है कि वो अपने खेमे को किस प्रकार के मोलभाव के साथ संतुष्ट कर पाएंगी.

प्रतिभा सिंह के बेटे को मिलेगा खास मंत्रालय!

चर्चा है कि प्रतिभा सिंह अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट में महत्वपूर्ण विभाग देने को कह सकती हैं. शिमला ग्रामीण सीट से जीतने वाले विक्रमादित्य सिंह को राज्य की कैबिनेट में खास मंत्रालय मिलना तय माना जा रहा है. कांग्रेस के लिए पार्टी के अंदर की गुटबाजी के साथ-साथ चुनावी घोषणापत्र में किए गए वादे पूरा करना भी एक बड़ी चुनौती है, जिसके लिए सुक्खू सरकार को पैसा जुटाना होगा।

 सुखविंदर सुक्खू के सामने होंगी बड़ी चुनौतियां

हिमाचल प्रदेश में सरकार बनने के बाद कांग्रेस के सामने गुटबाजी दूर रखने और महत्वाकांक्षी चुनावी वादे पूरा करने की दोहरी चुनौती है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री का रास्ता कठिन है, जिसमें पहली बाधा मंत्रिमंडल गठन होगी.

हिमाचल प्रदेश में सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के सामने वादे पूरा करने की चुनौती होगी।

हाइलाइट्स
1-65,000 करोड़ के कर्जदार हिमाचल के लिए कैसे पैसा जुटाएंगे सक्खू?
2-कांग्रेस के सामने 1 लाख नौकरियां और हर व्यस्क महिला को डेढ़ हजार रुपए पैंशन का वादा पूरा करने की चुनौती
3-सुक्खू ने कहा हम व्यवस्था को बदलना चाहते हैं, मुझे कुछ समय दें..

हिमाचल प्रदेश में नए नेतृत्व को लेकर निर्णायक कदम उठाने के बावजूद राज्य में कांग्रेस पार्टी के लिए अभी काम खत्म नहीं हुआ है. उसके सामने गुटबाजी दूर रखने और महत्वाकांक्षी चुनावी वादे पूरा करने की दोहरी चुनौती है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री का रास्ता अभी कठिन है, जिसमें पहली बाधा मंत्रिमंडल का गठन होगी. मंत्रिमंडल गठन के मामले में उन्हें पार्टी में प्रतिस्पर्धी समूहों के दबाव से निपटना होगा.

पार्टी के लिए सबसे पहली मुश्किल विभागों का आवंटन होगा क्योंकि दिवंगत मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थक उनके कथित प्रतिद्वंद्वी सुक्खू को शीर्ष पद पर काबिज किये जाने के बाद पहले से ही खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. हो सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने शुरू में सही आवाज उठाई हो, लेकिन देखना यह होगा कि अपने खेमे को संतुष्ट करने के लिए वह क्या मोल भाव करती हैं.

इस तरह की चर्चा है कि उन्होंने अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह के लिए एक महत्वपूर्ण विभाग मांगा है. विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से जीते हैं. पार्टी सू़त्रों के अनुसार शीर्ष नेतृत्व विक्रमादित्य सिंह को राज्य मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री बनाने पर सहमत है. संगठनात्मक एकता की चुनौती के अलावा, राज्य में कांग्रेस सरकार को जमीनी स्तर पर काम करने और घोषणापत्र के वादे पूरा करने की आवश्यकता होगी.

65,000 करोड़ के कर्जदार हिमाचल के लिए कैसे पैसा जुटाएंगे सक्खू?

चुनावी वादों को पूरा करने के लिए एक और कठिन कार्य राज्य सरकार के लिए वित्त जुटाना होगा. इन वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार की ओर से लगभग दस हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च होंगे. हिमाचल पर 31 मार्च, 2002 तक लगभग 65,000 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ को देखते हुए सुक्खू और उनकी टीम इसे कैसे हासिल करती है, इस पर बारीकी से नजर रखी जाएगी.

हिमाचल के वित्तीय हालात खराब

राज्य की वित्तीय स्थिति पहले से ही मुश्किल में है. भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) का कहना है कि राज्य सरकार ने कर्ज ली गई धनराशि का 74.11 प्रतिशत पिछले कर्ज (मूलधन) के पुनर्भुगतान के लिए और 25.89 प्रतिशत पूंजीगत व्यय को उपयोग किया है. राज्य विधानसभा में 2020-21 के लिए पेश की गई कैग की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 39 प्रतिशत ऋण (लगभग 25,000 करोड़ रुपये) अगले दो से पांच वर्षों में देय है.

कांग्रेस के सामने 1 लाख नौकरियां देने का वादा पूरा करने की चुनौती

कांग्रेस के चुनावी वादे लागू करना चुनौतीपूर्ण  होगा, जिसमें पहले साल में एक लाख नौकरियां और पांच साल में कुल पांच लाख नौकरियां देना शामिल हैं. तत्काल कार्य विभिन्न सरकारी विभागों में राज्य की 62,000 रिक्तियां भरनी होगी, जिससे कर्मचारी लागत भी बढ़ेगी. राज्य की हर वयस्क महिला को 1500 रुपये देने के वादे पर सालाना 5,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

सूत्रों ने कहा कि इसके साथ ही हर घर को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने के वादे पर सालाना 2,500 करोड़ रुपये का और खर्च आएगा. वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों के अनुसार, कुल प्राप्तियां और नकद व्यय क्रमशः 50,300.41 करोड़ रुपये और 51,364.76 करोड़ रुपये अनुमानित हैं. हिमाचल के लिए 2022-23 में राजस्व घाटा 3,903.49 करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा 9,602.36 करोड़ रुपये रहने की संभावना है. पार्टी को राज्य की सत्ता में लाने में मदद करने वाला सबसे बड़े वादे पुरानी पेंशन योजना वापसी भी चुनौतीपूर्ण है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आश्वासन दिया है कि हिमाचल प्रदेश के विकास में कोई बाधा नहीं आएगी, भले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राज्य में सत्ता गंवा दी हो.

सुक्खू ने कहा -हम व्यवस्था को बदलना चाहते हैं, मुझे कुछ समय दें..

सुक्खू ने शनिवार को कहा था कि महत्वपूर्ण फैसले लेते समय सभी हितधारकों को साथ लेंगें. उन्होंने कहा था, ‘‘हम व्यवस्था बदलना चाहते हैं. मुझे कुछ समय दें. हमें एक नई प्रणाली और नई सोच लाने के लिए कड़ी मेहनत करने की जरूरत है.’’ कांग्रेस ने सभी बुजुर्गों के लिए चार साल में एक बार मुफ्त तीर्थ यात्रा से लेकर हर विधानसभा क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित बजट तक कई महत्वाकांक्षी वादे किए थे. धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए समर्पित बजट को शामिल करने वाली निधि ‘‘देव भूमि विकास निधि’’ का भी वादा किया गया है.

कांग्रेस ने किए थे 10 वादे

कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के लोगों से 10 वादे किए थे जिनमें राज्य कैबिनेट की पहली बैठक में पुरानी पेंशन योजना वापसी के अलावा राज्य की सभी वयस्क महिलाओं को 1500 रुपये देने का वादा शामिल है.

इन चुनावी वादों को पूरा करना टेढ़ी खीर!

– पहले साल में 1 लाख नौकरी देने का वादा है. राज्य में वर्तमान में 62,000 खाली पदों को भरना होगा, इससे सरकार की लागत बढ़ेगी.
– राज्य में वयस्क महिलाओं को 1500 रुपये देने के वादे को पूरा करने में 5,000 करोड़ रुपये सालाना खर्च होंगे.
– कांग्रेस के हर घर को 300 यूनिट तक फ्री बिजली देने के वादे पर एक साल में 2,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
– पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा कांग्रेस के लिए कठिन चुनौती बनेगा.
– कांग्रेस ने सरकार की वापसी पर 680 करोड़ रुपये की ‘स्टार्टअप निधि’ बनाने का भी वादा किया है.
– प्रदेश के सभी बुजुर्गों के लिए 4 साल में एक बार मुफ्त तीर्थ यात्रा का भी वादा किया गया था.

वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों के मुताबिक, हिमाचल को 50,300.41 करोड़ रुपये मिलने की संभावना है, वहीं, 51,364.76 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है. एक अनुमान के मुताबिक, 2022-23 में हिमाचल का राजस्व घाटा 3,903.49 करोड़ रुपये और राजकोषीय घाटा 9,602.36 करोड़ रुपये रह सकता है.

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